प्रश्न 1: लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
उत्तर: लेखक आशावादी दृष्टिकोण के हैं। उन्हें लगता है कि जब तक देश में कहीं न कहीं थोड़ी बहुत भी सच्चाई और ईमानदारी है तब तक यह गुंजाइश भी है कि वह अपने सपनों का भारत अभी भी पा सकते हैं। इसलिए लेखक धोखा खाने पर भी निराश नहीं होते हैं।
प्रश्न 2: आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
उत्तर: दोषों का पर्दाफ़ाश करना उचित है किन्तु जब मीडिया कर्मी किसी स्वार्थ वश या चैनल और अखबार को प्रकाशित करने के लिए खबर को उल्टा-सीधा रूप देकर प्रस्तुत करते हैं तब यह पर्दाफ़ाश आम लोगों के लिए बुराई का रूप धारण कर लेता है। समाचार तभी सच्चे और अच्छे हो सकते हैं जब उनमें सार्थकता होती तथा पक्ष को सही रूप में प्रस्तुत किया जाए।
प्रश्न 3: दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उत्तर: दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले लेता है जब किसी के आचरण के गलत पक्ष को बढ़ा-चढ़ा कर उद्घाटित करके उसमें रस लेते है या जब हमारे ऐसा करने से वे लोग उग्र रूप धारण कर किसी को हानि पहुँचाए।
प्रश्न 4: ”आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” – हम इस कथन से सहमत है क्योंकि व्यक्ति जब आदर्शो के मार्ग पर चलता है तब उसे कई परेशानियों ,चुनौतियों और बुरे लोगों का सामना करना पड़ता है। सामाजिक विरोधी तत्वों का डटकर सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 5: लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
उत्तर: लेखक ने इस लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ उचित रखा है क्योंकि लेखक उस सत्य को उजागर करता है जो वह अपने आसपास घटते देखा है। अगर एक-दो बार धोखा मिलने पर हम यही सोचते रहें कि इस दुनिया में ईमानदार लोगों की कमी हो गयी है तो यह सही नहीं होगा। आज भी ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी ईमानदारी को बरकरार रखा है। इसी आधार पर लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ रखा है। लेखक कहता है “ठगा में भी गया हूँ, धोखा मैंने भी खाया है। परंतु ऐसी घटनाएँ भी देखने को मिल जाती हैं जब लोगों ने अकारण ही सहायता भी की है, जिससे मुझे अच्छा महसूस होता है। कि लोगों में इंसानियत अभी भी है।
इसका बेहतर शीर्षक ‘सकारात्मक हुआ जाए’ हो सकता है।
प्रश्न 6: यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। -, । . ! ? . ; – , …. ।
उत्तर: यदि मुझे ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो दिए गए चिह्नों (-, । . ! ? . ; – , …. ।) में से मैं प्रश्नवाचक (?) चिन्ह लगाना चाहूँगी। क्योंकि वाक्य के आगे “क्या” शब्द का प्रयोग हुआ है जो की एक प्रश्नवाचक शब्द है। प्रत्येक प्रश्नवाचक वाक्य के आखिर में प्रश्नवाचक चिह्न लगता है।
जीवन में बुराइयों व कठिनाइयों के बीच निराश होने के बजाय सकारात्मक एवं निश्चयात्मक रहना ज़रूरी है।
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