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संवाद- 3 - Hindi Grammar Class 10

प्रश्न 9. आप गाजियाबाद निवासी अंकुर हैं। आपको चंडीगढ़ जाना है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के काउंटर पर बैठे क्लर्क से हुई बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

उत्‍तर: 

अंकुर: नमस्ते सर!

क्लर्क: नमस्ते! कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?

अंकुर: जी मुझे चंडीगढ़ जाना है। मुझे वहाँ जाने के लिए बस कब तक मिलेगी?

क्लर्क: गाजियाबाद से दिल्ली के लिए कोई सीधी बस नहीं है।

अंकुर: फिर मुझे क्या करना चाहिए?

क्लर्क: आप यहाँ से अंतरराज्यीय बस अड्डा कश्मीरी गेट चले जाइए। वहाँ से आपको हर एक घंटे बाद बस मिल जाएगी।

अंकुर: क्या वहाँ से वातानुकूलित बस भी मिल जाएगी?

क्लर्क: वातानुकूलित बसें भी वहाँ से मिल जाएँगी, पर उनका समय आपको वहीं से पता चल पाएगा।

अंकुर: क्या आप दिल्ली से चंडीगढ़ का किराया बता सकते हैं ?

क्लर्क: (कोई पुस्तक देखकर) जी, वातानुकूलित बस का किराया 550 रु. है। शायद इस पर कुछ टैक्स भी लगे।

अंकुर: आपको बहुत-बहुत धन्यवाद ।

क्लर्क: आपकी यात्रा मंगलमय हो।

प्रश्न 10. आपका नाम मयंक है। आप ग्यारहवीं में विज्ञान वर्ग में प्रवेश लेना चाहते हैं। इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य के साथ हुई बातचीत को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्‍तर: 
मयंक: सर नमस्ते! क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?
प्रधानाचार्य: नमस्ते! अंदर आ जाइए।
मयंक: सर मुझे विज्ञान वर्ग में ग्यारहवीं में प्रवेश लेना है।
प्रधानाचार्य: दसवीं कक्षा में आपको कौन-सा ग्रेड मिला है?
मयंक: जी मुझे ‘ए’ ग्रेड मिला है।
प्रधानाचार्य: विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषयों में कौन से ग्रेड मिले हैं?
मयंक: जी मुझे तीनों ही विषयों में ‘ए’ ग्रेड मिला है।
प्रधानाचार्य: आप विज्ञान विषय ही क्यों पढ़ना चाहते हैं ?
मयंक: विज्ञान विषय में मेरी विशेष रुचि है।
प्रधानाचार्य: क्या आपको नहीं लगता है कि विज्ञान कठिन विषय है?
मयंक: सर मेरे पिता जी बी०एस०सी० करके बैंक में क्लर्क हैं और माँ एम०एस०सी० करने के बाद प्राइवेट स्कूल में विज्ञान शिक्षिका हैं।
प्रधानाचार्य: तब आप इस सरकारी विद्यालय में क्यों पढ़ना चाहते हैं ?
मयंक: सर, मेरी पढ़ाई शुरू से ही सरकारी स्कूल में हुई है। मैंने इस विद्यालय का बड़ा नाम सुना है। मेरे दो मित्र भी यहाँ बारहवीं में पढ़ते हैं।
प्रधानाचार्य: आप कक्षाध्यापक मि. शर्मा के पास फ़ीस जमा करवाकर प्रवेश ले लीजिए।
मयंक: जी बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रश्न 11. फ़िल्मों में दिनोंदिन अश्लीलता बढ़ती जा रही है। ‘पाप’ फ़िल्म देखकर लौटे अनुज की अपने मित्र से हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

उत्‍तर: 
अनुज: नमस्ते, रमन कहो इस समय कहाँ से आ रहे हो?
रमन: नमस्ते अनुज! इन छुट्टियों में कई दिनों से फ़िल्म देखने को मन हो रहा था। इस समय मैं फ़िल्म देखकर आ रहा हूँ।
अनुज: अच्छा! कौन-सी फ़िल्म देख रहे हो?
रमन: फ़िल्म का नाम था-पाप।।
अनुज: फ़िल्म के नाम से तो लगता है कि यह न तो देखने की चीज़ है और न करने की बल्कि उससे कोसों दूर रहने की चीज़ है।
रमन: कुछ ऐसा ही समझ लो।
अनुज: क्या फ़िल्म का विषय धार्मिक था?
रमन: मित्र मैंने समझा था कि कोई नया विषय होगा सो चला गया पर अब पता चला कि इसे देखकर समय और पैसा दोनों ही बरबाद किया।
अनुज: क्यों फ़िल्म की कहानी अच्छी नहीं थी?
रमन: अरे! ये फ़िल्म वाले भी न जाने क्या सोचकर बिना सिर-पैर वाली फ़िल्में बनाते हैं।
अनुज: फ़िल्म निर्माताओं का एकमात्र उद्देश्य पैसा कमाना रह गया है।
रमन: ठीक कहते हो तभी तो वे ज़बरदस्ती हिंसा, नग्नता और अश्लीलता को फ़िल्मों के माध्यम से दर्शकों के सामने परोसते हैं।
अनुज: इसमें हमारे समाज का भी दोष है। लोगों को ऐसी फ़िल्में नहीं देखनी चाहिए।
रमन: ठीक कहते हो मित्र तभी ऐसे फ़िल्म निर्माताओं को अक्ल आएगी।

प्रश्न 12. लोगों की बढ़ती स्वार्थवृत्ति के कारण वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। वनों के इस सफ़ाए पर दो मित्रों की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

उत्‍तर: 
उत्सव: अरे अनुराग! इतने दिन कहाँ थे? छुट्टियों में दिखाई ही नहीं दिए।
अनुराग: उत्सव, मैं दिखता कैसे?
उत्सव: क्यों अदृश्य होने का कोई फार्मूला हाथ लग गया है क्या?
अनुराग: अरे नहीं यार, इन छुट्टियों में मैं अपने दादा-दादी से मिलने गाँव चला गया था।
उत्सव: फिर तो बड़ा मज़ा आया होगा।
अनुराग: ठीक कह रहे हो उत्सव। वहाँ की हरियाली देखकर, आमों के बाग, कटहल, जामुन, फालसा आदि खाकर सचमुच मज़ा ही आ गया।
उत्सव: तब तो वहाँ से आने का मन ही नहीं कर रहा होगा?
अनुराग: शुद्ध ताज़ी हवा, ताज़ी हरी सब्जियाँ, शुद्ध ताज़ा दूध और शोर शराबा-रहित वातावरण छोड़कर आने को मन नहीं था पर छुट्टियाँ बीतने को थीं इसलिए आ गया।
उत्सव: अनुराग तू भाग्यशाली है। मुझे तो शहर के इसी प्रदूषित और दमघोंटू वातावरण में हर साल छुट्टियाँ बितानी
पड़ती हैं।
अनुराग: शहरों में प्रदूषण बढ़ाने में हम लोग भी ज़िम्मेदार हैं।
उत्सव: वह कैसे?
अनुराग: लोग अपने स्वार्थ के लिए वनों का सफाया करते हैं, बस्तियाँ बसाते हैं। धनी लोग इन वनों को काटकर फैकि ट्रयाँ स्थापित करते हैं। वे खुद तो लाभ कमाते हैं पर वायुमंडल को प्रदूषित और असंतुलित करते हैं।
उत्सव: मैं इस वर्षा ऋतु में अपने साथियों से खूब सारे पेड़ लगाने के लिए कहूँगा।
अनुराग: इसी में हम सभी की भलाई है।

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