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कविता का सारांश: छोटी-सी हमारी नदी | Hindi Class 5 PDF Download

‘छोटी-सी हमारी नदी में कवि रवींद्रनाथ ठाकुर बताते हैं कि हमारी एक नदी है जो छोटी है और जिसकी धार टेढ़ी-मेढ़ी है। गर्मियों में इसमें कम पानी होता है। अतः उसे पार करना आसान होता है। पानी बस घुटने भर तक ही होता है। बैलगाड़ी इसमें से आराम से गुजर जाता है। इस नदी के किनारे ऊँचे हैं और पाट ढालू है। इसके तल में बालू कीचड़ का नामोनिशान नहीं। इसके दूसरे किनारे पर ताड़ के वन हैं जिसकी छाँहों में ब्राह्मण टोला बसा है। वे नदी में नहाते हैं। और उसके बाद अगर समय बचा तो मछली भी मारते हैं। उनके घर की स्त्रियाँ बालू से बर्तन साफ करती हैं। फिर कपड़े धोती हैं। उसके बाद वे घर चली जाती है; वहाँ के काम करने। लेकिन जैसे ही आषाढ़ का महीना आता है खूब पानी बरसने लगता है। और यह नदी पानी से भर जाता है। तब इसकी धार बहुत तेज हो जाती है। इसकी कलकल की आवाज से चारों तरफ कोलाहल मच जाता है। बरसात के दौरान नदी में आँवरें भी देखने को मिलती हैं। लोग झुंड में वर्षा की उत्सव मनाते हैं।

काव्यांशों की व्याख्या
1. छोटी-सी हमारी नदी टेढ़ी-मेढ़ी धार,

गर्मियों में घुटने भर भिगो कर जाते पार।

पार जाते ढोर-डंगर, बैलगाड़ी चालू,

ऊँचे हैं किनारे इसके, पाट इसका ढालू।

पेटे में झकाझक बालू कीचड़ का न नाम,

काँस फूले एक पार उजले जैसे घाम।।

दिन भर किचपिच-किचपिच करती मैना डार-डार,

रातों को हुआँ-हुआँ कर उठते सियार।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘रिमझिम भाग-5’ में संकलित कविता ‘छोटी-सी हमारी नदी से ली गई हैं। इसके रचयिता हैं-श्री रवींद्रनाथ ठाकुर। इन पंक्तियों में कवि ने नदी का वर्णन किया है।

अर्थ- कवि कहता है कि हमारी नदी छोटी है और इसकी धार टेढ़ी-मेढ़ी है। गर्मी के दिनों में इसमें घुटने भर तक पानी होता है। अतः इसे पार करना सबके लिए आसान होता है। चाहे वह आदमी हो या जानवर या बैलगाड़ी। इस नदी के किनारे ऊँचे हैं और इसके पाट ढालू हैं। किन्तु इसकी तली में बालू कीचड़ का नामोनिशान नहीं है। काँस के फूल खिलने पर धूप जैसे सफेद दिखते हैं। इसकी डालियों पर मैना दिनभर किचपिच-किचपिच करती रहती हैं। रात के समय सियार हुआँ-हुआँ करते हैं।
शब्दार्थ: ढोर-डंगर- जानवर। घाम- धूप। डार-डार- डाल-डाल । किचपिच- किचपिच- मैना की आवाज।

2. अमराई दूजे किनारे और ताड़-वन,
छाँहों-छाँहों बाम्हन टोला बसा है सघन।
कच्चे-बच्चे धार-कछारों पर उछल नहा लें,
गमछों-गमछों पानी भर-भर अंग-अंग पर ढालें ।
कभी-कभी वे साँझ-सकारे निबटा कर नहाना
छोटी-छोटी मछली मारें आँचल का कर छाना।
बहुएँ लोटे-थाल माँजती रगड़-रगड़ कर रेती,
कपड़े धोतीं, घर के कामों के लिए चल देतीं।।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘रिमझिम भाग-5’ में संकलित कविता ‘छोटी-सी हमारी नदी से ली गई हैं। इसके रचयिता हैं-श्री रवींद्रनाथ ठाकुर। इन पंक्तियों में कवि ने नदी का वर्णन किया है।
अर्थ- नदी के बारे में वर्णन करते हुए कवि कहता है कि इसके दूसरे किनारे पर आम और ताड़ के पेड़ हैं। उन्हीं की छाँह में ब्राह्मण टोला बसा है। उनके छोटे-छोटे बच्चे किनारों पर उछल-उछल कर नहाते हैं। वे गमछों में पानी भरभर कर अपने शरीर पर उड़ेलते हैं। कभी-कभी जब वे नहाकर जल्दी निबट जाते हैं तो नदी में मछलियाँ पकड़ते हैं। उनके घर की औरतें नदी से बालू लेकर बर्तन (लोटे-थाली) माँजती हैं। फिर कपड़े धोती हैं और उसके बाद अन्य काम करने के लिए घर को चल देती हैं।
शब्दार्थ: दूजे- दूसरा। छाँहों- छाया में। सघन- घना। सकारे- सवेरे। रेती- बालू। गमछा-तौलिया।

3. जैसे ही आषाढ़ बरसता, भर नदिया उतराती,
मतवाली-सी छूटी चलती तेज़ धार दन्नाती।
वेग और कलकल के मारे उठता है कोलाहल,
गॅदले जल में घिरनी-भंवरी भंवराती है चंचल।
दोनों पारों के वन-वन में मच जाता है रोला,

वर्षा के उत्सव में सारा जग उठता है टोला।
प्रसंग- 
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘रिमझिम भाग-5’ में संकलित कविता ‘छोटी-सी हमारी नदी से ली गई हैं। इसके रचयिता हैं-श्री रवींद्रनाथ ठाकुर। इन पंक्तियों में कवि ने नदी का वर्णन किया है।
अर्थ- कवि कहता है कि आषाढ़ के महीने में जब खूब वर्षा होती है तब यह नदी पानी से भर (उतरा) जाती है। तब इसकी धार काफी तेज हो जाती है। इसकी तेज चाल से इतनी कलकल की आवाज आती है कि चारों ओर शोर मच जाता है। इसका पानी गंदा हो जाता है। गॅदले पानी में पानी की घिरनी भंवरी की तरह चलती है। नदी के दोनों तरफ के वनों में खूब कोलाहल मचा रहता है। वर्षा के दौरान उत्सव जैसा माहौल हो जाता है। सारा संसार जाग उठता है उत्सव मनाने के लिए।
शब्दार्थ: आषाढ़- बरसात का एक महीना। दन्नाती- तेजी से। कोलाहल- शोर। गैंदले- गंदा। जग- संसार।

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FAQs on कविता का सारांश: छोटी-सी हमारी नदी - Hindi Class 5

1. छोटी-सी हमारी नदी कविता का सारांश क्या है?
उत्तर: "छोटी-सी हमारी नदी" एक कविता है जो बच्चों के लिए है। यह कविता एक छोटी सी नदी के बारे में है जो हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। इस कविता में नदी के बारे में बताया गया है कि वह हमें पानी, पौधों और जीवों को जीवित रखने का संकेत देती है।
2. इस कविता के मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: इस कविता का मुख्य संदेश है कि हमें हमारे प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना चाहिए। यह कविता हमें यह बताती है कि छोटी सी नदी हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है और हमें इसे स्वच्छ रखना चाहिए।
3. इस कविता में कौन-कौन से पाद हैं?
उत्तर: इस कविता में निम्नलिखित पाद हैं: - छोटी-सी हमारी नदी - नदी नामक प्राणी - नदी के किनारे - नदी शीतल जल की बहाती - नदी सबको जीवन देती
4. इस कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर: इस कविता के रचयिता श्री रामधारी सिंह दिनकर हैं। वे एक प्रसिद्ध हिंदी कवि हैं और उनकी रचनाएं बच्चों और युवाओं के लिए भी लोकप्रिय हैं।
5. छोटी-सी हमारी नदी कविता किस आयाम में लिखी गई है?
उत्तर: "छोटी-सी हमारी नदी" कविता बच्चों के लिए लिखी गई है और इसका उद्देश्य उन्हें प्रकृति के महत्व के बारे में सिखाना है। यह कविता बच्चों को जागरूक बनाने और उन्हें प्रकृति का सम्मान करने की प्रेरणा देने के लिए लिखी गई है।
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