प्रश्न 1: गवरा और गवरइया एक-दूसरे के परमसंगी थे, वैसे ?
उत्तर: गवरा और गवरइया परम-संगी थे क्योंकि दोनों सदा साथ-साथ रहते; जहाँ जाते साथ जाते, साथ हँसते, साथ रोते, एक साथ खाते-पीते, एक साथ सोते; साथ ही चुगने जाते और सारा दिन के देखे सुने की हिस्सेदारी बँटाते।
प्रश्न 2: गवरा ने आदमी के कपड़े पहनने को गलत क्यों ठहराया?
उत्तर: गवरा ने आदमी के कपड़े पहनने को गलत ठहराया क्योंकि उसका मानना था कि कपड़े पहनने से आदमी की वास्तविक सुंदरता ढक जाती है।
प्रश्न 3: यह कहानी क्या संदेश देती है?
उत्तर: यह कहानी संदेश देती है कि मज़दूर वर्ग अभावों में जीवन व्यतीत करता है। उच्च-अधिकारियों को आदेश देकर उनसे कार्य नहीं करवाने चाहिए बल्कि उनके कार्यों का पूरा पारिश्रमिक देना चाहिए।
प्रश्न 4: यह कहानी किस प्रवृति की ओर संकेत करती है ?
उत्तर: यह कहानी शोषक व शोषण की प्रमति की ओर संकेत करती है। इसमें शव, शोषक व धुनिया, कोरी, बुनरक और दरज़ी शोषित के रूप में दिखाई पड़ते हैं।
प्रश्न 5: गवरइया ने धुनिये को काम करने के लिए किस तरह राजी किया?
उत्तर: धुनिया ने पहले गवरइया को काम करने से मना कर दिया, क्योंकि उसके पास राजा का बहुत काम था। जब गवरइया ने उससे कहा कि वह उसे पूरी मजदूरी देगी तो वह खुश हो गया। गवरइया ने उससे रुई धुनने के बाद आधी उसे रखने को कहा और स्वयं के लिए आधी रखने को कहा। ऐसी मजदूरी पाकर धुनिया काम करने के लिए तुरंत तैयार हो गया।
प्रश्न 1: राजा की परेशानी का क्या-क्या कारण था?
उत्तर: राजा की परेशानी के अनेक कारण थे। जैसे राजा के कारीगरों ने उसका काम न करके गवरइया का पहले किया। गवरइया की टोपी राजा की टोपी से अधिक सुन्दर थी। तीसरा कारण था खजाने का घटता धन, खजाने को पूरा करने के लिए उसने बेगार करवाना शुरू कर दिया और लगान वसूलना शुरू किया।
प्रश्न 2: गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है? तर्वळ सहित लिखिए।
उत्तर: किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए मन में उत्साह होना आवश्यक है। उत्साह से ही हमारे मन में किसी भी कार्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। यदि हम किसी भी कार्य को बेमन से करेंगे तो निश्चय ही हमें उस कार्य में सफलता नहीं मिलेगी। कोई न कोई कमी ज़रूर रह जाएगी।
प्रश्न 3: ‘‘गवरे का कहना था कि अपनी टोपी सलामत रखने के लिए कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है।’’ आज के समाज में इसकी कितनी स्पष्टता दिखाई देती है?
उत्तर: गवरे ने गवरइया को राय दी कि तू टोपी पहनने के चक्कर में मत पड़ क्योंकि अपनी टोपी बचाने के कारण बहुतों को टोपी पहनानी पड़ती है। आज कुर्सी पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए अपने-परायों सभी की चापलूसी करनी पड़ती है। उनके आगे-पीछे घूमना पड़ता है। चुनाव के दिनों में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
प्रश्न 4: इस कहानी में राजा की जो व्यवस्था दिखाई गई है वह आज की प्रणाली से किस तरह भिन्न है? तथा वर्तमान में यह कितनी उपयुक्त या अनुपयुक्त है?
उत्तर: इस कहानी में राजा अपने कारीगरों से बेगार में काम करवाता है लेकिन आज की लोकतंत्र प्रथा इससे बिलकुल अलग है। आज व्यक्ति को उसके परिश्रम का उचित मूल्य दिया जाता है, बेगार की प्रथा समाप्त हो चुकी है इसलिए लोगों के लिए प्रजातंत्र प्रणाली ही सर्वोत्तम है।
प्रश्न 5: राजा गवरइया की टोपी को पैरों तले मसलने से पहले रुक क्यों गया?
उत्तर: गवरइया की टोपी बहुत ही सुंदर थी। उस पर पाँच फुँदने जड़े थे। राजा की अपनी टोपी इतनी सुंदर न थी। राजा की टोपी के लिए गवरइया कुछ न कुछ बातें कहे और ये सब व्यंग्यपूर्ण बातें थीं। इससे गुस्से में आकर राजा ने उसकी टोपी पैरों तले मसलना चाहा, पर राजा गवरइया की टोपी की खूबसूरती देखकर दंग रह गया। उसने कारीगरी का ऐसा बेजोड़ नमूना नहीं देखा था। इतनी सुंदर टोपी को वह बार-बार उलट-पुलटकर देखने लगा और पैरों तले मसल न सका।
प्रश्न 1: ‘टोपी’ कहानी का राजा बिना पारिश्रमिक के अपने कार्य करवाता था। क्या यह उचित था? आपके अनुसार राजा में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर: ‘टोपी’ कहानी का राजा बिना पारिश्रमिक के अपने कार्य करवाता था। यह बिल्कुल भी उचित नहीं था। वह ऐशो-आराम से जीवन बिताता था। वह अपनी सेना और अपने घूमने-फिरने पर अनावश्यक खर्च कर देता था। वह अपनी प्रजा का भी शोषण करता था। कभी थोड़ा पारिश्रमिक देकर या फिर मुफ्त में ही अपना कार्य करवाता था। प्रजा डर के मारे राजा का कार्य करती थी, अपने मन से नहीं। ऐसा राजा प्रजा की भलाई नहीं कर सकता। मेरे विचार से राजा को निःस्वार्थी उदार, समझदार, दूरदर्शी और प्रजा-वत्सल होना चाहिए। उसका राज्य ऐसा होना चाहिए जिसमें सबको अपने-अपने कार्यों का उचित पारिश्रमिक मिल सके, सबको न्याय मिल सके और वह अपने देश की सीमाओं की सुरक्षा कर सके। सैन्य व्यवस्था को सुदृढ़ रख सके।
1. क्या टोपी एक प्राचीन वस्त्र है? |
2. क्या टोपी पुरुषों के लिए ही होती है? |
3. क्या टोपी एक महत्वपूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है? |
4. क्या टोपी विभिन्न रूपों और आकारों में उपलब्ध होती है? |
5. क्या टोपी में किसी विशेष धर्म या संप्रदाय से संबंधित महत्व होता है? |
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