1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you? |
प्रस्तुत पाठ पद्मशास्त्री जी द्वारा रचित ‘विश्वकथाशतकम्’ नामक कथा संग्रह से लिया गया है। इस कथा में सुनहरे पंखों वाले एक कौए के माध्यम से लोभ और उसके दुष्परिणाम का वर्णन किया गया है। साथ में त्याग और उसके लाभ के बारे में बताया गया है। कथा का सार इस प्रकार है
किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी। उसने एक दिन थाली में चावल रखकर अपनी पुत्री से कहा-पुत्री, पंछियों से इसकी रक्षा करना। उसी समय एक विचित्र कौआ वहाँ आकर चावल खाने लगा। उस कन्या ने कौवे को मना किया तो उसने उसे एक पीपल के वृक्ष के पास आने के लिए कहा। कौवे ने उस लड़की की ईमानदारी से प्रसन्न होकर उसे हीरे-जवाहरात दिए।
उसी गाँव में एक लालची बुढ़िया भी रहती थी। वह सारे रहस्य जान गई। उसने ईर्ष्या वश उसी प्रकार का नाटक किया। उसकी बेटी घमंडी थी। कौवे के कहने पर उसने स्वर्णमय सोपान की माँग की। उस लड़की की हीन इच्छा को जानकर कौवे ने उसके सामने तीन पेटियाँ रख दीं। लोभ से भरी हुई उस लड़की ने सबसे बड़ी पेटी उठा ली। ज्यों ही उसने उसे खोला, त्योंही उसमें से काला साँप निकला। उस दिन से उस लड़की ने लालच का त्याग कर दिया।
20 videos|54 docs|20 tests
|
Use Code STAYHOME200 and get INR 200 additional OFF
|
Use Coupon Code |
20 videos|54 docs|20 tests
|