साखियों पर आधारित अतिलघु एवं लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुकताफल मुकता चुगैं, अब उड़ि अनत न जाहिं।।
प्रश्न (क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
उत्तरः कवि का नाम-कबीर।
कविता का नाम-साखियाँ।
प्रश्न (ख) कवि ने हंस किसे माना है ?
उत्तरः कवि ने भक्ति भावना में लीन रहने वाले भक्तों, संतों और साधुओं को हंस माना है।
प्रश्न (ग) साखी में निहित काव्य-सौन्दर्य लिखिए।
उत्तरः काव्य सौन्दर्य- (i) कबीर द्वारा रचित साखी में दोहा छंद है।
(ii) सरल ब्रज भाषा का प्रयोग है तथा तद्भव शब्दों की अधिकता है।
(iii) कबीर ने मनुष्य को सांसारिक बंधनों में न फँसने की सलाह दी है।
(iv) ‘केलि-कराहिं’ और ‘मुक्ताफल मुक्ता चुगै’ में अनुप्रास अलंकार है।
(v) शान्त रस विद्यमान है।
अथवा
प्रश्न (घ) ‘मानसरोवर’ और ‘सुभर जल’ का क्या गहन अर्थ है?
उत्तरः ‘मानसरोवर’ ईश्वर भक्त का मन रूपी पवित्र सरोवर है, जो भक्ति रूपी जल से पूरी तरह भरा हुआ है। ‘सुभर जल’ से आशय है भक्त का हृदय भक्ति भाव से इतना अधिक भरा है कि उसमें कोई विकारी भाव नहीं है।
2. प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ।
प्रेमी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होइ।।
[C.B.S.E. 2012, 10 Term I, Set 045 A1, A2]
प्रश्न (क) दो सच्चे ईश्वर प्रेमियों के मिलने पर क्या होता है ?
उत्तरः सच्चा साधक ईश्वर रूपी प्रेमी के मिलने पर मन की सारी बुराइयों रूपी विष को अच्छाइयों रूपी अमृत में बदल देता है।
प्रश्न (ख) काव्य-सौन्दर्य लिखिए।
उत्तरः काव्य-सौन्दर्य-
(i) सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ii) दोहा छंद का प्रयोग किया गया है।
(iii) प्रेमी का तात्पर्य है सच्चा ईश्वर भक्त।
(iv) कबीर ने निर्गुण ईश्वर को पाने की इच्छा व्यक्त की है।
(v) ‘प्रेमी’ शब्द की आवृत्ति से दोहे में चमत्कार पैदा हो गया है।
प्रश्न (ग) कवि किसे और कहाँ ढूँढ़ता फिर रहा है ?
उत्तरः कवि अपने प्रेमी अर्थात् परमात्मा को मंदिरों, तीर्थों में ढूँढ़ता फिर रहा है।
3. हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूंकन दे झख मारि।।
पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान।।
[C.B.S.E. 2012 Term I, Set 27 A1]
प्रश्न (क) पखापखी से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तरः पखापखी का अर्थ है- पक्ष-विपक्ष के भुलावे में पड़ना। सगुण-निर्गुण का द्वंद्व।
प्रश्न (ख) कबीर ने संसार को स्वान के समान क्यों कहा है ?
उत्तरः अज्ञानी संसार में व्यर्थ विचरण करते हैं। हाथी चुपचाप चलता जाता है, कुत्ते भौंकते रहते हैं।
प्रश्न (ग) कवि संत सुजान किसे मानता है ?
उत्तरः जो निष्पक्ष होकर ईश्वर की भक्ति करता है, कवि उसे ही सुजान संत मानता है।
अथवा
हस्ती ..........................................................................................सुजान।
प्रश्न (क) ज्ञान की तुलना किससे की गई है और क्यों ?
उत्तरः ज्ञान की तुलना हाथी से की गई है, क्योंकि ज्ञानमार्गी भी हाथी की तरह मस्त रहता है, उसे किसी की चिन्ता नहीं होती।
प्रश्न (ख) कबीर ने संसार को स्वान रूप क्यों कहा है ?
उत्तरः कबीर ने संसार को स्वान रूप इसलिए कहा है, क्योंकि जैसे कुत्ते भौंकते हैं, पर हाथी कोई ध्यान नहीं देता। वैसे ही लोग आलोचना करते हैं, परंतु उनकी परवाह नहीं करनी चाहिए।
प्रश्न (ग) कवि संत सुजान किसे मानता है ?
उत्तरः जो निष्पक्ष रूप से ईश्वर की सच्ची भक्ति करने वाले हैं, उन्हीं को कवि संत सुजान मानता है।
4. हिन्दू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
कहै कबीर सो जीवता, जो दुहुँ के निकटि न जाइ।।
काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम
मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम।।
[C.B.S.E. 2012 Term I, A1]
प्रश्न (क) कबीर ने हिन्दू-मुसलमानों की कैसी स्थिति बताई है ? स्पड्ढ कीजिए।
उत्तरः इस साखी में कबीरदास जी ने संदेश दिया है कि ईश्वर एक ही है, अलग-अलग नहीं है। राम और रहीम के नाम पर हिन्दू और मुसलमान आपस में मार-काट न करें।
प्रश्न (ख) कवि ने हिन्दू व मुसलमानों के तीर्थस्थलों के विषय में अपनी क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की है ? स्पड्ढ कीजिए।
उत्तरः कबीर को काबा-काशी में कोई अन्तर नहीं दिखाई दिया तथा राम-रहीम भी एक ही प्रतीत हुए। उन्हें मुसलमान एवं हिन्दू में भी समानता प्रतीत हुई। अतः वे प्रसन्ना हैं।
प्रश्न (ग) कवि के अनुसार वस्तुतः जीवित कौन है?
उत्तरः कवि के मत से वस्तुतः वही जीवित है, जो ईश्वर द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलकर मानव-हित में अपना जीवन समर्पित करता है।
अथवा
हिन्दू .......................................................................................................कबीरा जीम।
[C.B.S.E. 2014, 12 Term I OWO 2 BPW, 9L75DKV]
प्रश्न (क) काबा के काशी तथा राम के रहीम बन जाने का कवि पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तरः काबा मुसलमानों का और काशी हिन्दुओं का तीर्थ स्थान है। धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर ईश्वर की भक्ति में लीन होने से कवि के मन मस्तिष्क में राम और रहीम तथा काबा-काशी के बीच का तात्विक अन्तर ही समाप्त हो गया है। विभिन्न स्थूल रूपों में भी ईश्वर एक ही है।
प्रश्न (ख) कवि ने मनुष्य को इस पद्य में क्या संदेश देना चाहा है ?
उत्तरः प्रस्तुत पद्य में कवि ने धार्मिक भेद-भाव से दूर रहने तथा सच्ची उपासना का संदेश दिया है।
प्रश्न (ग) प्रस्तुत काव्यांश का छंद बताइए।
उत्तरः दोहा छन्द।
अथवा
हिन्दू ...............................................................................................कबीरा जीम।
[C.B.S.E. 2015 Term I 91K2 ZBS]
प्रश्न (क) ‘मुआ’ शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है ? कबीर ने हिन्दू मुसलमान दोनों को मुआ क्यों कहा है ?
उत्तरः मुआ का अर्थ है-मरा हुआ। क्योंकि दोनों ही आपसी भेदभाव में पड़कर परमात्मा के सच्चे रूप को नहीं जान सके।
प्रश्न (ख) ‘जो दुहुँ के निकट न जाई’-पंक्ति के आशय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः जो राम और खुदा के झगड़े में नहीं पड़ता अपितु परमात्मा का भजन करता है वही उस ईश्वर को जान पाता है। जो ऐसा नहीं करता वह न राम के निकट जा पाता है न खुदा के निकट।
प्रश्न (ग) कबीर के अनुसार कौन व्यक्ति जीवित रहता है ?
उत्तरः कबीर के अनुसार जो परमात्मा का भजन करता है, और धर्म, सम्प्रदाय के झगड़े में नहीं पड़ता, वही सच्चे अर्थों में जीवित है।
सबद पर आधारित अतिलघु एवं लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. मोकों कहाँ ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में।
ना तो कौनौं क्रिया कर्म में, ना ही योग वैराग में।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पलभर की तालास में।
कहै कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में।।
प्रश्न (क) लोग ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ते हैं ?
उत्तरः लोग ईश्वर को मंदिर-मस्जिद में ढूँढ़ते हैं।
प्रश्न (ख) ईश्वर भक्ति के बारे में कवि ने किन विचारों का विरोध किया है और क्यों?
उत्तरः कवि ने आडम्बर का विरोध किया है, क्योंकि कवि के अनुसार ईश्वर ढोंग व आडम्बरों में नहीं बल्कि हमारे हृदय में ही मिलता है।
प्रश्न (ग) ‘खोजी होय तो तुरतै मिलि हौं’μसे कवि का क्या अर्थ है ?
उत्तरः सच्चे भाव से हृदय (मन) में ईश्वर को खोजो। वह तुरंत मिल जाएगा।
अथवा
मोको कहाँ .......................................................................... स्वाँस में।।
प्रश्न (क) कवि और कविता का नाम लिखो।
उत्तरः कवि-कबीर, कविता-सबद (पद)।
प्रश्न (ख) मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है ?
उत्तरः मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, काबा, काशी अर्थात् तीर्थों में ढूँढ़ता फिरता है।
प्रश्न (ग) क्रिया कर्म से कवि का क्या आशय है ?
उत्तरः क्रिया कर्म से कवि का आशय धार्मिक कर्मकाण्डों से है। पण्डित-मुल्ला ईश्वर की प्राप्ति में इनको आवश्यक बताते हैं। किन्तु कबीर की दृष्टि में ये व्यर्थ हैं।
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