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Short Question Answers - मेरे बचपन के दिन | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij) PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘परमधाम भेजने’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताइए कि उस समय कन्याओं के साथ ऐसा क्यों होता होगा?
उत्तरः भेजने का अर्थ उन्हें मार देना है। उस समय लड़कियों के साथ भेद-भाव किया जाता था। उन्हें लड़कों से कमतर आँका जाता था। इसलिए उन्हें पैदा होते ही मार दिया जाता था।

प्रश्न 2. बचपन की स्मृतियाँ कैसी होती हैं?
उत्तरः बचपन का समय मनुष्य के जीवन का सबसे सुखद समय होता है। अतः बचपन से जुड़ी प्रत्येक स्मृति में बहुत आकर्षण होता है। जिसके कारण वह समय एक सपने जैसा लगता है।

महादेवी वर्मा महादेवी वर्मा 

प्रश्न 3. ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ के आधार पर लिखिए कि महादेवी वर्मा के जीवन पर किन-किन लोगों का अत्यधिक प्रभाव पड़ा था ?
उत्तरः महादेवी वर्मा के जीवन पर माँ का, बाबा का, सुभद्रा कुमारी चौहान का और ताई साहिबा (जो उनके पड़ोस में रहती थीं)का विशेष प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 4. लेखिका महादेवी जी को क्रास्थवेट गल्र्स कालेज के वातावरण की कौन सी बात अच्छी लगी

उत्तरः लेखिका को यह देखकर अच्छा लगा कि क्रास्थवेट गल्र्स काॅलेज में हिन्दू और ईसाई लड़कियाँ साथ-साथ पढ़ती थीं तथा वे सब एक ही मेस में खाना खाती थीं। एक ही प्रार्थना करती थीं। 

प्रश्न 5. महादेवी वर्मा की अध्ययन, रुचियों सम्बन्धी बातों पर प्रकाश डालिए|

उत्तरः महादेवी जी हिन्दी संस्कृत के प्रति रूचि रखतीं थीं। उन्होंने पंचतंत्र की कहानियाँ पढ़ीं। बाबा उन्हें उर्दू-फारसी पढ़ाना चाहते थे। इसलिए वे मौलवी जी से छिप जातीं। लेकिन बचपन में ही ब्रज भाषा में लिखना आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 6. ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ से कैसे पता चलता है कि उस समय साम्प्रदायिकता नहीं थी ? इसे लेखिका ने उस समय की एक बड़ी बात क्यों कहा है ?

उत्तरः लेखिका के अनुसार छात्रावास में अवध की लड़कियाँ आपस में अवधी, बुंदेलखण्ड की बुंदेली बोलतीं, सभी हिन्दी पढ़तीं, एक ही मेस में खाना खातीं, एक साथ प्रार्थना सभा में खड़े होतीं, ये सब बातें पराधीन भारत में महत्त्व रखतीं थीं। हिन्दू-मुसलमान के भेद-भाव का विष नहीं था जो विभाजन के बाद फैल गया। 

प्रश्न 7. लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाईं ?

उत्तरः लेखिका महादेवी वर्मा के बाबा उर्दू-फारसी के विशेष जानकार थे। वे महादेवी वर्मा को भी उर्दू-फारसी सिखाना चाहते थे, परन्तु उनकी यह सब सीखने में कोई रुचि नहीं थी क्योंकि उन्हें उर्दू-फारसी सीखना बहुत कठिन लगता था। अपनी माता से हिन्दी सीखना अच्छा लगा। बाबा ने मौलवी साहब को उर्दू-फारसी सिखाने के लिए कई रोज बुलवाया परन्तु वे चारपाई के नीचे छिप जाती थीं। अतः वे उर्दू-फारसी नहीं सीख पाईं।

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प्रश्न 8. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?

उत्तरः (i) लेखिका की माँ जबलपुर की हिन्दी भाषी महिला थीं। उन्होंने ही महादेवी वर्मा को ‘पंचतन्त्र’ पढ़ना सिखाया।
(ii) वे धार्मिक प्रवृत्ति की थीं और पूजा-पाठ में विश्वास रखती थीं
(iii) वे संस्कृत भी जानती थीं।
(iv) लेखिका की माँ साम्प्रदायिक भेदभावों से दूर थीं उन्होंने अपने बेटे का मुसलमान महिला द्वारा दिया गया नाम रखा।
(V) उनकी माँ पद लिखकर गाती थीं और मीरा के पद उन्हें विशेष पसन्द थे।

प्रश्न 9. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक सम्बन्धों को लेखिका ने आज के सन्दर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है ? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तरः जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक सम्बन्धों को लेखिका ने आज के सन्दर्भ में स्वप्न जैसा इसलिए कहा क्योंकि आज के समय में आत्मीयता समाप्त होती जा रही है। आज के युग में सम्बन्ध दिखावा रह गये हैं। उस समय धर्म या जाति का भेदभाव न था। नवाब साहब के परिवार के साथ उनके परिवार का अधिक प्रेम था। दोनों ही परिवार एक-दूसरे की भावनाओं का आदर करते थे। आज वे पुरानी बातें स्वप्न जैसी ही प्रतीत होती हैं

प्रश्न 10. महादेवी गाँधीजी के पास कटोरा लेकर क्यों गई थीं ? उन्हें बापू को कटोरा क्यों देना पड़ा ?

उत्तरः महादेवी जी पुरस्कार में मिले चाँदी के नक्काशीदार सुन्दर कटोरे को गाँधीजी को दिखाने के लिए गई थीं। वे गाँधीजी को अपना कटोरा देशहित में नहीं देना चाहती थीं, पर बापू ने कटोरा हाथ में लेकर कहा "तू देती है इसे" इस पर महादेवी जी कुछ न बोल सकीं। 

प्रश्न 11. लेखिका महादेवी वर्मा ने छात्रावास के जिस परिवेश का वर्णन किया है उसकी दो विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तरः उन दिनों छात्रावास में साम्प्रदायिकता नहीं थी। अवध से आई लड़कियाँ अवधी बोलती थीं तो बुंदेलखण्ड की बुंदेली। सब एक ही मैस में खाते थे, एक प्रार्थना करते थे। कहीं कोई विवाद नहीं था। 

प्रश्न 12. महादेवी जी अपना कटोरा खोकर भी प्रसन्ना क्यों थीं ?

उत्तरः उन दिनों देश के लिए विद्यार्थी भी अपना योगदान देते थे। अपने जेबखर्च से पैसे बचाते थे। महादेवी जी ने चाँदी का कटोरा दिया जबकि उन्हें उससे प्रेम था पर संतुष्टि थी कि उनका कटोरा देश और स्वतंत्रता में काम आएगा। 

प्रश्न 13. लेखिका महादेवी वर्मा की जन्म के समय और बाद में इतनी खातिरदारी क्यों हुई ?

उत्तरः लगभग 200 वर्षों के बाद महादेवी जी ने परिवार में किसी लड़का ने जन्म लिया। महादेवी जी के बाबा ने दुर्गा-पूजा करके कन्या माँगी थी इसलिए उनके जन्म के समय सब उत्साहित थे क्योंकि कई पीढ़ियों के पश्चात् कन्या ने जन्म लिया था। बाद में भी उन्हें सभी लाड़-प्यार से रखते थे। 

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प्रश्न 14. बेगम साहिबा ने अपने बच्चों और महादेवी जी को किस प्रकार मिल-जुल कर रहने के संस्कार दिए ?

उत्तरः बेगम साहिबा ने अपने बेटे से कहा कि वह महादेवी की माँ को ‘चाचीजान’ कहें। राखी के अवसर पर राखी बँधवातीं। राखी बँधवाने से पहले लड़कों को पानी पीने न देतीं और महादेवी जी से कहतीं कि भाई भूखा बैठा है राखी बँधवाने के लिए। इस प्रकार बेगम साहिबा ने मिल-जुल कर रहने के संस्कार दिए। 

प्रश्न 15. महादेवी जी ने जेबुन्निासा के मराठीपन की जिन-जिन विशेषताओं का उल्लेख किया उनमें से दो को समझाकर लिखिए।

उत्तरः जेबुन्निासा मराठी ढंग के कपड़े पहनती थी और मराठी शब्दों को उसी लहजे में बोलती थी। महादेवी जी की मेज साफ करने किताबें ठीक करने जैसे काम कर देती थी। बहुत मिलनसार और नम्र थी।

प्रश्न 16. ‘‘मैं उत्पन्ना हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’’महादेवी जी के इस कथन के आधार पर बताइए कि उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ?

उत्तरः (i) लड़कियों को परिवार में बोझ समझा जाता था।
(ii) उनको पैदा होते ही मार दिया जाता था।
(iii) उन पर अत्याचार होता था।
(iv) उन्हें शिक्षा आदि का भी अधिकार नहीं था। 

प्रश्न 17. ‘ताई साहिबा और लेखिका के परिवार में बड़ी घनिष्ठता थी, ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः ताई साहिबा और लेखिका के परिवार में बड़ी घनिष्ठता थी, क्योंकि-
(i) ‘ताई साहिबा’ के बच्चों के जन्मदिन तथा त्यौहार लेखिका के घर और लेखिका के परिवार के बच्चों के जन्म दिन ताई साहिबा के घर पर मनाए जाते।
(ii) राखी के दिन जब तक लेखिका उनके पुत्र को राखी नहीं बाँधती तब तक उसे पानी नहीं पीने देतीं।
(iii) मुहर्रम के दिन उनके बच्चों के साथ लेखिका के तथा उनके भाई के हरे रंग के कपड़े बनते।
(iv) लेखिका के भाई के जन्म पर वे कपड़े लाईं तथा भाई का नाम भी उन्होंने मनमोहन रखा जो विश्वविद्यालय में कुलपति रहे। 

प्रश्न 18. ‘‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’’ इस कथन के आलोक में बताइए कि लड़कियों के जन्म के सम्बन्ध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं ?

उत्तरः (i) आजकल लड़का-लड़की एक समान माने जाते हैं।
(ii) उन्हें अभिशाप या बोझ नहीं समझा जाता।
(iii) उनके जन्म पर भी खुशियाँ मनाई जाती हैं।
(iv) शिक्षा के साथ-साथ उन्हें हर क्षेत्र में निर्णय लेने का अधिकार है। 

प्रश्न 19. महादेवी जी के भाई का नाम किसने और क्या रखा ? आगे चलकर वे क्या बने ?

उत्तरः महादेवी जी के भाई का नाम पड़ोस में रहने वाली ताई साहिबा ने ‘मनमोहन’ रखा। मनमोहन आगे चलकर जम्मू और गोरखपुर विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर बने। 

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FAQs on Short Question Answers - मेरे बचपन के दिन - Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

1. क्या बचपन के दिन में किसी खास खिलौने के बारे में यादगार क्षण थे?
उत्तर: हां, मेरे बचपन के दिनों में मेरे पास एक प्यारा गुब्बारा खिलौना था जिसके साथ मैं बहुत समय बिताता था।
2. आपके बचपन के दिनों में पसंदीदा खेल क्या था?
उत्तर: हां, मेरे बचपन के दिनों में मुझे क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था।
3. क्या आपके बचपन के दिनों में कोई खास यात्रा की यादें हैं?
उत्तर: हां, मेरे बचपन के दिनों में मेरे परिवार के साथ एक यात्रा थी जो हमेशा मेरे दिल में बनी रही है।
4. बचपन के दिनों में आपके स्कूल के दोस्त कौन-कौन थे?
उत्तर: मेरे बचपन के दिनों में मेरे स्कूल के दोस्त बहुत अच्छे थे, जिन्हें मैं अब भी याद करता हूँ।
5. क्या आपके बचपन के दिनों में कोई खास खेल जोरूरत में आया?
उत्तर: हां, मेरे बचपन के दिनों में मैंने लूटेरा खेल खेला था जो मेरी मानसिकता में नैतिकता और कौशल को विकसित करने में मदद करता था।
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