प्रश्न 1: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) कवि ने 'अग्नि पथ' किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
उत्तर: कवि ने 'अग्नि पथ' को मनुष्य की जीवंत कठिनाइयों के प्रतीक के रूप में उपयोग किया है। यह पथ जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं का प्रतीक है जिसे मनुष्य अपने साहस और आत्म-बल से आगे बढ़ता है। अग्नि पथ का मार्ग कठिन और संघर्ष से भरा हुआ है, लेकिन इसी मार्ग पर जीवन की असली सफलता और सार्थकता प्राप्त होती है।
(ख) 'माँग मत', 'कर शपथ', इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर: ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि यही कहना चाहता है कि मनुष्य को अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिए किसी भी प्रकार की अनपेक्षित चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। उसे इस मार्ग में बिना किसी सहारे, सुखों की अभिलाषा और हर परिस्थिति का सामना करते हुए अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
(ग) 'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘एक पत्र छाह भी माँग मत’ − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं करना चाहिए। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए।
प्रश्न 2: निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −
(क) तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि कष्टों से भरे मार्ग पर रुकना और थमना नहीं चाहिए। मनुष्य को केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर आने वाली चुनौतियों से न घबराकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
(ख) चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ,लथपथ
उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि संघर्षमय मार्ग में सबसे सुन्दर दृश्य यही हो सकता है कि मनुष्य अपना पसीना बहाते हुए उस मार्ग पर बढ़े चला जा रहा है। शरीर से पसीना बहाते हुए और खून से लथपथ होते हुए भी मनुष्य निरंतर अपने मार्ग में आगे बढ़ते जा रहा है क्योंकि ऐसा ही मनुष्य सफलता प्राप्त करता है।
प्रश्न 3: इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस कविता का मूलभाव है-निरंतर संघर्ष करते रहो। कवि जीवन को आग-भरा पथ मानता है। इसमें पग-पग पर चुनौतियाँ और कष्ट हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह इन चुनौतियों से न घबराए। न ही इनसे मुँह मोड़े। बल्कि वह आँसू पीकर, पसीना बहाकर तथा खून से लथपथ होकर भी निरंतर संघर्ष करता रहे।
प्रश्न: ‘जीवन संघर्ष का ही नाम है’ इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा का आयोजन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न: ‘जीवन संघर्षमय है, इससे घबराकर थमना नहीं चाहिए’ इससे संबंधित अन्य कवियों की कविताओं को एकत्र कर एक एलबम बनाइए।
उत्तर: शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता 'सच है महज़ संघर्ष ही' पढ़िए।
101 videos|366 docs|116 tests
|
1. 'अग्नि पथ' किस विषय पर आधारित है? | ![]() |
2. 'अग्नि पथ' में अग्नि के उपयोग के बारे में क्या बताया गया है? | ![]() |
3. क्या 'अग्नि पथ' में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास का उल्लेख है? | ![]() |
4. 'अग्नि पथ' का सांस्कृतिक महत्व क्या है? | ![]() |
5. 'अग्नि पथ' के मुख्य संदेश क्या हैं? | ![]() |