लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1. राजमहल से निकलने के बाद महर्षि विश्वामित्र किस ओर बढ़े?
राजमहल से निकलने के बाद महर्षि विश्वामित्र दोनों राजकुमारों के साथ सरयू नदी की ओर बढ़े I
प्रश्न 2. महर्षि विश्वामित्र ने दोनों भाईयों को कौन सी विद्या सिखाई?
महर्षि विश्वामित्र ने दोनों भाईयों को बला -अतिबला नामक विद्या सिखाई I
प्रश्न 3. महर्षि विश्वामित्र और दोनों भाई रात को कैसे बिस्तर पर सोए?
महर्षि विश्वामित्र और दोनों भाई रात को तिनको और पत्तों का बिस्तर बनाया और उस पर सोए I
प्रश्न 4. महर्षि विश्वामित्र और दोनों भाई चलते-चलते किस जगह पहुँचे?
महर्षि विश्वामित्र और दोनों भाई ने चलते-चलते ऐसी जगह पर पहुँचे जहाँ दो नदियाँ आपस में मिलती थी I
प्रश्न 5. राम ने ताड़का को क्रोधित करने के लिए क्या किया?
राम ने ताड़का को क्रोधित करने के लिए बाण पर प्रत्यंचा चढ़ाई और एक बाण ताड़का की ओर छोड़ा I
लघु उत्तरीय (2 अंक)
प्रश्न 6. महर्षि विश्वामित्र के साथ चलते-चलते दोनों भाई किन बातों को ध्यानपूर्वक सुन रहे थे?
महर्षि विश्वामित्र रास्ते में पड़ने वाले आश्रम, उनमे रहने वाले लोग, पेड़ों और वनस्पतियों के संबंध में और स्थानीय इतिहास के बारे में बता रहे थे ।साथ ही उन्होंने राक्षसी ताड़का का भी परिचय दिया।
प्रश्न 7. नदी के पार जंगल कैसा था?
नदी के पार जंगल घना था । यहाँ तक की धूप की किरणें धरती तक नहीं पहुँच पा रही थी I वह जंगल बहुत डरावना भी था । हर ओर से झींगुरों की आवाज़, जानवरों की दहाड़, और डरावनी ध्वनियाँ सुनाई पड़ती थी।
प्रश्न 8. महर्षि ने जंगल में असली खतरा किस को बताया?
महर्षि विश्वामित्र ने दोनों राजकुमारों से कहा कि ये वनस्पति ओर जानवर इस जंगल की शोभा है , इनसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है I यहाँ असली खतरा तथा भय ताड़का नामक राक्षसी से है जो इसी जंगल में है I
प्रश्न 9. ताड़का का अंत होने के बाद विश्वामित्र ने प्रसन्न हो कर क्या किया?
ताड़का का अंत होने के बाद विश्वामित्र ने प्रसन्न हो कर दोनों को गले लगाया तथा सौ अस्त्र दिए और उनके उपयोग भी बताए I
प्रश्न 10. ताड़का के बारे में लिखिए?
ताड़का एक विशाल देह वाली राक्षसी थी I ताड़का के भय से कोई सुंदर वन में नहीं जाता था क्योंकि जो भी आता ताड़का उसका वध कर देती थी ।ताड़का के भय के कारण सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था ।
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
प्रश्न 11. राम ने ताड़का का अंत कैसे किया?
राम ने महर्षि विश्वामित्र की आज्ञा से धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और उसे एक बाण खींचकर छोड़ा । क्रोध से बिलबिलाई ताड़का राम की ओर दौड़ी और पत्थर बरसाने शुरू कर दिए । राजकुमार राम ने उस पर बाण बरसाए । लक्ष्मण ने भी निशाना लगाया और ताड़का चारो तरफ़बाणों से घिर गई । राम का एक बाण उसके हृदय में लगा । वह मूर्छित हो गई और फिर उसकी मृत्यु हो गई ।
प्रश्न 12. ताड़का का वध करने बाद राम-लक्ष्मण ने क्या फैसला किया और उन्होंने अगली सुबह वन में क्या बदलाव देखें?
ताड़का का वध करने बाद राम-लक्ष्मण और महर्षि ने जंगल में ही रात बिताने का फैसला किया और अगली सुबह ताड़क वध उपरांत ताड़का वन कब भयमुक्त हो गया Iताड़का के मरने के बाद ताड़का वन में परिवर्तन था । अब वह ताड़का वन नहीं था I भयानक आवाज़ें बंद हो चुकी थी । पत्तों की सरसराहट का संगीत था । चिड़ियों की चहचहाहट थी । शांति थी । तस्वीर बदल गई थी I
प्रश्न 13. यज्ञ में पहुँच कर राम और लक्ष्मण ने क्या फैसला किया?
यज्ञ में पहुँच कर राम और लक्ष्मण ने पूरी रात जगने का फैसला किया I वह हमेशा हर स्तिथि के लिए तैयार थे I उनकी पीठ में तुरीण और हाथ में धनुष और तलवार लेकर हमले से सामना करने के लिए तैयार रहते थे I
प्रश्न 14. अनुष्ठान सम्पन्न होने के बाद महर्षि ने राम से क्या कहाँ और क्यों चलने को कहा?
अनुष्ठान सम्पन्न होने के बाद महर्षि ने राम को गले लगा लिया राम ने महर्षि से कहा कि अब क्या आज्ञा है मुनिवर? इस पर महर्षि ने कहा की हमे मिथला जाना है और आप दोनों को भी साथ चलना होगा I तथा महाराजा जनक के यहाँ उनके आयोजन में हिस्सा लेना होगा I वहाँ एक अद्भुत शिव धनुष है वह तुम भी देखना I
प्रश्न 15. राम और लक्ष्मण मिथिला कैसे पहुंचे?
यज्ञ का अनुष्ठान अंत होने के बाद जब महर्षि ने वहाँ के आयोजन में हिस्सा लेने के लिए राम और लक्ष्मण दोनों को मिथिला जाने के लिए कहा तो दोनों भाई नई जगह देखने के लिए और आगे की यात्रा के लिए उत्साह से भर गए ।उन्होंने सोन नदी को पार किया और मिथिला की सीमा में पहुँच गए और एक आश्रम से गुज़रे जो गौतम ऋषि का था I अंत में मिथिला नगरी में पहुँच गए ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
प्रश्न 16. यज्ञ में अनुष्ठान के अंतिम दिन क्या हुआ?
अनुष्ठान पाँच दिनों तक ठीक ठाक चलता रहा । परन्तु यज्ञ में अनुष्ठान के अंतिम दिन में सुबाहु और मारीच ने क्रोध में राक्षसों के दल बल के साथ आश्रम पर धावा बोल दिया । मारीच यज्ञ के साथ-साथ इस बात से भी क्रोधित था कि राम- लक्ष्मण ने उसकी माँ का वध किया था । भयानक आवाजों से आसमान घिर गया Iराम का बाण लगते ही मारीच मूर्च्छित हो गया । बाण के वेग से समुद्र के किनारे जाकर गिरा और होश आने पर वह उठ कर दक्षिण दिशा की ओर भाग गया । राम का दूसरा बाण सुबाहु को लगा और उसने वहीँ प्राण त्याग दिए ।
प्रश्न 17. राजा जनक कौन थे? राजकुमारों को देखकर उन्हें कैसा लगा?
राजा जनक मिथिला के राजा थे ।जब उन्हें सूचना मिली कि महर्षि विश्वामित्र का आगमन हुआ हैं तो उनके स्वागत के लिए वह राज महल के बाहर आए तभी उनकी दृष्टि राजकुमारों पर पड़ी जनक राजकुमारों को देखकर आश्चर्यचकित रह गए । वे स्वयं को रोक नहीं पाए और महर्षि से पूछे - "हे मुनिवर यह सुंदर राजकुमार कौन है "? मैं इनके आकर्षण से खींचता चला जा रहा हूँ । उनके प्रश्नों के जवाब देते हुए महर्षि ने कहा "राजन यह राम और लक्ष्मण है दोनों महाराजा दशरथ के पुत्र " है ।
प्रश्न 18. शिव धनुष की विशेषता के बारे में बताइए?
शिव धनुष बहुत विशाल था । वह लोहे की पेटी में रखा हुआ था जिसमें आठ पहिए लगे हुए थे । शिव धनुष को उठाना लगभग असंभव था । पहियों के सहारे उसे खिसकाकर एक से दूसरी जगह ले जाया जाता था । परन्तु सीता उसे आराम से उठा कर रख सकती थी इस कारण राजा जनक ने सीता के विवाह के संबंध में प्रतिज्ञा की थी कि उसी के साथ सीता का विवाह होगा जो शिव धनुष उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा ।
प्रश्न 19. महाराजा जनक के चिंता का कारण स्पष्ट कीजिए?
राजा जनक ने सीता के विवाह के संबंध में प्रतिज्ञा की थी कि उसी के साथ सीता का विवाह होगा जो शिव धनुष उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा । परंतु अभी तक अनेक राजकुमारों ने प्रयास किया और उन्हें लज्जित होना पड़ा क्योंकि उठाना तो दूर वे इसे हिला तक नहीं सके । तो प्रत्यंचा कैसे चढाते I वह उदास हो गए कि उनकी प्रतिज्ञा के कारण उनकी पुत्री अविवाहित न रह जाए I
प्रश्न 20. राम और सीता के विवाह का सुंदर वर्णन कीजिए?
हर मार्ग पर तोरणद्वार और घर-घर के प्रवेश द्वार पर वंदनवार लगाए गए। हर जगह फूलों की चादर बिछाई गई थी । एक –एक कोना सुवासित हो रहा था I एक-एक घर में मंगलगीत का गान हो रहा था । पूरी जनकपुरी जगमगा रही थी । बारात को मिथिला पहुंचने में पाँच दिन लगे । विवाह के ठीक पहले विदेहराज ने महाराज दशरथ से कहा “राजन! राम ने मेरी प्रतिज्ञा पूरी कर बड़ी बेटी सीता को अपना लिया । मेरी इच्छा है कि छोटी बेटी उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से हो जाए । मेरे छोटे भाई कुशध्वज की दो पुत्रियाँ हैं – मांडवी और श्रुतकीर्ति । कृप्या उन्हें भरत और शत्रुघ्न के लिए स्वीकार करें ।” राजा दशरथ ने यह प्रस्ताव तत्काल मान लिया I
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