पृष्ठ संख्या: 119
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) कवि ने 'अग्नि पथ' किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
उत्तर
कवि ने 'अग्नि पथ' का प्रयोग मानव जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रतीक स्वरूप किया है। यह जीवन संघर्षमय है फिर भी इस पर सबको चलना ही पड़ता है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कवि का मानना है कि यह जीवन कठिनाइयों, चुनौतियों और संकटों से भरा है।
(ख) 'माँग मत', 'कर शपथ', इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर
कवि ने इन शब्दों का बार-बार प्रयोग करके जीवन की कठिनाइयों को सहते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। कवि का कहना है कि इस मुश्किल भरे रास्ते से घबराकर रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए, घबराकर हार नहीं माननी चाहिए। इसी प्रेरणा को देने के लिए कवि ने इस शब्द का बार-बार प्रयोग किया है।
(ग) 'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
'एक पत्र छाह भी माँग मत' − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए।
प्रश्न 2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −
(क) तू न थमेगा कभीतू न मुड़ेगा कभी
उत्तर
इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहना चाहता है की जीवन कष्टों से भरा पड़ा है परन्तु व्यक्ति को इन कष्टों से जूझकर सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्हें थक हार कर बीच में रुकना नही चाहिए।
(ख) चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ,लथपथ
उत्तर
कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने मनुष्य को आगे चलते रहने की प्रेरणा दी है क्योंकि संघर्षमय जीवन में कई बार व्यक्ति को आँसू भी बहाने पड़ते हैं, थकने पर पसीने से तर भी हो जाता है। इससे शक्ति भी क्षीण हो जाती है परन्तु मनुष्य को किसी भी स्थिति में घबराकर अपने लक्ष्य से नहीं हटना चाहिए, लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना चाहिए।
प्रश्न 3. इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इस कविता का मूलभाव है कि जीवन संघर्षों से भरा रहता है। इसमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हर पल, हर पग पर चुनौतियाँ मिलती हैं परन्तु इन्हें स्वीकार करना चाहिए, इनसे घबरा कर पीछे नहीं हटना चाहिए, ना ही मुड़ कर देखना या किसी का सहारा लेना चाहिए। संकटों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। बिना थके, बिना रूके, बिना हार माने इस जीवन पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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1. पाठ 12 - अग्नि पथ, स्पर्श, हिन्दी, कक्षा - 9 क्या हैं? |
2. पाठ 12 - अग्नि पथ कौन-कौन से विषयों पर आधारित है? |
3. "पाठ 12 - अग्नि पथ" के लिए कितने प्रश्न पूछे जा सकते हैं? |
4. "पाठ 12 - अग्नि पथ" में दी गई कविता किस लेखक द्वारा लिखी गई है? |
5. "पाठ 12 - अग्नि पथ" कविता की गुणवत्ता के बारे में क्या कहा जा सकता है? |
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