(प्रत्येक 2 अंक)
प्रश्न 1. जज को पटेल की सजा के लिए आठ पंक्तियों का फैसला लिखने में डेढ़ घण्टा क्यों लगा ? ‘दिए जल उठे’ पाठ के आधार पर लिखिए।
अथवा
जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घण्टा क्यों लगा? स्पष्ट करें?
उत्तरः वल्लभभाई पटेल को निषेधाज्ञा के उल्लंघन के अपराध में गिरफ्तार किया गया। बोरसद की अदालत में लाया गया जहाँ उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया। जज के समक्ष यह समस्या थी कि वह उन्हें किस धारा के तहत और कितनी सजा दे। इस कारण उसे पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के पैळसले को लिखने में डेढ़ घण्टा लगा।
प्रश्न 2. ‘दिए जल उठे’ पाठ के द्वारा लेखक क्या प्रेरणा देना चाहता है ?
उत्तरः ‘दिए जल उठे’ पाठ द्वारा लेखक ने समर्पण एवं निस्वार्थ भावना की प्रेरणा दी है। महि सागर नदी को आधी रात में समुद्र का पानी चढ़ने पर पार करने का निर्णय लिया गया था, ताकि कीचड़ और दलदल में कम-से-कम चलना पड़े। अँधेरी रात थी। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। थोड़ी ही देर में कई हज़ार लोग दिए लेकर नदी के तट पर पहुँच गए और आपसी मेलजोल के कारण सत्याग्रहियों को नदी पार कराने में कामयाब हुए।
प्रश्न 3. "इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें" गांधी जी ने यह किसके लिए और किस सन्दर्भ में कहा ?
उत्तरः गांधी ने यह वाक्य दरबारों के लिए कहा। दरबार रास में रहते हैं, परन्तु इनकी मुख्य बस्ती कनकपुर और उससे सटे गाँव देवण में है। यह लोग रियासतदार होते थे। इनका जीवन ऐशो-आराम का था। इनका राजपाट था। फिर भी ये सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस गए। गांधी जी ने इनके त्याग के विषय में उपर्युक्त वाक्य कहा।
प्रश्न 4. ”यह धर्म यात्रा है, चलकर पूरी करूँगा।“ गाँधी जी ने ऐसा कब और क्यों कहा ? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
अथवा
”यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूँगा।“ गांधी जी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है।?
उत्तरः गांधी जी से लोगों ने थोड़ी-सी यात्रा कार से कर लेने का अनुरोध किया, क्योंकि रास्ता रेतीला था। लेकिन गांधी जी ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यह उनके जीवन की आखिरी यात्रा है और ऐसी यात्रा में निकलने वाला वाहन का प्रयोग नहीं करता। यह पुरानी रीति है। धर्म-यात्रा में हवाई जहाज, मोटर या बैलगाड़ी में बैठकर जाने वाले को लाभ नहीं मिलता।
प्रश्न 5. गांधी जी के पार उतरने के बाद भी लोग तट पर क्यों खड़े थे ?
उत्तरः गांधी जी के पार उतरने के बाद भी लोग तट पर खड़े थे क्योंकि अभी सत्यग्राहियों को भी महिसागर के उस पार जाना था। शायद उन लोगों को यह भी पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगें जिन्हें नदी पार करानी होगी।
प्रश्न 6. सरदार पटेल की गिरफ्तारी का देश पर क्या असर हुआ ?
उत्तरः सरदार पटेल की गिरफ्तारी से देश भर में प्रतिक्रिया हुई। दिल्ली में मदन मोहन मालवीय ने एक प्रस्ताव द्वारा इसके लिए सरकार की भत्र्सना की। प्रस्ताव के लिए अनेक नेताओं ने अपनी राय सदन में रखी तथा इसे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर खतरा बताया गया।
प्रश्न 7. रघुनाथ काका कौन थे? उन्हें लोगों ने निषादराज क्यों कहना शुरू कर दिया ? ‘दिए जल उठे’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः रघुनाथ काका बदलपुर के रहने वाले थे। उनके पास काफी जमीन थी और उनकी नावें भी चलती थ°। गांधी जी को महि सागर नदी पार कराने की जिम्मेदारी रघुनाथ काका को सौंपी गई थी। उन्हांेंने इस कार्य के लिए नई नाव खरीदी और लेकर कनकपुर पहुँच गए। जिस प्रकार श्रीराम को निषादराज ने गंगा पार कराई थी, उसी प्रकार रघुनाथ काका ने गाँधी जी को महि सागर नदी पार कराई थी। इसलिए सत्याग्रहियों ने उन्हें निषादराज कहना शुरू कर दिया।
प्रश्न 8. ‘मैं चलता हूँ अब आपकी बारी है’ सरदार पटेल के इस कथन का पाठ के सन्दर्भ में आशय स्पष्ट कीजिए।
अथवा
”मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।“ यहाँ पटेल के कथन का आशय स्पष्ट पाठ के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
व्याख्यात्मक हल:
पटेल को अंग्रेज सरकार ने कानून तोड़ने के अपराध में तीन माह की सजा सुनाई। पटेल दांडी मार्च कार्यक्रम के प्रमुख नेताओं में से थे। वे सक्रिय कार्यकर्ता थे। गिरफ्तारी के कारण उनका जन अभियान रुक गया था। अब यह काम आश्रमवासियों तथा गाँधी को करना था। इसलिए पटेल ने ऐसा कहा।
प्रश्न 9. किस कारण से प्ररित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल के गिरफ्तार करने का आदेश दिया ?
उत्तरः अहमदाबाद के आंदोलन के समय पटेल ने स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को अहमदाबाद से भगा दिया था। इसी बात का बदला लेने के लिए कलेक्टर शिलिडी ने पटेल को निषेघज्ञा के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दिया।
(प्रत्येक 3 अंक)
प्रश्न 1. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था?
अथवा
महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तरः
व्याख्यात्मक हल:
महि सागर नदी के दोनों किनारे पर मेला-सा लगा था। आधी रात को, सत्याग्रहियों को, घुप अँधेरी रात में, ग्रामीणों के हाथों में जलते हुए दिए राह दिखाने के लिए जगमगा रहे थे। एक तरफ भजन मंडलियाँ गा रही थी, दूसरी तरफ दांडिया रास में निपुण दरबारों के बोल गूँज रहे थे। गांधी, नेहरू और सरदार पटेल की जय-जयकार के नारे लग रहे थे। सभी में देश के प्रति प्रेम एवं त्याग की भावना थी।
प्रश्न 2. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि कैसी भी कठिन परिस्थिति हो, उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः पाठ ‘दिए जल उठे’ मैं गांधी जी नमक कानून तोड़ने के लिए दांडी यात्रा पर थे। ब्रिटिश सरकार ने नदी के तट के सारे नमक भंडार हटा दिए थे। गांधी जी किसी राजघराने के इलाके से अपनी यात्रा नहीं करना चाहते थे। कनकपुरा पहुँचने में एक घंटा देरी होने पर गांधी जी ने कार्यक्रम में परिवर्तन कर दिया कि नदी को आधी रात में समुद्र में पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ व दलदल में कम-से-कम चलना पड़े। तट पर अँधेरा था, परन्तु सत्याग्रही लोगों ने दृढ़निश्चय व सूझबूझ से काम लिया। थोड़ी ही देर में हज़ारों दिए जल उठे। हर एक के हाथ में दीया था। इससे अँधेरा मिट गया। दूसरे तट पर भी इसी तरह लोग हाथों में दिए लेकर खड़े थे। इस प्रकार सबने कठिन परिस्थितयों में तात्कलिक सूझबूझ से और आपसी मेलजोल से काम लिया और उसका सामना किया और रघुनाथ काका ने गांधी जी को नाव में बिठाकर नदी पार करा दी।
प्रश्न 3. गांधी जी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?
उत्तरः ब्रिटिश सरकार के अफसरों का कहना था कि गांधीजी अचानक महि नदी के किनारे नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे परन्तु गांधीजी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारियों का मानना था कि वे अचानक चुपके से कोई काम नहीं करते। फिर भी ब्रिटिश सरकार कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी। इसलिए ऐहतियाती तौर पर नदी के तट से सारे नमक भंडार हटा दिए और उन्हें नष्ट कर दिया।
प्रश्न 4. इस पाठ से सरदार पटेल की कौन सी विशेषताएँ पता चलती हैं? सरदार पटेल के जीवन के बारे में कुछ वाक्य लिखिए।
उत्तरः इस पाठ से सरदार पटेल की कई विशेषताएँ पता चलती हैं, जैसे-
(i) सरदार पटेल मन, वचन तथा कर्म से एक सच्चे देशभक्त थे।
(ii) वे अन्तःकरण से निर्भीक थे।
(iii) कर्म उनके जीवन का साधन था।
(iv) अद्भुत अनुशासनप्रियता, अपूर्व संगठन-शक्ति, शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता उनके चरित्र के अनुकरणीय अलंकरण थे।
प्रश्न 5. जनता ने किस प्रकार गांधी का साथ दिया? पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तरः गांधी जी जब नमक कानून तोड़ने के लिए दांडी यात्रा पर थे तब उन्हें घुप अँधेरी रात में मही नदी को कीचड़-दलदल से भरे पानी में से पार करना था। यह बहुत बड़ी कठिनाई थी। तब नदी के दोनों तट पर खड़ी जनता ने दीए जलाकर, रोशनी करके उनका साथ दिया। तात्कालिक सूझबूझ व आपसी मेलजोल से जनता ने अँधेरी रात को प्रकाशमान कर दिया था। गांधी जी ने कई जीवन मूल्यों को स्वयं अपनाया। फिर दूसरों से अपनाने को कहा।
प्रश्न 6. गांधी जी द्वारा अपनाए गए विभिन्न मूल्यों को लिखिए।
उत्तरः उनके कुछ जीवन-मूल्य निम्न हैं-
(i) गाँधी जी ने संसार को सत्य एवं अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
(ii) इन्होंने बिना हथियार उठाए अहिंसा से देश को आजाद कराया।
(iii) उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता के लिए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन चलाए गए।
(iv) महात्मा गाँधी प्रमुख राजनीतिक, दाशर्निक एवं समाज सुधारक होने के साथ-साथ एक महान शिक्षा-शास्त्री भी थे।
(v) उनके अनुसार, हमारा व्यापक दृष्टिकोण व गहरी सहिष्णुता-सामाजिक असामंजस्य, धार्मिक मतभेद और तनाव को मिटा सकती है।
प्रश्न 7. सरकारी कानून को तोड़कर सत्याग्राही नमक क्यों बनाना चाहते थे? क्या किसी कानून को तोड़ना उचित है? उत्तर दीजिए।
उत्तरः अंग्रेजों के शासनकाल में नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया गया था और किसी भी भारतीय को नमक बनाने की इजाजत नहीं थी। जरूरी चीजें होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और उनका अधिकार दिलवाने हेतु इस कानून के विरूद्ध महात्मा गांधी ने सन् 1930 में सविनय कानून भंग कार्यक्रम आयोजित किया। यह एक सत्याग्रह था। महात्मा गांधी ने सत्याग्रहियों के साथ अहमदाबाद, साबरमती आश्रम से समुद्रतट गाँव दांडी तक पैदल यात्रा करके 12 मार्च 1930 को नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून को भंग किया। इसे दांडी मार्च या दांडी सत्याग्रह कहा गया। किसी भी कानून को तोड़ना अनुचित है। बल्कि यह एक अपराध होता है। लेकिन उसी कानून को तोड़ना अपराध माना जाएगा
जो कि जनता की भलाई के लिए हो और इसे तोड़ने वाले केवल अपराधी होंगे। लेकिन अगर उस कानून से जनता त्रस्त है, वह कानून एक निरंकुश सरकार द्वारा जनता पर अत्याचार के रूप में थोपा गया है, तो ऐसे कानून के विरूद्ध अवश्य आवाज उठानी चाहिए। ऐसे कानून को तोड़ना अपराध माना जा सकता है बल्कि इसे हटाने हेतु जनता के प्रयासों में तब तक कमी नहीं आनी चाहिए जब तक कि सरकार इसे स्वयं न हटा दे।
प्रश्न 8. पाठ में गांधीजी ने ‘ब्रितानी कुशासन’ का जिक्र किया है। इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तरः अंग्रेज जब भारत आए, तो उन्होंने भारत को राजनीतिक दृष्टि से तो कमजोर पाया लेकिन आर्थिक दृष्टि से भारत को अत्यंत वैभव और ऐश्वर्य संपन्न पाया। ऐसे देश में अंग्रेजों को राज करने में अपनी चाँदी ही चाँदी दिखाई दी। उन्होंने भारत पर जो शासन किया, वह उनका सुशासन नहीं कुशासन था। भारत में आकर ब्रितानियों (अंग्रेजों) ने धोखाधड़ी , अनैनिकता एवं भ्रष्टाचार के माध्यम से राज्य हड़पे, अमानुषिक टैक्स लगाए, करोड़ों भारतीयों को गरीबी और भुखमरी के गर्त में धकेला तथा भारत की सारी संपदा व वैभव लूटकर ब्रिटेन को मालामाल कर दिया। उन्होंने एक नबाव को दूसरे से लड़ाकर लूट शुरू कर दी। उन्होंने षडयन्त्रपूर्वक इस देश में नफरत फैलानी शुरू कर दी थी। भारत को विभाजन की आग में झोंकने की कुटिल योजना भी उन्होंने पहले से ही बना रखी थी। इस तरह अंग्रेजों ने भारत पर कुशासन किया जिसके कारण भारत में अराजकता फैली।
प्रश्न 9. अंग्रेजों के भारत आने से पहले भारत की विश्व में क्या स्थिति थी?
उत्तरः अग्रेंजों के भारत आने से पहले, भारत एक राष्ट्र ही नहीं था बल्कि सभ्यता, संस्कृति और भाषा में विश्व का मातृ संस्थान था। भारत भूमि हमारे दर्शन, संस्कृति और सभ्यता की माँ कही जा सकती है। विश्व का ऐसा कोई श्रेष्ठता का क्षेत्र नहीं था जिसमें भारत ने सर्वोच्च स्थान हासिल न किया हो। चाहे वह वस्त्र निर्माण हो, आभूषण और जवाहरात का क्षेत्र हो, कविता ओर सहित्य का क्षेत्र हो, बर्तनों और महान वास्तुशिल्प का क्षेत्र हो अथवा समुद्री जहाज का निर्माण क्षेत्र हो, हर क्षेत्र में भारत ने दुनिया को प्रभावित किया। इस तरह उस समय भारत की विश्व में एक मजबूत स्थिति थी।
प्रश्न 10. गांधी जी ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए त्याग, दृढ़निश्चय और साहस अहिंसा को अपना हथियार बनाया। आज की स्थिति में देश के चहुँमुखी विकास के लिए कौन से जीवन मूल्य अनिवार्य हैं?
उत्तरः भारत में वर्तमान में कई समस्याएँ अपना मुँह उठाए खड़ी हैं। जैसे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, निरक्षरता, महिलाओं पर होने वाले अत्याचार, जाति व्यवस्था, आरक्षण का मुद्दा, राजकीय नेता, सरकारी कामकाज आदि। इन समस्याओं को दूर करने के लिए और देश के चहुँमुखी विकास के लिए हमें कुछ ऐसे जीवन मूल्यों को अपनाना होगा जो इस समय की जरूरत हों। गांधीजी की ही तरह हमें भी इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। हमें अपने आपसी भेदभाव मिटाकर आपसी सौहार्द स्थापित करना होगा।
हमें आलस छोड़कर परिश्रमी बनना होगा। हम सबको अपना प्रत्येक कार्य पूरी कर्तव्यनिष्ठा से करना होगा, हमें अपने आचरण को शुद्ध करना होगा, भ्रष्ट आचरण को छोड़ना होगा। देशप्रेम व एकता की भावना को अपने मन में सर्वोच्च स्थान देना होगा तभी हम अपना व अपने देश का भविष्य सँवार सकते हैं व चहुँमुखी विकास कर सकते हैं।
प्रश्न 11. ‘रास’ नामक स्थान पर पहुँचने के बाद गाँधी जी ने अपने भाषण में क्या-क्या बातें कहीं?
उत्तरः गांधीजी ने अपने भाषण में सबसे पहले सरदार पटेल की गिरफ़्तारी का जिक्र करते हुए लोगों से कहा, ”सरदार को यह सजा आपकी सेवा के पुरस्कार में मिली है।“ उन्होंने सरकारी नौकरियों से इस्तीफ़े का उल्लेख किया और कहा, ”कुछ मुखी और तलाटी ‘गंदगी पर मक्खी की तरह’ चिपके हुए हैं। उन्हें भी अपने निजी तुच्छ स्वार्थ भूलकर इस्तीफा दे देना चाहिए।“ उन्होंने कहा, ”आप लोग कब तक गाँवों को चूसने में अपना योगदान देते रहेंगे। सरकार ने जो लूट मचा रखी है उसकी ओर से क्या अभी तक आपकी आँखें खुली नहीं हैं?“ इसके अलावा उन्होंने अपने भाषण में राजद्रोह पर भी जोर दिया।
प्रश्न 12. ”इनसे आप त्याग और हिम्मत सीखें“ गांधी जी ने यह पंक्ति किसके लिए और क्यों कहीं? इससे हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तरः गांधी जी ने यह पंक्ति ‘दरबार समुदाय’ के बारे में कही। दरबार समुदाय बहुत ऐशो-आराम की जिंदगी व्यतीत करते थे। उनकी साहबी थी, राजपाट था लेकिन देशप्रेम और देशभक्ति के कारण, देश को स्वतंत्र कराने के लिए वे अपना सब कुछ छोड़कर रास में आकर बस गए। गांधी ने इनका त्याग व हिम्मत देखकर उपर्युक्त पंक्ति कही। हमें भी इससे देशप्रेम, त्याग, हिम्मत, निःस्वार्थ भावना जैसे मूल्य ग्रहण करने की प्रेरणा मिलती है। जैसे उन्होंने देश के लिए अपने सहज ही प्राप्त ऐशो-आराम व राजपाट को त्याग दिया, उसी तरह हममें भी यह हिम्मत होनी चाहिए कि हम भी अपने देश अपनी मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ त्याग सकें।
प्रश्न 13. ‘दिए जल उठे’ पाठ के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तरः ‘दिए जल उठे’ में गांधी जी की दांडी यात्रा का वर्णन किया गया है। गांधी जी की एक आवाज पर पूरा भारत एक हो उठा था।
सबने मिलकर गांधी जी का साथ दिया जैसे एक दिए की लौ जब अन्य दीयों को प्रकाशित करती है तो अँधेरा दुम दबाकर गायब हो जाता है। वैसे ही गांधी जी रूपी एक दिए की लौ ने पूरे भारत के लोगों के जीवन को क्रांति की लौ से प्रकाशमान कर दिया था तभी तो उनके मुँह से निकली एक बात से ही विशाल जनसमूह उनके साथ हो लिया था। रात में भी लोगों ने दिय जलाकर, गांधी जी व अन्य लोगों को नदी पार करवाई पर अँधेरे के कारण दांडी यात्रा नहीं रुकने दी। हजारों दियों ने उनके पथ को प्रकाशित कर दिया था। इस प्रकार इन दोनों बातों को आधार मानते हुए हम कह सकते हैं कि ‘दिए जल उठे’ शीर्षक, पाठ का सार्थक शीर्षक है।