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Important Questions: सुदामा चरित | Hindi Class 8 PDF Download

‘सुदाम चरित्र’ कृष्ण और सुदाम पर आधारित एक बहुत सुन्दर रचना है। इसके कवि नरोत्तम दास जी हैं, नरोत्तम दास जी ने इस रचना को दोहे के रूप में प्रस्तुत किया है और ऐसा लगता है जैसे दोहा न हो कर श्री कृष्ण और सुदामा की कथा पर आधारित नाटक प्रस्तुत हो रहा है। 

Important Questions: सुदामा चरित | Hindi Class 8

लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1: सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण के पास किस वेश-भूषा में गए थे?
उत्तर:
जिस समय सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण के पास गए थे, उस समय उनके सिर पर पगड़ी नहीं थी। शरीर पर कुर्ता नहीं था। उनकी धोती जगह-जगह फटी थी। पैरों में जूते भी नहीं थे।

प्रश्न 2: द्वारपाल ने श्री कृष्ण को सुदामा के बारे में क्या बताया?
उत्तर: 
द्वारपाल ने श्री कृष्ण से सुदामा के बारे में बताते हुए कहा, ”प्रभु! दरवाजे पर एक गरीब तथा दुर्बल ब्राह्मण खड़ा है। वह आपसे मिलना चाहता है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है।“

प्रश्न 3: श्री कृष्ण ने सुदामा के दुख को महादुख क्यों कहा है?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने सुदामा की दीनहीन दशा देखी तो वे दुखी हुए परंतु जब उन्होंने पैर धोने के लिए हाथ बढ़ाया और सुदामा के पैरों में फटी बिवाइयाँ तथा काँटों का जाल देखा तो ऐसे विकट दुःख को उन्होंने ‘महादुःख’ कहा।

प्रश्न 4: सुदामा अपने साथ लाए उपहार को श्री कृष्ण को देने में संकोच क्यों  कर रहे थे?
उत्तर:
द्वारका आते समय सुदामा की पत्नी ने कृष्ण के लिए उपहारस्वरूप थोड़े-से चावल एक पोटली में बाँधकर दिए थे। द्वारका पहुँचकर जब सुदामा ने कृष्ण का शाही वैभव तथा एशो-आराम देखा तो उन्होंने कृष्ण जैसे बड़े राजा के लिए चावल जैसा तुच्छ उपहार देना उचित न समझा। इसलिए वे संकोच कर रहे थे।

प्रश्न 5: कृष्ण ने सुदामा से अपनी पिछली आदत न छोड़ पाने की बात क्यों कही?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने जब देखा कि सुदामा अपने साथ लाया उपहारस्वरूप तंदुल (चावल) भी छिपाते जा रहे हैं और वे देना नहीं चाहते हैं, तब उन्होंने ऐसा कहा, क्योंकि बचपन में एक बार सुदामा श्री कृष्ण के हिस्से के चने चोरी से खा गए थे।

प्रश्न 6: ‘कछू न जानी जात’ के माध्यम से सुदामा ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर:
‘कूछ न जानी जात’ के माध्यम से सुदामा ने अपनी खीझ उतारते हुए यह कहना चाहा है कि कृष्ण ने आदर-सत्त्कार तो खूब किया पर वहाँ से आते समय मुझे कुछ दिया नहीं। यह बात मेरे समझ से परे है।

प्रश्न 7: सुदामा को कृष्ण के  बचपन की कौन-सी घटना याद आ गई?
उत्तर:
  सुदामा को कृष्ण के  बचपन की यह घटना याद आई कि कृष्ण बचपन में घर-घर जाकर दही माँगते थे।

प्रश्न 8: कविता में आए अतिशयोक्ति अलंकार से युक्त पंक्ति को लिखकर उसका अर्थ लिखिए।
उत्तर:
“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के  जल सों पग धोए” इस पंक्ति में बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने के  लिए मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ भी न लगाया। अपने आँसुओं के  जल से ही उनके  पाँव धो डाले।

Important Questions: सुदामा चरित | Hindi Class 8दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1: कृष्ण ने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप में क्यों की थी?
उत्तर:
कृष्ण सुदामा के  बारे में जान गए थे। उन्होंने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप से इसलिए की, क्योंकि वे सुदामा को कुछ भी देकर उसे उसकी नजरों में नीचा नहीं करना चाहते थे और न ही हीनता की भावना उत्पन्न करना चाहते थे।

प्रश्न 2: श्रीकृष्ण ने सुदामा के  साथ सच्चे मित्र का कर्तव्य किस तरह निभाया?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने सुदामा की सहायता गरीबी के  दिनों में करके सच्चा मित्र होने का प्रमाण दिया। उन्होंने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप में करके  सुदामा को अपनी ही नजरों में नीचा होने से बचा लिया। उनका यह कृत्य हमारे लिए सच्चा मित्र होने का संदेश दे जाता है।

प्रश्न 3: ‘प्रभु के परताप तें दाख न भावत’ कहकर कवि ने किस ओर संकेत किया है?
उत्तर: 
‘प्रभु के परताप तें दाख न भावत’ के  माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि सुदामा अब पहले वाले सुदामा नहीं रहे, उनके  पास स्वर्ण जड़ित भवन, आने-जाने के  लिए हाथी-घोड़े, मुलायम बिस्तर तथा स्वादिष्ट पकवान व व्यंजन हैं।

प्रश्न 4: अपने गाँव आकर सुदामा यह सोचने पर विवश क्यों हो रहे थे कि कहीं वे मार्ग भूलकर द्वारका वापस तो नहीं आ गए हैं?
उत्तर: सुदामा जब द्वारका से अपने गाँव वापस आए तो जहाँ पर उनका गाँव था, वहाँ सब कुछ बदला-बदला नजर आ रहा था। उन्हें अपने आस-पास द्वारका जैसे ही राजभवन, सुख, समृद्धि, हाथी-घोड़े आदि दिख रहे थे। ऐसे में वे यह सोचने पर विवश हो गए कि कहीं वे मार्ग भूलकर अपने गाँव जाने की बजाय द्वारका वापस तो नहीं आ गए।

प्रश्न 5: गुरुमाता कौन थीं? उन्होंने चने किसे दिए थे और कब?
उत्तर:
गुरुमाता ऋषि संदीपनि की पत्नी थीं जिनके आश्रम में कृष्ण और सुदामा पढ़ा करते थे। एक बार जब आश्रम में लकड़ियाँ खत्म हो गई थीं, तब गुरुमाता ने उन्हें लकड़ियाँ लाने जंगल भेजा। उस समय रास्ते में खाने के लिए उन्होंने कृष्ण और सुदामा को चने दिए थे, ताकि भूख लगे तो उसे खाकर वे अपनी भूख शांत कर सकें। सुदामा यह चने चोरी से अकेले ही खा गए थे और कृष्ण को कुछ न मिला।


मूल्यपरक प्रश्न


प्रश्न 1: कविता ‘सुदामा-चरित’ में ‘अतिथि देवो भव’ की भावना चरितार्थ होती है। क्या वर्तमान समय में भी इस भावना की उतनी ही आवश्यकता है? तर्क सहित उत्तर लिखिए।
उत्तर:
कविता ‘सुदामा चरित’ में श्री कृष्ण ने अपने गरीब सखा सुदामा के दुःख को अपना दुःख माना। जब सुदामा उनके पास आए तो उनका देवतुल्य स्वागत किया, आदर-सत्कार किया और अपने अभिन्न मित्र के दुःख दूर करने में कोई कसर न छोड़ी। उन्होंने सुदामा के साथ अपनी मित्रता निभाई। और यह मित्रता की भावना और अतिथि-स्वागत की भावना वर्तमान समय में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी इस समय थी, क्योंकि ये सभी गुण हमारे आदर्श हैं। इनको अपनाने से ही हमारा विश्व में एक अलग स्थान दिखाई देता है। वर्तमान समय में ये अवधारणाएँ अपना औचित्य खोती हुई सी प्रतीत होती हैं। थोड़ा मूल्यों का विघटन हुआ है। स्वार्थ हावी होता जा रहा है। ऐसे में कृष्ण और सुदामा की मित्रता हमें एक बहुत बड़ी सीख देती है कि हमें अपने जीवन में भी इसे पूरी तरह उतारना चाहिए इससे हमारी कई समस्याओं का हल निकल सकता है।

प्रश्न 2: सुदामा कृष्ण के साथ मिलकर कैसे बदल गए थे? 

उत्तर: सुदामा ने कृष्ण के साथ बिताये गए समय में उनके जीवन का संपूर्ण रूप बदल दिया। वह इस अनुपम साथीत्व में सुख और शान्ति से भरे जीवन का आनंद उठा। सुदामा के जीवन में जो बदलाव हुआ, वह कृष्ण की अनुपम कृपा और उनके भगवद्भक्ति के परिणामस्वरूप था। कृष्ण की कृपा ने सुदामा को गरीबी से मुक्ति दिलाई, और उन्हें अधिक संतुलित और समृद्धि से भरा जीवन प्रदान किया। उनका धन भी कृष्ण की कृपा से विशाल धन-दौलत में परिणामित हो गया, जिसने उनके जीवन को समृद्धि से भरा बना दिया। सुदामा ने कृष्ण के साथ बिताए गए समय में उनकी भक्ति और विश्वास में और भी बल आया। उन्होंने अपनी दीनता और साधुता का परिचय कृष्ण के साथ बढ़ाया और उनके जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्राप्त किया। इस समय ने सुदामा को जीवन की असली महत्वपूर्णता का अध्ययन करने में मदद की और उन्हें धन की सच्ची महत्वपूर्णता का अहसास हुआ।

प्रश्न 3: सुदामा ने कृष्ण से कैसी भिक्षा मांगी थी और कृष्ण ने उसे कैसे सम्मानित किया? 

उत्तर: सुदामा ने कृष्ण से एक मुट्ठी चावल मांगी थी, जो उनकी गरीबी को दर्शाता था और उनकी विनम्र भिक्षाटन को स्वीकृति करने की नीति को
बढ़ावा देता   था। कृष्ण ने सुदामा के इस विनम्र आग्रह को नहीं भूलते हुए, उसकी भिक्षा को देखकर उसे धन-दौलत से मुक्ति प्रदान की। कृष्ण ने अपनी अद्भुत कृपा और अनन्त धन देने की भलाइयों से सुदामा की जीवन में क्रांति लाई। वह धन-दौलत से अधिक संतुलित और समृद्धि से भरा जीवन जीने लगे। कृष्ण ने उन्हें विशेषता और मित्रता का महत्वपूर्ण अध्याय सिखाया, जिससे सुदामा ने अपने जीवन को समृद्धि और सफलता से भरा। इस मित्रता के सम्बन्ध में कहा जा सकता है कि कृष्ण ने सुदामा को अपने साथी के रूप में सम्मानित किया और उनके द्वारा की गई भिक्षा को एक अद्भुत धन-दौलत में परिणामित किया। इस मित्रता के संबंध में उत्कृष्टता के साथ, कृष्ण ने सुदामा की भिक्षा को एक नई दिशा में ले जाने का महत्वपूर्ण संकेत दिया, जिससे सुदामा का जीवन सफलता और समृद्धि से भर गया।

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FAQs on Important Questions: सुदामा चरित - Hindi Class 8

1. क्या सुदामा चरित कक्षा 8 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न है?
उत्तर. हां, सुदामा चरित कक्षा 8 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न हैं। यह कहानी प्रमुखतः सुदामा की गरीबी और भगवान कृष्ण के साथीपन के बारे में है। इसलिए, छात्रों को इस कहानी के अंशों को समझने के लिए इन प्रश्नों का जवाब देना आवश्यक है।
2. सुदामा चरित क्या है?
उत्तर. सुदामा चरित एक कहानी है जो भगवान कृष्ण और उनके मित्र सुदामा के बारे में है। इस कहानी में सुदामा एक गरीब ब्राह्मण था जो अपनी गरीबी के कारण अपने पुराने मित्र भगवान कृष्ण के पास गया। भगवान कृष्ण ने उसे धनी बनाने के लिए उसकी भक्ति का त्याग किया। इस कहानी में सच्ची मित्रता, विश्वास और त्याग की महत्वपूर्ण सन्देश हैं।
3. सुदामा चरित कक्षा 8 के छात्रों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर. सुदामा चरित कक्षा 8 के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें गरीबी के महत्व, सच्ची मित्रता और त्याग की महत्वता के बारे में सिखाता है। इस कहानी के अंशों को समझकर, छात्र इन महत्वपूर्ण मानवीय गुणों का अध्ययन कर सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकते हैं।
4. सुदामा चरित किस वर्ग के छात्रों के लिए उपयोगी है?
उत्तर. सुदामा चरित कक्षा 8 के छात्रों के लिए उपयोगी है। यह कहानी उन्हें गरीबी के महत्व, सच्ची मित्रता और त्याग की महत्वता के बारे में सिखाती है। इसे पठने से छात्र इन महत्वपूर्ण मानवीय गुणों को समझ पाते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकते हैं।
5. सुदामा चरित क्या संबंधित किताबों में उपलब्ध है?
उत्तर. सुदामा चरित कई विभिन्न किताबों में उपलब्ध है। कुछ मानक कक्षा 8 के हिन्दी पाठ्यपुस्तकों में इसे शामिल किया गया है। छात्र इन पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करके सुदामा चरित को अध्ययन कर सकते हैं और उसकी समझ को मजबूत कर सकते हैं।
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