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Short Question Answers - सवैयें | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) PDF Download

कविता पर आधारित लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. कवि रसखान की कविता में मुख्यतः किसके प्रति प्रेम की मनोरमता प्रकट हुई है और वह कवि की किस विशिष्टता का परिचय देती है ?

[C.B.S.E. 2014 Term I, OWO2BPO]

उत्तरः रसखान की कविता में ब्रजभूमि के प्रति उनका प्रेम व्यक्त हुआ है। अगला जन्म, चाहे जिस योनि में मिले, पर मिले ब्रजभूमि में यही उनकी आकांक्षा है क्योंकि ब्रजभूमि कृष्ण की लीलास्थली रही है। रसखान का यह भाव उनके कृष्ण प्रेम का व्यंजक है। वे कृष्ण भक्त थे अतः किसी भी स्थिति में कृष्ण की भूमि (ब्रज) का सान्निध्य पाने को लालायित हैं।

प्रश्न 2. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?

[C.B.S.E. 2012 Term, Set 29 A] 

अथवा
कवि रसखान ने ब्रजभूमि के प्रति अपने प्रेम को किस प्रकार प्रकट किया है?

[C.B.S.E. 2010 Term I]

उत्तरः ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम अनेक रूपों में अभिव्यक्त हुआ है ।
(i) कवि मनुष्य के रूप में ब्रजभूमि में जन्म लेकर वहाँ के ग्वालों के साथ रहना चाहता है।
(ii) पशु (गाय) के रूप में ब्रजभूमि में जन्म लेकर कवि नन्द बाबा की गायों के बीच विचरण करना चाहता है।
(iii) कवि पक्षी के रूप में भी ब्रजभूमि में जन्म लेकर यमुना के किनारे कदंब के पेड़ पर निवास करना चाहता है।
(iv) कवि पत्थर के रूप में भी गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता है। 

प्रश्न 3. कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है ?
अथवा

रसखान श्रीकृष्ण का सान्निध्य किस-किस रूप में पाना चाहते हैं और क्यों?

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set A1]

उत्तरः कवि रसखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। उनके हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम है। उनकी हार्दिक इच्छा यह है कि वे किसी भी रूप में रहें पर श्रीकृष्ण की निकटता प्राप्त करें। ब्रज के कण-कण से, पशु-पक्षी, पर्वतों, तड़ागों से श्रीकृष्ण का अनन्य प्रेम रहा है। इसलिए कवि भी उनका सान्निध्य पाना चाहता है। 

प्रश्न 4. मुरली को कौन अपने होठों पर क्यों नहीं रखना चाहती है? रसखान के सवैये के आधार पर लिखिए।

[C.B.S.E. 2013 Term-I, Set 8ATH36H]

उत्तरः नायिका अपने होठों पर मुरली सौतिया डाह के कारण नहीं धारण करना चाहती है। श्रीकृष्ण को मुरली वादन इतना प्रिय है कि वे उसमें डूब जाते हैं जिससे नायिका की अवहेलना हो जाती है, इसलिए मुरली के प्रति नायिका ईष्र्यालु है। साथ ही मुरली कृष्ण के अधरों पर रखी होने से जूठी हो गई है अतः इस जूठी मुरली को नायिका अपने होठों से नहीं लगाना चाहती।

प्रश्न 5. कवि रसखान का ब्रज के वन बाग, तड़ाग को निहारने के पीछे क्या कारण है ? स्पष्ट कीजिए।

C.B.S.E. 2015 Term I, 42UMWBI]

उत्तरः ब्रज के वन, बाग, तड़ाग से श्रीकृष्ण की स्मृतियाँ जुड़ी हैं इसलिए रसखान उन्हें निहारना चाहते हैं। इससे रसखान का श्रीकृष्ण के प्रति अथाह प्रेम प्रकट होता है। 

प्रश्न 6. लकुटी, कामरिया, ब्रज के वन, बाग, तड़ाग, नंद की गाएँ तथा खेत के चने इन सभी का इतना महत्व कवि रसखान के हृदय में क्यों हैं ? स्पष्ट कीजिए।

[C.B.S.E. 2016 Term I, X2U37E] 

उत्तरः ये सभी रूप कृष्ण भक्ति के उपरूप हैं, घटक हैं तथा इन सबका परस्पर सम्बन्ध है। ये सब ब्रज संस्कृति के अनुपम उदाहरण हैं इसलिए रसखान के हृदय में इन सबके प्रति इतना आदर है।

प्रश्न 7. एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्यौछावर करने को क्यों तैयार है?

[C.B.S.E. 2012 Term I, Set 45] 

अथवा

लकुटी और कामरिया पर कवि क्या-क्या त्यागने को तैयार है?

[C.B.S.E. 2010 Term I] 

उत्तरः श्रीकृष्ण की लाठी और कम्बल कवि के लिए साधारण लाठी और कम्बल नहीं है। रसखान के आराध्य देव श्रीकृष्ण उस लाठी और कम्बल को लेकर ग्वालबालों के साथ गाय चराने जाया करते थे। उन्हें प्राप्त करके जो सुख कवि को प्राप्त होगा उसके लिए वह तीनों लोकों का राज भी न्यौछावर करने को तैयार है।

प्रश्न 8. सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set F3]

उत्तरः सखी ने गोपी से श्रीकृष्ण का रूप धारण करने का आग्रह किया। सिर पर मोर पंख का मुकुट, गले में गुंज के फूलों की माला पहनकर श्रीकृष्ण के समान पीले वस्त्र धारण कर हाथ में लाठी लेकर वन में ग्वालों के साथ जाने की कामना की है। श्रीकृष्ण के समान रूप धारण करके वह उनके प्रति अपना अनन्य प्रेम प्रकट करना चाहती है। 

प्रश्न 9. गोपियाँ कृष्ण की मुरली से क्यों जलती थीं ?

[C.B.S.E. Set A1, 2010]

उत्तरः गोपियाँ कृष्ण की मुरली से इसलिए जलती थीं, क्योंकि वे उसे सौतन समझती थीं। श्रीकृष्ण हर समय मुरली बजाते रहते थे। गोपियों की ओर ध्यान नहीं देते थे। 

प्रश्न 10. काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए ।

या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set B3]

उत्तरः (i) पंक्ति में ब्रज भाषा का प्रयोग है और यमक अलंकार की छटा दर्शनीय है।

(ii) प्रस्तुत पंक्ति में श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों का अनन्य प्रेम प्रकट हुआ है।

(iii) कृष्ण की बाँसुरी के प्रति गोपियों की ईशा की भावना प्रकट होती है।

(iv) गोपियाँ कृष्ण के समान वेश-भूषा धारण करना चाहती हैं लेकिन ईशा भाव के कारण उनकी बाँसुरी को अपने अधरों पर रखना नहीं चाहती हैं, क्योंकि वे उसे अपनी सौतन मानती हैं।

(v) दी गई पंक्ति में यमक अलंकार है।
अधरान धरी = होंठों पर रखी हुई (अर्थात् जूठी)
अधरा न धरौंगी = होठों पर नहीं रखूँगी। 

प्रश्न 11. गोपी श्रीकृष्ण का स्वांग क्यों रचना चाहती है?

[C.B.S.E. 2013 Term-I, Set 9L75DKV]

उत्तरः सखी के आग्रह पर गोपी श्रीकृष्ण का रूप धारण करने को तैयार है। श्रीकृष्ण के समान रूप धारण करके वह उनके प्रति अपना अनन्य प्रेम प्रकट करना चाहती है। 

प्रश्न 12. काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै। पंक्ति का अर्थ लिखिए तथा बताइए कि कानों में उँगली लगाकर रहने का आशय क्या है ?
उत्तरः जब मंद ध्वनि में कृष्ण की मुरली बजेगी तो कानों में उँगली देकर रहना होगा। कान बंद कर लेना, ताकि मुरली ध्वनि सुनाई न दे क्योंकि गोपियों को मुरली से सौतिया डाह है।

प्रश्न 13. भाव स्पष्ट कीजिए-

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set A2]

(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै। 

उत्तरः (क) रसखान कवि ब्रज क्षेत्र की कँटीली झाड़ियों के लिए करोड़ों सोने चाँदी के महलों को न्यौछावर कर देना चाहते हैं, श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति भावना के कारण वे करोड़ों सोने के महलों का सुख भी छोड़ने को तैयार हैं।

(ख) गोपियाँ श्रीकृष्ण की मनमोहक मुस्कान के आकर्षण से विवश होकर उनके वश में हो जाती हैं। वे कहती हैं कि श्रीकृष्ण की सुन्दर छवि और मनमोहक मुस्कान को देखकर जो आनन्द उन्हें प्राप्त होगा। उसे वे संभाल नहीं पाएँगी। 

प्रश्न 14. गोपी सारे स्वांग अर्थात् क्रियाकलाप श्रीकृष्ण के अनुरूप ही करने को तैयार है पर ऐसी कौन-सी वस्तु है जिससे उसे परहेज है? और क्यों?

[C.B.S.E. 2014 Term I, Set 3W4CERE]

अथवा

रसखान कवि के अनुसार गोपी कृष्ण का सब स्वांग करने को तैयार है लेकिन वह मुरली को नहीं अपनाना चाहती, क्यों?

[C.B.S.E. 2014 Term I, Set R & M]

उत्तरः गोपी अपनी सखी के कहने पर श्रीकृष्ण के सारे क्रिया-कलाप करने को तैयार है किन्तु वह अपने अधरों पर मुरली नहीं रखेगी। इससे उसे परहेज है क्योंकि मुरली के प्रति उसे सौतिया डाह है तथा यह कृष्ण के द्वारा जूठी कर दी गई है अतः उसे अपने होठों पर वह धारण नहीं करेगी।

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FAQs on Short Question Answers - सवैयें - Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

1. What is the meaning of the term 'Sawaiye'?
Ans. 'Sawaiye' is a term used for a specific type of Punjabi poetry that was popularized in the 17th century by Bhai Nand Lal Goya. It consists of couplets that are written in praise of the ten Gurus of Sikhism.
2. Who wrote the Sawaiye?
Ans. The Sawaiye were written by Bhai Nand Lal Goya, who was a court poet of the Mughal emperor Aurangzeb. He was a devout Sikh and his poetry is considered to be one of the most important contributions to Sikh literature.
3. What is the significance of Sawaiye in Sikhism?
Ans. The Sawaiye are an important part of Sikhism as they are sung during the daily morning prayers in Gurdwaras. They are considered to be a form of meditation and are meant to inspire devotion and love for the ten Gurus of Sikhism.
4. What is the structure of Sawaiye?
Ans. The Sawaiye consist of couplets, which are two-line verses that are written in rhyming pairs. Each couplet has a specific meter, which gives the poetry a musical quality. The poems are written in Punjabi and contain references to the teachings and deeds of the Sikh Gurus.
5. How can one learn to recite Sawaiye?
Ans. Learning to recite Sawaiye requires practice and dedication. One can start by listening to recordings of the poems being recited by experienced singers or by attending daily morning prayers in a Gurdwara. It is also important to understand the meaning of the words and concepts used in the poetry, which can be learned through studying Sikh literature and teachings.
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