Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)  >  पाठ का सार: मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय

पाठ का सार: मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

पाठ का सार

प्रस्तुत आत्मकथात्मक रचना ‘मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय’ प्रसिद्ध् रचनाकार एवं पत्राकार धर्मवीर भारती के निधन से सात-आठ साल पूर्व की है। सन् 1989 ई. में लेखक एक बार गंभीर रूप से बीमार हुए थे। वे एक के बाद एक जबरदस्त हार्ट-अटैक की चपेट में आ गए थे। अस्पताल में इलाज के बाद लेखक अर्ध-मृत्यु की अवस्था  में घर वापस आए। वहाँ उन्होंने ज़िद ठान ली कि उन्हें उनकी किताबों वाले कमरे में रखा जाए। उन्हें उसी लाइब्रेरीनुमा कमरे में लिटा दिया गया। लेखक को डाॅक्टर की हिदायत थी कि वे पूरी तरह से आराम करें। उन्हें चलना, बोलना, पढ़ना सब मना कर दिया गया।

लेखक उस छोटे से निजी पुस्कालय में (जो अब काफी विस्तृत है ) लेटे हुए थे। लेखक ने परी कथाओं (Fairy Tales) में पढ़ा था कि एक राजा के प्राण उसके शरीर में नहीं बल्कि तोते में रहते थे। वैसे ही उन्हें भी लगता था कि उनके प्राण भी उनके शरीर में नहीं हैं। उनके प्राण शरीर से निकल चुके हैं और वे इन जारों किताबों में बस गए हैं, जो पिछले चालीस-पचास वर्षों में धीरे-धीरे उनके पास जमा होती गईं।

जब आर्य समाज का सुधारवादी आंदोलन शीर्ष पर था, तब लेखक के पिता आर्यसमाज रानीमंडी के प्रधान थे और माँ ने स्त्राी-शिक्षा के लिए आदर्श कन्या पाठशाला की स्थापना की थी। इन बातों से बचपन से ही लेखक प्रभावित होते रहे। लेखक को बचपन में ही नियमित रूप से आर्यमित्र साप्ताहिक, वदेादेम, सरस्वती, गृिहणी आरै बाल पत्रिकाएँ ‘बाल सखा’ एवं ‘चमचम’ पढ़ने का अवसर मिला। लेखक को ‘सत्यार्थप्रकाश’ जैसी पुस्तकों को पढ़ने का भी अवसर प्राप्त हुआ। इस प्रकार से लेखक के बचपन का पूरा माहौल ही पुस्तकों से संपर्क का था। लेखक पर इन चीजों का प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपने बाल्यकाल में स्कूली किताबों से अधिक इन किताबों और पत्रिकाओं को ही पढ़ा।

अपने छोटे-से निजी पुस्तकालय के विषय में लेखक ने बताया है कि कैसे उस पुस्तकालय का विकास हुआ और कब शुरुआत हुई, कब इस लघु-पुस्तकालय के लिए पहली किताब खरीदी गई। इन सब का वर्णन भी लेखक ने इस पाठ में किया है। लेखक को स्कूल में दो किताबें इनाम में मिली थीं एक किताब के माध्यम से लेखक को पक्षियों से भरे आकाश का ज्ञान हुआ और दूसरी किताब में रहस्यों से भरे समुद्र का ज्ञान हुआ। लेखक के पिता जी ने अपनी निजी लाइब्रेरी के एक खाने से अपनी चीशें हटा दीं और लेखक के लिए उसे सुरक्षित कर दिया। उन्होंने ऐसा करके लेखक से कहा ‘‘आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का है, यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है।’’ बस, यहीं से लेखक की निजी लाइब्रेरी आरंभ हुई।

लेखक स्कूल-काॅलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद एक दिन यूनिवर्सिटी पहुँचे और अध्यापन की दुनिया में आ गए। अध्यापन छोड़कर लेखक इलाहाबाद होते हुए मुंबई आ गए जहाँ आकर संपादन की दुनिया में प्रवेश किया। इसी रफ्रतार में और इसी क्रम से लेखक की निजी लाइब्रेरी का विस्तार भी होता गया। निजी लाइब्रेरी के विस्तार की प्रेरणा लेखक को इलाहाबाद में रहते हुए मिली। लेखक जीवन में पहली बार साहित्यिक पुस्तक की खरीद के विषय में बताते हैं कि माँ के कहने पर लेखक ने देवदास फिल्म देखने का निश्चय किया। वह पुस्तकों को बेचने और पुरानी पुस्तकों को खरीदने से बचे दो रुपयों को लेकर सिनेमा देखने गए लेकिन फिल्म शुरू होने में थोड़ी देर होने की वजह से वहीं सामने की किसी किताब की दुकान पर लेखक की नज़र पड़ी और लेखक ने शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की पुस्तक देवदास रखी देखी। लेखक का ध्यान उस ओर खिंच आया। लेखक ने कीमत पूछी तो पता चला एक रुपए मात्रा। दुकानदार ने एक रुपए से कम में ही वह पुस्तक उन्हें दे दी। वह पुस्तक  केवल दस आने में लेखक को मिल गई। लेखक ने बचे एक रुपए छह आने माँ को लौटा दिए। यह पहली किताब स्वयं लेखक द्वारा खरीदी गई। यह जीवन भर याद रखने वाली घटना  थी। लेखक ने पुस्तक जमा करने का इरादा भी बना लिया और धीर-धीरे करके उनकी निजी लाइब्रेरी में हिंदी, अंग्रेजी के उपन्यास, नाटक, कथा-संकलन, जीवनियाँ, संस्मरण, इतिहास, कला, पुरातत्व, राजनीति की हजारों पुस्तवेंफ इकट्ठी हो गईं। लेखक पीछे नशर दौड़ाते हैं तो उन्हें अपनी पहली किताब खरीदने की प्रबल इच्छा याद आ जाती है।

लेखक भारत के ही नहीं, विश्व स्तर के एक जाने-माने विद्वान हैं। वे भारतीय पत्राकारिता के लिए गौरव का विषय बने हुए हैं। उनकी लाइबे्ररी में रेनर मारिया रिल्वफे , स्टीप़ेफन ज्वीग, मोपाँसा, चेखव, टालस्टाय, दास्तोवस्की, मायकोवस्की, सोल्शेनिस्टिन, स्टीपेफन स्पेंडर, आडेन एशरा पाउंड, यूजीन ओ नील, ज्याँ पाल सात्रो, आॅल्बेयर कामू, आयोनेस्को, पिकासो, रेम्ब्राँ की कृतियाँ हैं। हिंदी में कबीर, सूर, तुलसी, रसखान, जायसी, प्रेमचंद, पंत, निराला, महादेवी के साथ और कितने ही लेखकों, चिंतकों की साहित्यिक कृतियों से पुस्तकालय भरा पड़ा है।

बीमारी की हालत में लेखक से मिलने आए मराठी के वरिष्ठ कवि वृदा करंदीकर ने लेखक से कहा ‘‘भारती, ये सैकड़ों महापुरुष जो पुस्तक-रूप में तुम्हारे चारों ओर विराजमान हैं, इन्हीं के आशीर्वाद से तुम बचे हो। इन्होंने तुम्हें पुनर्जीवन दिया है।’’ लेखक ने मन-ही-मन करंदीकर को और उन महापुरुषों को प्रणाम किया।

शब्दार्थ

  1. नब्ज़ - नस
  2. शॉक्स - चिकित्सा के लिए बिजली के दिए जानेवाले झटके।
  3. अवरोध - रुकावट
  4. सर्जन - शल्य चिकित्सक
  5. अर्धमृत्यु - अधमरा
  6. विशेषज्ञ - विशेष जानकार
  7. सहेजना - संभालकर रखना
  8. खंडन-मंडन - तर्क-वितर्क करके पुष्टि करना
  9. पाखण्ड - दिखावटी
  10. अदम्य - जिसे दबाया ना जा सके
  11. शैली - विधि
  12. प्रतिमाएँ - मूर्तियाँ
  13. मूल्य - आदर्श
  14. रूढ़ियाँ - प्रथाएँ
  15. कुल्हड़ - मटकेनुमा मिटटी का छोटा-सा बर्तन
  16. सनक - जिद
  17. अनिच्छा - बेमन से
  18. कसक - पीड़ा
  19. शिद्दत - अधिकता
  20. पुरातत्व - पुरानी बातों और इतिहास के अध्यन और अनुसंधान से संबंध रखने वाली विशेष प्रकार की विद्या
  21. वरिष्ठ - बड़ा
  22. सहमति - मंजूरी
The document पाठ का सार: मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 9 Course Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 9 at this link: Class 9
15 videos|160 docs|37 tests

Top Courses for Class 9

FAQs on पाठ का सार: मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. मेरे छोटे-से निजी पुस्तकालय का आकार क्या हो सकता है?
उत्तर. एक छोटे-से निजी पुस्तकालय का आकार आपकी रुचि और उपयोग के आधार पर बदल सकता है। यह आपके पासिंदीदा पुस्तकों की संख्या और आपके उपयोग की सीमा पर निर्भर करेगा। आप छोटे आकार के निजी पुस्तकालय में कुछ पुस्तकों को रख सकते हैं, जबकि बड़े आकार के पुस्तकालय में अधिक पुस्तकों को आसानी से संग्रहीत किया जा सकता है।
2. निजी पुस्तकालय क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर. निजी पुस्तकालय महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे हमें आत्मनिर्भरता, स्वतंत्रता, और ज्ञान की अवधारणा विकसित होती है। यह हमारा व्यक्तिगत संसाधन होता है जो हमें अपनी रुचियों और शिक्षा की आवश्यकताओं के अनुसार पुस्तकों का संग्रह करने की सुविधा प्रदान करता है। निजी पुस्तकालय से हमें विशेष ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है जो हमारे विद्यालयों और सार्वजनिक पुस्तकालयों में मिलना संभव नहीं होता है।
3. कैसे मैं अपने छोटे-से निजी पुस्तकालय को सुव्यवस्थित कर सकता हूँ?
उत्तर. अपने छोटे-से निजी पुस्तकालय को सुव्यवस्थित करने के लिए आप निम्नलिखित कदम अपना सकते हैं: 1. अपनी पुस्तकों को अलग-अलग केटेगरी में व्यवस्थित करें, जैसे कि कथा, कविता, नाटक, आदि। 2. पुस्तकों के लिए एक अलग स्थान निर्धारित करें और उन्हें उसी स्थान पर रखें। 3. अपनी पुस्तकों की सूची बनाएं ताकि आप अपनी पुस्तकों के बारे में संक्षेप में जान सकें। 4. अपने निजी पुस्तकालय को नवीनतम और मनोरंजक पुस्तकों से अद्यतित रखें। 5. अपनी पुस्तकों को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए एक अलग स्थान निर्धारित करें।
4. निजी पुस्तकालय के साथ कैसे अच्छे संग्रहालय का निर्माण किया जा सकता है?
उत्तर. निजी पुस्तकालय के साथ एक अच्छे संग्रहालय का निर्माण करने के लिए आप निम्नलिखित कदम अपना सकते हैं: 1. एक विशेष संग्रहालय कक्षा तैयार करें जहां आप अपने मूल्यवान आविष्कार, नमूना और अन्य सामग्री को प्रदर्शित कर सकें। 2. अपने संग्रहालय में एक सुरक्षित और सुरक्षित संग्रहालय गोदाम का निर्माण करें। 3. अपने संग्रहालय में एक विशेष स्थान निर्धारित करें जहां आप अपनी संग्रहालय सामग्री को संग्रहीत कर सकें। 4. संग्रहालय में स्थान के आधार पर अपनी सामग्री को व्यवस्थित करें, जैसे कि विज्ञान, इतिहास, कला, आदि। 5. अपने संग्रहालय के प्रदर्शनी को बदलते समय के अनुरूप अद्यतित रखें।
15 videos|160 docs|37 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 9 exam

Top Courses for Class 9

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

study material

,

Sample Paper

,

pdf

,

पाठ का सार: मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

Extra Questions

,

Semester Notes

,

Objective type Questions

,

Important questions

,

Summary

,

Exam

,

MCQs

,

mock tests for examination

,

Viva Questions

,

ppt

,

पाठ का सार: मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

practice quizzes

,

Free

,

video lectures

,

पाठ का सार: मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

;