लोकोक्ति
यह शब्द दो शब्दों से बना है- लोक + उक्ति। अर्थात् किसी क्षेत्र-विशेष में कही हुई बात। लोकोक्ति किसी प्रासंगिक घटना पर आधारित होती है। डा० वासुदेवशरण अग्रवाल के शब्दों में मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते हुए सूत्र हैं जिनसे बुद्धि और अनुभव की किरणों से सदा फूटने वाली ज्योति प्राप्त होती है।
मुहावरो के कुछ उद्धाहरण:
मुहावरो के कुछ अन्य उद्धाहरण:
(i) कठपुतली बनना (दूसरों के इशारों पर नाचना)-आजकल कई देश अमेरिका की कठपुतली बने हुए हैं।
(ii) अँगूठा दिखाना (साफ इंकार करना)-हमें पूरा विश्वास था कि सेठ जी भूकंप पीड़ितों के लिए अधिक धन देंगे लेकिन उन्होंने तो सहायता के नाम पर अँगूठा दिखा दिया।
लोकोक्तियों के कुछ उद्धाहरण:
लोकोक्तियों के कुछ अन्य उद्धाहरण:
(i) अंधों में काना राजा (अज्ञानी लोगों में अल्पज्ञानी ही महान ज्ञानी होता है)-पूरा गाँव तो निरक्षर है, सिर्फ रमेश ही कुछ पढ़-लिख सकता है। इसीलिए वही अकड़ में रहता है। ठीक ही कहा है अंधों में काना राजा।
(ii) अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत (अवसर निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है)-पहले तो परिश्रम नहीं किया, अब अनुत्तीर्ण होने पर रो रहे हो। अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत। ।
जैसे:
मुहावरा: कान का कच्चा होना (जो झूठी शिकायत पर ध्यान दे)-हमारा नया अफसर कान का कच्चा है। अतः उससे सावधान रहना चाहिए।
लोकोक्ति: अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता (अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता)-अकेले मानसिंह ने आतंकवादियों को खत्म करना चाहा पर उनके पास बहुत हथियार थे। मानसिंह घायल हो गया। सच ही कहा है, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
36 videos|73 docs|36 tests
|
36 videos|73 docs|36 tests
|
|
Explore Courses for Class 8 exam
|