Class 6 Exam  >  Class 6 Notes  >  Hindi (Vasant) Class 6  >  Short & Long Questions Extra: झांसी की रानी

Short & Long Questions Extra: झांसी की रानी | Hindi (Vasant) Class 6 PDF Download

प्रश्न 1: लक्ष्मीबाई के कितने बच्चे थे?
उत्तर: 
दुर्भाग्य से लक्ष्मीबाई की कोई संतान नहीं थी क्योंकि उनके पति की असमय ही मृत्यु हो गई थी। पति की मृत्यु होने के बाद लक्ष्मीबाई अकेली पड़ गई थी। उनके दुखों की कोई सीमा नहीं थी। पति की मृत्यु के कारण राज्य की जिम्मेदारी लक्ष्मीबाई पर आ गई थी।

प्रश्न 2: कविता “झांसी की रानी” के रचयिता कौन है?
उत्तर: 
कविता “झांसी की रानी” के रचयिता “सुभद्रा कुमारी चौहान” जी है। सुभद्रा कुमारी ने झांसी की रानी की कविता का बहुत ही सरल एवं स्पष्ट वर्णन किया है। सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904, प्रयाग में हुआ। सुभद्रा कुमारी की यह कविता सबसे लोकप्रिय और सर्वाधिक मानी जाती है।

प्रश्न 3: लक्ष्मीबाई की शादी किससे हुई थी?
उत्तर: 
लक्ष्मी बाई की शादी झांसी के राजा से हुई थी। लक्ष्मी बाई की शादी 14 नवंबर 1828 में वाराणसी में हुई थी। लक्ष्मीबाई की शादी कम उम्र में ही हो गई थी, परंतु कुछ समय बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई थी।

प्रश्न 4: नाना, लक्ष्मीबाई को क्या कहकर पुकारते थे?
उत्तर: 
लक्ष्मी बाई के नाना उसे प्यार से छबीली कह कर पुकारते थे। लक्ष्मी बाई के नाना और पिता उससे बहुत प्यार करते थे। लक्ष्मीबाई अपने पिता की इकलौती संतान थी। उसका बचपन से ही नाना से अधिक लगाव था, वह नाना के साथ ही खेलती-खाती थी।

प्रश्न 5: लक्ष्मीबाई के पिता की कितनी संताने थी?
उत्तर: 
लक्ष्मीबाई अपने पिता की इकलौती संतान थी। लक्ष्मीबाई के पिता और नाना उसे बहुत प्यार करते थे। लक्ष्मीबाई बचपन से अपने पिता की लाड़ली थी। वह उनसे अत्यंत प्रेम करती थी परंतु 14 वर्ष की आयु में उसका विवाह झांसी के राजा से तह हो गया था।

प्रश्न 6: गंगाधर राव की असमय मृत्यु का डलहौजी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
झांसी के राजा गंगाधर राव की असमय मृत्यु से लक्ष्मीबाई अकेली पड़ गई थी। उनका कोई वारिस ना होने की वजह से झांसी के राजदरबार का कोई उत्तराधिकारी नहीं मिल पाया था। जब यह बात डलहौजी को पता चली तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उसे लगने लगा कि वो अब आराम से झांसी राज्य पर विजय पा सकता हैं और उसे अंग्रेजी शासन के अधीन ला सकता है।

प्रश्न 7: लेफ्टिनेंट वॉकर और रानी में हुई लड़ाई का सारांश लिखिए?
उत्तर: 
लेफ्टिनेंट वॉकर के साथ लड़ाई में झांसी की रानी ने वॉकर के दांत खट्टे कर दिए। रानी का पराक्रम इतना बुलंद था कि उन्होंने अपनी तलवार से बहुत घायल कर दिया और उसे युद्ध से भागना पड़ा। लक्ष्मी बाई अकेली होते हुए भी दुश्मनों के सामने घुटने टेकने को तैयार नहीं थी। उन्होंने बहुत वीरता के साथ लेफ्टिनेंट वॉकर को हरा दिया था। रानी लक्ष्मी बाई के प्रहारों को देखकर सब चकित रह गए और लेफ्टिनेंट वॉकर ने हार मान ली।

प्रश्न 8: ऐसा क्या हुआ था जिसने रानी को रोने पर मजबूर कर दिया था?
उत्तर: 
समय के खेल को देखकर रानी की आंखों में आंसू आ गए थे। एक साथ बहुत सारे दुखो का आना, जैसे आचनक से राजा का देहांत, ऊपर से दूसरे मुल्कों के षड्यंत्र और झांसी के किसी वारिस का ना होना। यह सब रानी के मनोबल को झुका तो नहीं पाए मगर वे रोनी लगी। हालांकि इन सब का उन्होंने उचित जवाब दिया।

प्रश्न 9: रानी के प्रयास से किन – किन जगह पर स्वतंत्रता संग्राम की लपटें दिखने लगीं थी?
उत्तर: 
अकेली रानी के हौसले और प्रयासों ने पूरे उत्तर भारत में चिंगारी का काम किया। जगह-जगह पर स्वतंत्रता संग्राम की लपटे दिखने लगी। जिसमें विशेष कर दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, पटना, जबलपुर और कोल्हापुर में यह मुख्य रूप से थी।

प्रश्न 10: कविता में दिए गए वीर सपूतों का नाम लिखिए।
उत्तर: कवियत्री ने उस समय फिरंगियों के विरुद्ध आवाज उठा रहे बहुत सारे वीर सपूतों का नाम लिखा। नाना धुंधूपंत, तांतिया, चतुर अजीमुल्ला, अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुंवरसिंह और सैनिक अभिराम जिन्होंने अपनी कुर्बानी रानी के स्वतंत्र संग्राम में दी। इतिहास इनको इनके काम के लिए याद रखेगा।

प्रश्न 11: कवियत्री 'सुभद्रा कुमारी चौहान' का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
उत्तर:
(१३ अगस्त १९०४-१५ फरवरी १९४८) सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी की सुप्रसिद्ध कवियत्री और लेखिका थी। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए परंतु उनकी प्रसिद्धि झांसी की रानी के कारण हुई। ये राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवियत्री रही हैं, किंतु इन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यात्राएं सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को अपनी कहानियों में व्यक्त किया है। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इसी कारण इनकी रचना की सादगी ह्रदयग्राही है।

प्रश्न 12: बंगाल, मद्रास और कर्नाटक की रियासतों का फिरंगियों ने क्या हाल किया?
उत्तर:
बंगाल, मद्रास और कर्नाटक की रियासतों ने फिरंगियों के अत्याचार के सामने घुटने टेक दिए और उनकी गुलामी को स्वीकार किया। अंग्रेजों ने उनके सामान को धीरे - धीरे नीलाम करके बेचना शुरू कर दिया। भारत की रियासतों में आपस में फुट का नतीजा ये रहा की फिरंगियों ने पूरे भारत को गुलाम बना लिया।

प्रश्न 13: कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर:
इस कविता में कवियत्री ने लक्ष्मीबाई के जीवन का वर्णन किया है। लक्ष्मीबाई एक होनहार और युद्ध कला में निपुण योद्धा थी। जिसे उस जमाने के हिसाब से, लड़कियों वाले काम छोड़कर युद्ध करना और राजनीति करना ज्यादा पसंद था। इनकी शादी कम उम्र में झांसी के राजा के साथ हुई थी। दुर्भाग्यवश उनकी असमय मृत्यु हो गई। फिरंगियों को, जिनकी नजर हमेशा से झांसी की गद्दी पर थी, अब बहुत ही अच्छा मौका मिल जाता है। फिरंगियों ने झांसी की रानी के सामने गुलामी स्वीकार करने की पेशकश की, मगर रानी ने साफ इंकार कर दिया और युद्ध का बिगुल फूंक दिया। रानी ने बहुत शौर्य के साथ पराक्रम दिखाया और फिरंगियों के दांत खट्टे कर दिए। मगर समय ने उनका साथ नहीं दिया और 23 साल की मात्र उम में वीरगति को प्राप्त हो गई ‌।

प्रश्न 14: लक्ष्मीबाई की शादी के बाद के जीवन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: 
शादी के बाद लक्ष्मीबाई के जीवन में  बहुत मुश्किलें आयी। शादी के तुरंत बाद ही महल में उन्हीं के मंत्रियों ने षड्यंत्र करना शुरू कर दिया था, उनको दबाया। कोई संतान न होना उनके जीवन की कड़ी में सबसे दुख वाला पल तो था ही तभी राजा की असमय मृत्यु हो जाती है। शादी के बाद उनका जीवन मुख्यता इन्हीं सब कार्यों को करने में गुजरा। उन्होंने अपने राज्य को बचाने के अथक प्रयास किए मगर फिरंगियों से वे युद्ध में हार गई। एक बात जो उनके पराक्रम से निकलकर सामने आती है कि वे बहुत ही मजबूत दिल और दिमाग की थी। उन्होंने इन सब का डटकर सामना किया हालांकि उनका जीवन दुख में ही गुजरा।

प्रश्न 15: लक्ष्मीबाई साहसी और दृढ़निश्चयी थी ,कैसे?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई ने जो पराक्रम अपने जीवन में दिखाया और जिस तरीके से वो युद्ध के क्षेत्र में कौशल दिखती थी, हम यह कह सकते हैं की वह बहुत ही दृढ़निश्चयी थी। उन्होंने प्रजा की प्राणों की रक्षा के लिए फिरंगियों से लोहा लिया और अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके साहस को देखते हुए खुद अंग्रेजों ने उन की बहुत तारीफ की है। उनके जीवन में आने वाली सारी मुश्किलों का उन्होंने जैसे सामना किया हम कह सकते हैं की वह बहुत साहसी और दृढ़निश्चयी थी।

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FAQs on Short & Long Questions Extra: झांसी की रानी - Hindi (Vasant) Class 6

1. झांसी की रानी कौन थीं और उनका असली नाम क्या था ?
Ans. झांसी की रानी, जिनका असली नाम लक्ष्मीबाई था, 19वीं सदी में भारत की एक प्रमुख महिला शासक थीं। वे झांसी के राज्य की रानी थीं और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. झांसी की रानी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ किस प्रकार का संघर्ष किया ?
Ans. झांसी की रानी ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध किया। उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए सैनिकों का संगठन किया और युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रेरणादायक प्रतीक बन गईं।
3. झांसी की रानी की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या थीं ?
Ans. झांसी की रानी की प्रमुख उपलब्धियों में स्वतंत्रता संग्राम में उनकी नेतृत्व क्षमता, अपनी सेना का गठन और झांसी की रक्षा के लिए संघर्ष शामिल हैं। उन्होंने अपने राज्य को बचाने के लिए साहसिक कदम उठाए और देशवासियों को प्रेरित किया।
4. झांसी की रानी का निधन किस प्रकार हुआ ?
Ans. झांसी की रानी का निधन 18 जून 1858 को हुआ। वे एक निर्णायक युद्ध में शहीद हुईं, जब उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष किया। उनकी वीरता और बलिदान ने उन्हें भारतीय इतिहास में अमर बना दिया।
5. झांसी की रानी को भारतीय इतिहास में क्यों याद किया जाता है ?
Ans. झांसी की रानी को भारतीय इतिहास में उनके अद्भुत साहस, नेतृत्व और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए याद किया जाता है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रतीक बन गईं और आज भी उन्हें एक बलिदानी नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है।
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