अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. अन्य पदार्थों के समान जल की भी तीन अवस्थाएँ होती हैं। अन्य पदार्थों से जल की इन अवस्थाओं मेड्ड एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (ब.र्फ) हङ्घकी होती है। इसका कारण ज्ञात कीजिए।
उत्तर - जल की तीन अवस्थाएँ होती है— (क) ठोस, (ख) द्रव और (ग) गैस।
जल की द्रव अवस्था की तुलना में उसकी ठोस अवस्था (बर्फ़) हल्की होने का कारण यह है कि पानी के घनत्व की अपेक्षा बर्फ़ का घनत्व कम होता है। कम घनत्व के कारण ही बर्फ़ हल्की होती है।
प्रश्न 2. पाठ के साथ केवल पढऩे के लिए दी गई पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।’
उत्तर - पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ के सहयोग से पर्यावरण संकट पर लेखः
पर्यावरण संकट
मनुष्य जिस स्थान पर रहता है उसके आस-पास दो प्रकार के आवरण मौजूद होते हैं। पहला हवा का अदृश्य आवरण तथा दूसरा दृश्य आवरण। हमारे चारों ओर विद्यमान इसी आवरण को 'पर्यावरण' कहते हैं। पर्यावरण दो शब्दों - 'परि + आवरण' से मिलकर बना है। हमारे आस-पास मौजूद पेड़-पौधे, नदियाँ, पहाड़, धरती, हवा, जल, खनिज पदार्थ तथा अनेक जीव-जंतु इस पर्यावरण के अंग हैं। ये सभी मिलकर पर्यावरण को प्रभावित करते हैं, किंतु मनुष्य अपने स्वार्थ तथा लोभ के कारण अपनी उदारता भूलकर पर्यावरण को क्षति पहुँचाने लगता है। वह इन साधनों का दोहन तो करता है पर पर्यावरण की सुरक्षा, सुंदरता तथा इनको बनाए रखने के लिए अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं करता।
पेड़-पौधों के अंधाधुंध कटाव ने हमारे पर्यावरण को सर्वाधिक प्रभावित किया है। मनुष्य ने इन्हें काटकर खेती करने तथा कंक्रीट के जंगल बसाने के लिए जमीन तो प्राप्त कर ली पर इन्हें काटकर उसने इन पर आश्रित जीव-जंतुओं का जीवन खतरे में डाल दिया, इसकी उसे चिंता नहीं है। विश्व में बढ़ती कार्बन-डाईआक्साइड की मात्रा तथा तापमान में लगातार हो रही वृद्धि वनों के विनाश का ही परिणाम है। आज तापमान में वृद्धि/ के कारण ही पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ़बारी का दृश्य देखना दुर्लभ होता जा रहा है।
आज विश्व की लगभग सभी नदियाँ मनुष्य की विभिन्न गतिविधियों के कारण प्रदूषित हो गई हैं। इन नदियों में गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, गोमती, राइन, टेम्स, अमेजन, नील आदि प्रमुख हैं। इनमें रहनेवाले जीवों की जान पर बन आई है। ये जीव-जंतुओं असमय कालकवलित हो रहे हैं। कभी जीवनदायिनी तथा मोक्षदायिनी कहलानेवाली गंगा का जल इतना प्रदूषित हो गया है कि इसका जल पीने से मनुष्य बीमार हो सकता है। मनुष्य ने इसे रोगदायिनी गंगा में बदलकर रख दिया है। मनुष्य की इन्हीं गतिविधियों से ओजोन की मोटी परत भी प्रभावित हुई है। इसके निरंतर क्षरण को न रोका गया तो सूर्य की पराबैंगनी किरणें मनुष्य के लिए घातक रोग का कारण बन सकती हैं। आज तापमान में लगातार हो रही वृद्धि के कारण हिमनदों (ग्लस्शियरों) तथा हिम शिखरों की बर्फ़ तेज़ी से पिघलने लगी है, जिससे विश्व के छोटे-छोटे द्वीपों तथा समुद्रतटीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो गया है। इसके अलावा अनेक प्राकृतिक आपदाएँ- बाढ़, भूकंप, तूफान तथा समुद्री तूफान आदि-आकर तबाही मचाएँगे हैं। हाल में ही सुनामी से हुई अपार जान-माल की क्षति को कौन भूल सका है।
आज हम मनुष्यों का कर्तव्य बनता है कि पर्यावरण से हम जितना कुछ ले रहे हैं उसके बदले में कुछ देना भी सीखें। ‘पृथ्वी बचाओ’, ‘पर्यावरण बचाओ’,'वन-महोत्सव' जैसे कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाकर उसे सफल बनाएँ तथा देश की सीमा से ऊपर उठकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ तथा सुंदर बनाने का प्रयास करें।
भाषा की बात
प्रश्न 1. किसी भी क्रिया को संपन्न अथवा पूरा करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों के रूप में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं; जैसे-‘‘वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।’’ जकडऩा क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो कोई वस्तु (शिकार) हो, जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों; जैसे - कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति पारिभाषित कीजिए।
उत्तर - पाठ्यपुस्तक से खोजे गए पाँच उदाहरण:
(क) यदि संसार में बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो वह थी काँच की चूडिय़ों से।
संसार में - अधिकरण कारक
बदलू को - कर्मकारक
किसी बात से - अपादान कारक
काँच की चूडिय़ों - संबंध कारक
(ख) पत्र-संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र-लेखन का विषय भी शामिल किया गया।
विकसित करने के लिए - संप्रदान कारक
पाठ्यक्रमों में - अधिकरण कारक
पत्र-लेखन का - संबंध कारक
(ग) कुछ नौजवनों ने ड्राइवर को पकडक़र मारने-पीटने का मन बनाया।
नौजवानोंं ने - कर्ता कारक
ड्राइवर को - कर्म कारक
(घ) भारतीय सिनेमा के जनक फाल्के को ‘सवाक’ सिनेमा के जनक अर्देशिर की उपलब्धि को अपनाना ही था, क्योंकि वहाँ से सिनेमा का एक नया युग शुरू हो गया था।
भारतीय सिनेमा के, अर्देशिर की, सवाक सिनेमा के - संबंध कारक
फाल्के को, उपलब्धि को - कर्म कारक
वहाँ से - अपादान कारक
(ङ) मैं आगे बढ़ा ही था कि बेर की झाड़ी पर से मोती-सी बूँद मेरे हाथ पर आ गिरी।
मैं - कर्ता कारक
बेर की - संबंध कारक
झाड़ी पर से - अपादान कारक
मेरे हाथ पर - अधिकरण कारक
17 videos|193 docs|129 tests
|
1. पानी की कहानी के बारे में एक संक्षेप में बताएँ। |
2. पानी की कहानी में कौन-कौन से विषयों पर चर्चा की जाती है? |
3. पानी के संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है? |
4. पानी का उपयोग किस-किस विधि से होता है? |
5. पानी के संकट क्या होते हैं और इनके कारण क्या हो सकता है? |
17 videos|193 docs|129 tests
|
|
Explore Courses for Class 8 exam
|