ध्वनि
अध्याय:समीक्षा :
किसी माध्यम में ध्वनि संपीडनों तथा विरलनों वेफ रूप में संचरित होती है।
ध्वनि बूम : जब ध्वनि उत्पादक स्रोत ध्वनि की चाल से अधिक तेजी से गति करती हैं। तो ये वायु में प्रघाती तरंगे उत्पन्न करती हैं इस प्रघाती तरंगों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इस प्रकार की प्रघाती तरंगों से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे ध्वनि बुम कहते है।
पराध्वनिक चाल: ध्वनि की चाल से भी अधिक चाल से कोई पिण्ड गति करता है तो उसे पराध्वनिक चाल कहते है।
प्रतिध्वनि : जब कोई ध्वनि किसी माध्यम से टकराकर परावर्तित होती है तो वह ध्वनि हमें पुनः सुनाई देती हैं जिसे प्रतिध्वनि कहते है।
ध्वनि का दीवारों से बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बध होता हैं, अनुरणन कहलाता है।
अनुरणन को कम करने के लिए भवनों में पर्दे लटकाये जाते हैं, ताकि ध्वनि का अवशोषण हो सके । इसके अतिरिक्त कमरें में श्रोताओं की उपस्थिति अधिक हो तो भी ध्वनि का अवशोषण हो सकता है।
मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर 20 Hz से 20,000 Hz तक होता है।
20 Hz से कम आवृति की ध्वनियो को अवश्रव्य ध्वनि कहते है। इसका परास 20 Hz से कम हैं ।
20000 Hz से अधिक आवृति की ध्वनियो को पराध्वनि कहते है। इसका परास 20000 Hz से अधिक होता हैं ।
पाराध्वनि की आवृति ऊँच होती है |
पराध्वनि तरंगों को हृदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर हृदय का प्रतिबिम्ब बनाया जाता है। इस तकनिक को इकोकार्डियोग्राफी कहते है।
जब ध्वनि किसी माध्यम में संचरित होती है तो माध्यम का घनत्व किसी अधिकतम तथा न्यूनतम मान के बीच बदलता है। घनत्व के अधिकतम मान से न्यूनतम मान तक परिवर्तन में और पुनः अधिकतम मान तक आने पर एक दोलन पूरा होता है।
एकांक समय में इन दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है।
दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते हैं।
आवर्त काल को T अक्षर से निरुपित करते हैं | इसका मात्रक सेकेंड (s) है |
किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं।
उत्पादक स्रोत से निकलने के पश्चात् ध्वनि तरंग फ़ैल जाती है। स्रोत से दूर जाने पर इसका आयाम तथा प्रबलता दोनों ही कम होते जाते हैं।
एकल आवृत्ति की ध्वनि को टोन कहते हैं। अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर (note) कहते हैं और यह सुनने में सुखद होती है। शोर (noise) कर्णप्रिय नहीं होता जबकि संगीत सुनने मे सुखद होता है ।
पाठगत प्रश्न
प्रश्न 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर : तरंग एक विक्षोभ है जो किसी माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम के कण निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं। ये कण इसी प्रकार की गति अन्य कणों में उत्पन्न करते हैं। माध्यम के कण स्वयं आगे नहीं बढ़ते, लेकिन विक्षोभ आगे बढ़ जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलता रहता है जब तक विक्षोभ हमारे कानों तक पहूँच नहीं जाता ।
प्रश्न 2. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर: जब घंटी पर हथौड़े से आघात किया जाता है तो घंटी कंपित हो उठती है | घंटी के कंपित होने ओस्वे ध्वनि उत्पन्न होती है |
प्रश्न 3. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर: ध्वनि तंरगों को यांत्रिक तरंगें इसलिए कहते है क्योंकि इसके संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है |
प्रश्न 4. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर: नहीं | चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं है जिससे होकर ध्वनि अपनी गति कर सके | हम जानते है कि गति माध्यम के कणों में उत्पन्न कंपन के कारण होती है | अत: इसके अभाव में मित्र से उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन सकता है |
प्रश्न 5. तरंग का कौन : सा गुण निम्नलिखित की निर्धारित करता है : (क) प्रबलता , (ख) तारत्व ?
उत्तर:
(क) ध्वनि की प्रबलता कंपन का आयाम निर्धारित कराती है |
(ख) ध्वनि का तारत्व कंपन की आवृति निर्धारित करता है |
प्रश्न 6. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक हैं? (क) गिटार (ख) कार का हार्न ?
उत्तर: गिटार की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है |
प्रश्न 7. किसी ध्वनि तंरग की तरंगदैधर्य , आवृति , आवर्तकाल तथा आयान से क्या अभिप्राय है |
उत्तर: तरंगदैधर्य : किन्हीं दी निकटकम श्रुंगों अथवा गर्तो के बीच की दूरी को या एक दोलन पूरा करने के तरंग द्वारा चली गई दूरी को तरंगदैधर्य कहते हैं |
आवृति : एक सेकेंड में दोलनों की संख्या को आवृति कहत्ये है |
आवृति काल : एक दोलन पूरा करने में लगा समय आवर्त काल कहलाता है |
आयाम : किसी तरंग के संचरण में माध्यम के कानों का संतुलन (माध्यमान)की स्थिति में अधिकतम विस्थापन आयाम कहलाता है |
प्रश्न 8 . किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैधर्य तथा आवृति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर: की चाल = आवृति x तरंगदैधर्य
प्रश्न 9 . किसी दी हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृति 220Hz तथा वेग 440 m/s है | इस तरंग की तरंगदैधर्य की गणना कीजिए |
उत्तर:
प्रश्न 10 . किसी ध्वनि स्रोत के 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनाता है | स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अन्तराल होगा ?
उत्तर:
प्रश्न 11 . ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर बताइए |
उत्तर:
प्रश्न 12. लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?
उत्तर: लोहे में ध्वनि सबसे तेज चलाती है |
प्रश्न 13. कोई प्रतिध्वनि 3 s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms:1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
उत्तर:
प्रश्न 14. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर: कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए होती है जिससे ध्वनि परावर्तन के पश्चात् हॉल के सभी कोनों तह पहुँच जाए |
प्रश्न 15. सामान्य मनुष्य के कानों केलिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर: सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर 20 Hz से 20,000 Hz (या 20kHz) हैं |
प्रश्न 16. निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
(क) अवश्रव्य ध्वनि
(ख) पराध्वनि
उत्तर:
(क) 20 Hz से कम आवृति से आधिक की ध्वनि को अवश्रव्य ध्वनि कहते है |
(ख) पराध्वनि की आवृति 20 Hz से अधिक होती है |
प्रश्न 17. एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ध्वनि निम्न में से किस का रूप है ?
(i) उष्मा
(ii) गति
(iii) उर्जा
(iv) रेडियों
उत्तर : उर्जा
प्रश्न 2. किन किन क्रिया कलापों द्वारा हम ध्वनि उत्पन्न कर सकते है ?
उत्तर : किसी वस्तु पर आघात कर , घर्षण द्वारा, खुरच कर, रगड़ कर, वायु फूँक कर या उनको हिलाकर ध्वनि उत्पन्न कर सकते है ।
प्रश्न 3. ध्वनि का संचरण माध्यम बताइए।
उत्तर : ठोस, द्रव और गैस ।
प्रश्न 4. संपीडन किसे कहते है ?
उत्तर : जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर कंपन करती है तो इस प्रकार एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस क्षेत्र को संपीडन (C) कहते हैं।
प्रश्न 5. विरलन किसे कहते है ?
उत्तर : जब कोई कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो इस प्रकार एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। जिसे विरलन (R) कहते हैं।
प्रश्न 6. ध्वनि तरंगे क्या है ? यह कैसे बनती हैं ?
उत्तर : ध्वनि को तरंग के रूप में जाना जाता है और तरंग एक विक्षोभ है जो कंपमान वस्तु द्वारा उत्पन्न होता है। यह तरंगे अनुदैर्य तरंगे होती है। यह संपीडन और विरलन से बनती है।
प्रश्न 7. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगे क्यों कहते है ?
उत्तर : ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगे इसलिए कहते है क्योकि उसके संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 8. ध्वनि की तीव्रता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
प्रश्न 9. पराध्वनिक चाल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर : ध्वनि की चाल से भी अधिक चाल से कोई पिण्ड गति करता है तो उसे पराध्वनिक चाल कहते है।
प्रश्न 10. ठोस, द्रव, व गैस में ध्वनि की चाल सबसे अधिक किसमें होती है ?
उत्तर : ठोस में ध्वनि की चाल सबसे अधिक होती है।
प्रश्न 11. प्रतिध्वनि किसे कहते है ?
उत्तर : जब कोई ध्वनि किसी माध्यम से टकराकर परावर्तित होती है तो वह ध्वनि हमें पुनः सुनाई देती हैं जिसे प्रतिध्वनि कहते है।
प्रश्न 12. स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए अवरोधक की ध्वनि स्रोत से न्युनतम दूरी कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर : 17.2 मीटर ।
प्रश्न 13. मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर कितना है ?
उत्तर : मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हर्ट्ज़ तक होता है।
प्रश्न 14. अवश्रव्य ध्वनि किसे कहते है ? अवश्रव्य ध्वनि की परास क्या है ?
उत्तर : 20 हर्ट्ज़ से कम आवृति की ध्वनियो को अवश्रव्य ध्वनि कहते है। इसका परास 20 हर्ट्ज़ से कम हैं ।
प्रश्न 15. पराध्वनि की आवृति निम्न या उच्च में से क्या होती है ?
उत्तर : पराध्वनि की आवृति उच्च होती है।
प्रश्न 16. इकोकार्डियोग्राफी किसे कहते है ?
उत्तर : पराध्वनि तरंगों को हृदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर हृदय का प्रतिबिम्ब बनाया जाता है। इस तकनिक को इकोकार्डियोग्राफी कहते है।
दीर्घ:उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानो तक कैसे पहुँचता है ?
उत्तर : तरंग एक विक्षोभ है जो किसी माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम के कण निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं। ये कण इसी प्रकार की गति अन्य कणों में उत्पन्न करते हैं। माध्यम के कण स्वयं आगे नहीं बढ़ते, लेकिन विक्षोभ आगे बढ़ जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलता रहता है जब तक विक्षोभ हमारे कानों तक पहूँच नहीं जाता ।
प्रश्न 2. ध्वनि बूम किसे कहते है ?
उत्तर : जब ध्वनि उत्पादक स्रोत ध्वनि की चाल से अधिक तेजी से गति करती हैं। तो ये वायु में प्रघाती तरंगे उत्पन्न करती हैं इस प्रघाती तरंगों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इस प्रकार की प्रघाती तरंगों से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे ध्वनि बुम कहते है।
प्रश्न 3. अनुरणन किसे कहते है ? इसे कैसे कम किया जाता है ?
उत्तर : ध्वनि का दीवारों से बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बध होता हैं, अनुरणन कहलाता है। इसे कम करने के लिए भवनों में पर्दे लटकाये जाते हैं, ताकि ध्वनि का अवशोषण हो सके । इसके अतिरिक्त कमरें में श्रोताओं की उपस्थिति अधिक हो तो भी ध्वनि का अवशोषण हो सकता है।
प्रश्न 4. पराध्वनि किसे कहते है ? पराध्वनि की परास क्या है ?
उत्तर : 20000 हर्ट्ज़ से अधिक आवृति की ध्वनियो को पराध्वनि कहते है। इसका परास 20000 हर्ट्ज़ से अधिक होता हैं ।
प्रश्न 5: पराध्वनि के तीन अनुप्रयोगों को लिखो।
उत्तर : पराध्वनि के अनुप्रयोग::
1. पराध्वनि प्रायः उन भागों को साफ करने में की जाती है जहाँ तक पहुँचना कठिन है। जैसे : सर्पिलाकार नली, इलेक्ट्रानिक पुर्जे इत्यादि।
2. पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लाकों में दरारों का पता लगाने के लिए किया जाता हैं।
3. चिकित्सा क्षेत्र में पराध्वनि (अल्ट्रासाऊण्ड) का प्रयोग बिमारियो का पता लगाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 6. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य, आवृति, आर्वत काल, तथा आयाम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
(i) तरंगदैर्ध्य : किन्हीं दो निकटतम श्रृगों अथवा गर्तों के बीच की दूरी को या एक दोलन पूरा करने में तरंग द्वारा चली गई दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते है।
(ii)आवृति : एक सेंकेण्ड में दोलनों की संख्या को आवृति कहते है ।
(iii) आवर्त काल : एक दोलन पूरा करने में लगा समय आवर्त काल कहलाता है।
(iv) आयाम : किसी तरंग के संचरण में माध्यम के कणों का संतुलन की स्थिति में अधिकतम विस्थापन आयाम कहलाता है।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: अल्ट्रासोनोग्राफी क्या है ? इस तकनीक का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किन किन बिमारियो के निदान के लिए किया जाता है ?
उत्तर : अल्ट्रासोनोग्राफी एक तकनीक है जिसमें पराध्वनि तरंगे शरीर के उतकों में गमन करती हैं तथा उस स्थान से परावर्तित हो जाती हैं । इसके पश्चात् इन तरंगों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है।जिससे उस अंग का प्रतिबिम्ब बना लिया जाता है तथा इन प्रतिबिम्बों को मॉनिटर पर या फिल्म पर मुद्रित कर लिया जाता हैं। यह तकनीक अल्ट्रासोनोग्राफी कहलाती है। इस तकनीक का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में निम्नलिखित बिमारियो के निदान के लिए किया जाता है।
(i) शरीर में उत्पन्न असमान्यताओं का पता लगाने के लिए। जैसे : ट्युमर, पित पथरी, गुर्दे का पथरी, इत्यादि।
(ii) गर्भाशय संबन्धी बिमारियों के लिए।
(iii) पेप्टिक अल्सर का पता लगाने के लिए।
प्रश्न 2 : सोनार (SONकR) शब्द का पूरा नाम लिखों।
उत्तर : सोनार (SONकR) शब्द का पूरा नाम Sound Nकvigकtion कnd Rकnging है।
प्रश्न 3: सोनार क्या है ? इसका उपयोग लिखों।
उत्तर : सोनार एक युक्ति है। जिसमें जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा, तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। यह एक यंत्र है जिसमें एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है और इसे नाव या जहाज में लगाया जाता है। सोनार की तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने तथा जल के अंदर स्थित चट्टानो, घाटियों, पनडुब्बियों, हिमशैल, डुबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 4 : आवृति का S.I मात्रक क्या है ?
उत्तर : आवृति का S.I मात्रक Htz हर्ट्ज है।
प्रश्न 5 : तरंग दैर्ध्य का S.I मात्रक क्या है ?
उत्तर : तरंग दैर्ध्य का S.I मात्रक मीटर है।
प्रश्न 6 : दो क्रमिक संपिडनो या शीर्षो के बीच की दूरी को क्या कहते है ?
उत्तर : तरंगदैर्ध्य (wकvelength)
प्रश्न 7 : अनुदैर्ध्य तथा अनुप्रस्थ तरंगों को परिभाषित कीजिए । प्रत्येक का एक एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
(1) अनुदैर्ध्य तरंग:: तरंग जिसमें माध्यम के कण उसी दिशा में आगे पिदे कंपन करते है जिसमें तरंग चल रही होती है। अनुदैर्ध्य तरंग कहलाती है।
उदाहरण: वायु में ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें है।
(2) अनुप्रस्थ तरंग: तरंग जिसमें माध्यम के कण उस दिशा में जिसमें गति कर रही है, समकोण पर ऊपर नीचे कंपन करते है, अनुप्रस्थ तरंग कहलाती है।
उदाहरण: तालाब के जल सतह पर बनी हुई जल तरंगें अनुप्रस्थ तरंगे है।
प्रश्न 8 : ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर बताइए्।
उतर: ध्वनि तंरंग के इकाई क्षेत्रफल में जितनी उर्जा होती है वह ध्वनि की तीव्रता होती है। ध्वनी की प्रबलता की माप ध्वनी स्रोत के कंपनो द्धारा कान पर पहुचने से होती है।
प्रश्न 9: कनर्सट:हाल की छते वक्राकार क्यो होती है?
उतर: कनर्सट:हाल की छते वक्र्राकार इसलिए होती है जिससे ध्वनि परावर्तन के पश्चात हॉल के सभी कोनो तक पहुच जाये।
प्रश्न 10 : ध्वनि तरंगों की प्रवृति अनुदैर्ध्य क्यों होती है ?
उत्तर : जब ध्वनि तरंग वायु से होकर गुजरती है, वायु के कण ध्वनि तरंग की दिशा के समान्तर आगे पीछे कंपन करते हैं । इसी प्रकार ध्वनि तरंग क्षैतिज दिशा में चलती है, तो माध्यम के कण भी क्षैतिज दिशा में आगे पीछे कंपन करते है। अतः ध्वनि तरंगे, अनुदैर्ध्य तरंगें होती है |
प्रश्न 11 : तडित बिजली की चमक तथा गर्जन साथ साथ उत्पन्न होते है। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकेंण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों ?
उत्तर : तडित बिजली की चमक तथा गर्जन साथ साथ उत्पन्न होते है। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकेंण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है क्योंकि प्रकाश की चाल, ध्वनि की चाल से तीव्र होती है। चूकिं प्रकाश (चमक) हम तक जल्दी पहुँच जाता है और गर्जन (ध्वनि) हम तक निम्न चाल के कारण देर से सुनाई देती हैं।
प्रश्न 12 : ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यवहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर –
(i) मेगाफोन या लाऊडस्पीकर, हार्न तथा शहनाई जैसी वाद्ययंत्र सभी इस युक्ति के अधार पर बनाये जाते हैं।
(ii) स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धडकन की ध्वनि बार बार परिवर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है।
प्रश्न 13 : ध्वनि की प्रबलता से क्या तात्पर्य है ? यह किन कारको पर निर्भर करता है ?
उत्तर : किसी एकांक क्षेत्रफल इसे एक सेकेंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की प्रबलता कहते है। प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है। ध्वनि की प्रबलता कंपन्न के आयाम पर निर्भर करते है।
प्रश्न 14: तरंग गति क्या है ?
उत्तर : तरंग गति माध्यम से प्रगमन करता हुआ कंपन विक्षोभ है जिसमें दो बिन्दुओं के बीच सीधे संपर्क हुए बिना एक दुसरे बिन्दु को ऊर्जा स्थानांतरित की जाती हैं।
प्रश्न 15 : अनुप्रस्थ तरंगे तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में कोई दो अंतर लिखों।
उत्तर :
अनुप्रस्थ तरंगे
(i) इन तरंगों से माध्यम के कण गति की दिशा के लंबवत् गति करते है।
(ii) इन तरंगों के शिर्ष एवं गर्त बनते है।
अनुदैर्ध्य तरंगे
(i) इन तरंगों से माध्यम के कण गति की दिशा के अनुदिश गति करते है।
(ii) इन तरंगों में संपीडन व विरलन बनते है।
प्रश्न 16 : मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता हैं ? विवेचना कीजिए।
उत्तर : बाहरी कान परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करता हैं तथा एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है । श्रवण नलिका के सिरे पर एक पतली झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटह कहते है। जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह तक पहुचते है तो झिल्ली के बाहर लगने वाला दाब बढ जाता है और यह कर्ण पटह को अंदर की ओर दबाता हैं, इसी प्रकार विरलन के पहुचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करता हैं। इस प्रकार कर्ण पटह कंपन करता है। कर्ण पटह के भीतर मध्य कर्ण में इलियम, मेलियस, और स्टेपीस नाम की तीन हड्डियाँ इन कंपनों को कई गुना बढा देती हैं । मध्य कर्ण इन ध्वनि तरंगों को आंतरिक कर्ण तक पहुँचा देता है। आंतरिक कर्ण में उपस्थित कर्णावत (कोक्लीया) इन दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलकर श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है।
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1. What is sound? |
2. What is the difference between sound and noise? |
3. Why do we hear an echo? |
4. How does the frequency of sound affect its pitch? |
5. How does the speed of sound vary in different mediums? |
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