जैसे -
1. संस्कृत प्रत्यय (Sanskrit Pratyay)
‘इक’ प्रत्यय (Pratyay) →
अ = आ
इ, ई, ए = ऐ
उ, ऊ, ओ = औ
ऋ = आर्
जैसे –
‘एय’ प्रत्यय →
शब्द के अन्तिम वर्ण के स्वर को हटाकर उसमें ‘एय’ प्रत्यय जोड़ दिया जाता है | तथा ‘इक’ प्रत्यय की तरह शब्द के प्रथम स्वर में परिवर्तन कर देता है |
जैसे –
‘ईय’ प्रत्यय →
2. विदेशी प्रत्यय (Videshi Pratyay)
‘गर’ प्रत्यय
‘इश’ प्रत्यय
‘दान’ प्रत्यय →
(स्थान) ‘गाह’ Pratya →
‘गीर’ प्रत्यय →
3. हिंदी प्रत्यय (Hindi Pratyay)
संज्ञा की रचना करने वाले कृत प्रत्यय →
‘न’ प्रत्यय → (Na – Pratyay)
‘आ’ प्रत्यय – (Aa Pratyay)→
विशेषण की रचना करने वाले कृत प्रत्यय →
‘आलु’ प्रत्यय →
‘ऊ’ प्रत्यय →
(i) कृत प्रत्यय (Krit Pratyay)
वे प्रत्यय जो धातु अथवा क्रिया के अन्त में लगकर नए शब्दों की रचना करते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं | कृत प्रत्ययों से संज्ञा तथा विशेषण शब्दों की रचना होती है |
कृत् प्रत्यय के प्रकार (Krit Pratyay ke Prakar)
(a) कृत वाचक
‘हार’ Pratya →
‘ता’ प्रत्यय →
‘अक्कड़’ प्रत्यय →
(b) कर्म वाचक कृत प्रत्यय
जैसे – खेल + औना = खिलौना
‘ना’ Pratya
(c) करण वाचक कृत प्रत्यय
जैसे –
‘नी’ प्रत्यय
‘अन’ प्रत्यय
‘ऊ’ प्रत्यय
‘ई’ Pratya
(d) भाव वाचक कृत प्रत्यय
‘आऊ’ प्रत्यय
‘आई’ प्रत्यय
‘ई’ प्रत्यय
(e) क्रियावाचक कृत प्रत्यय
‘कर’ प्रत्यय
‘ता’ Pratya
(ii) तद्धित प्रत्यय (Tadhit Pratyay)
क्रिया को छोड़कर संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में जुड़कर नए शब्द बनाने वाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं |
जैसे –
तद्धित प्रत्यय के प्रकार (Tadhit Pratyay ke Prakar)
(a) कर्त्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
‘आर’ Pratya →
‘ई’ Pratya →
‘वाला’ Pratya →
(b) भाववाचक तद्धित प्रत्यय
जैसे –
(c) सम्बन्ध वाचक तद्धित प्रत्यय
‘इक’ Pratya →
‘आलु’ प्रत्यय→
‘ईला’ Pratya →
(d) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
जैसे –
(e) स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
जैसे –
(f) ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय
‘इया’ प्रत्यय
‘ई’ प्रत्यय
‘ओला’ प्रत्यय
(g) स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
जैसे –
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