Police SI Exams Exam  >  Police SI Exams Notes  >  General Awareness/सामान्य जागरूकता  >  Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य)

Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams PDF Download

मराठा साम्राज्य

मराठा राज्य का निर्माण एक क्रान्तिकारी घटना है। विजयनगर के उत्थान से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण तत्व आया था। मराठा संघ एवं मराठा साम्राज्य एक भारतीय शक्ति थी जिन्होंने 18 वी शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप पर अपना प्रभुत्व जमाया हुआ था। इस साम्राज्य की शुरुआत सामान्यतः 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के साथ हुई और इसका अंत 1818 में पेशवा बाजीराव द्वितीय की हार के साथ हुआ। भारत में मुग़ल साम्राज्य को समाप्त करने के ज्यादातर श्रेय मराठा साम्राज्य को ही दिया जाता है।
Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

छत्रपति शिवाजी   (1640-1680)

  • शिवाजी का जन्म पूना के निकट शिवनेर के किले में 20 अप्रैल, 1627 को हुआ था। शिवाजी शाहजी भोंसले और जीजाबाई के पुत्र थे। शिवाजी को मराठा साम्राज्य का संस्थापक कहा जाता है। शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत से मराठा लोगो को रिहा करने का बीड़ा उठा रखा था और मुगलों की कैद से उन्होंने लाखो मराठाओ को आज़ादी दिलवाई। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे मुग़ल साम्राज्य को ख़त्म करना शुरू किया और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करने लगे।
  • 1656 ई. में रायगढ़ को उन्होंने अपने साम्राज्य की राजधानी घोषित की और एक आज़ाद मराठा साम्राज्य की स्थापना की। इसके बाद अपने साम्राज्य को मुग़ल से बचाने के लिए वे लगातार लड़ते रहे। और अपने राज्य के विस्तार का आरंभ 1643 ई. में बीजापुर के सिंहगढ़ किले को जीतकर किया। इसके पश्चात 1646 ई. में तोरण के किले पर भी शिवाजी ने अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। शिवाजी की शक्ति को दबाने के लिए बीजापुर के शासक ने सरदार अफजल खां को भेजा। शिवाजी ने 1659 ई. में अफजल खां को पराजित कर उसकी हत्या कर दी। शिवाजी की बढती शक्ति से घबराकर औरंगजेब ने शाइस्ता खां को दक्षिण का गवर्नर नियुक्त किया। शिवाजी ने 1663 ई. में शाइस्ता खां को पराजित किया। जयसिंह के नेतृत्व में पुरंदर के किले पर मुगलों की विजय तथा रायगढ़ की घेराबंदी के बाद जून 1665 में मुगलों और शिवाजी के बीच पुरंदर की संधि हुई। 1670 ई. में शिवाजी ने मुगलों के विरुद्ध अभियान छेड़कर पुरंदर की संधि द्वारा खोये हुए किले को पुनः जीत लिया। 1670 ई. में ही शिवाजी ने सूरत को लूटा तथा मुगलों से चौथ की मांग की।
  • 1674 में स्थापित नव मराठा साम्राज्य के छत्रपति के रूप में उनका राज्याभिषेक किया गया। अपने राज्याभिषेक के बाद शिवाजी का अंतिम महत्वपूर्ण अभियान 1676 ई. में कर्नाटक अभियान था।
  • 12 अप्रैल, 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के समय उन्होंने 300 किले साथ, तक़रीबन 40,000 की घुड़सवार सेना और 50000 पैदल सैनिको की फ़ौज बना रखी थी और साथ पश्चिमी समुद्री तट तक एक विशाल नौसेना का प्रतिष्ठान भी कर रखा था। समय के साथ-साथ इस साम्राज्य का विस्तार भी होता गया और इसी के साथ इसके शासक भी बदलते गये, शिवाजी महाराज के बाद उनके पोतो ने मराठा साम्राज्य को संभाला और फिर उनके बाद 18 वी शताब्दी के शुरू में पेशवा मराठा साम्राज्य को सँभालने लगे।
    • मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था।
    • शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले तथा माता का नाम जीजाबाई था।
    • शिवाजी का विवाह सईबाई निम्बालकर से 1640 ई० में हुआ।
    • शिवाजी के राजनीतिक गुरू दादाजी कोंडदेव थे एवं आध्यात्मिक गुरू रामदास थे।
    • शिवाजी ने सबसे पहले 16 वर्ष की आयु में बीजापुर रियासत के तोरण किले पर अधिकार कर किया।
    • 1656 ई० में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया।
    • इसी दौरान मुग़ल साम्राज्य के मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1660 ई० में शाइस्ता खां को दक्षिण का राज्यपाल नियुक्त कर दक्षिण फतह करने का कार्य सौंपा।
    • 1663 में शिवाजी ने शाइस्ता खां पर आक्रमण कर उसका अंगुठा काट दिया एवं उसके पुत्र की हत्या कर दी।
    • 1664 में शिवाजी ने सूरत में भयंकर लूटपाट की थी।
    • इससे परेशान होकर औरंगजेब ने 1665 ई० में राजा जयसिंह को दक्षिण की बागडोर सौंपी । इसके तुरंत बाद ही पुरंदर पर आक्रमण कर शिवाजी की माता संग परिवार को बंदी बना लिया।
    • 1665 ई० में जयसिंह व शिवाजी के बीच पुरंदर की संधि हुई। इसके तहत शिवाजी ने अपने आधीन 23 किले मुगलों को देकर मात्र 12 किले अपने अधिकार में रखे।
    • इसी संधि के तहत शिवाजी के पुत्र शम्भाजी को मुगल दरबार में नियुक्त कर दिया गया।
    • जयसिंह के विश्वास पर 1666 ई० में शिवाजी आगरा पहुँचे । वहां पर शिवाजी को औरंगजेब ने कैद कर लिया । यहां से शिवजी इसी वर्ष अगस्त 1666 ई० में भाग निकले ।
    • 5 जून 1674 ई० में शिवाजी ने रायगढ़ में बनारस के प्रसिद्ध विद्वान श्री गंगा भट्ट द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया तथा छत्रपति की पदवी धारण की ।
    • 3 अप्रैल 1680 ई० में शिवाजी की मृत्यु हो गई तब वह मात्र 50 वर्ष के थे ।

शिवाजी के द्वारा लगाए गए कर

  • चौथ – मतलब चौथा हिस्सा होता था। जोकि पड़ोसी राज्यों से लिया जाता था।
  • सरदेशमुखी – महाराष्ट्र के लोग दिया करते थे क्योंकि वे महाराष्ट्र के पुश्तैनी सरदेशमुख थे।

शिवाजी के अष्टप्रधान
शिवाजी के मंत्री मंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था, जिनका विवरण निम्नवत है –
Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

शंभाजी (1680 ई. से 1689 ई.)

  • शिवाजी महाराज के दो बेटे थे: संभाजी और राजाराम। संभाजी महाराज उनका बड़ा बेटा था, जो दरबारियों के बीच काफी प्रसिद्ध था।  1681 में संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य का ताज पहना और अपने पिता की नीतियों को अपनाकर वे उन्ही की राह में आगे चल पड़े। संभाजी महाराज ने शुरू में ही पुर्तगाल और मैसूर के चिक्का देवा राया को पराजित कर दिया था।
  • इसके बाद किसी भी राजपूत-मराठा गठबंधन को हटाने के लिए 1681 में औरंगजेब ने खुद दक्षिण की कमान अपने हात में ले ली। अपने महान दरबार और 5,000,00 की विशाल सेना के साथ उन्होंने मराठा साम्राज्य के विस्तार की शुरुआत की और बीजापुर और गोलकोंडा की सल्तनत पर भी मराठा साम्राज्य का ध्वज लहराया। अपने 8 साल के शासनकाल में उन्होंने मराठाओ को औरंगजेब के खिलाफ एक भी युद्ध या गढ़ हारने नही दिया।
  • 1689 के आस-पास संभाजी महाराज ने अपने सहकारियो को रणनीतिक बैठक के लिए संगमेश्वर में आमंत्रित किया, ताकि मुग़ल साम्राज्य को हमेशा के लिए हटा सके। लेकिन गनोजी शिर्के और औरंगजेब के कमांडर मुकर्रब खान ने संगमेश्वर में जब संभाजी महाराज बहुत कम लोगो के साथ होंगे तब आक्रमण करने की बारीकी से योजना बन रखी थी। इससे पहले औरंगजेब कभी भी संभाजी महाराज को पकड़ने में सफल नही हुआ था।
  • लेकिन इस बार अंततः उसे सफलता मिल ही गयी और 1 फरवरी 1689 को उन्होंने संगमेश्वर में आक्रमण कर मुग़ल सेना ने संभाजी महाराज को कैदी बना लिया। उनके और उनके सलाहकार कविकलाश को बहादुरगढ़ ले जाया गया, जहाँ औरंगजेब ने मुग़लों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए मार डाला। 11 मार्च 1689 को उन्होंने संभाजी महाराज को मार दिया था।
    • शिवाजी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र शम्भाजी छत्रपति के सिंहासन पर बैठे।
    • संभाजी ने उज्जैन के हिन्दी और संस्कृत के विद्वान कवि कलश को अपना सलाहकार बनाया।
    • 1689 ई० में शम्भाजी और कवि कलश को मुगलों ने गिरफ्तार कर लिया और औरंगजेब ने इसकी हत्या करवाने से पहले इनकी ऑंखें निकलवाकर, जुबान कटवा दी थी।
    • मुगलों द्वारा शम्भाजी के पुत्र शाहूजी को भी गिरफ्तार कर कैद कर लिया गया।
    • 1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शाहूजी को रिहा कर दिया गया।

राजाराम (1689 ई. से 1700 ई.)

  • शंभाजी की मृत्यु के बाद राजाराम को मराठा साम्राज्य का छत्रपति घोषित किया गया। राजाराम मुग़लोँ के आक्रमण के भय से अपनी राजधानी रायगढ़ से जिंजी ले गया। 1698 तक जिंजी मुगलोँ के विरुद्ध मराठा गतिविधियो का केंद्र रहा। 1699 में सतारा, मराठों की राजधानी बना। राजाराम स्वयं को शंभाजी के पुत्र शाहू का प्रतिनिधि मानकर गद्दी पर कभी नहीँ बैठा। राजा राम के नेतृत्व में मराठों ने मुगलोँ के विरुद्ध स्वतंत्रता के लिए अभियान शुरु किया जो 1700 ई. तक चलता रहा। राजा राम की मृत्यु के बाद 1700 ई. में उसकी विधवा पत्नी तारा बाई ने अपने चार वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वितीय को गद्दी पर बैठाया और मुगलो के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा।
    • 1689 ई० में शम्भाजी की मृत्यु के बाद उनके भाई राजाराम का एक नए छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक हुआ।
    • राजाराम ने अपनी राजधानी सतारा को बनाया।
    • राजाराम को पत्नी राजसबाई से शम्भाजी-2 और पत्नी ताराबाई से शिवाजी 2 पुत्र हुए। इतिहास में शम्भाजी-2 की अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
    • राजाराम की मृत्यु 1700 ई० में मुगलों से संघर्ष करते हुए हो गई।

शिवाजी द्वितीय (1700 ई. से  1707 ई.)

  • राजाराम की विधवा पत्नी तारा बाई ने अपने चार वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वितीय को गद्दी पर बैठाया और मुगलो के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा। उन्होंने ही कुछ समय तक मुग़लों के खिलाफ मराठा साम्राज्य की कमान संभाली और 1705 से उन्होंने नर्मदा नदी भी पार कर दी और मालवा में प्रवेश कर लिया, ताकि मुग़ल साम्राज्य पर अपना प्रभुत्व जमा सके।
    • राजा राम की मृत्यु के बाद उनकी विधवा पत्नी ताराबाई ने अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी-2 का राज्याभिषेक करवा दिया और उसके संरक्षक के रूप में 1700-1707 ई० तक राज्य संभाला।

छत्रपति शाहू महाराज (1707 ई. से )

  • 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद, संभाजी महाराज के बेटे (शिवाजी के पोते) को मराठा साम्राज्य के नए शासक बहादुर शाह प्रथम को रिहा कर दिया लेकिन उन्हें इस परिस्थिति में ही रिहा किया गया था की वे मुग़ल  कानून का पालन करेंगे। रिहा होते ही शाहू ने तुरंत मराठा सिंहासन की मांग की और अपनी चाची ताराबाई और उनके बेटे को चुनौती दी। इसके चलते एक और मुग़ल-मराठा युद्ध की शुरुआत हो गयी।
  • 1707 में सतारा और कोल्हापुर राज्य की स्थापना की गयी क्योकि उत्तराधिकारी के चलते मराठा साम्राज्य में ही वाद-विवाद होने लगे थे। लेकिन अंत में शाहू को ही मराठा साम्राज्य का नया छत्रपति बनाया गया। लेकिन उनकी माता अभी भी मुग़लों के ही कब्जे में थी लेकिन अंततः जब मराठा साम्राज्य पूरी तरह से सशक्त हो गया तब शाहू अपनी माँ को भी रिहा करने में सफल हुए।
  • शाहू ने 1713 ई.  में बालाजी को पेशवा के पद पर नियुक्त किया। बालाजी विश्वनाथ की नियुक्ति के साथ ही पेशवा पद शक्तिशाली हो गया। छत्रपति नाममात्र का शासक रह गया। शाहू के शासनकाल में, रघुजी भोसले ने पूर्व (वर्तमान बंगाल) में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। सेनापति धाबडे ने पश्चिम में विस्तार किया। पेशवा बाजीराव और उनके तीन मुख्य पवार (धार), होलकर (इंदौर) और सिंधिया (ग्वालियर) ने उत्तर में विस्तार किया। ये सभी राज्य उस समय मराठा साम्राज्य का ही हिस्सा थे।
    • शम्भाजी के पुत्र शाहूजी को औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1707 ई० में छोड़ दिया गया था।
    • शाहू जी ने वापस आकर राजा राम की पत्नी ताराबाई से अपना अधिकार मांगा परन्तु उसके इनकार कर देने उपरान्त शाहू जी ने बालाजी विश्वनाथ की मदद से खेड़ा का युद्ध लड़ा और ताराबाई को पराजित किया।
    • उसके बाद शाहू जी ने 1713 ई० में बालाजी विश्वनाथ को पेशवा बनाया।
    • 1749 ई० में शाहू जी की मृत्यु हो गयी। उनका कोई भी उत्तराधिकारी नहीं था।
    • इस समय तक पेशवा काफी शक्तिशाली हो चुके थे।
    • 1750 ई० में संगोला की संधि से राजाराम-2 को नाम मात्र का छत्रपति बना दिया गया और सभी शक्तियां पेशवा के अन्तर्गत कर दी गयी।

पेशवाओं के अधीन मराठा साम्राज्य

  • इस युग में, पेशवा चित्पावन परिवार से संबंध रखते थे, जो मराठा सेनाओ का नियंत्रण करते थे और बाद में वही मराठा साम्राज्य के शासक बने। अपने शासनकाल में पेशवाओ ने भारतीय उपमहाद्वीप के ज्यादातर भागो पर अपना प्रभुत्व बनाए रखा था।

बालाजी विश्वनाथ (1713 ई. से 1720 ई.)

  • बालाजी विश्वनाथ एक ब्राहमण थे। बालाजी विश्वनाथ ने अपना राजनीतिक जीवन एक छोटे से राजस्व अधिकारी के रुप में शुरु किया था। 1713 में शाहू ने पेशवा बालाजी विश्वनाथ की नियुक्ती की थी। उसी समय से पेशवा का कार्यालय ही सुप्रीम बन गए और शाहूजी महाराज मुख्य व्यक्ति बने। उनकी पहली सबसे बड़ी उपलब्धि 1714 में कन्होजो अंग्रे के साथ लानावल की संधि का समापन करना थी, जो की पश्चिमी समुद्र तट के सबसे शक्तिशाली नौसेना मुखिया में से एक थे। बाद में वे मराठा में ही शामिल हो गये। 1719 में मराठाओ की सेना ने दिल्ली पर हल्ला बोला और डेक्कन के मुग़ल गवर्नर सईद हुसैन हाली के मुग़ल साम्राज्य को परास्त किया। तभी उस समय पहली बार मुग़ल साम्राज्य को अपनी कमजोर ताकत का अहसास हुआ।

बाजीराव प्रथम (1720 ई. – 1740 ई.)

  • बालाजी विश्वनाथ की 1720 में मृत्यु के बाद उसके पुत्र बाजीराव प्रथम को शाहू ने पेशवा नियुक्त किया। बाजीराव प्रथम के पेशवा काल में मराठा साम्राज्य की शक्ति चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। 1724 में शूकर खेड़ा के युद्ध में मराठोँ की मदद से निजाम-उल-मुल्क ने दक्कन में मुगल सूबेदार मुबारिज खान को परास्त कर एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। निजाम-उल-मुल्क ने अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद मराठोँ के विरुद्ध कार्रवाई शुरु कर दी। बाजीराव प्रथम ने 1728 में पालखेड़ा के युद्ध में निजाम-उल-मुल्क को पराजित किया। 1728 में ही निजाम-उल-मुल्क बाजीराव प्रथम के बीच एक मुंशी शिवगांव की संधि हुई जिसमे निजाम ने मराठोँ को चौथ एवं सरदेशमुखी देना स्वीकार किया। बाजीराव प्रथम ने शिवाजी की गुरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाया। 1739 ई. में बाजीराव प्रथम ने पुर्तगालियों से सालसीट तथा बेसीन छीन लिया। बालाजी बाजीराव प्रथम ने ग्वालियर के सिंधिया, गायकवाड़, इंदौर के होलकर और नागपुर के भोंसले शासकों को सम्मिलित कर एक मराठा मंडल की स्थापना की। 1740 तक अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने कुल 41 युद्ध में लढाई की और उनमे से वे एक भी युद्ध नही हारे।

बालाजी बाजीराव (1740 ई. – 1761 ई.)

  • बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी बाजीराव नया पेशवा बना। नाना साहेब के नाम से भी जाना जाता है। 1750 में रघुजी भोंसले की मध्यस्थता से राजाराम द्वितीय के मध्य संगौला की संधि हुई। इस संधि के द्वारा पेशवा मराठा साम्राज्य का वास्तविक प्रधान बन गया। छत्रपति नाममात्र का राजा रह गया। बालाजी बाजीराव पेशवा काल में पूना मराठा राजनीति का केंद्र हो गया। बालाजी बाजीराव के शासनकाल में 1761 ई. पानीपत का तृतीय युद्ध हुआ। यह युद्ध मराठों अहमद शाह अब्दाली के बीच हुआ।

पानीपत का तृतीय युद्ध दो कारण –

  • प्रथम नादिरशाह की भांति अहमद शाह अब्दाली भी भारत को लूटना चाहता था।
  • दूसरा, मराठे हिंदू पद पादशाही की भावना से प्रेरित होकर दिल्ली पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहते थे।

पानीपत के युद्ध में बालाजी बाजीराव ने अपने नाबालिग बेटे विश्वास राव के नेतृत्व में एक शक्तिशाली सेना भेजी किन्तु वास्तविक सेनापति विश्वास राव का चचेरा भाई सदाशिवराव भाऊ था। इस युद्ध में मराठोँ की पराजय हुई और विश्वास राव और सदाशिवराव सहित 28 हजार सैनिक मारे गए।

माधव राव (1761 ई. – 1772 ई.)  

  • पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठोँ की पराजय के बाद माधवराव पेशवा बनाया गया। माधवराव की सबसे बड़ी सफलता मालवा और बुंदेलखंड की विजय थी। माधव ने 1763 में उद्गीर के युद्ध में हैदराबाद के निजाम को पराजित किया। माधवराव और निजाम के बीच राक्षस भवन की संधि हुई। 1771 ई. में मैसूर के हैदर अली को पराजित कर उसे नजराना देने के लिए बाध्य किया। माधवराव ने रुहेलों, राजपूतों और जाटों को अधीन लाकर उत्तर भारत पर मराठोँ का वर्चस्व स्थापित किया। 1771 में माधवराव के शासनकाल में मराठों निर्वासित मुग़ल बादशाह शाहआलम को दिल्ली की गद्दी पर बैठाकर पेंशन भोगी बना दिया। नवंबर 1772 में माधवराव की छय रोग से मृत्यु हो गई।

नारायण राव (1772 ई. – 1774 ई.)

  • माधवराव की अपनी कोई संतान नहीँ थी। अतः माधवराव की मृत्यु के उपरांत उसके छोटे भाई नारायणराव पेशवा बना। नारायणराव का अपने चाचा राघोबा से गद्दी को लेकर लंबे समय तक संघर्ष चला जिसमें अंततः राघोबा ने 1774 में नारायणराव की हत्या कर दी।

माधव नारायण (1774 ई. – 1796 ई.)

  • 1774 ई. में पेशवा नारायणराव की हत्या के बाद उसके पुत्र माधवराव नारायण को पेशवा की गद्दी पर बैठाया गया। इसके समय में नाना फड़नवीस के नेतृत्व में एक काउंसिल ऑफ रीजेंसी का गठन किया गया था, जिसके हाथों में वास्तविक प्रशासन था। इसके काल में प्रथम आंग्ल–मराठा युद्ध हुआ। 17 मई 1782 को सालबाई की संधि द्वारा प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध समाप्त हो गया। यह संधि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के बीच हुई थी। टीपू सुल्तान को 1792 में तथा हैदराबाद के निजाम को 1795 में परास्त करने के बाद मराठा शक्ति एक बार फिर पुनः स्थापित हो गई।

बाजीराव द्वितीय (1796 ई. से- 1818 ई.)

  • माधवराव नारायण की मृत्यु के बाद राघोबा का पुत्र बाजीराव द्वितीय पेशवा बना। इसकी अकुशल नीतियोँ के कारण मराठा संघ में आपसी मतभेद उत्पन्न हो गया। 1802 ई. बाजीराव द्वितीय के बेसीन की संधि के द्वारा अंग्रेजो की सहायक संधि स्वीकार कर लेने के बाद मराठोँ का आपसी विवाद पटल पर आ गया। सिंधिया तथा भोंसले ने अंग्रेजो के साथ की गई इस संधि का कड़ा विरोध किया। द्वितीय औरतृतीय आंग्ल मराठा युद्ध बाजीराव द्वितीय के शासन काल में हुआ। द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध में सिंधिया और भोंसले को पराजित कर अंग्रेजो ने सिंधिया और भोंसले को अलग-अलग संधि करने के लिए विवश किया। 1803 में अंग्रेजो और भोंसले के साथ देवगांव की संधि कर कटक और वर्धा नदी के पश्चिम का क्षेत्र ले लिया। अंग्रेजो ने 1803 में ही सिन्धयों से सुरजी-अर्जनगांव की संधि कर उसे गंगा तथा यमुना के क्षेत्र को ईस्ट इंडिया कंपनी को देने के लिए बाध्य किया। 1804 में अंग्रेजों तथा होलकर के बीच तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध हुआ, जिसमें पराजित होकर होलकर ने अंग्रेजो के साथ राजपुर पर घाट की संधि की। मराठा शक्ति का पतन 1817-1818 ई. में हो गया जब स्वयं पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अपने को पूरी तरह अंग्रेजो के अधीन कर लिया। बाजीराव द्वितीय द्वारा पूना प्रदेश को अंग्रेजी राज्य में विलय कर पेशवा पद को समाप्त कर दिया गया
The document Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams is a part of the Police SI Exams Course General Awareness/सामान्य जागरूकता.
All you need of Police SI Exams at this link: Police SI Exams
203 videos|273 docs|23 tests

Top Courses for Police SI Exams

203 videos|273 docs|23 tests
Download as PDF
Explore Courses for Police SI Exams exam

Top Courses for Police SI Exams

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

past year papers

,

Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

,

Important questions

,

pdf

,

Previous Year Questions with Solutions

,

video lectures

,

Semester Notes

,

practice quizzes

,

Extra Questions

,

shortcuts and tricks

,

Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

,

mock tests for examination

,

Viva Questions

,

Exam

,

Sample Paper

,

MCQs

,

study material

,

Short Notes: Maratha Empire (मराठा साम्राज्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

,

Summary

,

Free

,

Objective type Questions

,

ppt

;