प्रश्न 25. रजत अपने जन्मदिन पर मोटरसाइकिल उपहार में चाहता है। इस संबंध में अमर और उसके पिता के मध्य हुई बातचीत का संवाद-लेखन–
उत्तर:
रजत: पिता जी! परसों मेरा जन्मदिन है।
पिता जी: वह मैं कैसे भूल सकता हूँ। मुझे अच्छी तरह याद है।
रजत: पर, आप मुझे इस बार क्या उपहार देंगे?
पिता जी: तुम्हीं बताओ, तुम्हें क्या चाहिए?
रजत: पिता जी, इस बार आप मुझे मोटरसाइकिल उपहार में दिलवा दीजिए।
पिता जी: बेटे, अभी तुम मोटरसाइकिल चलाने के लिए छोटे हो। तुमसे मोटरसाइकिल सँभाली न जाएगी।
रजत: मेरे दोस्त, जो मुझसे छोटे हैं, वे भी तो चलाते हैं।
पिता जी: तुम्हारी उम्र अभी अठारह साल नहीं हुई है। तुम्हारा ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन सकता है।
रजत: ड्राइविंग लाइसेंस की क्या ज़रूरत है?
पिता जी: है, ड्राइविंग लाइसेंस की ज़रूरत। उसके बिना मोटरसाइकिल चलाना कानूनी अपराध है।
रजत: तो क्या मैं अठारह वर्ष से पूर्व मोटरसाइकिल नहीं चला सकता हूँ।
पिता जी: बिलकुल नहीं। सड़क दुर्घटनाएँ बढ़ने का कारण बच्चों द्वारा दुपहिया वाहन चलाना भी है।
रजत: फिर आप मुझे कुछ और उपहार दिलवा दीजिए।
पिता जी: ये ठीक रहेगा। चलो दोनों बाज़ार चलते हैं।
प्रश्न 26. क्रिकेट मैच के विषय में दो मित्रों के मध्य संवाद
उत्तर:
श्रेय: अरे! दीपक, क्या तुमने कल का क्रिकेट मैच देखा था?
दीपक: हाँ श्रेय, मैच देखकर मज़ा आ गया।
श्रेय: क्या कोई कह सकता है कि यह वही टीम इंडिया है जो इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला बुरी तरह से हार रही थी।
दीपक: टेस्ट में तो हमारे सारे खिलाड़ी फुस्स हो रहे थे।
श्रेय: यह आई०पी०एल० मैचों का असर है कि एकदिवसीय प्रदर्शन अच्छा है परंतु टेस्ट में प्रदर्शन खराब हुआ है।
दीपक: कुछ भी हो, कल की 133 रनों की जीत टेस्ट मैचों में मिली हार के ज़ख्म पर मरहम का काम करेगी।
श्रेय: कल एक-दो खिलाड़ियों को छोड़कर सभी का प्रदर्शन अच्छा रहा था, जिससे वे 6 विकेट पर 304 रन बना सके। दीपक: सबसे बढ़िया प्रदर्शन सुरेश रैना का रहा, जिसने 75 गेंदों पर ही शतक लगा दिया।
श्रेय: इसके अलावा उसने एक खिलाड़ी को आउट भी तो किया था।
दीपक: देखा तुमने 305 रनों का पीछा करते हुए इंग्लैंड की टीम कैसे बिखरकर 160 के आसपास पवेलियन लौट आई।
श्रेय: देखो, अभी बाकी के मैचों में टीम का प्रदर्शन कैसा रहता है ?
दीपक: मित्र, देख लेना एकदिवसीय मैचों की सीरिज तो भारत ही जीतेगा।
प्रश्न 27. ‘प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग प्रतिबंधित होना चाहिए’-विषय पर प्रभात और पल्लव के मध्य संवाद
उत्तर:
प्रभात: अरे पल्लव! यह सामान कैसे बिखरा हुआ है?
पल्लव: दुकानदार ने घटिया थैलियों में सामान दे दिया था। उसके टूटते ही सारा सामान बिखर गया।
प्रभात: इसमें दुकानदार की क्या गलती है ?
पल्लव: फिर किसकी गलती है?
प्रभात: गलती तुम्हारी है। तुम घर से थैला लेकर क्यों नहीं आए?
पल्लव: इन प्लास्टिक की थैलियों में सामान लाने में क्या नुकसान है?
प्रभात: नुकसान है। ये प्लास्टिक की थैलियाँ पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं।
पल्लव: वो कैसे?
प्रभात: देखो, प्लास्टिक आसानी से सड़-गलकर मिट्टी में नहीं मिलता है। वह सालों-साल मिट्टी में बना रहता है। इससे ज़हरीली गैसें निकलती हैं।
पल्लव: पर ये पानी में तो गल जाती होंगी?
प्रभात: नहीं पल्लव, ये पानी में भी नहीं गलती हैं। ये नालियों और नालों में फँसकर उन्हें जाम कर देती हैं।
पल्लव: इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
प्रभात: इससे बचने के लिए हमें प्लास्टिक का कम-से-कम प्रयोग करना चाहिए। हमें कपड़े के थैलों में सामान खरीदना चाहिए।
पल्लव: सरकार को इन प्लास्टिक की थैलियों पर रोक लगा देनी चाहिए।
प्रभात: वह तो ठीक है, पर हमें भी जागरूक बनना चाहिए। लोगों के सहयोग के बिना कोई काम सफल नहीं होता है।
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