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Revision Notes: भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष की चुनौतियां | Hindi Language & Pedagogy - CTET & State TET PDF Download

भाषायी  विविधता

  • भाषायी विविधता को बहुभाषिकता भी कहा जाता है बहुभाषिकता भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है भारत एक बहु भाषी देश है यहां1000  से भी ज्यादा भाषा बोली जाती है।
  • इतनी विविधता के बावजूद कई भाषिक व सांस्कृतिक टच को भारत को एक ही भाषिक क्षेत्र के रूप में बांधते हैं।
  • बहुभाषिकता पर हुए अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि बहुभाषिकता समाज में संप्रेषण को बाधित करने के बजाय सहायता प्रदान करती है।
  • अतः हमारी शिक्षा व्यवस्था को इसे दबाने के बजाय बनाए रखने और प्रोत्साहित करने का भरपूर प्रयास करना चाहिए।  इसी बात को ध्यान में रखते हुए त्रिभाषा सूत्र(1968 राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रालय\ शिक्षा आयोग education commission) मैं लागू किया गया था।

शिक्षण में बहुभाषिकता के लाभ एवं आवश्यकताएं

  • बहुभाषिकता, भारत के भाषा परिदृश्य का एक विशिष्ट लक्षण  भी है उसे कक्षा की कार्य नीति का हिस्सा बनाना रचनात्मक भाषा शिक्षक का कार्य है।
  • अलग अलग भाषिक पृष्ठभूमि ओं से होने के कारण बच्चों की शब्दों में उनके उच्चारण में विभिन्नता पाई जाती है भाषिक पृष्ठभूमि के आधार पर ही किसी को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता।
  • 2 भाषा बोलने वाले बच्चे, ना केवल अन्य भाषाओं पर अच्छा नियंत्रण रखते हैं, बल्कि अकादमिक स्तर पर भी भी ज्यादा रचनात्मकता दिखाते हैं।  साथ ही उनमें सामाजिक सहिष्णुता भी अधिक पाई जाती है।
  • द्विभाषी बच्चों की वैचारिक क्षमता अन्य बच्चों की तुलना में अच्छी होती है।  यह विविध स्तर की परिस्थितियों से जूझने में कुशल होते हैं।
  •  इससे स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी, अकादमिक उपलब्धि में सुधार ,विद्यार्थियों के  आत्मा सम्मान में वृद्धि जैसे कई फायदे हैं।
  • कक्षा कक्षा में छात्रों द्वारा अपनी मातृ भाषाओं का प्रयोग करने से छात्र अपने विचारों को सहजता से रख पाते हैं,  जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया सुचारु रुप से चलती है
  • कक्षा में विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करना सांस्कृति  आदान प्रदान का भी माध्यम है भिन्न-भिन्न भाषाओं के प्रयोग से सभी छात्रों को एक दूसरे की भाषा समझने का अवसर मिलता है।  तथा वह अपनी मातृभाषा का सम्मान करने के साथ ही दूसरों की भाषाओं एवं संस्कृतियों का सम्मान करना भी सीखते हैं।
  • बहुभाषिकता, बच्चों की अस्मिता का निर्माण करती है बहुभाषिकता पर हुए अध्ययनों से यह पता चलता है, कि द्विभाषी या बहुभाषिकता क्षमता संज्ञानात्मक वृद्धि, सामाजिक सहिष्णुता, विस्तृत चिंतन एवं बौद्धिक उपलब्धियों के स्तर को बढ़ाती है।  इसीलिए भाषाओं को विद्यालयों में एक संसाधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

भाषा विविधता वाली कक्षा में भाषा-  शिक्षण की कठिनाइयां

  • बच्चों में संप्रेषण कौशल का विकास करने की चुनौती: बच्चों में संप्रेषण कौशल का विकास करने के लिए भाषा पर नियंत्रण एवं इसमें कुशलता आवश्यक है।  किंतु क्षेत्रीय भाषाओं के प्रभाव से इस में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है।
  • छात्रों में भाषाई कौशलों का विकास करने की चुनौती: भाषाई विविधता के कारण छात्रों को विविध भाषायी कौशलों  के अधिगम( सुनने, बोलने, पढ़ने एवं लिखने) के विकास में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।  क्योंकि क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव के कारण भाषायी कौशलों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है
  • अध्यापक को विभिन्न भाषाओं संबंधी ज्ञान की चुनौती:  एक शिक्षक के लिए विभिन्न भाषाओं का ज्ञान होना कठिन है।  जो बहुभाषी कक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में एक समस्या के रूप में बनी रहती है।
  • भाषा के प्रति छात्रों की रूचि और रुझान का आभाव:  भाषा विविधता के कारण भाषा शिक्षण की एक समस्या यह है कि छात्रों में भाषा के प्रति रुचि तथा रुझान का अभाव पाया जाता है।  जिस कारण से भाषा शिक्षण का कार्य और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

समस्याओं का समाधान

  • बहुभाषीक  कक्षा मैं शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अध्यापक को समृद्ध भाषिक परिवेश का निर्माण करना चाहिए।
  • बच्चे के स्कूल की भाषा और घर  एवं पड़ोस की भाषा में समरूपता होनी चाहिए
  • बच्चे प्रारंभ से ही बहु भाषिक शिक्षा प्राप्त कर सकें, इसके लिए त्रिभाषा फार्मूला को उसके मूल भाव के साथ लागू किए जाने की जरूरत है।
  • बच्चों को प्राथमिक  स्तर की विद्यालय शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जाए, जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया सरल एवं छात्रों के लिए सहज हो सके।
  • बहुभाषी कक्षा में शिक्षण प्रक्रिया के दौरान अध्यापक को सदैव विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा में बोलने के अवसर प्रदान करनी चाहिए।
  • शिक्षक को सभी छात्रों को सामान भाव से देखना चाहिए, तथा सबकी भाषा और विचारों को सम्मान देना चाहिए।
  • सभी छात्रों को विश शिक्षण प्राप्त करने की प्रक्रिया में समान अवसर देना चाहिए, ताकि कोई भी छात्र अपने आप को कमजोर ना समझे।
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FAQs on Revision Notes: भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष की चुनौतियां - Hindi Language & Pedagogy - CTET & State TET

1. भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष की चुनौतियां CTET और State TET में क्या होती हैं?
उत्तर: CTET और State TET में भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष की चुनौतियां शामिल होती हैं। इन परीक्षाओं में छात्रों को अलग-अलग भाषाओं में शिक्षा देने की क्षमता का मापन किया जाता है। इसमें छात्रों को भाषा के स्तर, भाषा संचार क्षमता, भाषा समझने और व्यक्त करने की क्षमता, भाषा के नियम और संरचना आदि का मापन किया जाता है।
2. CTET और State TET में भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष के लिए किन-किन अध्यायों की तैयारी करनी चाहिए?
उत्तर: CTET और State TET में भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष के लिए निम्नलिखित अध्यायों की तैयारी करनी चाहिए: 1. भाषा संचार क्षमता: इस अध्याय में छात्रों को अलग-अलग भाषाओं के माध्यम से संवाद करने की क्षमता को विकसित कराया जाता है। 2. भाषा समझने और व्यक्त करने की क्षमता: इस अध्याय में छात्रों को भाषा को समझने और सही ढंग से व्यक्त करने की क्षमता को विकसित कराया जाता है। 3. भाषा के स्तर: इस अध्याय में छात्रों को भाषा के विभिन्न स्तरों को समझने और इसे अच्छी तरह से प्रयोग करने की क्षमता को विकसित कराया जाता है। 4. भाषा के नियम: इस अध्याय में छात्रों को भाषा के नियमों को समझने और इनका प्रयोग करने की क्षमता को विकसित कराया जाता है। 5. भाषा की संरचना: इस अध्याय में छात्रों को भाषा की संरचना को समझने और इसे सही ढंग से लिखने और बोलने की क्षमता को विकसित कराया जाता है।
3. CTET और State TET में भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष की चुनौतियां को कैसे पास किया जा सकता है?
उत्तर: CTET और State TET में भाषायी विविधता वाले कक्षा कक्ष की चुनौतियों को पास करने के लिए निम्नलिखित टिप्स का पालन कर सकते हैं: 1. संबंधित पाठ्यक्रम की गहन तैयारी करें: पाठ्यक्रम को गहन रूप से पढ़ें और उसे समझें। ज्यादा से ज्यादा अध्ययन सामग्री का उपयोग करें और कक्षा कक्ष की चुनौतियों के बारे में अच्छी तरह से जागरूक रहें। 2. मॉडल पेपर्स का प्रयास करें: मॉडल पेपर्स के साथ अभ्यास करें और अपनी परीक्षा की तैयारी को समय-समय पर मूल्यांकन करें। 3. अभ्यास करें और समय प्रबंधन करें: अध्ययन करने के साथ-साथ अभ्यास करें और समय प्रबंधन का ध्यान रखें। अध्याय को समय-समय पर पूरा करें और परीक्षा के बाद अतिरिक्त समय का उपयोग करें। 4. पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों का अध्ययन करें: पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों का अध्ययन करें और उनके आधार पर अभ्यास करें। इससे आपको परीक्षा पैटर्न की समझ में मदद मिलेगी। 5. संपूर्णता
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