निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
1. आज सालिम अली नहीं हैं। चैधरी साहब भी नहीं हैं। कौन बचा है, जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा? कौन बचा है, जो अब हिमालय और लद्दाख की बर्फीली जमीनों पर जीने वाले पक्षियों की वकालत करेगा? सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नाम रखा-"फाॅल ऑफ ए स्पैरो"।
[C.B.S.E. 2014, 13 Term I, 3W4CERE & M, 8ATH36H]
प्रश्न (क) पक्षियों के बारे में कौन-कौन वकालत करने वाले थे?
उत्तरः सालिम अली व तहमीना दोनों ही पक्षी प्रेमी व विज्ञानी थे और उनके लिए समर्पित रहे। चौधरी चरण सिंह जी ने भी इसमें सहयोग किया।
प्रश्न (ख) चौधरी साहब कौन थे? सालिम अली उनसे क्यों मिले?
उत्तरः तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से सालिम अली जीव-जन्तुओं की रक्षा व भावी संकट से बचाने के लिए सहयोग हेतु मिले, क्योंकि उन्हें गर्म रेगिस्तानी हवाओं से ‘साइलेन्ट वैली’ की हरियाली को खतरा लगा। वे प्रड्डति व जीव-जन्तुओं को बचाना चाहते थे।
प्रश्न (ग) साउत्तरःलिम अली ने कौन-सी पुस्तक लिखी थी? उसमें किसका वर्णन है?
उत्तरः"फाॅल ऑफ ए स्पैरो"’ नामक पुस्तक सालिम अली ने लिखी है जो उनकी आत्मकथा है। इस पुस्तक में उनके स्वयं के जीवन का ही वर्णन है।
2. सालिम अली उन लोगों में थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाए प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। उनके लिए प्रकृति में हर तरफ एक हँसती-खेलती रहस्य भरी दुनिया पसरी थी। यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी। इसके गढ़ने में उनकी जीवनसाथी तहमीना ने काफी मदद पहुँचाई थी। तहमीना स्कूल के दिनों में उनकी सहपाठी रही थीं।
प्रश्न (क) सालिम अली के लिए प्रकृति कैसी थी? प्रकृति के प्रति सालिम अली का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तरः हँसती-खेलतीप्रकृति की रहस्यपूर्ण दुनिया के रूप में प्रकृति को सालिम अली ने स्वीकारा था। वे प्रकृति को अपने तरीके से जान और परखकर, पक्षी-विज्ञान को समृ( बनाने में लगे रहे।
प्रश्न (ख) ‘तहमीना’ का सालिम अली के जीवन में क्या स्थान था? सालिम अली की दुनिया में उनका अत्यन्त महत्व क्यों था?
उत्तरः जीवनसाथी (पत्नी) के रूप में तहमीना अली जी के जीवन में शामिल थी। उन्होंने पक्षी विज्ञान क्षेत्र में सालिम अली की काफी मदद की थी। इसीलिये तहमीना का सालिम अली के जीवन में विशेष स्थान था।
प्रश्न (ग) ‘‘हँसती-खेलती’’ में समास बताइए।
उत्तरः द्वंद्व समास, हँसती और खेलती।
अथवा
प्रश्न 1. तहमीना कौन थी? सालिम अली को ‘तहमीना’ ने किस रूप में मदद पहुँचाई?
उत्तरः तहमीना सालिम अली की पत्नी थी। सालिम अली को तहमीना ने जीवन संगिनी के रूप में मदद पहुँचाई
प्रश्न 2. सालिम अली जैसे लोग किस बात के कायल होते हैं व उनके द्वारा रहस्य-भरी दुनिया को मेहनत से अपने लिए गढ़ने का क्या अर्थ है?
उत्तरः सालिम अली जैसे लोग प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाए प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। उनके लिये प्रकृति में हर तरफ एक हँसती-खेलती रहस्य-भरी दुनिया पसरी थी। रहस्यमयी दुनिया को मेहनत से गढ़ने का अर्थ है कि वे जीवन की गहराई तक गए थे।
प्रश्न 3. ‘जीवन-साथी’ में कौन-सा समास है?
उत्तरः जीवन-साथी में तत्पुरुष समास है।
3. उम्र को शती तक पहुँचाने में थोड़े ही दिन तो बच रहे थे। संभव है, लम्बी यात्राओं की थकान ने उनके शरीर को कमजोर कर दिया हो और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी उनकी मौत का कारण बनी हो। लेकिन अन्तिम समय तक मौत उनकी आँखों से वह रोशनी छीनने में सफल नहीं हुई जो पक्षियों की तलाश और उनकी हिफाजत के प्रति समर्पित थी। सालिम अली की आँखों पर चढ़ी दूरबीन उनकी मौत के बाद ही तो उतरी थी।
प्रश्न (क) सालिम अली दूरबीन का उपयोग क्यों किया करते थे? उनकी दूरबीन कब उतरी?
उत्तरः पक्षियों को देखने के लिए सालिम अली दूरबीन का उपयोग किया करते थे। सालिम अली की दूरबीन उनकी मौत के बाद ही उतरी।
प्रश्न (ख) सालिम अली की मौत का कारण क्या बना व उनकी आँखें किनके लिये समर्पित थी?
उत्तरः कैंसर का रोग सालिम अली की मौत का कारण बना। पक्षियों की खोज और उनकी सुरक्षा के लिए अली जी की आँखें समर्पित थीं।
प्रश्न (ग) सालिम अली का जीवन लगभग कितने वर्ष लम्बा रहा ?
उत्तरः सालिम अली का जीवन लगभग सौ वर्ष लम्बा रहा।
4. उन जैसा ‘बर्ड वाचर’ शायद ही कोई हुआ हो। लेकिन एकान्त क्षणों में सालिम अली बिना दूरबीन भी देखे गए हैं। दूर क्षितिज तक फैली जमीन और झुके आसमान को छूने वाली उनकी नजरों में कुछ-कुछ वैसा ही जादू था, जो प्रकृति को अपने घेरे में बाँध लेता है। सालिम अली उन लोगों में थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाए प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। उनके लिए प्रड्डति में हर तरफ एक हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया पसरी थी।
प्रश्न (क) आबशारों का अर्थ क्या होता है?
उत्तरः आबशारों का अर्थ झरनों से है।
प्रश्न (ख) ‘रोमांच का सोता फूटने’ का क्या आशय है?
उत्तरः ‘रोमांच का सोता फूटने से’ आशय है कि आनन्द की अनुभूति होना।
प्रश्न (ग) मनुष्य पक्षियों की मधुर आवाज सुनकर रोमांच अनुभव क्यों नहीं कर सका?
उत्तरः मनुष्य पक्षियों की मधुर आवाज सुनकर रोमांचित नहीं होता है क्योंकि वह उनकी आवाज नहीं समझ सकता तथा पक्षियों से सालिम अली जैसा प्रेम नहीं कर पाता।
5. जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली हमेशा एक पहेली बने रहेंगे। बचपन के दिनों में, उनकी एयरगन से घायल होकर गिरने वाली, नीले कंठ की वह गौरेया सारी जिन्दगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ ले जाती रही। जिन्दगी की ऊँचाइयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डिगा नहीं। वो लाॅरेंस की तरह नैसर्गिंक जिन्दगी का प्रतिरूप बन गए थे। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह-सागर बनकर उभरे थे।
प्रश्न (क) सालिम अली को खोज के नए रास्तों की ओर ले जाने वाली कौन थी?
उत्तरः बचपन में सालिम अली की एयरगन से घायल होने वाली नीले कंठ की गौरेया ही उन्हें खोज के नए रास्तों की ओर ले गई।
प्रश्न (ख) पक्षी विज्ञानी और प्राकृतिक वैज्ञानिक के रूप में सालिम अली की तुलना किससे की गई? ‘‘प्रकृति की दुनिया में टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनने’’ का क्या आशय है?
उत्तरः डी. एच. लाॅरेंस से पक्षी विज्ञानी सालिम अली की तुलना की गई है। वे प्रकृति के ज्ञान के क्षेत्र में सागर जैसी गहराई लिए हुए थे इसलिए वे टापू बनने की बनाए अथाह सागर बने।
प्रश्न (ग) ”जिन्दगी की ऊँचाइयों“ का क्या अर्थ है?
उत्तरः जीवन-मूल्यों की उत्तमता को समझना ही जिन्दगी की ऊँचाइयाँ हैं।
6. सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है। कोई रोक-टोक सके, कहाँ संभव है। इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर, सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफर का बोझ उठाए लेकिन यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन्ना है। भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वे इस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिन्दगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा?
प्रश्न (क) ‘सालिम अली’ आगे-आगे किस रूप में चल रहे थे? सालिम अली का यह सफर पिछले सभी सफरों से किस प्रकार भिन्न था?
उत्तरः सालिम अली का पार्थिव (मृत) शरीर आगे-आगे जनाजे के रूप में था। मृत्यु के पश्चात् उनका यह सफर अन्तहीन सफर बन गया था जो उनके द्वारा किए गए अन्य सफरों से भिन्न था जहाँ से लौटना सम्भव नहीं था।
प्रश्न (ख) मृत सालिम अली को ‘वन-पक्षी’ के समान क्यों कहा गया है?
उत्तरः व्यक्ति की आत्मा मृत्यु के बाद स्वतंत्र एवं वन-पक्षी सी मुक्त हो जाती है इसलिए अली को ‘वन-पक्षी’ के समान कहा गया था।
प्रश्न (ग) ‘पक्षी’ शब्द का पर्यायवाची शब्द बताएँ।
उत्तरः पक्षी का पर्यायवाची शब्द ‘खग’ है।