प्रश्न 1: लेखिका को हवाई जहाज को उड़ते देखकर क्या लगता था ?
उत्तर: लेखिका को हवाई जहाज को उड़ता देखकर ऐसा लगता था जैसे कोई भारी - भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है|
प्रश्न 2: लेखिका कौन सी दुकान क्यों नहीं भूलती ?
उत्तर: लेखिका गाड़ी के मॉडलवाली की दुकान के साथ वाली दुकान कभी नहीं भूलती क्योंकि वहाँ उनका चश्मा बनता था ।
प्रश्न 3: डॉक्टर ने लेखिका को क्या आश्वासन दिया था ?
उत्तर: डॉक्टर ने लेखिका को यह आश्वासन दिया था कि उसका चश्मा शीघ्र ही हट जाएगा। उसकी नज़र ठीक हो जाएगी और चश्मा लगाने की कभी ज़रूरत नहीं पड़ेगी
प्रश्न 4: लेखिका को क्या देख कर मितली होने लगती थी?
उत्तर: लेखिका को छोटे-छोटे शीशे के गिलास पर झूठन के निशान रह जाते थे। जिन पर भोजन की झूठन के निशान थे, वह बड़े दीखते थे और उन्हें देखकर मितली आने लगती थी।
प्रश्न 5: चने को लेकर कौन सी फिल्मी गाने का ज़िकर लेखिका ने किया है?
उत्तर: यह फिल्मी गाना उस जमाने में हर एक बच्चे को याद था। गाना था - " चना जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार, चना जोर गरम"। चने को लेकर क्रांति फिल्म के इस गाने का ज़िकर लेखिका ने किया है।
प्रश्न 6: छुटपन में लेखिका ने क्या-क्या किया?
उत्तर: छुटपन में लेखिका ने शिमला रिज पर बहुत मजे किए। घोड़ों की सवारी की। लेखिका घोड़ों को ना जाने क्यों कुछ कमतर करके समझती, उन पर हंसती थी।
प्रश्न 7: बच्चे साथ में रूई क्यों रखते थे?
उत्तर: पहले जूते ज्यादा आरामदायक नहीं आते थे, उनसे पैरों में छाले बन जाते थे। जब कभी लेखिका लंबी सैर पर जाते तो इस तकलीफ से बचने के लिए वे अपने पास रूई रखते थे ताकि जूता लगे तो रूई मौजे के अंदर रख ले।
प्रश्न 8: शिमला रिज के बारे में लेखिका ने क्या कहा है?
उत्तर: शिमला रिज छुटपन में एक जगह है जहां पर लेखिका ने बहुत मजे किए हैं। वहां लेखिका घोड़ों की सवारी के लिए जाती थी। शिमला रिज में के सामने जो जाखू का पहाड़ था। जहां चर्च थी। चर्च की घंटियां की गूँज के संगीत से ऐसा लगता प्रभु यीशु स्वयं कुछ कह रहे हैं। और वहाँ लेखिका को सूर्यास्त होना देखना बहुत पसंद था।
हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हैं। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढ़ने में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हैं। नीला-जामुनी-ग्रे-काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफ़ेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं। पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्ते।
प्रश्न 1: लेखिका खुद को उम्र में क्या मानती थी ?
उत्तर: लेखिका खुद को उम्र में सयाना मानती थी |
प्रश्न 2: पहले लेखिका कैसे कपड़े पहनती थी ?
उत्तर: पहले लेखिका रंग - बिरंगे कपड़े पहनती थी |
प्रश्न 3: लेखिका स्कर्ट कब पहनती थी ?
उत्तर: लेखिका स्कर्ट बचपन में पहनती थी|
प्रश्न 1: लेखिका का पिछली सदी के बारे में क्या अनुभव रहा था ?
उत्तर: लेखिका को पिछली सदी में केवल एक गाड़ी याद थी जिसकी रफ्तार तेज़ थी। तब कभी-कभी हवाई जहाज़ दिखाई देते थे। जब उनकी आवाज़ सुनाई देती, बच्चे उन्हें देखने के लिए घर से बाहर दौड़े आते थे। जहाज़ को उड़ता देख उन्हें ऐसे लगता था जैसे कोई बड़े शरीर वाला पक्षी पंख फैलाकर आकाश में उड़ रहा हो। वह बहुत तेज़ी से उड़ता था और देखते ही देखते वह नज़रों से ओझल हो जाता था।
प्रश्न 2: चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्यों छेड़ते थे ?
उत्तर: लेखिका के चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें इसलिए छेड़ते थे, क्योंकि जब कोई व्यक्ति पहली बार चश्मा लगाता है तो उसे तथा देखने वाले दोनों को ही अटपटा सा लगता है। लेखिका का चचेरा भाई उनकी सूरत को लंगूर की सूरत कहकर चिढ़ाता था।
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