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Rakh ki rassi summary - Class 5 PDF Download

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पाठ का सारांश: राख की रस्सी

तिब्बत के बत्तीसवें राजा सौनगवसैन गांपो के मंत्री का नाम लोनपोगार था। लोनपोगार अपनी चालाकी और हाजिरजवाबी के लिए प्रसिद्ध थे। लेकिन उनका बेटा ठीक उनके विपरीत था। वह इतना भोला था कि लोनपोगार काफी चिंतित हो उठे। वे चाहते थे कि उनका बेटा उनकी तरह होशियार हो। एक दिन उन्होंने अपने बेटे को सौ भेड़ें देकर शहर जाने को कहा। साथ में उन्होंने हिदायत दी कि वह इन्हें मारे या बेचे नहीं बल्कि इन्हें सौ जौ के बोरों के साथ वापस लाए।

बेटा शहर पहुँच गया। वह बहुत चिंतित था क्योंकि उसके पास सौ बोरे जौ खरीदने के लिए रुपये नहीं थे। अचानक उसके सामने एक लड़की आकर खड़ी हो गई। जब उसने उसकी चिंता का कारण पूछा तो उसने अपना हाल उससे कह सुनाय या। लडकी झेशियार थी। उसने भेड़ों के बाल उतारकर बाजार में बेच दिए और उससे मिले रुपयों से सौ बोरे जौ खरीद कर उसे वापस घर भेज दिया। बेटे को लगा कि पिताजी बहुत खुश होंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

दूसरे दिन लोनपोगार ने अपने बेटे को फिर शहर भेज दिया उन्हीं भेड़ों के साथ। उन्होंने बेटे से कहा कि भेड़ों के बाल उतारकर बेचना उन्हें पसंद नहीं आया। अतः वह दोबारा ऐसा काम नहीं करेगा। लेकिन भेड़ों के साथ सौ बोरे जौ अवश्य लाएगा। क बार फिर निराश लोनपोगार का बेटा शहर पहुँचा। वह लड़की उसे फिर मिली। उसने फिर अपनी समस्या उसे सुनाई। इस बार लड़की ने भेड़ों के सींग काटकर उन्हें बाजार में बेच दिया और उनसे मिले रुपयों से सौ बोरे जौ खरीद उसे घर वापस भेज दिया।

बेटे ने खुशी में अपने पिता से सारी कहानी कह दिया। सुनकर लोनपोगार बोले, “उस लड़की से कहो कि हमें नौ हाथ लंबी राख की रस्सी बनाकर दे।” उनके बेटे ने लड़की के पास जाकर पिता का संदेश सुनाया। लड़की एक शर्त पर रस्सी बनाने को तैयार थी। शर्त था कि उसके पिता उस रस्सी को गले में पहनें। लोनपोगार ने सोचा ऐसी रस्सी बनाना ही संभव नहीं है। इसलिए लड़की की शर्त स्वीकार कर ली।

अगले दिन लड़की ने नौ हाथ की रस्सी लेकर उसे पत्थर की सिल पर रखकर जला दिया। रस्सी के जलने के बाद उसी के आकार की राख बच गई। लड़की उसे सिल समेत लोनपोगार के पास ले गई और उसे पहनने को कहा। लोनपोगार राख की रस्सी देखकर दंग रह गए। लड़की की समझदारी और सूझबूझ से वे काफी प्रभावित हुए और उससे अपने बेटे की शादी करा दिए।

शब्दार्थः
हाजिरजवाबी- तपाक से जवाब देना।
मशहूर- प्रसिद्ध।
चैन- शांति से।
रवाना किया- भेजा।
आपबीती- अपने ऊपर घटित।
यकीन- विश्वास।
मंजूर- स्वीकार ।
चकित रह गए- हैरान हुए।
मुश्किल- कठिन।
आँवाए- बिताए, बबदि किए।
धूमधाम- खूब अच्छी तरह से।।

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