ऊत्तक
अध्याय -समीक्षा
एक ही प्रकार के संरचना और कार्य करने वाले कोशिकाओं के समूह को उत्तक कहते हैं |
पौधे स्थिर होते हैं- वे गति नहीं करते हैं। उनके अधिकांश उत्तक सहारा देने वाले होते हैं तथा पौधें को संरचनात्मक शक्ति प्रदान करते हैं। एसे अधिकांश ऊतक मृत होते हैं। ये मृत उतक जीवित ऊतकों के समान ही यांत्रिक शक्ति प्रदान करते हैं तथा उन्हें कम अनुरक्षण की आवश्यकता होती है।
पौधे गति नहीं करते अपितु वृद्धि करते हैं |
ऊतक अधिकतम दक्षता के साथ कार्य कर सकने के लिए एक विशिष्ट क्रम में व्यवस्थित होते हैं। रक्त, फ्लोएम तथा पेशी ऊतक के उदाहरण हैं।
जंतु और पौधें के बीच उनकी वृद्धि के प्रतिरूप में एक और भिन्नता है। पौधें की वृद्धि कुछ क्षेत्रों में ही सीमित रहती है जबकि जंतुओं में ऐसा नहीं
होता। पौधें के कुछ ऊतक जीवन भर विभाजित होते रहते हैं।
एक कोशिकीय जीवों में, सभी मौलिक कार्य एक ही कोशिका द्वारा किये जाते हैं | उदाहरण के लिए अमीबा में एक ही कोशिका द्वारा गति, भोजन लेने की क्रिया, श्वसन क्रिया और उत्सर्जन क्रिया संपन्न की जाती है |
बहुकोशिकीय जीवों में लाखों कोशिकाएँ होती हैं | इनमें से अधिकतर कोशिकाएँ कुछ ही कार्यों को संपन्न करने में सक्षम होती हैं | इन जीवों में भिन्न-भिन्न कार्यों को करने के लिए भिन्न-भिन्न कोशिकाओं का समूह होता हैं |
बहुकोशिकीय जीवों में श्रम विभाजन होता हैं |
शरीर के अन्दर ऐसी कोशिकाएँ जो एक तरह के कार्यों को करने में दक्ष होती है, सदैव एक समूह में होती हैं |
मांसपेशिय कोशिकाएँ: इसके संकुचन एवं प्रसार से शरीर में गति होती है|
तंत्रिका कोशिकाएँ : यह संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाता है और मस्तिष्क से संदेशों को शरीर के एनी भागों तक लाता हैं |
रक्त कोशिकाएँ : यह ऑक्सीजन, भोजन, हारमोंस तथा अपशिष्ट पदार्थों का वहन करता हैं |
पौधों में : संवहन उतक भोजन एवं जल का चालन पौधे के एक भाग से दुसरे भाग तक करते हैं |
पौधों की वृद्धि केवल उनके कुछ निश्चित एवं विशेष भागों में ही होता है | ऐसा विभाजित होने वाले उतकों के कारण ही होता है ऐसे विभाजित होने वाले ऊतक पौधों के वृद्धि वाले भागों में ही स्थित होते है | इस प्रकार के ऊतक को विभज्योतक ऊतक कहते है |
विभज्योतक ऊतक वृद्धि कर आगे एक विशिष्ट कार्य करती हैं और विभाजित होने की शक्ति खो देती है जिसके फलस्वरूप वे स्थायी ऊतक का निर्माण करती हैं | विभज्योतक की कोशिकाएँ विभाजित होकर विभिन्न प्रकार के स्थायी उतकों का निर्माण करती हैं |
उतकों द्वारा विशिष्ट कार्य करने के लिए स्थायी रूप और आकार लेने की क्रिया को विभेदीकरण कहते हैं |
कोशिकाएँ जो विभेदित होकर विशिष्ट कार्य करती है और आगे विभाजित होने की शक्ति खो देती हैं इस प्रकार की ऊतक को स्थायी ऊतक कहते हैं |
ये एक ही प्रकार के कोशिकाओं से बने होते हैं जो एक जैसे दिखाई देते हैं इस प्रकार के ऊतक को सरल स्थायी ऊतक कहते हैं | उदाहरण: पैरेंकाइमा, कोलेन्काईमा और स्केरेन्काइमा आदि |
यह एक अन्य प्रकार का सरल स्थाई ऊतक है जो पौधों को कठोर एवं मजबूत बनाता है | इस प्रकार के सरल स्थायी ऊतक को स्केरेन्काइमा कहते है | उदाहरण: नारियल के छिलके |
यह एक अन्य प्रकार की सरल स्थायी ऊतक जिसके कारण पौधों में लचीलापन होता है | यह पौधों के विभिन्न भागों जैसे- पत्ती एवं तना में बिना टूटे हुए लचीलापन लाता है | ऐसे ऊतक को कोलेन्काइमा कहते है |
लिग्निन कोशिकाओं को दृढ बनाने के लिए सीमेंट का कार्य करने वाला एक रासायनिक पदार्थ है |
कोशिकाओं की सबसे बाहरी परत को एपिडर्मिस कहते हैं | समान्यत: यह कोशिकाओं की एक परत की बनी होती हैं | शुष्क स्थानों पर मिलने वाले पौधों में एपिडर्मिस मोटी हो सकती है |
क्यूटीन यह एक रासायनिक पदार्थ है जिसमें जल अवरोधक का गुण होता है | यह मुख्यत: मरुस्थलीय पौधों की एपिडर्मिस में पाया जाता है |
पत्तियों की सतह पर बहुत सी ब्बहुत सी छोटी छोटी छिद्र पाए जाते है इन छोटी-छोटी छिद्रों को रंध्र कहते हैं |
स्टोमेटा को दो वृक्क के आकार की कोशिकाएँ घेरे रहती हैं, जिन्हें रक्षी कोशिकाएँ कहते हैं | ये कोशिकाएँ वायु#2350;ंडल से गैसों का आदान-प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं |
जल वाष्प के रूप में जल का ह्रास होने की प्रक्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं |
जाइलेम एक संवहन ऊतक है और यह संवहन बंडल का निर्माण करता हैं | जाइलेम ट्रेकिड्स (वहिनिका), वाहिका, जाइलेम पैरेंकाइमा और जाइलेम फाइबर से मिलकर बना है |
जाइलेम फ्लोएम के साथ मिलकर संवहन बण्डल का निर्माण करता है और पौधों को लिग्निन कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण यांत्रिक मजबूती प्रदान करता है |
फ्लोएम भी एक संवहन ऊतक है और यह संवहन बण्डल का निर्माण करता है | फ्लोएम चार प्रकार के घटकों से मिलकर बना है | चालनी नलिका, साथी कोशिकाएँ, फ्लोएम पैरेंकाइमा तथा फ्लोएम रेशे से मिलकर बना है |
पौधों के पत्तियों से वृद्धि वाले भाग और संग्रहण वाले अंगों तक भोजन और पोषक तत्व जैसे शर्करा और एमिनो अम्ल आदि का परिवहन होता है | पदार्थो की इस प्रकार की गति को स्थानान्तरण कहते है |
जंतु के शरीर को ढकने या बाह्य रक्षा प्रदान करने वाले ऊतक एपिथेलियम ऊतक कहलाता है | त्वचा, मुँह, आहारनली, रक्तवाहिनी नली का अस्तर, फेफड़ें की कुपिका, वृक्कीय नली आदि सभी एपिथेलियम ऊतक से बने होते हैं |
कभी-कभी एपिथीलियमी ऊतक का कुछ भाग अंदर की ओर मुड़ा होता है तथा एक बहुकोशिक ग्रंथि का निर्माण करता है। यह ग्रंथिल एपिथीलियम कहलाता है।
रक्त एक संयोजी उतक है जो पदार्थों के संवहन के लिए एक माध्यम का कार्य करता है | यह गैसों जैसे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड आदि, शरीर के पचे हुए भोजन, हाॅर्मोन और उत्सर्जी पदार्थो#2379;ं को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संवहन करता है।
रक्त के तरल आधत्राी भाग को प्लाज्मा कहते हैं |
प्लाज्मा में लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC), श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) तथा प्लेटलेट्स निलंबित होते हैं। प्लाज्मा में प्रोटीन, नमक तथा हॅार्मोन भी होते हैं।
एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक होता है, जिसमें कोशिकाओं के बीच पर्याप्त स्थान होता है। इसकी ठोस आधत्राी प्रोटीन और शर्करा की बनी होती है। उपास्थि नाक, कान, कंठ और श्वास नली में भी उपस्थित होती है।
ह्रदय पेशियाँ जीवन भर संकुचन एवं प्रसार का कार्य करती है, ये अनैच्छिक होती है | इन्हें कार्डियक या ह्रदय पेशी कहा जाता है |
पाठगत प्रश्नोत्तर :
प्रश्न1. उत्तक क्या है ?
उत्तर : एक ही प्रकार की संरचना और कार्य करने वाले कोशिकाओं के समूह को उत्तक कहते हैं |
प्रश्न2. बहुकोशिक जीवों में उत्तकों का क्या उपयोग है ?
उत्तर : एक कोशिकीय जीवों में एक अकेली कोशिका सभी मुलभुत कार्यों जैसे गति, श्वसन पाचन और उत्सर्जन आदि को करता है | जबकि बहुकोशिकीय जीवों के विशेष कार्यों के संपादन के लिए शरीर के विशिष्ट अंगों में विशिष्ट उत्तक पाए जाते हैं | जैसे शरीर में गति के पेशीय उत्तक कार्य करता है, तो संवेदनाओं को शरीर के एक भाग से दुसरे भाग तक पहुँचाने के लिए तंत्रिका उत्तक कार्य करता है | इस प्रकार हम देखते है कि बहुकोशिकीय जीवों में उत्तकों में श्रम विभाजन है |
प्रश्न3. प्रकाश संश्लेषण के लिए किस गैस की आवश्यकता होती है ?
उत्तर : कार्बन डाइऑक्साइड |
प्रश्न4. पौधे में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख करें |
उत्तर : पौधे में वाष्पोत्सर्जन की क्रिया रंध्रो के द्वारा होता है | इस क्रिया में पौधे की पत्तियों से जल का ह्रास होता है | मरुस्थलीय पौधों में उनकी बाहरी सतह वाले एपिडर्मिस में क्यूटीन नामक पदार्थ होता है जो पौधे अवांछित जल के ह्रास को रोकता है |
प्रश्न5. सरल ऊतकों के कितने प्रकार है ?
उत्तर :
(i) पैरेन्काइमा
(ii) कोलेंकाइमा
(iii) स्केलेरेनकाइमा
प्रश्न6. प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर : प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक पौधे के तने और जड़ के वृद्धि वाले भाग में पाया जाता है | यह वृद्धि वाले भाग में नए कोशिकाओं का विकास करता है |
प्रश्न7. नारियल का रेशा किस उत्तक का बना होता है ?
उत्तर : नारियल का रेशा स्केलेरेनकाइमा उत्तक का बना होता है |
प्रश्न8. फ्लोएम के संघटक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर : फ्लोएम के चार संघटक हैं -
(i) चालनी नलिका
(ii) साथी कोशिकाएँ
(iii) फ्लोएम पैरेंकाइमा तथा
(iv) फ्लोएम रेशे
प्रश्न9. उस ऊतक का नाम बताएँ जो हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर : पेशीय उत्तक |
प्रश्न10. न्यूरॉन देखने में कैसा लगता है?
उत्तर : तंत्रिका ऊतक की कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन कहा जाता है। न्यूरॉन में कोशिकाएँ केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य (साइटोप्लाज्म) होते हैं। इससे लंबे, पतले बालों जैसी शाखाएँ निकली होती हैं। प्रायः प्रत्येक न्यूरॉन में इस तरह का
एक लंबा प्रवर्ध होता है, जिसको एक्सॉन कहते हैं तथा बहुत सारे छोटी शाखा वाले प्रवर्ध (डेंडराइट्स) होते हैं। एक तंत्रिका कोशिका 1 मीटर तक लंबी हो सकती है।
प्रश्न11. हृदय पेशी के तीन लक्षणों को बताएँ।
उत्तर : ह्रदय पेशी के तीन लक्षण निम्नलिखित हैं -
(i) हृदय की पेशियाँ जीवन भर लयबद्ध होकर प्रसार एवं संकुचन करती रहती हैं।
(ii) ये पेशियाँ अनैच्छिक होती है जो बिना थके कार्य करती रहती हैं |
(iii) हृदय की पेशी कोशिकाएँ बेलनाकार, शाखाओं वाली और एक-केंद्रकीय होती हैं।
प्रश्न12. एरिओलर ऊतक के क्या कार्य हैं?
उत्तर : एरिओलर संयोजी ऊतक त्वचा और मांसपेशियों के बीच, रक्त नलिका के चारों ओर तथा नसों और अस्थि मज्जा में पाया जाता है।
कार्य (functions) :
(i) यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है,
(ii) आंतरिक अंगों को सहारा प्रदान करता है |
(iii) ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है।
अभ्यास-प्रश्नावली
प्रश्न1. ऊतक को परिभाषित करें।
उत्तर : एक ही प्रकार की संरचना और कार्य करने वाले कोशिकाओं के समूह को उत्तक कहते हैं |
प्रश्न2. कितने प्रकार के तत्व मिलकर जाइलेम ऊतक का निर्माण करते हैं? उनके
नाम बताएँ।
उत्तर : जाइलेम ये चार प्रकार के घटकों से मिलकर बना है -
(i) इलेम ट्रेकिड्स (वहिनिका)
(ii) वाहिका
(iii) जाइलेम पैरेंकाइमा और
(iv) जाइलेम फाइबर
प्रश्न3. पौधें में सरल ऊतक जटिल ऊतक से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर :
प्रश्न4. कोशिका भित्ति के आधार पर पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा और स्क्लेरेन्काइमा के बीच भेद स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रश्न5. रंध्र के क्या कार्य हैं?
उत्तर : स्टोमेटा का कार्य (Functions of stomata):
(i) वाष्पोत्सर्जन की क्रिया भी स्टोमेटा के द्वारा होती है |
(ii) गैसों का आदान-प्रदान भी स्टोमेटा के द्वारा ही होता हैं |
प्रश्न6. तीनों प्रकार के पेशीय रेशों में चित्र बनाकर अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर :
(a) रेखित पेशी
(b) चिकनी पेशी
(c) कार्डिक (हृदयक) पेशी
प्रश्न 7. न्यूरॉन का एक चिन्हित चित्र बनाएँ।
उत्तर :
प्रश्न8. निम्नलिखित के नाम लिखेंः
(a) ऊतक जो मुँह के भीतरी अस्तर का निर्माण करता है।
(b) ऊतक जो मनुष्य में पेशियों को अस्थि से जोड़ता है।
(c) ऊतक जो पौधें में भोजन का संवहन करता है।
(d) ऊतक जो हमारे शरीर में वसा का संचय करता है।
(e) तरल अधात्री सहित संयोजी ऊतक।
(f) मस्तिष्क में स्थित ऊतक।
उत्तर :
(a) सरल शल्की एपिथेलियम
(b) कांडरा
(c) फ्लोएम
(d) एडिपोस टिश्यू (वसामय उत्तक)
(e) रक्त
(f) तंत्रिका उत्तक
प्रश्न 9. निम्नलिखित में ऊतक के प्रकार की पहचान करेंः
त्वचा, पौधे का वल्क, अस्थि, वृक्कीय नलिका अस्तर, संवहन बंडल।
उत्तर :
(i) त्वचा - स्तरित शल्की एपिथेलियम
(ii) पौधे का वल्क - कॉर्क रक्षित उत्तक
(iii) अस्थि - संयोजी उत्तक
(iv) वृक्कीय नलिका अस्तर - घनाकार एपिथेलियम
(v) संवहन बण्डल - जटिल उत्तक (जाइलेम और फ्लोएम)
प्रश्न 10. पौधें में एपिडर्मिस की क्या भूमिका है?
उत्तर : पौधे में एपिडर्मिस की निम्नलिखित भूमिका है -
(i) यह जल की हानि कम करके पादपों की रक्षा करती हैं |
(ii) यह जल प्रतिरोधी परत, जल के हानि के विरुद्ध यांत्रिक आधात तथा परजीवी कवक के प्रवेश से पौधों की रक्षा करती है |
(iii) इसकी जेली जैसी पदार्थ जल प्रतिरोधी परत का निर्माण करती है |
(iv) जड़ों की एपीडर्मल कोशिकाएँ पानी को सोंखने का कार्य करती हैं |
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