प्रश्न 21. ग्राहक शोभित और दुकानदार (केमिस्ट) के मध्य बातचीत–
उत्तर:
शोभित: नमस्कार भाई साहब! मुझे ये दवाइयाँ चाहिए।
दुकानदार: ये दवाएँ तो थोड़ी महँगी हैं। चल जाएँगी?
शोभित: लगभग कितने की होंगी?
दुकानदार: ये सब एक हज़ार रुपए से अधिक की होंगी।
शोभित: रहने दो, मैं इन्हें दो घंटे बाद ले जाऊँगा।
दुकानदार: रुको! मैं तुम्हें कुछ सस्ती दवाएँ दे देता हूँ जो सात सौ रुपए तक आ जाएँगी।
शोभित: दे दीजिए। यह ठीक रहेगा।
दुकानदार: ये रही आपकी दवाएँ और इनका दाम हुआ सात सौ बीस रुपए।
शोभित: (पैसे देकर दवाओं को ध्यान से देखकर) इन दवाओं पर तो ‘बिक्री के लिए नहीं’ की मुहर लगी है। इन पर कोई दाम भी नहीं लिखा है।
दुकानदार: तभी तो ये सस्ती हैं।
शोभित: तुम गलत कार्य करते हो। भोले-भाले ग्राहकों को लूटते हो। मैं अभी पुलिस को बुलाता हूँ।
दुकानदार: नहीं भाई साहब, ऐसा मत करो। ये लो अपने पैसे और दवाएँ मुझे दो। मैं किसी और को दे दूंगा।
शोभित: तुम गलत तरीके से दवाएँ बेचते हो। मैं शिकायत ज़रूर करूँगा।
दुकानदार: माफ़ करना, भाई साहब। अब से ऐसी दवाएँ नहीं बेचूंगा। इस बार माफ़ कर दो। ये दवाएँ भी तुम मुफ़्त में ले जाओ।
शोभित: मुझे ऐसी दवाएँ नहीं चाहिए। इन्हें किसी ऐसे व्यक्ति को दे देना, जिसके पास पैसे न हों।
दुकानदार: मैं ऐसा ही करूँगा। भविष्य में इस प्रकार की दवाओं का दाम किसी से नहीं लूँगा।
प्रश्न 22. डॉक्टर और हर्ष के मध्य संवाद–
उत्तर:
हर्ष: डॉक्टर साहब, नमस्ते।
डॉक्टर: नमस्ते! बताइए आपको क्या तकलीफ है ?
हर्ष: जी, मुझे दो दिन से बुखार आ रहा है।
डॉक्टर: यह थर्मामीटर मुंह में लगाओ। अब देखते हैं, तुम्हें कितना बुखार है?
हर्ष: (थर्मामीटर लगाने और डॉक्टर को देने के बाद) कितना बुखार है?
डॉक्टर: (थर्मामीटर देखकर) 102° फारेनहाइट। क्या तुम्हें सरदी भी लगती है?
हर्ष: हाँ मुझे कँपकँपी-सी होती है और अचानक बुखार बढ़ जाता है।
डॉक्टर: क्या तुम्हारे घर के आसपास मच्छर हैं ?
हर्ष: डॉक्टर साहब, मेरे घर के आसपास मच्छर हैं। वे रातभर सोने नहीं देते हैं।
डॉक्टर: ये दवाएँ दिन में तीन बार और यह दवा दिन में दो बार खाना और हाँ आज ही खून की जाँच करवा लेना, क योंकि मलेरिया के लक्षण लग रहे हैं।
हर्ष: आपको फिर दिखाने कब आऊँ?
डॉक्टर: कल खून की रिपोर्ट लेकर ज़रूर आना। तुम चिंता मत करना, बस दो-तीन दिन में ही ठीक हो जाओगे।
हर्ष: डॉक्टर साहब, ये रही आपकी फ़ीस और दवाओं का दाम।
डॉक्टर: धन्यवाद और दवाएँ समय से खाते रहना।
हर्ष: ठीक है। आपने जैसा बताया है वैसे ही खाऊँगा।
प्रश्न 23. निरंतर बढ़ रही महँगाई पर दो स्त्रियों के मध्य संवाद–
उत्तर:
तान्या: अरे मोना! ये थैला लिए कहाँ से आ रही हो?
मोना: मैं बाज़ार गई थी, सब्ज़ियाँ और कुछ अन्य सामान लेने।
तान्या: पर सब्जियाँ तो दिख नहीं रही हैं।
मोना: ठीक कहा। महँगाई इतनी है कि अब तो सामान ज़रा-ज़रा-सा मिलने लगा है।
तान्या: गरमी और बरसात के दिनों में सब्जियों के दाम कुछ ज़्यादा ही बढ़ जाते हैं।
मोना: अब देखो न! टमाटर अस्सी रुपए किलो, प्याज साठ रुपए किलो, हरी सब्जियाँ सत्तर-अस्सी रुपए किलो से नीचे नहीं हैं।
तान्या: हाँ दूध और दालों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं।
मोना: इस महँगाई ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है। यह सरकार भी महँगाई रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती।
तान्या: कुछ तो बरसात में माल न आने से महँगाई बढ़ती है और कुछ जमाखोरी और मुनाफाखोरी के कारण।
मोना: सरकार को इन जमाखोरों पर कार्यवाही करनी चाहिए।
तान्या: सरकार कार्यवाही तो कर रही है, पर फिर भी यह पर्याप्त नहीं है।
मोना: महँगाई कम हो, इसके लिए लोगों को स्वार्थपूर्ण प्रवृत्ति का भी त्याग कर अधिक मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा।
तान्या: कुछ भी हो पर महँगाई कम होनी ही चाहिए।
मोना: नई फ़सल आने पर ही शायद महँगाई कुछ कम हो, तब तक तो हमें इसकी मार झेलनी ही पड़ेगी।
प्रश्न 24. पिता और पुत्र के मध्य मोबाइल फ़ोन दिलवाने के विषय में संवाद–
उत्तर:
बेटा: पिता जी! यह देखिए मेरी रिपोर्ट बुक।
पिता जी: अरे वाह! तुम्हें भी सभी विषयों में ‘ए’ ग्रेड मिला है।
बेटा: अपनी कक्षा में हम पाँच छात्र हैं, जिन्हें ‘ए’ ग्रेड मिला है।
पिता जी: परिश्रम का फल तो सदैव मीठा होता है। जो परिश्रम करेगा, वह सफलता अर्जित करेगा।
बेटा: आपको याद है पिता जी, ‘ए’ ग्रेड लाने पर आपने कोई उपहार देने की बात कही थी।
पिता जी: बताओ तुम्हें क्या चाहिए?
बेटा: मुझे अच्छा-सा महँगा फ़ोन चाहिए।
पिता जी: नहीं बेटा, घर पर फ़ोन तो लगा है। तुम्हें इस उम्र में फ़ोन का क्या करना।
बेटा: मैं फ़ोन अपने साथ स्कूल ले जाऊँगा। साथियों को दिखाऊँगा और उनके साथ गेम खेलूँगा।
पिता जी: जानते हो, सी०बी०एस०ई० ने छात्रों को विद्यालय में फ़ोन ले जाने से मना कर रखा है। जरा सोचो, तुम्हारी अध्यापिका तुम्हें पढ़ा रही हों और तीन-चार छात्रों के फ़ोन की घंटियाँ बजने लगें तो?
बेटा: फिर तो पढ़ाई में बाधा आएगी।
पिता जी: इस उम्र में बच्चे फ़ोन का दुरुपयोग भी करते हैं। वे जब गाने सुनते हुए चलते हैं तो उन्हें आसपास का ध्यान नहीं रह जाता।
बेटा: हाँ पिता जी, पिछले महीने एक छात्र के साथ ऐसे ही दुर्घटना हो गई थी।
पिता जी: बच्चे इंटरनेट आदि के माध्यम से मोबाइल फ़ोन पर फ़िल्म या अन्य चित्र भी देखते रहते हैं। इससे इनकी पढ़ाई बाधित होती है।
बेटा: आप ठीक कहते हैं। खाली पीरियड या लाइब्रेरी में जाकर कुछ छात्र हमेशा फ़ोन पर गेम खेलते रहते हैं और अध्यापिका उन्हें डाँटती हैं।
पिता जी: तुम कोई और उपहार ले लो, पर मोबाइल फ़ोन अभी नहीं।
बेटा: ठीक है। मैं आपकी बात मानूँगा।
पिता जी: यह हुई न अच्छे बच्चों वाली बात।
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