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The Hindi Editorial Analysis- 5th October 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र


संदर्भ -

  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा प्रकाशित वैश्विक नवाचार सूचकांक 2023 रैंकिंग में भारत 132 अर्थव्यवस्थाओं में से 40वें स्थान पर है। भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक (जी. आई. आई.) में 2015 में 81वें स्थान से आगे बढ़कर 2023 में 40वें स्थान पर पहुंच गया है।
  • यह लेख भारत में एक व्यापक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना के महत्व को रेखांकित करता है। साथ ही इस पर बात की गई है कि किस तरह का पारिस्थितिकी तंत्र नवाचार और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करेगा, सामाजिक मुद्दों को संबोधित करेगा और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में पर्याप्त योगदान देगा।

The Hindi Editorial Analysis- 5th October 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

आर्थिक प्रगति में नवाचार की भूमिकाः

  • औद्योगिक क्रांति का प्रभावः प्रारंभिक जीडीपी विस्तार मुख्य रूप से जनसंख्या वृद्धि से प्रेरित था, परिणामस्वरूप 1700 ईस्वी तक सीमित वृद्धि दर (0.1% वार्षिक) थी।
  • 1750 के बाद औद्योगिक क्रांति ने प्रौद्योगिकी और नवाचार द्वारा संचालित परिवर्तनकारी बदलावों के माध्यम से तेजी से जीडीपी विकास को बढ़ावा दिया।
  • आर्थिक प्रगति को सक्रिय बनानाः तकनीकी नवाचार उत्पादकता और दक्षता को बढ़ाकर और विभिन्न क्षेत्रों में अवसर पैदा करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
  • जीडीपी वृद्धि के लिए टीएफपी का महत्वः कुल कारक उत्पादकता (टीएफपी) सकल घरेलू उत्पाद के विस्तार पर पर्याप्त प्रभाव डालती है। यह नवाचार और तकनीकी प्रगति के माध्यम से उत्पादन दक्षता को बढ़ाती है।

नवाचार को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिकाः

सरकार द्वारा संचालित पहलों ने नवीन प्रौद्योगिकियों और उद्योगों की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका के सफल उदाहरण इस तरह की नवाचार-केंद्रित सरकारी पहलों की क्षमता को रेखांकित करते हैं।भारत में नवाचार को बढावा देने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा किए जा रहे है -

  • नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ): राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन की स्थापना जमीनी स्तर पर तकनीकी नवाचारों को सशक्त बनाने और पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीतिः इस नीति का उद्देश्य भारत को विश्व में अग्रणी वैज्ञानिक देश के रूप में स्थापित करना है। यह नीति एक मजबूत विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार ढांचा स्थापित करने का प्रयास करती है ।
  • नवान्वेषण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करनाः भारत जैसे विविध राष्ट्र में नवान्वेषण की संस्कृति को बढ़ावा देने में सरकारी समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • अटल नवाचार मिशन (एआईएम) : वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा एआईएम की शुरुआत नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए की गई थी । इसका प्राथमिक उद्देश्य नवीन विचारों को उत्पन्न करने और लागू करने के लिए अनुकूल वातावरण का सृजन करना है।

अटल नवाचार मिशन (एआईएम) के समग्र दृष्टिकोण के तहत निम्नलिखित कार्यक्रम संचालित हो रहे है

अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs): इसके निम्न उद्देश्य हैं -

  • छात्रों के बीच नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं का कार्यान्वयन।
  • शिक्षा के प्रारंभिक शैक्षिक चरण से रचनात्मकता, समस्या-समाधान क्षमताओं और व्यावहारिक रूप से सीखने को पोषित करना।
  • आज, 35 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले देश के 700 से अधिक जिलों के 10,000 स्कूलों में में अटल टिंकरिंग लैब्स हैं। इनमें से 60% एटीएल सरकारी स्कूलों में स्थापित हैं और कुल 75 लाख से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं ।

अटल ऊष्मायन केंद्र (एआईसी): इसके उद्देश्य हैं -

  • नवोन्मेषकों को समर्थन प्रदान करने के लिए, उन्हें विचार की शुरुआत से लेकर प्रोटोटाइप विकास और बाजार पहुँच तक सभी महत्वपूर्ण चरणों में मार्गदर्शन प्रदान करना।
  • स्टार्टअप उद्यमों के सतत विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा, सलाह और संसाधनों की उपलब्धता आसान बनाना ।

अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र (एसीआईसी) : इसके उद्देश्य हैं -

  • न केवल प्रमुख शहरी केंद्रों बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में नवाचार की पहुंच का विस्तार करना।
  • महत्वपूर्ण संसाधनों, मार्गदर्शन और सहयोगी मंचों को उपलब्ध कराकर स्थानीय समुदायों के भीतर नवाचार को प्रोत्साहित करना।

अटल न्यू इंडिया चैलेंज (एएनआईसी) :इसके उद्देश्य हैं -

  • नवीन समाधानों के माध्यम से राष्ट्रीय चुनौतियों से सीधे निपटने हेतु स्टार्टअप्स के लिए एक गतिशील मंच के रूप में कार्य करना।
  • इन स्टार्टअप्स को उनके अभिनव विचारों के विकास और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए वित्त पोषण, सलाह और आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराना ।

मेंटर्स ऑफ चेंज (एमओसी)

  • मेंटर्स ऑफ चेंज राष्ट्र-निर्माण हेतु एक स्वैच्छिक पहल है। मेंटर्स ऑफ चेंज मे शामिल होकर स्वयंसेवक 10,000 + अटल टिंकरिंग लैब्स में छात्रों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
  • आज, देश भर में 6,000 से अधिक मेंटर युवा एआईएम मे कार्य कर रहे हैं। यह मेन्टर नियमित रूप से एक या अधिक ऐसी प्रयोगशालाओं में अपना समय देते हैं और छात्रों को डिजाइन और कम्प्यूटेशनल सोच, आलोचनात्मक सोच जैसे भविष्य के कौशल को सीखने और अभ्यास करने में सक्षम बनाते हैं।

नवाचार को बढावा देने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

  • अनुसंधान और विकास व्यय में वृद्धिः सरकार को कुल जीईआरडी (अनुसंधान और विकास पर सकल घरेलू व्यय) को भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 2% तक बढ़ाने के उद्देश्य से एक नीति तैयार करनी चाहिए।
  • नवाचार में वैश्विक भागीदारीः सार्वजनिक-निजी भागीदारी तंत्र को बढ़ाकर वैश्विक नवाचार साझेदारी को मजबूत करने की आवश्यकता है साथ ही संयुक्त औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक धन को बढ़ाया जाना चाहिए।
  • आइडिया-टू-मार्केट चुनौतीः सरकार को कठिन समय में अपने स्टार्ट-अप को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय नवाचारों की मदद करने के लिए एक विशेष कोष बनाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

अंत में, नवाचार का उद्देश्य भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। देश की नवाचार में प्रगति का प्रमाण वैश्विक नवाचार सूचकांक में 57वें से 40वें स्थान पर इसकी उल्लेखनीय वृद्धि से मिलता है। आधार और यूपीआई जैसे उल्लेखनीय वैश्विक नवाचार इस प्रगति को रेखांकित करते हैं। अब, भारत की आर्थिक क्षमताओं को आगे बढ़ाने और प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित एक परिवर्तनकारी दशक की शुरुआत करने के लिए एक सहयोगी प्रयास अनिवार्य है।

भारत वैश्विक स्तर पर नवाचारों के अग्रदूत के रूप में खड़ा है । 100 से अधिक यूनिकॉर्न की बढ़ती संख्या के साथ, इसने आधार, यूपीआई, ओएनडीसी और उससे आगे की स्मारकीय रचनाओं को शामिल करते हुए डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के एक स्पेक्ट्रम का अनावरण किया है।

फिर भी, जैसे-जैसे राष्ट्र अपने परिवर्तनकारी पथ पर आगे बढ़ रहा है, यह स्पष्ट है कि प्रति लाख जनसंख्या पर स्टार्टअप का विकास अभी भी कम है। संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों के साथ सहयोग से देश में नवाचार की गति 9 गुना से अधिक बढ़ सकती है। विशेष रूप से गहन तकनीक के क्षेत्र में, संभावनाओं को पूर्ण साकार करने और भारत के नवाचार कौशल का पूर्ण उपयोग करने में यह सहायक होगा।

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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 5th October 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. भारत में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?
उत्तर: नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र एक प्रौद्योगिकी संचार साधन है जो भारत में उद्योगों और सरकारी संगठनों में वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए नवाचारियों को प्रोत्साहित करता है। यह तंत्र नई और सुरक्षित प्रौद्योगिकी और उपकरणों के विकास को प्रोत्साहित करके भारत को स्वच्छ और हरित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने का उद्देश्य रखता है।
2. भारत में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की महत्वपूर्णता क्या है?
उत्तर: भारत में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की महत्वपूर्णता उच्च प्रदूषण स्तर, मानसिकता बदलने वाली जनसंख्या, अतिरिक्त उपयोग और संकटों के बढ़ते विकास के संदर्भ में बढ़ती हुई जरूरतों के चलते है। इसके अलावा, यह भारत को ग्लोबल पर्यावरणीय मानकों के साथ ढीला करने की भी आवश्यकता पूरी करने में मदद करता है।
3. नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र कैसे काम करता है?
उत्तर: नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र भारत में विभिन्न संगठनों के लिए प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करता है जो उन्हें प्रदूषण को कम करने, जल संरक्षण करने, ऊर्जा बचाने और पर्यावरण सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है। इसमें विभिन्न प्रौद्योगिकी उपकरणों और संचार साधनों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि एकल विस्तार सेंसर्स, अवधारणा संचार, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और नवीनतम सॉफ्टवेयर।
4. नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ क्या हैं?
उत्तर: नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ इसके प्राथमिक उद्देश्य को पूरा करने में मदद करते हैं, जो हैंडसेट प्रौद्योगिकी, आवास विकास, शहरी प्रबंधन, बिजली योजनाएं, जल संरक्षण और वन संरक्षण शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, यह तंत्र सरकारी नीतियों को लागू करने और उपयोगकर्ताओं को पर्यावरणीय जिम्मेदारी में सक्षम बनाने में मदद करता है।
5. नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर: नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में आगे कदम उठाने के लिए भारत सरकार को तकनीकी और नैतिक मानकों को स्थापित करने के साथ नवाचारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके साथ ही, नवाचारियों को औद्योगिक एकीकरण, संचार सुविधाओं के विस्तार, वित्तीय संरचना, और सरकारी समर्थन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
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