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NCERT solutions - जटायोः शौर्यम् | संस्कृत कक्षा 9 (Sanskrit Class 9) PDF Download

अभ्यास प्रश्न :-
Q.1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-

(क) “जटायो! पश्य” इति का वदति?
(ख) जटायुः रावणं किं कथयति?
(ग) क्रोधवशात् रावणः किं कर्तुम् उद्यतः अभवत् ?
(घ) पतगेश्वरः रावणस्य कीदृशं चापं सशरं बभञ्ज?
(ङ) हताश्वो हतसारथिः रावणः कुत्र अपतत्?
उत्तरम्-
(क) 'जटायो, पश्य' - इति सीता वदति।
(ख) जटायुः, रावणम् अवदत्-नीचां मतिं निवर्त्तय।
(ग) रावणः जटायुं हन्तुम् उद्यतः अभवत्।
(घ) पतगेश्वरः रावणस्य सशरं मुक्तामणिभूषितं चापं बभञ्ज।
(ङ) हताश्वः रावणः भुवि अपतत्।

Q.2. उदाहरणमनुसृत्य णिनि-प्रत्ययप्रयोगं कृत्वा पदानि रचयत-
यथा
गुण + णिनि    =    
गुणिन् (गुणी)
दान + णिनि।    =    
दानिन् (दानी)
(क) कवच   + णिनि
(ख) शर   + णिनि
(ग) कुशल   + णिनि
(घ) धन   + णिनि
(ङ) दण्ड   + णिनि 
उत्तरम्-
(क) कवच   + णिनि।    =    कवचिन् (गुणी)
(ख) शर + णिनि।         =    शरिन् (शरी)
(ग) कुशल   + णिनि।    =    कुशलिन् (कुशली)
(घ) धन   + णिनि।        =    धनिन् (धनी)
(ङ) दण्ड   + णिनि।        =    दण्डिन् (दण्डी)।

Q.3.  रावणस्य जटायोश्च विशेषणानि सम्मिलितरूपेण लिखितानि तानि पृथक्-पृथक् कृत्वा लिखत-
युवा, सशरः, वृद्धः, हताश्वः, महाबलः, पतगसत्तमः, भग्नधन्वा, महागृध्रः, खगाधिपः, क्रोधमूर्छितः, पतगेश्वरः, सरथः
यथा-
रावणः                     
जटायुः
युवा                        
वृद्धः
उत्तरम-

रावणः                     जटायुः
युवा                        वृद्धः
सशरः                      महाबलः
हताश्वः                    पतगसत्तमः
भग्नधन्वाः               महागृध्रः
क्रोधमूर्च्छितः            खगाधिपः
सरथः                       पतगेश्वरः

Q.4. सन्धिं/सन्धिविच्छेदं वा कुरुत-
यथा- च      +     आदाय    =     चादाय।
(क) हत      +       अश्वः    =     _______
(ख) तुण्डेन   +     अस्य    =      _______
(ग)  _______  +    _______  =      बभजास्य
(घ)  _______  +    _______  =      अङ्केनादाय
(ड़)  _______  +    _______  =      खगाधिपः।
उत्तरम-

(क) हत      +       अश्वः    =     हताश्वः।
(ख) तुण्डेन   +     अस्य    =     तुण्डेनाऽय।
(ग) बभञ्ज  +   अस्य  =      बभजास्य
(घ) अङ्केन  +   आदाय  =      अङ्केनादाय
(ड़) खग  +   अधिपः  =      खगाधिपः।

Q.5.'क' स्तम्भे लिखितानां पदानां पर्यायाः 'ख' स्तम्भे लिखिताः। तान् यथासमक्ष योजयत-

 (क)  (ख)
 कवची अपतत्
 आशु पक्षिश्रेष्ठः
 विरथः पृथिव्याम्
 पपात कवचधारी
 भुवि शीघ्रम्
 पतगसत्तमः रथविहीन:

उत्तरम-

 (क) (ख)
 कवची कवचधारी
 आशु शीघ्रम
 विरथः रथविहीनः
 पपात अपतत्
 भुवि पृथिव्याम्
 पतगसत्तमः पक्षिश्रेष्ठः


Q.6. अधोलिखितानां पदानां/विलोमपदानि मञ्जूषायां दत्तेषु पदेषु चित्वा यथासमक्ष लिखत-

 मन्दम्    पुण्यकर्मणा    हसन्ती    अनार्य    अनतिक्रम्य    प्रदाय    देवेन्द्रेण    प्रशंसेत्    दक्षिणेन्    युवा।

पदानि                              विलोमशब्दाः-
(क) विलपन्ती                   __________
(ख) आर्य                           __________
(ग) राक्षसेन्द्रेण                  __________
(घ) पापकर्मणा                  __________
(ङ) क्षिप्रमु                         __________
(च) विगर्हयेत्                    __________
(छ) वृद्धः                           __________
(ज) आदाय                       __________
(झ) वामेन                        __________
(ञ) अतिक्रम्य                  __________
उत्तरम्-
पदानि                               विलोमशब्दाः-
(क) विलपन्ती                   हसन्ती
(ख) आर्य                           अनार्य
(ग) राक्षसेन्द्रेण                   देवेन्द्रेण
(घ) पापकर्मणा                   पुण्यकर्मणा
(ङ) क्षिप्रमु                          मन्दम्
(च) विगर्हयेत्                     प्रशंसेत्
(छ) वृद्धः                            युवा
(ज) आदाय                         प्रदाय
(झ) वामेन                          दक्षिणेन
(ञ) अतिक्रम्य                     अनतिक्रम्य

Q.7. (क) अधोलिखितानि विशेषणपदानि प्रयुज्य संस्कृतवाक्यानि रचयत
(i) शुभाम्                      ________
(ii) हतसारथिः               ________
(ii) कवची                     ________
(iv) खगाधिपः               ________
(v) वामेन                      ________
उत्तरम्-
(i) सदा शुभां वाणी वदेत्।
(ii) रावणः युद्धे हतसारथिः अभवत्।
(ii) कर्णः जन्मना कवची आसीत्।
(iv) गरुडः खगाधिपः कथ्यते।
(v) सः वामेन हस्तेन लिखति।

(ख) उदाहरणमनुसृत्य समस्तं पदं रचयत-
यथा-त्रयाणां लोकानां समाहारः    -    त्रिलोकी।  
(i) पञ्चानां वटानां समाहारः
(ii) सप्तानां पदानां समाहारः
(iii) अष्टानां भुजानां समाहारः
(iv) चतुर्णा मुखानां समाहारः
उत्तरम्-
(i) पञ्चवटी।
(ii) सप्तपदी।
(iii) अष्टभुजी।
(iv) चतुर्मुखी।

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FAQs on NCERT solutions - जटायोः शौर्यम् - संस्कृत कक्षा 9 (Sanskrit Class 9)

1. जटायोः शौर्यम् Class 9 के बारे में जानकारी क्या है?
उत्तर: जटायोः शौर्यम् कक्षा 9 का पाठ है जो भारतीय मूल के प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखा गया है। इस पाठ में एक पक्षी जटायु की कहानी द्वारा उसके शौर्य और साहस का वर्णन किया गया है।
2. जटायोः शौर्यम् Class 9 में जटायु की कहानी क्या है?
उत्तर: जटायोः शौर्यम् पाठ में जटायु, एक गर्दभ के बच्चे की कहानी है जो शुरू से अंत तक विशेषतः उसके शौर्य और साहस को दर्शाता है। जटायु ने सीता जी को रावण के हाथों से बचाने के लिए अपनी जान को भी कुर्बानी दी।
3. जटायोः शौर्यम् Class 9 के पाठ के महत्वपूर्ण विषय क्या हैं?
उत्तर: जटायोः शौर्यम् पाठ में शौर्य, साहस, दृढ़ता, विश्वास, और सामर्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बल दिया गया है। इसके माध्यम से छात्रों को यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने आप को बलिदान करके दृढ़ता से सामरिक स्थितियों का सामना कर सकता है।
4. जटायोः शौर्यम् Class 9 के पाठ से कौन-कौन सी महत्वपूर्ण सीखें निकलती हैं?
उत्तर: जटायोः शौर्यम् पाठ से हमें कई महत्वपूर्ण सीखें निकलती हैं। इस पाठ के माध्यम से हमें साहसिकता, धैर्य, विश्वास, मित्रता, व्यक्तिगत विकास और उत्कृष्टता की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है।
5. जटायोः शौर्यम् Class 9 के पाठ को किस तरह से समझा जा सकता है?
उत्तर: जटायोः शौर्यम् पाठ को समझने के लिए हमें पाठ को ध्यान से पढ़ना, उसकी परिभाषा और शब्दावली को समझना, संदेश और संकेतों को खोजना, संदेश के प्रमुख पात्रों को अनुभव करना, और पाठ में प्रस्तुत किए गए प्रश्नों का उत्तर देना आवश्यक होता है।
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