अतिलघूउत्तरीय प्रश्न
(प्रत्येक 1 अंक)
प्रश्न 1. ‘जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ’ पंक्ति में किन लोगों के हाथों का वर्णन है?
उत्तरः ‘जूहू की डाल से खुशबूदार हाथ’ नव युवतियों की वय के हाथों का वर्णन किया है।
प्रश्न 2. ‘गन्दे मुहल्लों के गन्दे लोग’ कौन होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ का आशय है कि वे मजदूर जो खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाते हैं, वे ही अपने परिश्रम द्वारा सारे संसार को खुशबू देते हैं।
व्याख्यात्मक हल:
‘गुन्दे मुहल्ले के गन्दे लोग’ यहाँ अगरबत्तियाँ बनाने वाले निम्नवर्गीय लोगों को कहा गया है।
प्रश्न 3. खुशबू रचने वाले हाथ किन परिस्थितियों में तथा कहाँ रहते हैं ?
उत्तरः खुशबू रचने वाले हाथ कई गलियों के बीच कई नालियों के पार कूड़े-करकट के ढेरों के बाद बदबूदार इलाके में रहते हैं। इनकी अलग बस्ती होती है।
प्रश्न 4. ‘खुशबू’ ‘रचने वालों को’ ‘गंदे मुहल्ले के गंदे लोग’ क्यों कहा गया है?
उत्तरः ‘खुशबू रचने वालों को, गंदे मुहल्ले के गंदे लोग’ इसलिए कहा जाता है कि खुशबू रचने वाले लोग गन्दे मुहल्लों में रहते हैं और स्वयं भी गन्दे होते हैं।
प्रश्न 5. प्रस्तुत कविता में कवि ने किस विषमता का पर्दाफाश किया है ?
उत्तरः प्रस्तुत कविता में कवि ने सामाजिक विषमता का पर्दाफाश किया है।
प्रश्न 6. ‘गंदे मुहल्लों में खुशबुओं वाली अगरबत्तियाँ बनती हैं’, इस कथन में क्या विरोध है?
उत्तरः श्रमिक स्वयं दुख झेल कर दूसरों को सुखी करता है।
व्याख्यात्मक हल:
सारे संसार को खुशबू से महका देने वाली खुशबूदार अगरबत्तियों को बनाने वाले श्रमिकों की गरीबी के कारण कई नालियों के पार कूड़े-करकट के ढेरों के बाद बदबूदार इलाकों में रहना पड़ता है। ये लोग स्वयं भी गन्दे होते हैं। वहाँ के गंदे माहौल में रहना इनकी मजबूरी होती है। वह स्वयं दुख सहता है और संसार को खुशबू से महकाकर सुखी करता है।
लघूउत्तरीय प्रश्न
(प्रत्येक 2 अंक)
प्रश्न 1. ‘गंदगी में रहकर भी खुशबू का निर्माण’-कथा के द्वारा कवि देश की किस विषमता की ओर इशारा कर रहा है ?
उत्तरः गंदगी में रहने वाले ये मजदूर अगरबत्तियों का निर्माण कर खुशबू फैलाते हैं। कवि ने ऐसा कहकर देश में व्याप्त अर्थिक विषमता की ओर संकेत किया है और मजदूरों की दीन-हीन दशा की ओर कवि इशारा करता है।
प्रश्न 2. हमारे देश में मानसिक और शारीरिक श्रम करने वालों में किस प्रकार का भेदभाव किया जाता है? खुशबू रचते हाथ कविता के आलोक में लिखिए।
उत्तरः हमारे देश में मानसिक श्रम करने वाले को मध्य वर्ग का, पढ़ा-लिखा तथा सम्मानपूर्ण स्थान मिलता है जबकि शारीरिक श्रम करने वाले गरीब मजदूरों को निम्न वर्ग का, अशिक्षित जाहिल समझा जाता है। समाज में उन्हें सम्मान प्राप्त नहीं होता है।
प्रश्न 3. मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ कहाँ बनती हैं ?
उत्तरः देश की मशहूर खुशबूदार अगरबत्तियाँ जहाँ बनती हैं, वहाँ गन्दगी होती है। ये अगरबत्तियाँ चारों तरफ बदबू से भरी बस्तियों तथा कूड़े के ढेर वाली गलियों में बसे गंदे मोहल्लों में बनती है।
प्रश्न 4. जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल केसा होता है?
उत्तरः जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं वहाँ माहौल अत्यन्त गन्दा होता है। सुगन्धित अगरबत्तियाँ बनाने वाले लोग गन्दे मोहल्लों में रहते हैं। ये लोग स्वयं भी गन्दे होते हैं तथा दुनिया-भर की गन्दगी के बीच रहते हैं। वहाँ का माहौल रहने योग्य नहीं होता पर वहाँ रहना इनकी मजबूरी है।
प्रश्न 5. ‘पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तरः कवि उन बच्चों के बारे में कहना चाहता है जिनके हाथ पीपल के नए-नए पत्तों की तरह कोमल होते हैं तथा अगरबत्ती बनाते-बनाते उनके हाथों की कोमलता एवं सुगन्ध गायब हो जाती है।
प्रश्न 6. ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता सामाजिक विषमताओं को किस प्रकार बेनकाब करती है ?
उत्तरः ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता समाज के निर्माण में योगदान करने वाले लोगों के साथ होने वाले उपेक्षा भाव को बेनकाब करती है। कवि सामाजिक और आर्थिक विषमता को मिटाने के प्रति लोगों को सचेष्ट करना चाहता है कि श्रमिक वर्ग को भी जीने के लिए उचित वातावरण मिलना चाहिए।
प्रश्न 7. जो लोग खुशबू की रचना, सजाने-सँवारने का काम करते हैं, उनके हाथ केसे होते हैं ?
अथवा
कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई?
उत्तरः जो लोग खुशबू की रचना, सजाने-सँवारने का काम करते है उनके हाथ निम्न प्रकार के होते हे। उनके हाथ घिसे नाखून वाले होते हैं। उभरी नसों वाले कटे-फटे, ज़ख्मों से फटे होते हैं। पीपल के पत्तों से कोमल होते हैं। जूही की डाली के समान नाजुक होते हैं।
प्रश्न 8. ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता में कवि किस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है और क्यों ?
उत्तरः जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल बदबूदार होता है। वे दुनिया की निकृष्टतम बस्तियाँ हैं। इन गंदी बस्तियों में श्रमिक रहते हैं। वहाँ जीने की दशाएँ बेहद खराब हैं तथा श्रमिकों की दीन-हीन दशा की ओर कवि ध्यान आकर्षित करना चाहता है।