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Extract Based Questions: शुक्रतारे के समान | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

1. गद्यांश को पढ़कर पूंछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
आकाश के तारों में शुक्र की कोई जोड़ नहीं। शुक्र चंद्र का साथी माना गया है। उसकी आभा-प्रभा का वर्णन करने में संसार के कवि थके नहीं। फिर भी नक्षत्र मंडल में कलगी-रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ऐन शाम के समय, बड़े सवेरे घंटे-दो घंटे से अधिक देख नहीं पाती। इसी तरह भाई महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषघाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए। सेवाधर्म का पालन करने के लिए इस धरती पर जनमे स्वर्गीय महादेव देसाई गांधीजी के मंत्री थे। मित्रों के बीच विनोद में अपने को गांधीजी का “हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके “पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे।
गांधीजी के लिए वे पुत्र से भी अधिक थे। जब सन्‌ 1917 में वे गांधीजी के पास पहुँचे थे, तभी गांधीजी ने उनको तत्काल पहचान लिया और उनको अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया। सन्‌ 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते हुए गांधीजी को पलवल स्टेशन पर गिरफ़्तार किया गया था। गांधीजी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था। सन्‌ 1929 में महादेव भाई आसेतुहिमाचल, देश के चारों कोनों में, समूचे देश के दुलारे बन चुके थे।

प्रश्न 1: चंद्रमा का साथी किसको कहा गया है?
(क) सूरज
(ख) पृथ्वी
(ग) शुक्र
(घ) वृहस्पति
उत्तर:
(ग) शुक्र

प्रश्न 2: महादेव देसाई कौन थे?
(क) गांधी जी के दोस्त
(ख) गांधी जी के सहपाठी
(ग) गांधी जी के विरोधी
(घ) गांधी जी के मंत्री
उत्तर:
(घ) गांधी जी के मंत्री

प्रश्न 3: जलियावाला बाग हत्याकांड कब हुआ?
(क) 1917 में
(ख) 1918 में
(ग) 1919 में
(घ) 1920 में
उत्तर: 
(ग) 1919 में

प्रश्न 4: महादेव भाई को समूचा देश कब तक जान पाया?
(क) 1927
(ख) 1928
(ग) 1929
(घ) 1930
उत्तर:
1929

2. गद्यांश को पढ़कर पूंछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेज़ी दैनिक पत्र “ट्रिब्यून” के संपादक श्री कालीनाथ राय को 10 साल की जेल की सज्ञा मिली।
गांधीजी के सामने ज़ुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ पेश करने के लिए आने वाले पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे। महादेव उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करके उनको गांधीजी के सामने पेश करते थे और आनेवालों के साथ उनकी रूबरू मुलाकातें भी करवाते थे। गांधीजी बंबई के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेज़ी दैनिक “बाम्बे क्रानिकल’ में इन सब विषयों पर लेख लिखा करते थे। क्रानिकल में जगह की तंगी बनी रहती थी।

प्रश्न 1: मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेज़ी दैनिक पत्र “ट्रिब्यून” के संपादक श्री कालीनाथ राय को कितने साल की जेल की सज्ञा मिली?
(क) 5
(ख) 8
(ग) 10
(घ) 11
उत्तर:
(ग) 10

प्रश्न 2: गांधीजी के सामने ज़ुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ पेश करने के लिए आने वाले पीड़ितों के दल-के-दल कहां आते थे?
(क) दिल्ली भवन
(ख) साबरमती आश्रम
(ग) मणिभवन
(घ) कलकत्ता
उत्तर: 
(ग) मणिभवन

प्रश्न 3: गांधी जी “बाम्बे क्रानिकल’ में क्या लिखते थे?
(क) भारतीयों पर ज़ुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ
(ख) भारतीयों पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव
(ग) भारतीयों को अंग्रेजो के चंगुल से छुड़ाने के रास्ते
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: 
(क) भारतीयों पर ज़ुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ

प्रश्न 4: गांधी जी की पीड़ितों से मुलाकात कौन करवाता था?
(क) महादेव देसाई
(ख) बल्लभ भाई पटेल
(ग) लाला लाजपतराय
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर:
(क) महादेव देसाई

3. गद्यांश को पढ़कर पूंछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
कुछ ही दिनों में ‘क्रानिकल’ के निडर अंग्रेज़ संपादक हार्नीमैन को सरकार ने देश-निकाले की सज्ञा देकर इंग्लैंड भेज दिया। उन दिनों बंबई के तीन नए नेता थे। शंकर लाल बैंकर, उम्मर सोबानी और जमनादास द्वारकादास। इनमें अंतिम श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे। ये नेता “यंग इंडिया” नाम का एक अंग्रेज़ी साप्ताहिक भी निकालते थे। लेकिन उसमें “क्रानिकल’ वाले हार्नीमैन ही मुख्य रूप से लिखते थे। उनको देश निकाला मिलने के बाद इन लोगों को हर हफ़्ते साप्ताहिक के लिए लिखनेवालों की कमी रहने लगी। ये तीनों नेता गांधीजी के परम प्रशंसक थे और उनके सत्याग्रह-आंदोलन में बंबई के बेजोड़ नेता भी थे। इन्होंने गांधीजी से विनती की कि वे “यंग इंडिया’ के संपादक बन जाएँ। गांधीजी को तो इसकी सख्त ज़रूरत थी ही। उन्होंने विनती तुरंत स्वीकार कर ली।
गांधीजी का काम इतना बढ़ गया कि साप्ताहिक पत्र भी कम पड़ने लगा। गांधीजी ने “यंग इंडिया” को हफ़्ते में दो बार प्रकाशित करने का निश्चय किया।

प्रश्न 1: ‘क्रानिकल’ के निडर अंग्रेज़ संपादक कौन थे?
(क) गांधी जी
(ख) महादेव देसाई
(ग) हार्नीमैन
(घ) जेम्स टॉड
उत्तर:
(ग) हार्नीमैन

प्रश्न 2: निम्न में से कौन श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे?
(क) शंकर लाल बैंकर
(ख) उम्मर सोबानी
(ग) जमनादास द्वारकादास
(घ) महादेव देसाई
उत्तर:
(ग) जमनादास द्वारकादास

प्रश्न 3: निम्न में से कौन यंग इंडिया” नाम का एक अंग्रेज़ी साप्ताहिक भी निकालता था?
(क) शंकर लाल बैंकर
(ख) महादेव देसाई
(ग) गांधी जी
(घ) हार्नीमैन
उत्तर:
(क) शंकर लाल बैंकर

प्रश्न 4: निम्न में से कौन गांधी जी के परम प्रशंसक थे?
(क) उम्मर सोबानी
(ख) हार्नीमैन
(ग) जेम्स टॉड
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: 
(क) उम्मर सोबानी

4. गद्यांश को पढ़कर पूंछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
“यंग इंडिया” के पीछे-पीछे “नवजीवन’ भी गांधीजी के पास आया और दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलने लगे। छह महीनों के लिए मैं भी साबरमती आश्रम में रहने पहुँचा। शुरू में ग्राहकों के हिसाब-किताब की और साप्ताहिकों को डाक में डलवाने की व्यवस्था मेरे जिम्मे रही। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद संपादन सहित दोनों साप्ताहिकों की और छापाखाने की सारी व्यवस्था मेरे जिम्मे आ गई। गांधीजी और महादेव का सारा समय देश भ्रमण में बीतने लगा। ये जहाँ भी होते, वहाँ से कामों और कार्यक्रमों की भारी भीड़ के बीच भी समय निकालकर लेख लिखते और भेजते। सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी “यंग इंडिया’ के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधीजी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार-पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधीजी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका-टिप्पणी करते रहते थे, उनको आडे हाथों लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊँचे-से-ऊँचे ब्रिटिश समाचार-पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होनेवाली विनय-विवेक-युक्त विवाद करने की गांधीजी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार-पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार-पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था। गांधीजी के पास आने के पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद-विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य और संस्कार के साथ इसका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरदचंद्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। “चित्रांगदा’ कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित “विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका, “शरद बाबू की कहानियाँ! आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन हैं।

प्रश्न 1: यंग इंडिया” और “नवजीवन” कहां से संपादित होते थे?
(क) मुंबई
(ख) कलकत्ता
(ग) मद्रास
(घ) अहमदाबाद
उत्तर: 
(घ) अहमदाबाद

प्रश्न 2: लेखक कितने दिनों तक साबरमती आश्रम में रहा?
(क) 6 महीना
(ख) 3 महीना
(ग) 1 महीना
(घ) 1 साल
उत्तर:
(क) 6 महीना

प्रश्न 3: गांधीजी के पास आने के पहले में महादेव ने क्या काम किया था?
(क) टाइपिस्ट का
(ख) चपरासी का
(ग) अनुवादक का
(घ) सैनिक का
उत्तर: (ग) अनुवादक का

प्रश्न 4: महादेव के जिगरी दोस्त कौन थे?
(क) शंकर लाल बैंकर
(ख) उम्मर सोबानी
(ग) नरहरि भाई
(घ) जमनादास द्वारकादास
उत्तर:
(ग) नरहरि भाई

5. गद्यांश को पढ़कर पूंछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कार-संपन्‍न भाषा और मनोहारी लेखनशैली की ईश्वरीय देन महादेव को मिली थी। यद्यपि गांधीजी के पास पहुँचने के बाद घमासान लड़ाइयों, आंदोलनों और समाचार-पत्रों की चर्चाओं के भीड़-भरे प्रसंगों के बीच केवल साहित्यिक गतिविधियों के लिए उन्हें कभी समय नहीं मिला, फिर भी गांधीजी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” का अंग्रेज़ी अनुवाद उन्होंने किया, जो “नवजीवन’ में प्रकाशित होनेवाले मूल गुजराती की तरह हर हफ़्ते “यंग इंडिया’ में छपता रहा। बाद में पुस्तक के रूप में उसके अनगिनत संस्करण सारी दुनिया के देशों में प्रकाशित हुए और बिके।

प्रश्न 1: गांधीजी की आत्मकथा का क्या नाम है?
(क) यंग इंडिया
(ख) सत्य के प्रयोग (माय एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ)
(ग) नवजीवन
(घ) ए मॉन्क
उत्तर:
(ख) सत्य के प्रयोग (माय एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ)

प्रश्न 2: गांधीजी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” का अंग्रेज़ी अनुवाद किसने किया?
(क) महादेव देसाई
(ख) उम्मर सोबानी
(ग) नरहरि भाई
(घ) जमनादास द्वारकादास
उत्तर: 
(ग) नरहरि भाई

प्रश्न 3: गांधी जी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” किस भाषा में लिखी गई थी?
(क) हिंदी
(ख) अंग्रेजी
(ग) गुजराती
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: 
(ग) गुजराती

प्रश्न 4: नवजीवन किस भाषा में लिखी गई थी?
(क) हिंदी
(ख) गुजराती
(ग) अंग्रेजी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: 
(ख) गुजराती

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