I. लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘पानी की कहानी’ पाठ किस शैली में लिखा गया है? इसमें कौन, किसे कहानी सुना रहा/रही है?
उत्तर - ‘पानी की कहानी’ पाठ आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया है। इसमें पानी की बूँद अपनी आपबीती लेखक को सुना रही है, जिससे लेखक को तकली.फ न हो तथा दोनों का समय भी आराम से कट जाए
प्रश्न 2. लेखक की हथेली पर पड़ी बूँद किसके इंतज्जार में थी और क्यों?
उत्तर - लेखक की हथेली पर पड़ी बूँद सूर्योदय होने के इंतज्जार में थी। वह सूर्य की ऊष्मा से शक्ति ग्रहण करह्वद्म और भाप बनकर वायुमंडल का अंग बनना चाहती थी।
प्रश्न 3. पेड़ की पत्तियों तक आने से पहले बूँद कहाँ थी?
उत्तर - पेड़ की पत्तियों तक आने से पहले बूँद ज़मीन में इधर-उधर घूम रही थी। घूमते हुए वह पेड़ के पास आ गई और पेड़ की जड़ों में मौजूद रोओं ने उसे अपने अंदर खींच लिया।
प्रश्न 4. बूँद ने पत्तियों तक का सफर किस तरह और कितने समय में पूरा किया?
उत्तर - बूँद को जड़ के रोओं ने अपने अंदर खींच लिया। वहाँ कुछ और पानी की बूँदें थीं, जो उसे ऊपर खींच रही थीं। इसके साथ ही रोओं दवारा लाई गई कुछ और बूँदें उसे ऊपर ढकेल रही थी। इस तरह वह तीन दिन में ऊपर तक आई।
प्रश्न 5. बूँद लेखक की हथेली पर क्यों कूदी थी? लेखक ने उसे क्या आश्वासन दिया?
उत्तर - बूँद अपनी जान बचाने के लिए पत्तियों पर सिकुड़ी बैठी थी और लेखक को देखते ही उसकी हथेली पर कूद पड़ी। लेखक ने उसे आश्वासन दिया कि वह जब तक उसके पास है कोई उसे छू भी न सकेगा |
प्रश्न 6. सूर्य की ओर आते ग्रहराज की विशेषताएँ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर सूर्य की ओर आता हुआ ग्रहराज आकार में सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। यह बहुत ही चमकीला तथा आँखें चौंधिया देनेवाला था। इसकी गति बहुत तेज़ थी। उसकी आकर्षण शक्ति बहुत ही अधिक थी, जिससे सूर्य हिल गया।
प्रश्न 7. भाप से ठोस रूप में आई बूँद ने स्वयं को कहाँ पाया तथा सूरज की किरणों का इन पर क्या असर पड़ता था?
उत्तर भाप के रूप में पृथ्वी के आस-पास घूमनेवाली बूँद जब ठोस रूप में आई तो उसने स्वयं को पहाड़ की चोटी पर पाया जहाँ उसके अनेक साथी ब.र्फ बने पड़े थे। इन पर सूर्य की किरणें जब पड़तीं तो इनकी सुंदरता निखर जाती थी।
प्रश्न 8. बूँद बनी बर्फ़ अचानक क्यों फिसलने लगी?
उत्तर बर्फ़ बनी बूँद को ऐसा लगा कि वे सभी फिसल रहे हैं। इसका कारण यह था कि पृथ्वी पर स्थित उसके भाई दबकर पानी का रूप ले चुके थे। उनका शरीर अपना ठोसपन छोड़ चुका था। उनके बहने से वद्द भी बहते हुए फिसलने लगी।
प्रश्न 9. बूँद दवारा गर्मधारा के साथ जो व्यवहार किया गया उससे तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर बूँद की गर्मधारा से जब भेंट हुई तो उसने धारा के जलते अस्तित्व को ठंडक पहुँचाने की कोशिश की और उसकी गर्मीं सोखने की कोशिश की। उसके इस व्यवहार से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों के साथ परोपकार करना चाहिए।
प्रश्न 10. बूँद को समुद्र के बारे में क्या-क्या नया ज्ञान प्राप्त हुआ?
उत्तर बूँद सोचती थी कि समुद्र में केवल पानी-ही-पानी है, परंतु वहाँ पहुँचकर बूँद ने जाना कि समुद्र में बहुत-से अन्य जीव-जंतु हैं। वहाँ उनकी अपनी दुनिया है। इसके अलावा समुद्र के पानी में निरा नमक भरा हुआ है।
प्रश्न 11. समुद्र की तह में बूँद ने क्या-क्या देखा?
उत्तर समुद्र की तह में जाकर बूँद ने देखा कि वहाँ भी जंगल हैं। वहद्मँ शह्यक्त पेड़ छोटे ठिगने, मोटे पक्रह्म्े वाले तथा अधिक मात्रा में हैं। शहाँ पहाडिय़ाँ तथा गुफाओं में अनेक प्रकार के जीव-जंतु हैं, जो निपट अंधे तथा महाआलसी हैं।
प्रश्न 12. सागर की गहराई में चट्टान के नीचे पहुँची बूँद पृथ्वी से बाहर कैसे आई?
उत्तर - सागर की गहराई में चट्टान के नीचे पहुँची बूँद ह्वह्य एक ऐसा स्थान देखा जहाँ तापमान बहुत अधिक था। यह तापमान उसके लिए असहाये था। अचानक एक ज़ोर का धमाका हुआ और बूँद वाष्प रूप में ज़मीन के बाहर आ गई।
प्रश्न 13. वह कौन-सी जगह थी, जिसका आनंद वह भुलाये नहीं भूल सकती और क्यों?
उत्तर - ज्वालामुखी से वाष्प रूप में निकलने के बाद बूँद से अन्य बहुत-से वाष्पकण मिल गए। वह भारी हो गई और पर्वत पर गिरी तथा मैली-कुचैली होकर एक ओर को बह निकली। उन पत्थरों पर कूदने, उछलने तथा किलकारियाँ मारने का आनंद वह नहीं भूल सकती। उसे ऐसा आनंद अन्यत्र नहीं मिला।
प्रश्न 14. भाग्य ने बूँद का साथ किस तरह दिया?
उत्तर- बूँद, सरिता से नल में पहुँच गई। वह बहती जा रही थी कि एक जगह से नल टूटा हुआ था। वह टूटे नल से टपक कर बाहर आ गई और धरती में समा गई। इस प्रकार नल में कैद बूँद ध्रती में घूमने वेफ लिए स्वतंत्रा हो गई।
II. दीर्घ उत्तरीय प्रशन
प्रशन 1. ओस की बूँद पत्ती पर सिकुडक़र क्यों बैठी थी?
उत्तर - ओस की बूँद वृक्ष में तीन दिन तक दुख भोगती रही। बड़ी मुश्किल से वह पत्तों के बारीक छिद्रों से जान बचाकर निकल सकी थी। बूँद यह सोचकर बाहर आई थी कि पत्तों से बाहर आते ही वह सूर्य से ऊष्मा ग्रहण कर वायुमंडल मेंं उड़ जाएगी। उस समय सूर्य छिप चुका था और रात हो चुकी थी। बूँद उडऩा चाहती थी पर उस समय वायुमंडल में इतने जलकण थे कि वह अपना स्थान न बना सकी
प्रशन 2. प्रचंड प्रकाश-पिंड धरती के निर्माण में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुआ?
उत्तर - प्रचंड प्रकाश-पिंड अत्यंत तेज़ गति से सूर्य की ओर बढ़ता चला आ रहा था। उसका आकार सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। उसके प्रकाश से आँखेें चौंधिया रही थीं। वह सूर्य से सहासो मील दूर से निकल गया, पर उसकी आकर्षण शक्ति इतनी तीव्र थी कि सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से अलग हुआ भाग इतना ख्नखचाव न सह सका और कई खंडों में विखंडित हो गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है।
प्रशन 3. बूँद ने समुद्र की गहराई में क्या-क्या देखा? विचित्र जीव की क्या विशेषता थी?
उत्तर - बूँद समुद्र की गहराई में समाती जा रही थी। वहाँ उसने देखा कि पानी के नीचे सूर्य का प्रकाश बहुत कम है। उसे बल लगाकर देखना पड़ रहा है, इस कारण उसे पीड़ा हो रही है। वहाँ उसने रंगीन मछली, छोटे-छोटे पेड़, पहाडिय़ाँ और घाटियाँ तथा नाना प्रकार के विचित्र जीव-जंतु देखे। उनमें एक रंगीन मछली भी थी, जिससे चमक निकल रही थी। इस चमक के कारण जो भी छोटी मछली उसके निकट आती थी वह उसे खा जाती थी।
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1. पानी की कहानी किस कक्षा के छात्रों के लिए है? |
2. पानी की कहानी का विषय क्या है? |
3. पानी की कहानी में कौन-कौन से विषयों पर चर्चा की गई है? |
4. पानी की कहानी में दी गई चरित्रों की संख्या क्या है? |
5. पानी की कहानी में क्या संदेश दिया गया है? |
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