भारत एक विविध प्रांतीय देश है। इसमें विविध प्रांतों के लोग रहते हैं, जहाँ अलग-अलग प्रकार की भावनाओं और बोलियों का प्रयोग किया जाता है, जिनका उच्चारण क्षेत्रीयता के प्रभाव के कारण अलग-अलग होता है। जैसे –
पंजाबी लोग अधिकांशतः बोलते समय स्वरयुक्त व्यंजन को स्वररहित व स्वररहित व्यंजन को स्वरयुक्त करके बोलते हैं।
जैसे– आत्मग्लानि को आतमग्लानि कहते हैं।
नीचे कुछ सामान्य अशुद्धियाँ तथा उनके शुद्ध रूप दिए जा रहे हैं। इनका ध्यानपूर्वक अध्ययन कर लाभ उठाएँ।
1. अ, आ की अशुद्धियाँ
2. इ, ई के गलत प्रयोग से होने वाली अशुद्धियाँ
3. ‘अ’ ‘ऊ’ की अशुधियाँ
4. ऋ के स्थान पर ‘र’ की अशुधियाँ
5. ए और ऐ की अशुधियाँ
6. ओ और औ की अशुधियाँ
7. विसर्ग संबंधी अशुद्धियाँ
8. श, ष, स, के प्रयोग की अशुधियाँ
9. अल्पप्राण और महाप्राण की अशुधियाँ
10. सामान्य वर्तनी की अशुधियाँ
व्याकरण के नियमों को सही ज्ञान न होने के कारण वाक्य में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ हो जाती हैं, जिनका ध्यान करना आवश्यक है। नीचे कुछ अशुधियाँ तथा उनके शुद्ध रूप दिए जा रहे हैं।
1. लिंग और वचन संबंधी अशुधियाँ
2. कारक संबंधी अशुधियाँ
3. संज्ञा सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ
4. क्रियाविशेषण संबंधी अशुधियाँ
5. क्रिया संबंधी अशुधियाँ
6. अन्य सामान्य अशुद्धियाँ
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1. परिचयअशुद्ध वाक्यों का संशोधन क्या होता है? |
2. पाठ के शीर्षक 'परिचयअशुद्ध वाक्यों का संशोधन' क्या है? |
3. परिचयअशुद्ध वाक्यों का संशोधन क्यों महत्वपूर्ण है? |
4. परिचयअशुद्ध वाक्यों का संशोधन कैसे किया जाता है? |
5. परिचयअशुद्ध वाक्यों का संशोधन क्या है? |
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