प्रश्न 1.: 'तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं' - उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कबीर ने तलवार और म्यान के माध्यम से अत्यंत गूढ़ एवं रोचक बात कही है। उनके अनुसार हमें वस्तु को महत्त्व देना चाहिए न कि वस्तु के डिब्बे को, कबीर इसी प्रकार गुणों को महत्त्व देने की बात करते हैं। वे शरीर को म्यान मानते हैं। उनके अनुसार व्यक्ति का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। जब तक की उसमें गुणों का संचार न हो। अत: गुण यहाँ तलवार है और शरीर म्यान है। इसलिए हमें गुणों को महत्व देना चाहिए।
प्रश्न 2: पाठ की तीसरी साखी- जिसकी एक पंक्ति हैं 'मनवा तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहि' के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर: इस साखी के द्वारा कबीर जी कहते हैं कि हमारा मन अति चंचल है। यह दसों दिशाओं में यानी की चारों ओर लगातार भ्रमण करता रहता है। इसी कारण हमारा मन किसी काम में नहीं लग पाता। एक ही चीज़ को बार-बार समझकर भी उसका पूर्ण ज्ञान नहीं हो पाता। मन अपनी गति में रहता है। उसे और कुछ भी याद नहीं रहता। मन के बंधन में बँधकर मनुष्य सबकुछ भूल जाता है।
प्रश्न 3: कबीर घास की निंदा करने से मना करते हैं। कबीर के दोहे में 'घास' का विशेष अर्थ क्या है और कबीर के उक्त दोहे संदेश क्या है?
उत्तर: कबीर के उक्त दोहे में घास का अर्थ निम्न वर्गीय लोगों से है। कबीर कहते हैं कि हमें निम्नवर्गीय अर्थात् गरीब लोगों की निंदा या अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि जागृत होने पर ये लोग ही कष्ट देने वालों के लिए कष्ट और दुख का कारण बन जाते हैं।
प्रश्न 4: मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?
उत्तर:
''जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डार दे, दया करै सब कोय।।
प्रश्न 1: "या आपा को . . . . . . . . . आपा खोय।" इन दो पंक्तियों में 'आपा' को छोड़ देने की बात की गई है। 'आपा' किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या 'आपा' स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?
उत्तर: 'आपा' अंहकार के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
प्रश्न 2: आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।
उत्तर: आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में अंतर हो सकता है :
प्रश्न 3: सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।
उत्तर: ''आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।।''
मनुष्य के एक समान होने के लिए सबकी सोच का एक समान होना आवश्यक है।
प्रश्न 4: कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है?
उत्तर: कबीर के दोहों को साखी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें श्रोता वर्ग को गवाह बनाकर असली ज्ञान दिया गया है। कबीर समाज में फैली, बुराइयों, कुरीतियों, जातीय मतभेदों, और बाह्य आडंबरों को इस ज्ञान के जरिये समाप्त करना चाहते थे।
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1. कबीर की साखियाँ के अनुसार कबीर के जीवन की कुछ घटनाएं बताइए? |
2. कबीर की साखियाँ क्यों महत्वपूर्ण हैं? |
3. कबीर की साखियाँ के कुछ मुख्य विषय क्या हैं? |
4. कबीर की साखियाँ किस भाषा में लिखी गई हैं? |
5. कबीर की साखियाँ आज भी क्यों महत्वपूर्ण हैं? |
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