प्रश्न 1: कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बन कर बह जाना’ क्यों कहा है?
उत्तर: कवि खुद के आने को उल्लास इसलिए कहते हैं क्योंकि वे जहाँ भी जाते हैं खुशियाँ फैलाते हैं तथा अपने जाने को आंसू बनकर बह जाना इसलिए कहते हैं क्योंकि इतनी खुशियों के बाद जब वो जाते हैं तो उनकी याद में लोगों को आँसू आने लगते हैं।
प्रश्न 2: कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?
उत्तर: इस कविता में कवि को अपने ढंग से अपना जीवन जीना तथा चारों ओर प्यार और खुशियाँ बाँटना सबसे अच्छा लगा। कवि अपने जीवन की असफलता के लिए किसी अन्य को दोषी नहीं ठहराता यह भी अच्छा लगा।
प्रश्न 3: एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि “हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।” दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्त्व दिया है कि “मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।” यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है। कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी हैं उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कविता में परस्पर विरोधी बातें क्यों की गई हैं ?
उतर: कविता में परस्पर विरोध प्रकट करने वाली पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं।
(i) आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी। (यहाँ उल्लास भी है और आँसू भी है)
(ii) जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले (कुछ लेना और देना एक साथ)
(iii) दो बात कही, दो बात सुनी;
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए। (हँसना व रोना एक साथ)
(iv) हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले। (यहाँ भिखमंगों का उल्लेख है और लुटाना भी है)
(v) हम स्वयं बँधे थे और स्वयं,
हम अपने बंधन तोड़ चले। (यहाँ स्वयं बंधकर फिर स्वयं अपने बंधनो को तोड़ने की बात की गई है।)
इन परस्पर विरोधी बातों का कविता में इसलिए समावेश किया गया है क्योंकि कवि अपने जीवन के नियम स्वयं बनाता है और स्वयं तोड़ता है। वह अपनी मर्जी का मालिक है। उसे अपने लक्ष्य के अलावा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं लगता है।
प्रश्न 4: भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटाने वाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?
उत्तर: कवि प्रेम की दौलत संसार में लुटाता है। इतना प्रेम होने पर भी वह अपने को असफल इसलिए कहता है क्योंकि वह कभी सांसारिक व्यक्ति नहीं बन पाया। यही असफलता उसके हृदय में एक निशाँ की तरह चुभती है। किन्तु वो निराश नहीं है वह प्रसन्न है क्योंकि यह रास्ता उसने खुद चुना है और वह इसके लिए किसी को दोषी भी नहीं ठहराता है।
प्रश्न 5: जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए।
उतर: जीवन में मस्ती होनी चाहिए लेकिन मस्ती हानिकारक नहीं होनी चाहिए । जैसे – सबको अपनी सारी चिंता-तनाव छोड़कर मस्ती भरा जीवन जीना चाहिए परंतु हमारे द्वारा की गई मस्ती से किसी का नुकसान ना हो या उसकी भावनाओं को ठेस ना पहुंचे लेकिन कभी मजाक- मजाक में कुछ उल्टा हो जाता है तब वह मस्ती हानिकारक हो सकती है। हमें दूसरों के जीवन या स्वतंत्रता में दखल देने का कोई हक नहीं हैं। ऐसा न हो कि हम अपनी मस्ती में इतना मस्त हो जाएँ कि दूसरों की भावनाओं का ख्याल ही न रह पाए।
प्रश्न 6: संतुष्टि के लिए कवि ने ‘छककर’ ‘जी भरकर’ और ‘खुलकर’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। इसी भाव को व्यक्त करने वाले कुछ और शब्द सोचकर लिखिए, जैसे -हँसकर, गाकर।
उतर:
(i) खुश होकर
(ii) तृप्त होकर
(iii) जी भरकर
(iv) मस्त होकर
(v) प्रसन्न होकर
(vi) प्यार लुटाकर
(vii) देकर
(viii) परिपूर्ण होकर
(ix) मुस्कराकर
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