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Short Question Answers - गिल्लू | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्न

(प्रत्येक 2 अंक)

प्रश्न 1. सोन जुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तरः सोन जुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में उस छोटे जीव (गिलहरी) की याद आ गई जो इस लता की सघन हरियाली में छिप कर बैठता था और उसका नाम गिल्लू था।

प्रश्न 2. लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तरः लेखिका का ध्यान रखने के लिए गिल्लू उनके पैरों के पास खेलता रहता। फिर सर्र से परदे पर चढ़ जाता। फिर उसी तेजी से उतरता। वह इसी तरह तब तक भाग-दौड़ करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए उठ नहीं जाती।

प्रश्न 3. गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तरः लेखिका के मोटर दुर्घटना में आहत होकर, अस्वस्थ होने पर गिल्लू उनके सिरहाने बैठ जाता और नन्हें-नन्हें पंजों से उनके सिर व बालों को सहलाता रहता। इस प्रकार वह परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।

प्रश्न 4. ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’-का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः इस कथन का आशय है कि सुबह होते ही गिल्लू की मृत्यु हो गई। ऐसा लग रहा था कि मानो किसी और जीवन में जागने हेतु, अभी वह चिर निद्रा में सो गया है। अगले जन्म में शायद वह किसी अन्य प्राणी के रूप में जन्म लेगा।

प्रश्न 5. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तरः लेखिका को विश्वास है कि गिल्लू बसंत ऋतु के किसी दिन जुही के छोटे-से पीले फूल के रूप में जन्म लेकर उसके आँगन में फिर वापिस आएगा।

प्रश्न 6. लेखिका की अनुपस्थिति होने पर गिल्लू किस प्रकार अपना समय व्यतीत करता था?
उत्तरः लेखिका की अनुपस्थिति होने पर गिल्लू प्रकृति के सानिध्य में अपना जीवन व्यतीत करता था। वह खिड़की से बनी जाली को उठाने से बने रास्ते द्वारा बाहर चला जाता था व दूसरी गिलहरियों के झुंड में शामिल हो जाता। वह झुंड का नेता बनता व हर डाल पर उछल-कूद करता रहता था। जब लेखिका के लौटने का समय होता, वह कमरे में वापिस आ जाता।

प्रश्न 7. गिल्लू को क्या खाना प्रिय था? अगर वह उसे न मिलता तो वह क्या करता?
उत्तरः गिल्लू को काजू खाना प्रिय था। इसे वह अपने दाँतों से पकड़ कर कुतर-कुतरकर खाता रहता था। जब उसको काजू न मिलता तो वह खाने की अन्य चीजें लेना बन्द कर देता था या उन्हें झूले से नीचे फेंक देता था।

प्रश्न 8. संस्मरण ‘गिल्लू’ से हमें मूक प्राणियों के प्रति कौन से जीवन-मूल्यों का ज्ञान होता है?
उत्तरः संस्मरण ‘गिल्लू’ के माध्यम से हमें पशु-पक्षियों के प्रति यह ज्ञात होता है कि उनके प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए। हमें उन्हें प्रेम व संरक्षण देना चाहिए। उनकी गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना चाहिए जिससे उनका स्वाभाविक विकास करने में हमें सहायता मिलेगी। उनको मुक्त रखकर हम उन्हें खुश रख सकते हैं।

प्रश्न 9. ”मेरे पास से बहुत से पशु-पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है।“ उपर्युक्त पंक्ति से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते  हैं?
उत्तरः उपर्युक्त पंक्ति के अनुसार, लेखिका पशु-पक्षी प्रेमी है। वह पशु-पक्षियों के प्रति सहृदय व संवेदनशील है। वह उन्हें स्वच्छंद व मुक्त रखती है। पशु-पक्षी भी संवेदशील प्राणी होते हैं। लेखिका के प्रेम का उत्तर वे उससे लगाव रखकर देते है। पशु-पक्षियों में भी लगाव की भावना कूट-कूट कर भरी होती हैं। अतः मौका मिलते ही वे अपनी भावना को व्यक्त कर देते हैं।

प्रश्न 10. ‘गिल्लू’ संस्मरण में लेखिका का पशु-पक्षियों के प्रति अटूट लगाव, वात्सल्य दर्शाया गया है।’ एक मानव होने के नाते, पशु-पक्षियों के प्रति हमारे क्या कर्त्तव्य हैं?
उत्तरः पशु-पक्षी भी इसी समाज का अंग  हैं। उनसे हमें बहुत लाभ मिलते है। एक मानव होने के नाते हमारा भी उनके प्रति कर्त्तव्य है कि उनके साथ हिंसा न करें, उन्हें कोई हानि न पहुँचाएँ। उन्हें स्वच्छंद वातावरण में, उन्मुक्त होकर अपना स्वाभाविक विकास करने दें, उन्हें बंधन में न रखें। उनसे सद् व्यवहार करें तथा उनको संरक्षण दें।

(प्रत्येक 3 अंक)

प्रश्न 1. ‘गिल्लू’ पाठ के आधार पर बताइए कि कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है ?
उत्तरः कौए को समादरित और अनादरित प्राणी इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह एक विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया जाता है, तो कभी इसका निरादर किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में लोग कौए को आदर सहित बुलाते हैं। पितृपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए हमारे पूर्वजों को कौआ बनकर ही प्रकट होना पड़ता हैμऐसी मान्यता है। यह अतिथि के आने का भी संदेश देता है। इन बातों के कारण यह समादरित है लेकिन यही कौआ जब अपनी कर्कश आवाज में काँव-काँव करता है एवं गंदगी खाता है, तो यह अनादरित हो जाता है।

प्रश्न 2. ‘पितर पक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः हिन्दू धर्म की मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार क्वार के महीने में श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों व पितरों को भोजन खिलाने के प्रथा है। इस प्रथा के तहत ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाता है। परन्तु पहले कौओं को भोजन कराया जाता है, कौए के भोजन खाने से पितरों की आत्मा तृप्त मानी जाती है। इसलिए पितरों को कुछ पाने के लिए काक बनकर आना पड़ता है।

प्रश्न 3. ‘‘घायलों की सहायता के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है’’-गिल्लू के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि किसी घायल के प्र ति आपके व्यवहार में क्या विशेषता होगी। 
उत्तरः

  • गिल्लू के घायल होने पर लेखिका द्वारा सेवा
  • धैर्य से सेवा करने पर सुखद परिणाम 

व्याख्यात्मक हल:
लेखिका को गिल्लू निश्चेष्ट अवस्था में गमले की संधि में मिला था। उसके शरीर पर कौओं की चोंच के जख्म थे। लेखिका ने उसे उठाया और धैर्यपूर्वक उसके घावों को साफ किया और मरहम लगाया। उन्होंने रूई की बत्ती बनाकर उसे दूध भी पिलाने की कोशिश की, उन्होंने बडे़ धैर्य के साथ के साथ रात-दिन उसकी सेवा की। उनकी इसी धैर्यपूर्ण सेवा के कारण गिल्लू एकदम स्वस्थ हो गया।

प्रश्न 4. लेखिका महादेवी वर्मा गिल्लू को अत्यधिक स्नेह करने के बावजूद लिफाफे में बंद क्यों कर देती थी?
उत्तरः गिल्लू का महादेवी वर्मा से बहुत लगाव था वह लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की शरारते तब तक किया करता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती। इसलिए कभी-कभी लेखिका गिल्लू की शरारतों से परेशान हो उसे एक लम्बे लिफाफे में इस तरह रख देतीं कि सिर के अतिरिक्त उसका शेष शरीर लिफाफे के अंदर रहे। गिल्लू इसी स्थिति में मेज पर दीवार के सहारे घंटो खड़ा रहकर लेखिका के कार्यों को देखता। काजू या बिस्कुट देने पर उसी स्थिति में लिफाफे के बाहर वाले पंजो से पकड़कर उन्हे कुतर-कुतर कर खाता।

प्रश्न 5. गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाॅंकते देखकर लेखिका ने इसे मुक्त करना आवश्यक क्यों माना? तीन कारणों सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा

गिल्लू को मुक्त कराने की आवश्यकता क्यों समझी गयी और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किए
उत्तरः

  • गिल्लू की भावनाओं को समझने के कारण
  • बंधन से मुक्ति
  • जीवों के प्रति दया तथा उनकी इच्छा का सम्मान 

व्याख्यात्मक हल:
जब गिल्लू के जीवन का पहला बंसत आया तब बाहर की गिलहरियाॅं खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक की आवाज करके मानो कुछ कहने लगीं। गिल्लू भी जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकता रहता। तब लेखिका को लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है। इसलिए कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। ऐसे लगा कि गिल्लू ने इससे बाहर जाकर जैसे मुक्ति की साॅंस ली।
लेखिका के हृदय में जीवों के प्रति दया का भाव था। वह उनकी इच्छाओं का सम्मान करती थी। वह पशु-पक्षियों को किसी बंधन या कैद में नहीं रखना चाहती थी। जब उन्हें महसूस हुआ कि गिल्लू बाहर जाना चाहता है तो उन्होंने उसे बाहर जाने के लिए स्वयं रास्ता दे दिया।

प्रश्न 6. अस्वस्थ लेखिका का ध्यान गिल्लू किस तरह रखता? इस कार्य से गिल्लू की कौन-सी विशेषता का पता चलता है?
उत्तरः लेखिका को एक मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा था। लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू का किसी काम में भी मन नहीं लगता था। यहाँ तक कि उसने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना भी कम कर दिया था। वह हमेशा लेखिका का इंतजार करता रहता और किसी के भी आने की आहट सुनकर लेखिका के अस्पताल से लौट आने की उसकी उम्मीदें बढ़ जातीं। लेखिका के घर वापस आने के बाद गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका का सिर एवं बाल धीरे-धीरे सहलाता रहता था। लेखिका को उसकी उपस्थिति एक परिचारिका की उपस्थिति महसूस होती। इन्हीं कारणों से लेखिका ने गिल्लू के लिए परिचारिका शब्द का प्रयोग किया है।

प्रश्न 7. गिल्लू लेखिका से बहुत प्रेम करता था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः गिल्लू वास्तव में एक अत्यधिक संवेदनशील प्राणी था और उसे महादेवी से गहरा लगाव था। पाठ के अंतर्गत इसके कई प्रमाण विद्यमान हैं
(i) जब भी लेखिका अपना कमरा खोलकर अंदर घुसती थीं, तो गिल्लू उनके शरीर पर ऊपर से नीचे झूलने लगता था, लेकिन यदि कोई अन्य व्यक्ति अंदर आता तो वह ऐसा नहीं करता था।
(ii) गर्मियों के दिनों में वह लेखिका के पास रहने के लालच में उनके पास रखी सुराही के साथ चिपका रहता था
(iii) गिल्लू ने लेखिका के अस्वस्थ रहने के दौरान एक परिचारिका की तरह उपचार में अपनी ओर से यथासंभव भूमिका निभाई।
(iv) लेखिका की अस्वस्थ स्थिति में अस्पताल में रहने के दौरान गिल्लू ने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना कम कर दिया।
(v) अपने अंतिम समय में गिल्लू ने लेखिका की उंगली पकड़ ली।

प्रश्न 8. गिल्लू की किन चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसका समय समीप है? 
उत्तरः सामान्यतः गिलहरी का जीवनकाल दो वर्ष का माना जाता है। जब गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आया तो उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया और वह बाहर भी घूमने नहीं गया। वह अपने झूले से नीचे उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आकर उसकी उॅंगली पकड़कर चिपक गया। इन सभी चेष्टाओं से लेखिका को लगा कि उसका (गिल्लू का) अंत समीप है और सुबह की पहली किरण के साथ ही वह हमेशा के लिए सो गया।

प्रश्न 9. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तरः लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई। फिर गिलहरी के घायल बच्चे के घाव पर लगे खून को पहले रूई के फाहे से साफ किया। उसके बाद उसके घाव पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। उसके बाद लेखिका ने रूई के फाहे से दूध पिलाने की असफल कोशिश की। लगभग ढाई घंटे के उपचार के बाद गिलहरी के बच्चे के मुँह में पानी की कुछ बूँदें जा सकीं। तीन दिन बाद उसने आँखे खोलीं और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।

प्रश्न 10. लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा गिलहरी के घायल बच्चे को बचाना व उसका उपचार करना, उनकी कौन-सी भावनाओं को प्रदर्शित करता है? क्या हम इसे उचित मान सकते हैं?
उत्तरः लेखिका महादेवी वर्मा ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किया, उसकी देखभाल कर उसे जीवन-दान दिया। यह उनकी पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम, सहृदयता तथा संरक्षण की भावना थी। पशु-पक्षियों को भी ईश्वर ने हमारी ही तरह इस संसार में उत्पन्न किया है। उन्हें भी प्राकर्तिक वातावरण में स्वच्छंद होकर विचरण करने का पूर्ण अधिकार है। कुछ लोगों ने पशु-पक्षियों का जीना दुश्वार कर रखा है। अगर उनको संरक्षण नहीं दिया जाएगा तो पृथ्वी पर उनकी संख्या घटती जाएगी। अतः महादेवी वर्मा द्वारा गिलहरी के बच्चे को दिया गया संरक्षण उचित है।

प्रश्न 11. क्या पशु-पक्षियों को पालतू बनाना, मानवता की भावना के विरुद्ध है? अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः पशु-पक्षी हमारी ही तरह के जीव होते हैं उनमें भी हमारी तरह ही भावनाएँ होती हैं। वे खुश भी होते हैं, दुःखी भी। कष्टों का अनुभव करते हैं और सुख का भी। अगर हम उनको पालतू बनाकर रखेंगे तो इसका अर्थ यह हुआ कि उन्हें हम एक तरह से बंधक बनाकर रख रहे हैं, उनकी प्राकर्तिक स्वतंत्रता छीन रहे है। क्योंकि परतंत्र रहना या अपने निजी जीवन में हस्तक्षेप किसी को पसंद नहीं होता। अतः हमें इन मूक प्रणियों की भावनाओं को समझना होगा। इन्हें प्रकृति प्रदत्त जो कार्य मिला है, उसे करने के लिए इन्हें स्वच्छंद छोड़ना चाहिए नहीं तो ये केवल एक शोभा की वस्तु बन जाते हैं, निष्क्रिय होकर। अतः इनको पालतू बनाना मानवता के विरुद्ध है। इनकी स्वच्छंदता तथा संतुलन बना रहे, इसके लिए इन्हें स्वंतत्र छोड़ देना ही उचित रहता है।

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FAQs on Short Question Answers - गिल्लू - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. What is the meaning of the term 'Gillu'?
Ans. 'Gillu' is a Hindi word that refers to a sparrow.
2. What is the significance of 'Gillu' in Indian culture?
Ans. Sparrows have been an integral part of Indian culture for centuries. They are considered auspicious and are often associated with love and devotion. Sparrows are also believed to bring good luck, and their chirping is considered a sign of happiness and joy.
3. What is the theme of the story 'Gillu'?
Ans. The story 'Gillu' revolves around the theme of love and compassion towards animals. It highlights the bond between a young girl and a sparrow, and how she goes out of her way to take care of the injured bird.
4. What is the moral of the story 'Gillu'?
Ans. The story 'Gillu' teaches us the importance of showing kindness and compassion towards animals. It also emphasizes the need to protect and preserve the natural environment, which is essential for the survival of all living beings.
5. What lessons can we learn from the story 'Gillu'?
Ans. The story 'Gillu' teaches us several valuable lessons. It teaches us to be compassionate towards animals and to treat them with love and respect. It also emphasizes the importance of preserving nature and protecting the environment. Additionally, the story teaches us the value of friendship and the importance of standing up for what is right.
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