लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: पत्र यादों को किस तरह सहेजकर रखते हैं?
उत्तर: क्योंकि पत्र लिखित रूप में होते हैं उन्हें भविष्य में कभी भी पढ़कर यादों को ताजा किया जा सकता है। इस तरह पत्र यादों को सहेजकर रखते हैं।
प्रश्न 2: कौन से पक्षी का नाम डाक व्यवस्था से जुड़ा है और क्यों?
उत्तर: कबूतर का नाम डाक-व्यवस्था से जुड़ा है। प्राचीन समय में इसके पंजे में पत्र को बाँधकर लटकाया जाता था। वह पत्र को उसी स्थान पर पहुँचा देता था जहाँ पत्र भेजना होता था। राजा-महाराजाओं के ये संदेशवाहक माने जाते थे।
प्रश्न 3: पत्र आज भी अपनी अहमियत किस तरह बनाए हुए हैं?
उत्तर: संसार में रोज़ हजारों-लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों पत्र अपने-अपने गंतव्य पर पहुँचते हैं। अकेले भारत में ही लगभग साढ़े चार करोड़ पत्र प्रतिदिन डाक में डाले जाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि पत्र आज भी अपनी अहमियत बनाए हुए हैं।
प्रश्न 4: पत्र किन-किन साधनों से गुज़रते हुए आज ई-मेल तक पहुँचते हैं?
उत्तर: पत्रों के आदान-प्रदान का सिलसिला हरकारों के माध्यम से शुरू हुआ था। ये तेज घोड़े पत्रों को यथास्थान पहुँचाते थे। आज यह सिलसिला रेल, तार, हवाई जहाज़ से भी आगे निकलकर फोन, वायरलैस फैक्स और ई-मेल तक पहुँच गया है।
प्रश्न 5: पत्रों की आवाजाही किस प्रकार प्रभावित हुई है?
उत्तर: महानगरों तथा शहरों में संचार के साधनों का तीव्र विकास हुआ। फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल फोन ने पत्रों की आवाजाही को काफी सीमा तक प्रभावित किया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: डाक विभाग पत्रों को पहुँचाने के अलावा हमारे लिए क्या करता है?
उत्तर: डाक विभाग प्रतिदिन करोड़ों पत्रों को प्रतिदिन गन्तव्य स्थान तक पहुँचाता है। इसके अलावा दूर-दराज के क्षेत्रों में मनीआर्डर पहुँचाकर पुनीत कार्य करता है। विभिन्न योजनाओं में पैसा जमा कराकर व्यक्ति और राष्ट्र दोनों को सम्रद्धि करता है। इसके अलावा छोटे-मोटे ऋण तथा पेंशन दिलाने का काम करता है।
प्रश्न 2: परिवहन के साधनों के विकास ने पत्रों के आवागमन को वैळसे प्रभावित किया है?
उत्तर: जब तक परिवहन के साधनों का विकास नहीं हुआ था तब तक पत्रों को हरकारे लेकर जाया करते थे। इसके बाद घोड़ों के द्वारा यह काम कराया जाता था, किन्तु पहियों के आविष्कार के साथ ही रेल और हवाई जहाजों से पत्र जल्दी पहुँचने लगे। वायुयान के आविष्कार ने तो पत्र की तेज चाल उड़ान में बदल दी।
प्रश्न 3: हमारे सैनिक पत्रों का इंतजार उत्सुकता से क्यों करते हैं?
उत्तर: हमारे सैनिक देश की रखवाली के लिए देश की सीमाओं पर जैसे दूर-दराज़ के क्षेत्रों, पहाड़ी तथा बर्फीले स्थानों पर रहते हैं और अपनी जिम्मेदारी को निभाते हैं। ऐसे स्थानों पर संचार के साधनों की बहुत कमी होती है। अपने निकट संबंधियों का हाल जानने के लिए केवल पत्र ही वह साधन है, जिसका ये उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं।
प्रश्न 4: नेहरू जी के समय में यदि ये संचार के साधन होते तो हमें किनसे वंचित रहना पड़ता?
उत्तर: पंडित नेहरू जी के समय में यदि संचार के अन्य साधन होते तो वे पत्र लिखने की बजाय अपनी पुत्री इंदिरा गाँधी से फोन पर बातें कर लेते और हमें प्रेरणादायी ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ पढ़ने से वंचित रहना पड़ता।
प्रश्न 5: गाँवों में डाकिये को किस रूप में देखा जाता है और क्यों?
उत्तर: गाँवों तथा गरीब बस्तियों में डाकिये को देवदूत के रूप में देखा जाता है, क्योंकि वह उनके लिए पत्र लाने के साथ-साथ मनी-आर्डर भी लाता है जिससे उनके घरों के चूल्हे जलते हैं।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: पत्र लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: पत्र लिखते समय हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए-पत्र की भाषा सरल व बोलचाल की भाषा होनी चाहिए। पत्र में लिखे गए शब्द उपयुक्त, सटीक व मधुर होने चाहिए। पत्र में लिखे गए लेखक के विचार सुस्पष्ट व सुलझे होने चाहिए। पत्र अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए। अतिशयोक्ति और विस्तृत वर्णन नहीं होना चाहिए। पत्र में नम्रता व सौहार्द के भाव होने चाहिए। लिखावट सुंदर व साफ होनी चाहिए। पत्र दो व्यक्तियों के सबंधों को दृढ़ करता है। यह दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संगम भूमि पर ला खड़ा करता है और उनमें आत्मीय संबंध स्थापित करता है। इसलिए पत्र लिखते समय हमें दूसरे व्यक्ति की संवेदनाओं और भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। कुछ भी ऐसा नहीं लिखना चाहिए जिससे पढ़ने वाले को मानसिक आघात पहुँचे। इसीलिए कहा भी गया है कि पत्र लेखन भी एक कला है।
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