लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: दीवानों की चाल अन्य लोगों की चाल से किस तरह अलग होती है?
उत्तर: दीवानों में जोश कूट-कूट कर भरा रहता है। जब वे एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, बड़े जोश के साथ बढ़ते हैं, जबकि सामान्य लोगों की चाल में ऐसा नहीं होता है।
प्रश्न 2: दीवाने ‘आज यहाँ, कल वहाँ’ आवागमन क्यों करते रहते हैं?
उत्तर: दीवाने अलमस्त रहते हैं। वे लोगों में खुशियाँ बाँटते फिरते हैं। वे अभावग्रस्त तथा खुशियों से वंचित लोगों के सुख-दुःख में शामिल होते हैं। वे देश के लिए अपना सब कुछ अर्पित करने को तैयार रहते है। वे यह सब एक स्थान पर टिककर नहीं कर सकते। उन्हें आवागमन करते ही रहना पड़ता है।
प्रश्न 3: कवि ने दीवानों के लिए सांसारिक सुख-दुःख को समान भाव से अपनाने की बात क्यों कही है?
उत्तर: दीवाने लोग अपने दुःख से न बहुत दुःखी होते है न सुख से सुखी। वे लोगों के दुःख-सुख में शामिल होते है। उनको खुशियाँ देने की कोशिश करते हैं। वे सुख-दुःख को समान भाव से अपनाते हैं और किसी भी तरह से अपना लक्ष्य नहीं भूलते।
प्रश्न 4: दीवानों के जीवन में आँसू (दुःख) और उल्लास (खुशी) का विरोधाभास साथ-साथ क्यों है?
उत्तर: दीवाने लोग जहाँ भी जाते हैं, उल्लास का वातावरण छा जाता है। वे अभावग्रस्त लोगों का जीवन देखकर दुःखी भी होते हैं। इसलिए आँसू और उल्लास का विरोधाभास साथ-साथ है।
प्रश्न 5: ‘आबाद रहें रुकने वाले’ पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर: दीवाने एक जगह टिककर नहीं रहते, क्योंकि उससे उनके उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकती है पर वे देशवासियों के लिए हँसी-खुशी के जीवन की कामना करते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: दीवानों ने संसार को भिखमंगा क्यों कहा है?
उत्तर: दीवानों ने संसार को भिखमंगा इसलिए कहा है, क्योंकि उनका मानना है कि यहाँ संसार केवल लेना जानता है अर्थात् अपने कर्तव्यों को निभाने में लोग आगे नहीं आते। यहाँ तक कि वीर सेनानियों के साहस को बढ़ाने के लिए उनको प्रेरित करने की बात भी उनके वश की नहीं है। वे तो स्वार्थपूर्ण जीवन व्यतीत करने में लगे हैं।
प्रश्न 2: ‘दीवानों की हस्ती’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर: ‘दीवानों की हस्ती’ कविता का प्रतिपाद्य यह है कि हमें सुख-दुःख को समान भाव से अपनाना चाहिए। हमें मस्ती भरा जीवन जीना चाहिए। अपने-पराये की भावना से ऊपर उठकर हमें सभी के कल्याण की कामना करनी चाहिए। हमें गरीबों के सुख-दुःख का भी ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 3: कविता ‘दीवानों की हस्ती’ में दीवाने कौन है?
उत्तर: भगवतीचरण वर्मा की कविता ‘दीवानों की हस्ती’ में मस्तमौला और बेफ्रिक और स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु कुर्बानी को तैयार लोगों को दीवाने कहा गया है। वे बंधन-मुक्त रहते है और लोगों में खुशियाँ बाँटने का कार्य करते हैं।’ सुख-दुःख को एक समान भाव से ग्रहण करते हैं।
प्रश्न 4: इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर: इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि हमारे मन में भी देश-प्रेम की भावना होनी चाहिए। हमें केवल अपने लिए नहीं, अपितु दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। यदि देश पर कोई विपत्ति आ जाए, तो अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जिस तरह से इस कविता में वीर सैनिक केवल देश के लिए ही जीता है, बाकी सभी बन्धनों को तोड़ देने में विश्वास करता है।
प्रश्न 5: ‘दीवानों की हस्ती’ कविता के आधार पर दीवानों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: ‘दीवानों की हस्ती’ कविता में दीवानों के विषय में बताया गया है कि वे मनमौजी स्वभाव वाले तथा एक जगह टिककर रहने वाले नहीं होते हैं। वे अभावों में जी रहे लोगों से भी अपनत्व के साथ मिलते हैं। उनके सुख-दुःख में शामिल होते हैं। उन्हें खुश रखने का प्रयास करते है। देश-वासियों की हँसी-खुशी की कामना करते हैं। वे अपने तथा पराए धन की भावना से ऊपर उठ चुके होते हैं।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: जीवन के प्रति कवि का नज़रिया किस प्रकार का है? अपने विचार भी प्रकट करिए।
उत्तर: जीवन के प्रति कवि का नज़रिया सकारात्मक है। वह अपने-पराए का भेद नहीं रखता। वह सबको प्रेम करता है। वह सबके भले की बात करता है। न तो वह स्वार्थी है और न ही संकीर्ण विचार रखने वाला है। पलायन करना भी उसका दृष्टिकोण नहीं है। वह जीवन के उद्देश्यों को समझने के लिए भी कहता है। हमें कवि के विचार अच्छे लगे। वास्तव में लोग जीवन के बंधनों में उलझ कर जीवन जीने का तरीका ही भूल जाते हैं। तटस्थ भाव से और त्यागपूर्ण जीवन ही मस्ती का जीवन होता है।
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1. दीवानों की हस्ती के बारे में संक्षिप्त जानकारी क्या है? |
2. दीवानों की हस्ती में शायरी क्या होती है? |
3. दीवानों की हस्ती किस कक्षा के छात्रों के लिए है? |
4. दीवानों की हस्ती पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
5. दीवानों की हस्ती पुस्तक क्या शिक्षाप्रद है? |
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