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पाठ 8 - यह सबसे कठिन समय नहीं, हिंदी, कक्षा - 8 NCERT Solutions | Hindi Class 8

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प्रश्न1: ''यह कठिन समय नहीं है?'' यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।
 उत्तर: 
यह बताने के लिए कवि ने निम्नलिखित तर्क दिए हैं-

  • अभी भी चिड़िया की चोंच में तिनका दबा है।
  • एक हाथ झड़ती हुई पत्ती को थामने के लिए बैठा है।
  • अभी भी एक रेलगाड़ी गंतव्य तक जाती है।
  • कथा का अखिरी हिस्सा बूढ़ी नानी सुना रही है जिसमें अभी भी एक बस अंतरिक्ष के पार की दुनिया से बचे हुए लोगों की खबर लाएगी।
  • अभी भी कोई किसी को कहता है कि जल्दी आ जाओ, सूरज डूबने का समय हो चला है।


प्रश्न 2: चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।
उत्तर: 
चिड़िया अपनी चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में है क्योंकि सूरज डूबने का समय हो चुका है उसके डूबने से पहले चिड़िया अपने लिए घोंसला बनाना चाहती है। वह तिनके से अपने लिए घोंसला तैयार कर उसमें अपने बच्चों के साथ रहेगी। घोंसला उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करता है।


प्रश्न 3:  कविता में कई बार 'अभी भी' का प्रयोग करके बात की गई है। "अभी भी" का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइये और देखिए उसमे लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं ?
उत्तर: 

  • मेरा दिमाग अभी भी खराब है।
  • मैं अभी भी उतना ही ताकतवर हूँ जितना पहले था‌।
  • मेरे दोस्त का अभी भी वही हाल है जो 10 साल पहले था।

इन वाक्यों से निरंतरता का भाव स्पष्ट होता है।


प्रश्न 4: ''नहीं'' और ''अभी भी'' को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए 'नहीं' 'अभी भी' के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं?
उत्तर:

  • नहीं, अभी भी तुम्हारा काम अधूरा है।
  • नहीं, अभी भी स्कूल की छुट्ठियाँ खत्म नहीं हुई है?
  • नहीं, अभी भी तुमने खाना नहीं खाया है।
  • इस साल समय पर वर्षा नहीं हुई है, किसान अभी भी बादलों को देख रहा है।

अभी भी, निरंतर चलने वाली प्रक्रिया का बोध कराता है तथा नहीं से कार्य के न होने का पता चलता है।

कविता से आगे

प्रश्न 1: घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जानेवाली किसी ऐसी कथा की जानकारी प्राप्त कीजिए, जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश हो।
उत्तर: बच्चों को अपने दादा-दादी और नाना-नानी से अत्यधिक लगाव होता है। ठीक इसी प्रकार मुझे भी अपने दादा-दादी जी से लगाव है। लगाव का मुख्य कारण उनके द्वारा दिया जाने वाला प्यार है। वे मुझे रोज नवीन कहानियाँ सुनाते थे। उनकी कहानियाँ मुझे आज भी याद हैं। वे अक्सर बताते थे कि कठिन-से-कठिन परिस्थिति में भी मनुष्य अपने धैर्य, साहस और लगातार कोशिश से सफलता प्राप्त कर सकता है। उनके द्वारा सुनाई गई एक कहानी मुझे आज भी याद है, जो एक विकलांग लड़की के जीवन पर आधारित थी।
कहानी के अनुसार, चंद्रा एक विकलांग लड़की थी। उसे बचपन से पक्षाघात हो गया था। इससे उसकी गर्दन का निचला भाग निष्प्राण हो गया था। लेकिन चंद्रा की माता श्रीमती टी० सुब्रह्मण्यम ने हिम्मत नहीं हारी। उसने एक जर्मन डॉक्टर से चंद्रा का इलाज करवाया, जिससे उसके ऊपरी धड़ में हरकत आ गई। निचला धड़ बेजान ही रहा, परंतु किसी-न-किसी तरह से उसे बैठने का प्रयास करवाया गया।
चंद्रा बहुत ही कुशाग्र बुद्धि की थी। पाँच साल की आयु में उसकी पढ़ाई शुरू हुई। माता ने पूरी लगन से उसे पढ़ाना-लिखाना शुरू किया। बड़ी कठिनाई से चंद्रा को बेंगलुरु के माउट कार्मल स्कूल में प्रवेश मिला। स्कूल की मदर ने चंद्रा की माता से कहा था कि कौन आपकी पुत्री को व्हील चेयर से क्लास-रूम में घुमाता रहेगा? इस पर श्रीमती टी० सुब्रह्मण्यम वर्षों अपनी बेटी को स्वयं क्लास-रूम में घुमाती रही।
चंद्रा ने प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उसे स्वर्ण-पदक मिलते रहे। प्राणीशास्त्र में एम०एस०सी० करते हुए चंद्रा ने इसमें पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद उसने प्रोफेसर सेठना के निर्देशन में पाँच साल तक शोधकार्य किया। इसी बीच उसके लिए माता-पिता ने स्वचालित व्हील चेयर मँगवा दी। अब चंद्रा बिना किसी मदद के आसानी से शोधशाला में घूमने लगी। कठिन परिश्रम के बाद उसे विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि मिली। अब वह डॉ० चंद्रा थी।
डॉ० चंद्रा ने कविताएँ भी लिखीं। इनमें उनकी उदासी का चित्रण था। उन्होंने अपनी कढ़ाई-बुनाई के नमूने भी प्रदर्शित किए। डॉ० चंद्रा पैरों का काम अपने दोनों हाथों से कर लेती थीं। गर्ल गाइड्स में स्वर्ण-पदक पाने वाली चंद्रा पहली अपंग युवती थीं।
डॉ० चंद्रा के एलबम में उनकी माता का एक बड़ा चित्र है, जिसमें वे जे० सी० बेंगलुरु द्वारा दिए गए विशेष पुरस्कार को ग्रहण कर रही हैं। उनकी माता टी० सुब्रह्मण्यम को 'वीर जननी' का पुरस्कार मिला था। उसका कहना था—'ईश्वर सब द्वार बंद नहीं करता। यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल देता है।'


प्रश्न 2: आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। सूरज डूबने के समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता है कि घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है- प्रतीक्षा करने वाले व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: अक्सर मेरी प्रतीक्षा करने वाले लोग मेरे परिवार के ही होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण उनमें मेरा छोटा भाई है,जो बड़ी बेसब्री से इंतजार करता रहता है कि कब मैं स्कूल या खेल के मैदान से घर आऊं और उसके साथ बैठकर कैरम खेलूं। वह बहुत ही शरारती है। वह हमेशा मुझे किसी ना किसी बात पर परेशान करता रहता है,पर फिर भी वह मुझे प्यार करता है और मैं भी उसे बहुत प्यार करता हूँ।

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FAQs on पाठ 8 - यह सबसे कठिन समय नहीं, हिंदी, कक्षा - 8 NCERT Solutions - Hindi Class 8

1. पाठ "यह सबसे कठिन समय नहीं" का मुख्य संदेश क्या है ?
Ans. इस पाठ का मुख्य संदेश यह है कि कठिनाइयों के समय में भी हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। लेखक ने यह संकेत दिया है कि जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन हमें उनसे निपटने का साहस रखना चाहिए। सही दृष्टिकोण और सकारात्मक सोच से हम किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
2. पाठ में लेखक ने अपने अनुभवों से क्या सिखाया है ?
Ans. लेखक ने अपने अनुभवों के माध्यम से यह सिखाया है कि समय चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो, हमें अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया है कि कठिन समय में एकजुटता और सहयोग की भावना महत्वपूर्ण होती है, जिससे हम सभी एक-दूसरे का सहारा बन सकते हैं।
3. "यह सबसे कठिन समय नहीं" पाठ में कौन से प्रमुख पात्र हैं ?
Ans. इस पाठ में मुख्यतः लेखक स्वयं एक पात्र हैं, जो अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं। इसके अलावा, पाठ में ऐसे कई अन्य पात्रों का उल्लेख है, जो कठिन समय का सामना कर रहे हैं और उनके संघर्षों से यह प्रमाणित होता है कि सभी लोग किसी न किसी रूप में कठिनाइयों का सामना करते हैं।
4. पाठ के माध्यम से लेखक ने कौन सी प्रेरणा दी है ?
Ans. लेखक ने पाठ के माध्यम से यह प्रेरणा दी है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने यह बताया है कि सकारात्मक सोच और मेहनत से हम किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
5. इस पाठ को पढ़ने के बाद छात्रों को क्या सीखने को मिलता है ?
Ans. इस पाठ को पढ़ने के बाद छात्रों को यह सीखने को मिलता है कि कठिनाइयों का सामना करना एक जरूरी हिस्सा है और यह हमें मजबूत बनाता है। इसके अलावा, यह भी सिखाता है कि जीवन में आशा और सकारात्मकता बनाए रखना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
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