एक ऐसी पद्धति, जिसमें विभिन्न प्रकार की संख्याओं एवं उनके मध्य सम्बन्धों व नियमों का क्रमबद्ध अध्ययन किया है, संख्या पद्धति कहलाती है।
किसी भी संख्या को व्यक्त करने के लिए हम दस संकेतों 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 का प्रयोग करते हैं तथा इन दस संकेतों को अंक कहते हैं। दस संकेतों की यह पद्धति दाशमिक पद्धति कहलाती है। 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 को सार्थक अंक कहते हैं जबकि शून्य (0) असार्थक अंक कहलाता है।
किसी भी संख्या में अंकों के निम्न दो मान होते है
1. जातीय मान (Face Value)
किसी संख्या में किसी अंक कर जातीय मान वह मान है, जो उसका अपना मान है चाहे वह अंक संख्या में किसी भी स्थान पर हो |
जैसे - 24356 में 4 का जातीय मान 4 है |
2. स्थानीय मान (Place Value)
किसी संख्या में किसी अंक का यह मान, जो उसके स्थान की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है, उस अंक का स्थानीय मान कहलाता है।
जैसे - 42863015 में प्रत्येक अंक का स्थानीय मान निम्नांकित है
उपरोक्त उदाहरण से स्पष्ट है कि किसी संख्या में किसी अंक का स्थानीय मान ज्ञात करने के लिए उस अंक को उसके स्थान के मान से गुणा किया जाता है।
संख्याओं के प्रकार निम्न हैं
1. प्राकृतिक संख्याएँ (Natural Numbers)
वे संख्याएँ जिनसे वस्तुओं की गणना की जाती है, प्राकृतिक संख्याएँ कहलाती है तथा इनके समुच्चय को "N" से प्रदर्शित करते हैं।
N = {1, 2, 3, 4, 5,...}
2. पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers)
जब प्राकृतिक संख्याओं में शून्य (0) को भी सम्मिलित कर लिया जाता है, तब वे संख्याएँ पूर्ण संख्याएँ कहलाती है तथा उनके समुच्चय को 'W' से प्रदर्शित करते हैं।
W = {0, 1, 2, 3, 4, 5,.....}
3. पूर्णांक संख्याएँ (Integer Numbers)
प्राकृतिक संख्याओं में उनकी ऋणात्मक संख्याओं तथा शून्य को भी सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, पूर्णांक संख्याएँ कहलाती है तथा इनके समुच्चय को ‘I’ से प्रदर्शित करते हैं।
I = {...., -5, -4, -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, 4, 5,....)
पूर्णांक निम्न दो प्रकार के होते हैं।
(a) धन पूर्णाक प्राकृतिक संख्याओं को धन पूर्णांक कहते हैं तथा इनके समुच्चय को I+ से प्रदर्शित करते हैं।
I+ = {1 ,2, 3, 4,....}
(b) ऋण पूर्णांक प्राकृतिक संख्याओं की ऋणात्मक संख्याओं को ऋण पूर्णांक कहते है तथा इसके समुच्चय I- से प्रदर्शित करते हैं।
I- = {-1, -2, -3, -4,...}
4. सम संख्याएँ (Even Numbers)
ये संख्याएँ, जो 2 से पूर्णतया विभाजित हो जाती है, सम संख्या कहलाती है।
जैसे - 2, 4, 6, 18. 24 आदि।
5. विषम संख्याएँ (Odd Numbers)
वे संख्याएँ, जो 2 से पूर्णतया विभाजित नहीं होती है, विषम संख्याएँ कहलाती है।
जैसे - 1, 3, 5, 11, 17 आदि।
6. अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers)
वे संख्याएँ, जो 1 और स्वयं के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या से पूर्णतया विभाजित न हो, अभाज्य संख्या कहलाती है।जैसे - 2, 3, 5, 7, 11, 13 आदि।
7. भाज्य संख्याएँ (Composite Numbers)
वे संख्याएँ, जिनका 1 व स्वयं के अतिरिक्त कम-से-कम एक और गुणनखण्ड हो, भाज्य संख्याएँ कहलाती है।
जैसे - 4, 12, 16, 21 आदि।
8. सहअभाज्य संख्याएँ (Coprime Numbers)
ऐसी दो या अधिक प्राकृतिक संख्याएँ, जिनमें 1 के अतिरिक्त कोई अन्य उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो, सहअभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं।
जैसे - (2, 3), (5, 9, 11), (16, 21, 65),... आदि।
9. परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers)
वे संख्याएँ, जिन्हें p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकें, परिमेय संख्याएँ कहलाती है, जहाँ p व q दोनों पूर्णाक है तथा q ≠ 0
जैसे - 3/5, 7/9 आदि।
10. अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers)
वे संख्याएँ, जिन्हें p/q के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, अपरिमेय संख्याएँ कहलाती है, जहाँ p व q पूर्णांक है तथा q ≠ 0
जैसे - √2. √5. √7 आदि।
11. वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)
वे संख्याएँ, जो परिमेय और अपरिमेय दोनों होती हैं, वास्तविक संख्याएँ कहलाती है तथा इनके समुच्चय को ‘R' से प्रदर्शित करते हैं।
जैसे - √5, 7/4, 1/2, π, -1,0, 5 आदि।
यदि किसी संख्या P की अभाज्यता की जांच करनी है तो सर्वप्रथम √P से बड़ी एक पूर्ण वर्ग संख्या x ज्ञात कीजिए तत्पश्चात्, x तक की अभाज्य संख्याओं से क्रमशः P की विभाज्यता की जाँच कीजिए। यदि इन सभी संख्याओं में से P को कोई भी संख्या विभाजित नहीं करती है, तो P एक अभाज्य संख्या है अन्यथा भाज्य |
जैसे - माना 181 की अभाज्यता की जांच करनी है।
यहाँ √181 <14 | 14 तक की अभाज्य संख्याएँ 2, 3, 5, 7, 11 और 13 हैं जिनमें से कोई भी 181 को विभाजित करती है। अतः 181 एक अभाज्य संख्या है।
निम्नलिखित संख्याओं पर विचार कीजिए।
I. 247
II. 203
उपरोक्त संख्याओं में से कौन-सी संख्याएँ अभाज्य है?
(a) केवल I
(b) I और II दोनों
(c) केवल II
(d) न तो I और न ही II
उत्तर. (d)
I. ∵ √247 < 16
यहाँ 16 तक की अभाज्य संख्याएँ 2, 3, 5, 7, 11 और 13 हैं। यदि 247 एक अभाज्य संख्या है तब यह संख्या 2, 3, 5, 7, 11 व 13 में से किसी से भी भाज्य नहीं होनी चाहिए। परन्तु यह 13 से भाज्य है, अत: 247 एक भाज्य संख्या है।
II. ∵ √203 < 15
यहाँ 15 तक की अभाज्य संख्याएँ 2, 3, 5, 7, 11 और 13 हैं।
यदि 203 एक अभाज्य संख्या है, तब यह संख्या 2, 3, 5, 7, 11 व 13 में से किसी भाज्य नहीं होनी चाहिए, परन्तु यह 7 से भाज्य है, अत: 203 एक भाज्य संख्या हैं।
इस प्रकार न तो 247 और न ही 203 अभाज्य संख्या है।
यदि a, b, c व d अभाज्य संख्याएँ है, तब संख्या of ap x bq x cr x ds के अभाज्य गुणनखण्डों की संख्या p + q + r + s होती है, जहाँ p, q, r तथा s धनात्मक पूर्णांक हैं।
उदाहरण 1. 3011 x 225 x 3411 के अभाज्य गुणनखण्डों की संख्या होगी
(a) 50
(b) 51
(c) 52
(d) 65
उत्तर. (d)
3011 x 225 x 3411
= ( 2 x 3 × 5 )11 x ( 2 × 11 )5 x ( 2 x 17 )11
= 211 x 311 x 511 x 25 x 115 x 211 x 1711
= 227 x 311 x 511 x 115 x 1711
∴ 3011 x 225 x 3411 के अभाज्य गुणनखण्डों की संख्या
= 27 + 11 + 11 + 5 + 11
= 65
यदि N = a b c d हो, तो N के कुल भाजकों की संख्या = (p +1) (q + 1) (r + 1) (s + 1) जहाँ a, b, c, और d अभाज्य संख्याएँ तथा p, q, r और s धनात्मक पूर्णाक है।
उदाहरण 2. संख्या 216 में भाजकों की संख्या होगी।
216 = 2 × 2 x 2 x 3 x 3 x 3 = 23 x33'
यहाँ, p 3 तथा q = 3
भाजकों की कुल संख्या = (p + 1) (q+1 ) = (3+1) (3 + 1 ) = 4 × 4 = 16
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