Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  यमराज की दिशा - कविता का सार

यमराज की दिशा - कविता का सार - Class 9 PDF Download

कविता का सार

‘यमराज की दिशा’ नामक कविता में कवि ने विकसित सभ्यता के भयावह परिणामों की ओर संकेत किया है। कवि इसमें स्पष्ट करना चाहता है कि सभ्यता के विकास के साथ-साथ हमारे जीवन के लिए हानिकारक शक्तियाँ भी पसरती जा रही हैं। कवि कहता है कि मुझे नहीं पता कि माँ यमराज से कभी मिली या नहीं किंतु इतना तो महसूस होता है कि माँ भगवान से बातें कर रही हैं तथा उन्हीं की राय लेकर अपना जीवन भी बिता रही हैं। कवि कहता है कि माँ ने उसे एक बार यह बताया था कि दक्षिण में पैर करके कभी मत सोना क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा है। यमराज को नाराश करना खतरे से खेलना है। कवि ने एक बार अपनी माँ से यमराज के घर का पता पूछा था? तो माँ ने कवि को यही कहा था कि यमराज का घर दक्षिण में ही है। कवि कहता है कि मुझे माँ की बताई हुई दक्षिण दिशा की बात हमेशा याद रही। कवि के अनुसार दक्षिण दिशा कभी खत्म नहीं होती है। वह हमेशा चलती ही रहती है। आज के विकसित सभ्य समाज में तो प्रत्येक दिशा यमराज की ही दिशा हो गई है। प्रत्येक दिशा में यमराज अपना पाश लिए तैयार ही खड़े रहते हैं। कवि का कहना है कि आज यमराज की दक्षिण दिशा माँ वाली दक्षिण दिशा नहीं रही है। अब तो चारों तरफ यमराज ही यमराज नशर आते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि अब सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य को काल के गाल में पहुँचाने वाली सामग्री सब जगह तैयार हो रही है। कवि चाहता है कि सभी लोग इस सर्वत्रा पैफलते हुए विध्वंसए हिंसा और मौत की भयावह चुनौती का डटकर मुकाबला करें।

 

कवि परिचय

चंद्रकांत देवताले
 इनका जन्म सन 1936 में गाँव जौलखेड़ा, जिला बैतूल, मध्य प्रदेश में हुआ। इनकी उच्च शिक्षा इंदौर से हुई तथा पीएचडी सागर विश्वविद्यालय, सागर से। देवताले की कविता की जड़ें गाँव-कस्बों और निम्न मध्यवर्ग के जीवन में है।

प्रमुख कार्य
कृतियाँ - हड्डियों में छिपा ज्वर, दीवारों पर खून से, लकड़बग्घा हँस रहा है, भूखंड तप रहा है, पत्थर की बैंच, इतनी पत्थर रोशनी, उजाड़ में संग्रहालय।
पुरस्कार - माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, मध्यप्रदेश शासन का् शिखर सम्मान।

कठिन शब्दों के अर्थ

  • बरदाश्त – सहन
  • यमराज – मृत्यु का देवता
  • कृद्ध – नाराज़  
  • फ़ायदा – लाभ 
  • लाँघना – पार करना 
  • आलीशान – भव्य 
  • दहकती – जलती 
  • विराजना - पधारना
The document यमराज की दिशा - कविता का सार - Class 9 is a part of Class 9 category.
All you need of Class 9 at this link: Class 9

Top Courses for Class 9

FAQs on यमराज की दिशा - कविता का सार - Class 9

1. यमराज की दिशा - कविता का सार क्या है?
उत्तर: 'यमराज की दिशा' नामक कविता में यमराज के बारे में बताया गया है। इसमें यमराज के स्वरूप, उसके लक्षण और उसकी शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसके अलावा, कविता में बताया गया है कि जीवों को मृत्यु के बाद क्या होता है।
2. 'यमराज की दिशा' कविता किस विषय पर है?
उत्तर: 'यमराज की दिशा' कविता मृत्यु और यमलोक के बारे में है। इसमें यमराज के स्वरूप, उसके लक्षण और उसकी शक्तियों का वर्णन किया गया है।
3. कविता में कौन-कौन से विषय दिए गए हैं?
उत्तर: 'यमराज की दिशा' कविता में यमराज के स्वरूप, उसके लक्षण और उसकी शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही, कविता में बताया गया है कि मृत्यु के बाद जीव को क्या होता है और यमलोक की स्थिति क्या होती है।
4. इस कविता का लेखक कौन है?
उत्तर: 'यमराज की दिशा' कविता के लेखक का नाम 'जयशंकर प्रसाद' है। वह एक लोकप्रिय हिंदी कवि थे जिन्होंने अनेक कविताएं, नाटक और उपन्यास लिखे थे।
5. 'यमराज की दिशा' कविता किस शैली में लिखी गई है?
उत्तर: 'यमराज की दिशा' कविता उपमा शैली में लिखी गई है। इसमें यमराज को व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है जो जीवों की जानकारी रखता है और उन्हें उनके कर्मों के अनुसार सजा देता है।
Download as PDF
Explore Courses for Class 9 exam

Top Courses for Class 9

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

pdf

,

Extra Questions

,

Objective type Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

mock tests for examination

,

Viva Questions

,

practice quizzes

,

ppt

,

Semester Notes

,

video lectures

,

MCQs

,

Summary

,

study material

,

Sample Paper

,

shortcuts and tricks

,

past year papers

,

यमराज की दिशा - कविता का सार - Class 9

,

यमराज की दिशा - कविता का सार - Class 9

,

यमराज की दिशा - कविता का सार - Class 9

,

Exam

,

Important questions

,

Free

;