प्रश्न 1: कवयित्री किससे भवसागर पार करने की प्रार्थना कर रही है?
(क) गुरु से
(ख) ईश्वर से
(ग) सखी से
(घ) नाविक से
उत्तर: (ख)
कवयित्री अपने जीवन की समस्याओं और कठिनाइयों को पार करने के लिए ईश्वर से मदद मांग रही है। वह ईश्वर की दिव्य मार्गदर्शन और समर्थन की आवश्यकता है जो उसको जीवन की पेचीदगियों का सामना करने में मदद करेगा।
प्रश्न 2: कवयित्री अपने जीवन की नाव को किससे खींच रही है?
(क) मोटी रस्सी से
(ख) अपने बल पर
(ग) सांसों की कच्चे धागे की रस्सी से
(घ) गुरु की कृपा से
उत्तर: (ग)
कवयित्री अपने जीवन की नाव को उसके द्वारा उसकी सांसों की कच्चे धागे की तरह खींच रही है, जो उसकी इच्छाशक्ति और संघर्षशीलता को प्रकट करते हैं।
प्रश्न 3: कवयित्री के अनुसार भगवान कहां बसता है?
(क) जल में
(ख) थल में
(ग) आकाश में
(घ) सृष्टि के प्रत्येक कण में
उत्तर: (घ)
कवयित्री मानती हैं कि भगवान हर जीवन के प्रत्येक कण में मौजूद हैं, जिससे उनका अर्थात्मक मतलब है कि भगवान की उपस्थिति हर जगह और सभी परिपर्ण तत्वों में होती है।
प्रश्न 4: कवयित्री की कोशिशें किस प्रकार व्यर्थ हो रही हैं, जैसा कि कविता में उल्लिखित है?
(क) बंद मुट्ठी से फिसलती रेत की तरह
(ख) बीते हुए समय की तरह
(ग) मिट्टी के उस बर्तन की तरह जिससे पानी टपक रहा हो
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (ग)
कवयित्री ने अपनी कोशिशों को मिट्टी के उस बर्तन की तरह तुलना की है, जिससे पानी टपकता है। इससे उनका यह मतलब है कि उनकी कोशिशें व्यर्थ हो रही हैं, जैसे कि पानी बर्तन से बाहर टपकता है।
प्रश्न 5: कवयित्री के मन में क्या बात उठती है?
(क) वह अपनी नाव को कच्चे धागे से खींच रही थी
(ख) वे गुरु से मिलना चाहती है
(ग) वह अपने घर वापस जाना चाहती है
(घ) ईश्वर से मिलने की चाह
उत्तर: (घ)
कवयित्री के मन में उसकी ईश्वर से मिलने की बेहद गहरी इच्छा है। उनका आत्मा स्वरूपी संवादनात्मक और आध्यात्मिक सांवाद के आदान-प्रदान से प्रभावित है जिसके कारण उनकी यह चाह है कि वह ईश्वर से मिलें।
प्रश्न 6: मनुष्य कब समभावी होगा, कवयित्री के अनुसार?
(क) जब वह ज्यादा त्याग करेगा
(ख) जब वह भूख अधिक करेगा
(ग) जब वह त्याग और भोग दोनों को समान पलड़े पर रखेगा
(घ) जब वह भोग से ज्यादा त्याग करेगा
उत्तर: (ग)
कवयित्री के अनुसार समभावीता का सच्चा मतलब यह है कि मनुष्य जब त्याग और भोग दोनों को समान रूप से अपने जीवन में स्थापित करेगा, तब ही वह वास्तविक रूप से समभावी हो सकेगा।
प्रश्न 7: कवयित्री के अनुसार केवल त्याग से क्या होता है?
(क) मनुष्य अहंकारी बन जाता है
(ख) मनुष्य अपना विवेक खो देता है
(ग) मनुष्य संन्यासी हो जाता है
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (क)
कवयित्री के अनुसार अत्यधिक त्याग करने से मनुष्य अधिक अहंकारी बन सकता है, क्योंकि वह अपने त्याग को उसके अन्य गुणों की तुलना में अधिक महत्व देने लगता है।
प्रश्न 8: कवयित्री ने परमात्मा से किन मार्गों को अपनाने की प्राथना की?
(क) निर्गुण ब्रह्म की उपासना
(ख) हठयोग
(ग) ईश्वर के सगुण रूप की उपासना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर: (ख)
कवयित्री ने परमात्मा से हठयोग के माध्यम से आत्मा को पारमिक ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की है।
प्रश्न 9: कवयित्री के पास भवसागर को पार कराने की उतराई देने के लिए क्या नहीं था?
(क) धन दौलत
(ख) अंगूठी
(ग) पुण्य कर्म
(घ) बुरे कर्म
उत्तर: (ग)
कवयित्री के अनुसार पुण्य कर्म भवसागर को पार करने में मदद नहीं करते, क्योंकि मानव जीवन के निर्वाह में सिर्फ धार्मिक कर्मों से ही परिणाम नहीं मिलता है।
प्रश्न 10: कवयित्री के अनुसार ज्ञानी कौन है?
(क) जो स्वयं को जानता है
(ख) जो खूब पढ़ा लिखा है
(ग) जो त्याग के रास्ते पर चलता है
(घ) जो समभावी है
उत्तर: (क)
कवयित्री के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति वह होता है जो अपने आत्मा को जानता है और अपनी सच्ची पहचान करता है, जिससे उसका विचारशीलता, समझ और दृष्टिकोण सुदृढ़ होते हैं।
प्रश्न 11: कवयित्री को अंत में क्या पछताव होता है?
(क) वह हठ योग पर सही से ना चल सकी
(ख) वह त्याग की भावना ना अपना सकी
(ग) कवयित्री का सारा जन्म व्यर्थ चला गया पर वह ईश्वर को प्राप्त न कर सकी
(घ) संसार की विषय को वासनाओं छोड़ सकी
उत्तर: (ग)
कवयित्री अंत में अपनी जीवन यात्रा पर पछताव महसूस करती है क्योंकि उन्होंने अपना समय व्यर्थ बिता दिया है और उन्होंने अपने उद्देश्य को पूरा नहीं किया है।
प्रश्न 12: प्रस्तुत कविता में नाव की तुलना किससे की गई है?
(क) धागे से
(ख) जीवन से
(ग) मृत्यु से
(घ) धन से
उत्तर: (ख)
कविता में नाव की तुलना जीवन से की गई है। जैसे नाव जीवन के सामान्य मार्गों को पार करती है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन के विभिन्न प्रकार के परिपेक्ष्यक आवश्यकताओं को पार करना होता है।
प्रश्न 13: वाख के रचयिता कौन है?
(क) सूरदास
(ख) मीराबाई
(ग) कवयित्री
(घ) तुलसीदास
उत्तर: (ग)
वाख के रचयिता कवयित्री है। वाख एक प्रकार की कश्मीरी कविता होती है और कवयित्री ने इस कविता में अपने आदिवासी संस्कृति को दर्शाया है।
प्रश्न 14: कवयित्री ईश्वर से क्या प्रार्थना करती है?
(क) धन देने की
(ख) भवसागर पार कराने की
(ग) ज्ञान देने की
(घ) हठयोग पर चलने की शक्ति देने की
उत्तर: (ख)
कवयित्री ईश्वर से भवसागर को पार करने की प्रार्थना करती है, जिससे कि वह उन्हें आत्मा के मोक्ष और परम ज्ञान की प्राप्ति के लिए मार्ग दिखाएं।
प्रश्न 15: कवयित्री के अनुसार मनुष्य को कब कुछ हासिल नहीं होगा?
(क) जब वह निरंतर भोग में लिप्त रहेगा
(ख) जब वह लगातार त्याग के रास्ते पर चलेगा
(ग) जब वह हठयोग के रास्ते पर चले गा
(घ) जब वह समभावी होगा
उत्तर: (क)
कवयित्री के अनुसार मनुष्य कभी भी निरंतर भोगों में लिप्त रहकर कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है, क्योंकि यदि हम सिर्फ भोगों में ही रत रहेंगे तो हमारे जीवन का मार्ग हमें सही दिशा में नहीं ले जाएगा।
प्रश्न 16: ललयद किस भाषा की कवयित्री है?
(क) अवधी
(ख) सिंधी
(ग) कश्मीरी
(घ) गढ़वाली
उत्तर: (ग)
ललयद कवयित्री कश्मीरी भाषा की है और उन्होंने अपने कविताओं के माध्यम से कश्मीरी संस्कृति, जीवन और समाज को प्रकट किया है।
प्रश्न 17: ललयद की काव्य शैली को क्या कहा जाता है?
(क) दोहे
(ख) पद
(ग) वाख
(घ) चौपाई
उत्तर: (ग)
ललयद की काव्य शैली को वाख कहा जाता है, जो कश्मीरी कविता का एक विशेष रूप है। इसमें छंद, ताल, विषय और रस की मिश्रण होती है जिससे वह उपन्यास या कहानी की तरह प्रस्तुत होती है।
प्रश्न 18: प्रस्तुत कविता में मांझी से क्या अभिप्राय है?
(क) परमात्मा
(ख) नाविक
(ग) गुरु
(घ) मित्र
उत्तर: (क)
कविता में मांझी का प्रतीक अद्वितीय और परमात्मा को दर्शाता है, जो हमारे जीवन को मार्गदर्शन करता है और हमें सही दिशा में आगे बढ़ने की सारी जरूरती प्रदान करता है।
प्रश्न 19: मनुष्य के समभावी होने पर क्या होगा?
(क) वह आस्तिक हो जाएगा
(ख) वह उदार हो जाएगा व संकीर्ण मानसिकता से मुक्त होगा
(ग) वह अपने धर्म के प्रति कट्टर हो जाएगा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (ख)
कवयित्री के अनुसार मनुष्य जब समभावी बनता है, तो वह उदार होता है और संकीर्ण मानसिकता से मुक्त होकर सभी के साथ विनम्रता और सहानुभूति दिखाता है।
प्रश्न 20: कवयित्री के अनुसार मनुष्य को कब कुछ हासिल नहीं होगा?
(क) जब वह निरंतर भोग में लिप्त रहेगा
(ख) जब वह लगातार त्याग के रास्ते पर चलेगा
(ग) जब वह हठयोग के रास्ते पर चले गा
(घ) जब वह समभावी होगा
उत्तर: (क)
कवयित्री के अनुसार मनुष्य कभी भी निरंतर भोगों में रहकर आत्मा के साथ जुड़ नहीं सकता, क्योंकि आत्मा के साथ कनेक्ट होने के लिए त्याग और साधना की आवश्यकता होती है।
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