अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1. दशरथ के निधन के समय भरत कहाँ थे?
दशरथ के निधन के समय भरत कैकेयी राज्य, अपने नाना के घर में थे।
प्रश्न 2. अयोध्या नगर पहुँचकर भरत की आँखें किसे ढूँढ रही थी?
अयोध्या नगर पहुंचकर भरत की आँखें, अपने पिता राजा दशरथ को ढूँढ रही थी।
प्रश्न 3. चित्रकूट में किस महर्षि का आश्रम था?
चित्रकूट में महर्षि भरद्वाज का आश्रम था।
प्रश्न 4. राम ने पर्णकुटी कहाँ बनाई थी?
राम ने पर्णकुटी एक पहाड़ पर बनाई थी।
प्रश्न 5. निषादराज ने जब भरत को सेना के साथ देखा तो उन्हें क्या संदेह हुआ?
भरत को देखकर निषादराज को यह संदेह हुआ कि भरत राम पर आक्रमण करने आ रहा है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2अंक)
प्रश्न 6. भरत ने स्वप्न में अपने पिता, दशरथ को किस अवस्था में देखा?
भरत ने स्वप्न में अपने पिता को एक रथ पर बैठा हुआ देखा। वह रथ घोड़े के जगह गधे और एक राक्षसी खींच रही थी।
प्रश्न 7. भरत ने अपने सपने का जिक्र किससे किया था?
भरत ने जब स्वप्न देखा तब वह उस स्वप्न का अर्थ नहीं समझ पाए थे। इसलिए उन्होंने अपने स्वप्न का जिक्र अपने सगे- संबंधियों से किया।
प्रश्न 8. स्वप्न देखने के बाद भरत को ननिहाल में कैसा महसूस हो रहा था?
स्वप्न देखने के बाद भरत बहुत ही परेशान हो गए थे। उनका मन ननिहाल में बिल्कुल नहीं लग रहा था। वह जल्द से जल्द अयोध्या आकर अपने पिता से मिलना चाहते थे।
प्रश्न 9. ननिहाल से अयोध्या की यात्रा में भारत को कितने दिन लगे और क्यों?
ननिहाल से अयोध्या की यात्रा में भरत को 8 दिन लगे थे। उन्हें 8 दिन इसलिए लगे क्योंकि उस समय खेतों में फसल लगी हुई थी , जिसके कारण उन्हें लंबा रास्ता पकड़ना पड़ा था।
प्रश्न 10. अयोध्या नगर पहुँचने के बाद भरत सबसे पहले कहाँ गए?
अयोध्या नगर पहुँचने के बाद भरत सबसे पहले अपने पिता, राजा दशरथ के पास गए। भरत राजा दशरथ से मिलने के लिए बहुत व्याकुल और उतावले थे।
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
प्रश्न 11. भरत ने जब अयोध्या नगर को दूर से देखा तो उन्हें कैसा प्रतीत हुआ?
ननिहाल से लौटते समय भारत ने जब अयोध्या नगर को दूर से देखा तो उन्हें नगर पहले जैसा प्रतीत नहीं हुआ। उन्हें उनका अयोध्यानगर बहुत बदला-बदला लग रहा था। अयोध्या नगर की सड़कें सूनी-सूनी लग रही थी। बाग बगीचे बहुत उदास लग रहे थे। आसमान में पक्षी भी कलवर नहीं कर रहे थे। यह सब देखकर भरत के मन में किसी अनिष्ट घटना की आशंका हुई।
प्रश्न 12. पिता के निधन का समाचार सुनकर भरत के ऊपर क्या प्रभाव पड़ा?
अयोध्या लौटने के पश्चात, भरत की आँखें अपने पिता को ही ढूँढ रही थी। वह अपने पिता से मिलने के लिए बहुत व्याकुल थे। उन्होंने महाराज को उनके महल में भी ढूँढा परंतु उन्हें महाराज वहां नहीं दिखे जिसके कारण वह बहुत ही चिंतित हो गए। फिर उन्हें अपनी माता कैकेयी के द्वारा पता चला कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। पिता के निधन का समाचार सुनकर भरत बहुत शोक में डूब गए, बहुत विलाप करने लगे और विलाप करते करते पछाड़ खाकर गिर गए। पिता के निधन के समाचार से उन्हें बहुत ही दुख पहुँचा।
प्रश्न 13. भरत ने क्रोध में आकर कैकेयी से क्या कहा?
जब कैकयी ने भरत को बताया कि उसने महाराज से राम के वनवास और भरत के राजा बनने का वचन मांगा था, तो यह बात सुनकर भरत बहुत ही क्रोधित हो गए। उन्हें अपनी माता पर बहुत क्रोध आया। भारत ने कैकेयी पर चिल्लाते हुए कहा, “ यह तुमने क्या किया माते!, तुमने अपराध किया है। तुमने ऐसा अनर्थ क्यों किया? वह तो तुम्हें जाना चाहिए था, श्री राम को नहीं। मेरे लिए यह राज्य अर्थहीन है। पिता को खो कर और भाई से बिछड़ कर मुझे यह राज्य नहीं चाहिए।”
प्रश्न 14. रानी कौशल्या ने भरत से क्या कहा?
जब भरत रानी कैकेयी के कक्ष से निकलकर, महारानी कौशल्या के कक्ष में पहुंचे, तो उन्हें पकड़कर बहुत रोने लगे। रानी कौशल्या बहुत ही दुखी थी। रानी कौशल्या ने भरत से कहा, “ पुत्र, तुम्हारी हर मनोकामना पूरी हो। तुम जो चाहते थे वह हो गया। मुझे तो बस एक ही बात का दुख है की रानी कैकेयी ने राज्य लेने का बहुत ही अनुचित उपाय निकाला। तुम राज करो पुत्र। मैं तुमसे सिर्फ एक ही विनती करती हूं कि तुम मुझे मेरे पुत्र राम के पास पहुंचा दो।
प्रश्न 15. महर्षि वशिष्ठ ने राज सिंहासन को लेकर भारत से क्या कहा?
महर्षि वशिष्ठ अयोध्या का राज सिंहासन रिक्त नहीं देखना चाहते थे। खाली सिंहासन के खतरे से व भली-भांति परिचित थे। इसलिए उन्होंने भरत और शत्रुघ्न को आमंत्रित किया और भरत से कहा, “ वत्स, तुम राजकाज संभाल लो। पिता के निधन और बड़े भाई के वन गमन के बाद यही उचित होगा कि तुम ही राज्य काज देखो।”
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
प्रश्न 16. ऊंचे पेड़ पर चढ़कर लक्ष्मण ने क्या देखा? उन्होंने राम से चीखते हुए क्या कहा?
लक्ष्मण ने जब जंगल में हो रहे कोलाहल को सुना, तो उसका कारण जानने के लिए एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गए। पेड़ पर चढ़कर उन्होंने देखा कि एक विराट सेना उनके और ही आ रही है। उन्हें सेना का ध्वज कुछ जाना पहचाना लग रहा था। ध्यान से देखने पर उन्हें पता चला कि वह सेना कहीं और की नहीं बल्कि अयोध्या की ही है। यह सब देखकर लक्ष्मण ने पेड़ पर से ही चीखते हुए राम को कहा, “ भैया, भरत सेना के साथ इधर ही आ रहे हैं। लगता है भरत हमें मारने के लिए आ रहे हैं। हमें मार कर वह एकछत्र राज्य कर सकेंगे।”
प्रश्न 17. भरत को सेना के साथ देख कर क्रोधित लक्ष्मण को राम ने क्या कह कर समझाया?
भरत को सेना के साथ देख कर लक्ष्मण बहुत ही क्रोधित हो गए थे। वह क्रोध में आकर भरत की सेना के साथ युद्ध करना चाहते थे। लक्ष्मण को क्रोधित देखकर राम ने उन्हें समझाते हुए कहा, “ भरत हम पर हमला कभी नहीं कर सकता। वह अवश्य ही हम लोगों से भेंट करने आ रहा होगा।” जब लक्ष्मण उनकी इन बातों से आश्वस्त नहीं हुए,तो फिर राम ने कहा, “ वीर पुरुष धैर्य का साथ कभी नहीं छोड़ते। तुम इतने उतावले मत हो। कुछ समय प्रतीक्षा करो।”
प्रश्न 18. भरत और राम मिलाप का वर्णन कीजिए?
भरत को जैसे ही पता चला कि श्री राम चित्रकूट पर्वत के पास वास कर रहे हैं तो उन्होंने तुरंत उनसे मिलने के लिए प्रस्थान किया। भरत के साथ संपूर्ण अयोध्या श्री राम से मिलने को निकल पड़ी। चित्रकूट पहुंचने के बाद भारत ने श्रीराम को एक कुटी के सामने शीला पर बैठा हुआ देखा। श्री राम को देखकर भरत दौड़कर उनके चरणों में गिर गए। भरत के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल पा रहा था। श्री राम ने उन्हें चरणों से उठाकर सीने से लगा लिया। यह देखकर सबके आंखों में आंसू भर आया। भरत, पिता के निधन का समाचार श्री राम को बताने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे परंतु बहुत कठिनाई से उन्होंने हिम्मत जुटाकर श्री राम को यह खबर सुनाई। पिता के निधन का समाचार सुनकर श्री राम और लक्ष्मण दोनों ही शोक में डूब गए। भरत पूरी रात श्री राम के ही साथ रहे। अगले दिन भरत ने श्री राम को अयोध्या लौटने को कहा और राज सिंहासन संभालने को कहा। परंतु श्रीराम ने यह बात टाल दी और कहा कि वह अपने पिता के वचनों का पालन कर रहे हैं। श्रीराम के लिए पिता के वचनों की पूर्ति करना अनिवार्य था। इसलिए वह अयोध्या वापस नहीं लौट सकते थे। श्री राम ने भरत को पूरा राजकाज समझाया और राज गद्दी संभालने की आज्ञा दी। श्रीराम चाहते थे कि उनके पिता की आज्ञा पूरी हो।
प्रश्न 19. राम से विदा होते समय भरत ने उनसे क्या आग्रह किया?
भरत चाहते थे कि श्री राम उनके साथ अयोध्या वापस आए और राजगद्दी को संभाले। परंतु श्रीराम के लिए पिता की आज्ञा का मूल ज्यादा था। श्रीराम नहीं चाहते थे कि पिता के आज्ञा और वचनों का खंडन हो। श्री राम का कहना था कि वह पिता के आज्ञा से ही वन को आए हैं और पिता के आज्ञा से ही वन से जाएंगे। यह सब सुनकर भारत मायूस हो गए। वह राम को मनाने में विफल हो गए और उनसे आग्रह करते हुए कहा, “ आप नहीं लौटेंगे तो मैं खाली हाथ यहां से नहीं जाऊंगा। आप मुझे अपनी चरण पादुका दे दीजिए। मैं 14 वर्ष उसी के आज्ञा से राजकाज चलाऊंगा।”
प्रश्न 20. चरण पादुका को अयोध्या लाने के बाद भरत ने क्या किया?
भरत के आज्ञा पर श्री राम ने उन्हें अपनी चरण पादुका सौंप दी। भरत ने चरण पादुका को बहुत सुसज्जित ढंग से अयोध्या लाया। अयोध्या आने के पश्चात उन्होंने सबसे पहले चरण पादुका का पूजन किया। भरत ने कहा, “ यह पादुकाएं श्रीराम की धरोहर है। मैं इनकी रक्षा करूंगा, इनकी गरिमा को आंच नहीं आने दूंगा।” इस सबके बाद उन्होंने तपस्वी का वस्त्र धारण किया और नंदीग्राम चले गए। जाते समय उन्होंने कहा, “ मैं इन पादुका को उन चरणों में देखना चाहता हूं जहां इन्हें होना चाहिए। मैं 14 वर्ष तक नंदीग्राम में श्री राम के वापस लौटने का इंतजार करूंगा।”
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