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कारक Chapter Notes | Hindi Grammar Class 7 PDF Download

कारक किसे कहते हैं?

किसी वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा अथवा सर्वमान पदों का उस वाक्य की क्रिया के साथ जो संबंध होता है, उसे कारक कहते हैं।
“कारक” शब्द का अर्थ है क्रिया करने वाला। कारक वह व्याकरणिक कोटि है जो वाक्य में आए संज्ञा आदि शब्दों का क्रिया के साथ संबंध बनाती है।

  • माताजी ने खाना खाया।
  • बच्चे शिमला से वापस आ गए।
  • घर में कोई आया है।
  • पेड़ से पत्ते गिरते हैं।
  • रोगी के लिए दवाई ले आओ।
  • फल को काट दो।
  • हे भगवान्! हमारी सहायता करो।
  • अपने मत का प्रयोग सोच समझकर करना चाहिए।

परसर्ग या कारकीय चिह्न तथा कारकीय संबंध को प्रकट करने वाले चिह्नों को कारक- चिह्न या परसर्ग कहते हैं।

कारकों के प्रकार

वस्तुतः हिंदी में छह प्रकार के कारक होते हैं। यद्यपि संबंध और संबोधन को भी सामान्यतया कारकों में ही गिना जाता है, परंतु इनका सीधा संबंध वाक्य की क्रिया के साथ नहीं होता। यहाँ आठों कारकों के साथ जो चिह्न लगाते हैं, उन्हें नीचे दिया जा रहा है।

कारक – परसर्ग / विभक्तियाँ

  1. कर्ता (क्रिया को करने वाला)
  2. कर्म (जिस पर क्रिया का फल पड़ता है)
  3. करण (वह साधन जिससे क्रिया संपन्न होती हो)
  4. संप्रदान (जिसके हित की पूर्ति क्रिया से होती हो)
  5. अपादान (जिससे अलग होने का भाव प्रकट हो)
  6. संबंध (क्रिया के अतिरिक्त अन्य पदों से संबंध बताने वाला) का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी
  7. अधिकरण (क्रिया करने का काल या स्थान) में, पर
  8. संबोधन (जिस संज्ञा को संबोधित किया जाए) अरे, हे!

कर्ता कारक

क्रिया का करने वाला कर्ता कहलाता है। यह विशेष रूप से संज्ञा या सर्वनाम ही होता है। इसका संबंध सीधा क्रिया से होता है। कर्ता कारक का चिह्न “ने” है। इसका प्रयोग केवल भूतकाल में होता है। वर्तमानकाल और भविष्यत्काल वाली क्रियाओं वाले वाक्यों में “ने” परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है।
जैसे:

  • राजा प्रतिदिन खेलता है। (वर्तमानकाल)
  • रमा ने पानी पिया। (भूतकाल)
  • सोनिया कल जाएगी। (भविष्यत्काल)

कभी-कभी कर्ता के साथ “से”, “के द्वारा” परसर्ग का भी प्रयोग होता है।
जैसे:

  • योगेश से पढ़ा नहीं जाता।
  • जादूगर के द्वारा जादू के खेल दिखाए गए।

प्राकृतिक शक्ति या पदार्थ भी कर्ता के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं।
जैसे:

  • चंद्रमा चमकता है।
  • बादल वर्षा करते हैं।

कर्म कारक

शब्द के जिस रूप पर क्रिया का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति या परसर्ग “को” है।

जैसे:

  • पिता ने रमेश को समझाया।
  • अमन ने इस अभ्यास को अच्छी तरह पढ़ा है।

कभी-कभी “को” विभक्ति का प्रयोग नहीं होता।
जैसे:

  • राम ने धनुष तोड़ दिया।
  • प्रिया निबंध पढ़ती है।

करण कारक

जिसकी सहायता से कोई कार्य संपन्न हो, वह संज्ञा या सर्वनाम पद करण कारक होता है।

जैसे:

  • मैं पेन से पत्र लिख रहा हूँ।
  • माता जी ने चाकू से फल काटा।

उपर्युक्त वाक्यों में “पेन” और “चाकू” की सहायता से क्रमशः “लिखने” और “काटने” का कार्य किया जाता रहा है। करण कारक में प्रायः “से” परसर्ग का प्रयोग होता है। कभी-कभी “से” की जगह “के द्वारा” अथवा “द्वारा” का भी प्रयोग होता है।
जैसे:

  • बच्चों के द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया।
  • अभिनव द्वारा बहुत अच्छी कविता सुनाई गई।

संप्रदान कारक

जिसके लिए कोई कार्य किया जाए या जिसे कुछ दिया जाए, वह संज्ञा या सर्वनाम संप्रदान कारक होता है। संप्रदान कारक “में”, “को” तथा “के” लिए परसर्गों का प्रयोग होता है।
जैसे:

  • मैं यह उपहार अपने अध्यापक के लिए लाया हूँ।
  • अस्मिता ने प्रिया को पुस्तकें दीं।

वाक्य  में “उपहार” लाने का कार्य “अध्यापक के लिए” किया गया है। अतः “अध्यापक के लिए” संप्रदान कारक है।
वाक्य  में “प्रिया को” संप्रदान कारक है।

अपादान कारक

संज्ञा या सर्वमान के जिस रूप से अलग होने, निकलने या तुलना करने का भाव प्रकट हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसका विभक्ति चिह्न “से” है,
जैसे:

  • मैं झूठ से घृणा करता हूँ।
  • वृक्ष से फल गिरा है।
  • गंगा-यमुना हिमालय से निकलती हैं।
  • पवन सुरेश से सुंदर है।

संबंध कारक

जिस रूप से किसी वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट होता हो, वह संबंध कारक कहलाता है। इसके परसर्ग “का”, “के”, “की” व “रा”, “रे”, “री” हैं।
जैसे:

  • मोहन का घर सुंदर है।
  • हमारे विद्यालय के सभी शिक्षक परिश्रमी हैं।

अधिकरण कारक

संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, वह अधिकरण कारक कहलाता है। इसके विभक्ति चिह्न “में”, “पर” हैं।
जैसे:

  • मेरी जेब में बीस रुपये हैं।
  • बच्चे छत पर खेल रहे हैं।
  • माता जी घर में हैं।
  • बंदर पेड़ पर बैठा है।

संबोधन कारक

शब्द के जिस रूप से किसी को पुकारा जाए उसको संबोधन कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न “हे”, “अरे”, “ओ” आदि हैं।
जैसे:

  • हे ईश्वर! हमारी रक्षा करो।
  • अरे! क्या कर रहे हो?

विशेष

अपादान कारक का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है:

  • जहाँ से कुछ आरंभ किया जाए।
    जैसे: कल से एकदिवसीय मैच होगा।
  • जिससे डर लगने का भाव हो।
    जैसे: रिया कुत्ते से डर गई।
  • जिससे तुलना की जाए।
    जैसे: मयंक अमित से बुद्धिमान है।
  • जिससे विद्या प्राप्त की जाए।
    जैसे: छात्र अध्यापक से पढ़ता है।
  • जिससे लज्जा का भाव प्रकट हो।
    जैसे: बहू ससुर से लजाती है।

Question for Chapter Notes: कारक
Try yourself:वाक्य में जिसकी सहायता से कार्य किया जाता है, उसे _____ कारक कहते हैं?
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Question for Chapter Notes: कारक
Try yourself:‘संप्रदान कारक’ का विभक्ति चिह्न है
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Question for Chapter Notes: कारक
Try yourself:कारक के भेद होते हैं
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