प्रश्न.1. प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूतों को देखकर परसाई जी की मनोदशा पर टिप्पणी कीजिए। [CBSE Marking Scheme 2017]
उत्तर. प्रेमचंद जैसे महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक की ऐसी बदहाल दशा की कल्पना परसाई जी ने नहीं की थी। परन्तु एक महान साहित्यकार के इस दुख को स्वयं महसूस करते हुए परसाई जी द्रवित होकर रोना चाहते थे।
व्याख्यात्मक हल:
प्रश्न.2. ”सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं“ पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती ‘अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं।’
समाज की बुराइयों व रूढ़िवादी परम्पराओं को देखकर भी बहुत से विचारवान लोग कुछ नहीं करते, चुप रहकर मूकदर्शक बने रहते हैं। प्रेमचंद जी ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, यह उनका ठोकर मारना था।
व्याख्यात्मक हल-
प्रेमचंद ने समाज की कुरीतियों से जूझने की प्रवृत्ति न होने पर व्यंग्य किया है। वह कहते हैं कि उनसे संघर्ष करने की अपेक्षा प्रेमचंद को अपना मार्ग ही बदल लेना चाहिए था, जिससे उन्हें कष्ट भी नहीं होता और राह भी आसान हो जाती।
प्रश्न.3. कुंभनदास कौन थे ? उनका प्रसंग किस संदर्भ में किया गया है ? समझाकर लिखिए।
उत्तर. कुंभनदास कृष्णभक्त कवि थे। एक बार सम्राट अकबर ने उन्हें फतेहपुर सीकरी बुलाकर पुरस्कार देने की बात की तब उन्होंने इस पद की रचना की-
संतन कौं कहा सीकरी सौ काम।
आवत जात पन्हइयाँ घिस गईं बिसरि गयौ हरिनाम।।
प्रेमचंद के फटे जूते के संदर्भ में कुंभनदास के प्रसंग का उल्लेख किया गया है। प्रेमचंद रूढ़िवादी परम्पराओं को ठोकर मारते थे इसलिए उनके जूते फट गए, परन्तु समाज नहीं बदला।
प्रश्न.4. प्रेमचंद साधारण किसानों की भाँति जीवन-यापन करते थे। यद्यपि वे राष्ट्रीय ख्याति के कथाकार थे फिर भी उनका रहन-सहन आडम्बरहीन था। वे साधारण धोती कुर्ता पहनते थे। उनके साधारण-से जूतों को देखकर उनके किन गुणों का परिचय मिलता है ? [C.B.S.E. 2013 Term II, 10 OH7WZ]
उत्तर. बुराइयों को छोड़ दें/समानता का भाव लाएँ/दिखावा/आडम्बर न करें।
व्याख्यात्मक हल-
प्रेमचंद के साधारण से जूतों को देखकर हमें बुराइयों को छोड़ने का, सभी के साथ समानता का व्यवहार करने का, कभी भी दिखावा न करने की प्रवृत्ति का और आडम्बर हीन जीवन-यापन करने जैसे गुणों का परिचय मिलता है।
प्रश्न.5. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचन्द का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है, उससे प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं ?
अथवा
‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ के आधार पर प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ समझाकर लिखिए
अथवा
प्रेमचंद की फोटो से उनके व्यक्तित्व के विषय में क्या बोध होता है।
उत्तर.
लेखक के अनुसार प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
प्रश्न.6. लेखक को प्रेमचंद समाज के घृणित लोगों की ओर पैर की अंगुली से इशारा करते क्यों प्रतीत हो रहे हैं? बताइए।
उत्तर. प्रेमचंद जिस व्यक्ति या वस्तु को गन्दा या गलत समझते उसकी ओर पैर की अँगुली से इशारा करते। प्रेमचंद का आशय है कि रूढ़िवादी हाथों के नहीं लातों के भूत होते हैं। वे जिससे घृणा करते उसे जूते की नोंक पर रखते और सदैव उसके विरूद्ध संघर्ष करते।
प्रश्न.7. हरिशंकर परसाई के अनुसार, प्रेमचंद का जूता घिसा नहीं था, फटा था, क्यों ?
उत्तर.
प्रश्न.8. ”जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो“ इस पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। [C.B.S.E. 2012 Term II HA-1059]
उत्तर.
प्रश्न.9. पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन सन्दर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा ?
अथवा
‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ में ‘टीले’ शब्द किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है ?
[C.B.S.E. 2011 Term II, Set A1]
उत्तर. पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग लेखक ने सामाजिक रीति-रिवाजों, परम्पराओं की तरफ इशारा करने के लिए किया है। समाज में किसानों का शोषण, गरीबों का शोषण, उच्च वर्ग का अहंकार, ताकत समाज में टीले के समान है। प्रेमचन्द उनको विकास की राह से हटा देना चाहते हैं।
प्रश्न.10. आपकी दृष्टि से वेशभूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1017]
उत्तर.
प्रश्न.11. ‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ के अनुसार बताइए कि ‘तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुरबान हो रहे हैं’ क्यों कहा गया है ?
अथवा
‘पर्दे के महत्त्व’ पर लेखक और प्रेमचन्द में क्या अन्तर है ?
[C.B.S.E. 2011 Term II, Set A1]
उत्तर. आजकल पर्दा रखना अर्थात् छिपाव रखना आवश्यक हो गया है। हम जैसे साधारण लोग तो इस पर जान दे रहे हैं। प्रेमचन्द कुछ नहीं छिपाते। वे जैसे हैं वैसे ही दिखाई देते हैं। लेखक व्यंग्य करता है कि अब जमाना बदल गया है। अब पर्दें का जमाना है।
प्रश्न.12. ‘जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पच्चीसों टोपियाँ न्यौछावर होती है।’ स्पष्ट कीजिए।
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1066]
उत्तर.
प्रश्न.13. ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ में लेखक को कौन-सी विडम्बना चुभी और क्यों ?
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1016]
उत्तर. प्रेमचंद जैसे महान् साहित्यकार जिसे उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, महान् कथाकार और न जाने क्या-क्या कहा गया, के पास पहनने के लिए एक सही जूता भी न था। उनकी यह स्थिति और गरीबी की विडम्बना लेखक को चुभी।
प्रश्न.14. लेखक ने प्रेमचंद के जूते फटने का क्या कारण सोचा ? पाठ के आधार पर लिखिए।
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1016]
उत्तर. किसी सख्त चट्टान को ठोकर मारी, चट्टान से बचकर नहीं निकले अर्थात् समाज की कुरीतियों से जूझते रहे, उनसे बचने का प्रयत्न नहीं किया। जीवन कष्टमय व्यतीत किया पर समाज से संघर्ष करते रहे।
प्रश्न.15. ”लेखक को फोटो में प्रेमचंद किस पर हँसते दिख रहे थे ?“ प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1018]
उत्तर. लेखक को फोटो में प्रेमचंद दिखावटी जीवन जीने वालों पर हँसते दिख रहे थे। जो आत्मबल खो रहे हैं वे आगे साहित्य लेखन कैसे कर सकते हैं। लेखन कार्य में आगे बढ़ने के लिए आत्मबल बनाए रखना चाहिए, स्वाभिमान से जीकर ही आगे बढ़ा जा सकता है।
प्रश्न.16. ‘गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है’ का आशय सप्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती हैμइसका आशय यह है कि फोटो में गंदे-से-गंदे आदमी की छवि भी सुन्दर बनाकर पेश की जाती है। सौंदर्य-प्रसाधनों से गंदगी छिपाने का प्रयत्न करते हैं। गंदे आदमी बुराई छिपाकर छवि अच्छी बनाए रखना चाहते हैं।
प्रश्न.17. प्रेमचंद फोटो में मुस्कराकर क्या व्यंग्य कर रहे हैं ? पाठ के आधार पर लिखिए।
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1019]
उत्तर. प्रेमचंद फोटो में मुस्कराकर यह व्यंग्य कर रहे हैं कि उन्होंने तो मुसीबतों को ठोकर मारकर जूता ही फाड़ लिया है पर अंगुली बचा ली, पाँव को सुरक्षित रखा। कुरीतियों से लड़े, संकट झेले, गरीबी सही किन्तु स्वाभिमान व आत्मबल बनाए रखा। दिखावटी लोग कब तक संघर्ष कर पाएँगे।
प्रश्न.18. लेखक हरिशंकर परसाई प्रेमचंद के पैर की अंगुली के इशारे में किस व्यंग्य मुस्कान के होने की बात करते हैं ?
उत्तर. लेखक के अनुसार प्रेमचंद ने संघर्ष करके, बाधाओं से टकराकर, परिस्थितियों से समझौता न करके अपने स्वाभिमान को बनाए रखा। किन्तु कुछ लोग झूठी प्रतिष्ठा बनाने के चक्कर में सच्चाई को छिपाने के प्रयास में अपना आत्माभिमान खो बैठते हैं।
प्रश्न.19. क्या समझौता न करना प्रेमचंद की कमजोरी थी ? पाठ के आधार पर लिखिए।
अथवा
लेखक ने प्रेमचन्द की किस कमजोरी की ओर संकेत किया है ? क्या वह उनकी कमजोरी थी ?
[C.B.S.E. 2011 Term II, Set B1]
उत्तर.
प्रश्न.20. ‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ में निहित व्यंग्य को अपने शब्दों में लिखिए।
[C.B.S.E. 2011 Term II, Set A1]
अथवा
आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बातें आकर्षित करती हैं ?
उत्तर.