इस अध्याय में, जल के महत्व को विस्तार से समझाया गया है, विशेषकर यह कैसे प्राचीन काल से हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण तत्व रहा है। पुराने समय में जल संग्रहण के तरीके बहुत ही सरल लेकिन प्रभावी थे। लोग वर्षा जल को बड़े पत्थरों की गड्ढों में जमा करते थे, जिसे बाद में सूखे के समय में उपयोग में लाया जाता था। इसके अलावा, तालाब और कुएं भी प्रमुख जल स्रोत के रूप में उपयोग होते थे, जहाँ से दैनिक जीवन में इस्तेमाल के लिए पानी निकाला जाता था।
बच्चे और महिलाएं, विशेष रूप से, इस कार्य में सबसे आगे रहते थे। वे अक्सर गांव से दूर पानी के स्रोतों तक जाते थे, जिसमें काफी समय और श्रम लगता था। इस बात का उल्लेख है कि कैसे प्राचीन समाज में पानी के स्रोतों को पवित्र माना जाता था और उनकी पूजा की जाती थी, जो जल के प्रति उनकी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है।
आधुनिक समय में जल संरक्षण के लिए नई तकनीकों और तरीकों का विकास हुआ है। वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण जैसे तरीके न केवल पानी की बचत करते हैं बल्कि पर्यावरण को संतुलित रखने में भी मदद करते हैं। इस अध्याय में जल संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है और यह बताया गया है कि कैसे ये तकनीकें हमें स्थायी विकास की ओर ले जा सकती हैं।
इस प्रकार, यह अध्याय जल के ऐतिहासिक महत्व को समझाने के साथ-साथ आज के समय में जल संरक्षण के महत्व को भी उजागर करता है, जो हमें पानी के महत्व और उसे बचाने के लिए प्रेरित करता है।
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