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क्रिया - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

क्रिया—जिस शब्द से किसी काम के करने या होने का पता चलता है, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे—
        राम मैदान में खेल रहा है। सूरज पूरब में निकल रहा है। विभा खाना पकाती है
        इन वाक्यों में ‘खेल रहा है’, ‘निकल रहा है’ तथा ‘पकाती है’ क्रिया हैं।

धातु—क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं; जैसे—पढ़, लिख, चल, खा, बोल, आ, जा, ले, दे आदि।

क्रिया के भेद :
व्यापार और फल के आधार पर क्रिया के भेदः व्यापार और फल के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं—1- अकर्मक क्रिया, 2- सकर्मक क्रिया
    
 १-    अकर्मक क्रिया
—जिन क्रियाओं के लिए कर्म की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे—
        बच्चा हँस रहा है। सूरज चमक रहा है। वृद्धा चलते-चलते थक गई है।
        इन वाक्यों में ‘हँसना’, ‘चमकना’ और ‘थकना’ अकर्मक क्रियाएँ हैं।
    
 २-    सकर्मक क्रिया
—जिन क्रियाओं के लिए कर्म का होना आवश्यक होता है या क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे—
        सुमन पत्र लिखती है। रमन कहानी पढ़ता है। बंटी दूध पीता है।
        इन वाक्यों ‘क्या लिखती है’, ‘क्या पढ़ता है’ तथा ‘क्या पीता है’ प्रश्न पूछने पर हमें क्रमशत्न ‘पत्र’, ‘कहानी’, ‘दूध’ उत्तर मिलता है। यही ‘पत्र’, ‘कहानी’, ‘दूध’ इन वाक्यों में उपस्थित कर्म हैं।
        अत: ‘लिखना’, ‘पढऩा’ और ‘पी ना’ ;यहाँ सकर्मक क्रियाएँ हैं।

सकर्मक क्रिया के भेद:
    (i)    एककर्मक क्रिया - कुछ वाक्यों में एक कर्म होता है; जैसे—
        विशाल पतंग उड़ाता है। विपाशा चित्र बनाती है।
        इन वाक्यों में ‘पतंग’ तथा ‘चित्र’ एक-एक कर्म हैं। अत: ये वाक्य एककर्मक क्रिया वाले हैं।
    (ii)   द्विकर्मक क्रिया — कुछ वाक्यों में दो-दो कर्म होते हैं। इनमें प्रयुक्त क्रिया को द्विकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे—
        ग्वाला गाय को घास खिलाता है।
        इस वाक्य में दो कर्म हैं—
         (i) गाय को—सजीव गौण कर्म    (परसर्ग सहित)
        (ii) घास—निर्जीव मुख्य कर्म     (परसर्ग रहित)

संरचना के आधार पर क्रिया के भेद: संरचना के आधार पर क्रिया के छह भेद हैं :
    १-    सामान्य क्रिया  २- संयुक्त क्रिया  ३- नामधातु क्रिया  ४- प्रेरणार्थक क्रिया  ५- पूर्वकालिक क्रिया  ६- तात्कालिक क्रिया
    
 १-    सामान्य क्रिया—
इसमें क्रिया के सामान्य रूप का प्रयोग किया जाता है; जैसे—
        मोहन ने पतंग उड़ाई। कोयल मधुर स्वर में गाती है। छात्र विद्यालय  जाता है
    
 २-    संयुक्त क्रिया
—इसमें दो या दो से अधिक क्रियाओं को मिलाकर प्रयोग किया जाता है; जैसे—
        मैंने पाठ पढ़ लिया है। मोहन बाज्जार जा चुका है। बच्चा फिसलकर गिर पड़ा
    
 ३-    नामधातु क्रिया
—जो क्रियाएँ संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण से बनती हैं, उन्हें नामधातु क्रिया कहते हैं; जैसे—

संज्ञा    —    वह घंटे भर से बतिया रहा है।

कुछ बाहुबली लोगों ने विधवा की ज़मीन हथिया ली।  

(बात से बतियाना)

(हाथ से हथियाना)

सर्वनाम    —    नि:संतान दंपत्ति ने ही अनाथ बच्चे को अपनाया(अपना से अपनाना)
विशेषण    —    इस खाने को अब गर्माना पड़ेगा।(गर्म से गर्माना)


    
 ४-    प्रेरणार्थक क्रिया—
   जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को प्रेरणा देकर काम करवाता है तब क्रिया का वह रूप प्रेरणार्थक क्रिया कहलाता है; जैसे—लिखवाना, पढ़वाना, चलवाना, गिनवाना आदि।

कुछ अकर्मक तथा सकर्मक क्रियाओं के प्रेरणार्थक रूप

प्रेरणार्थक क्रिया

मूल क्रियाअकर्मक  

प्रथम प्रेरणार्थक  

 द्वितीय प्रेरणार्थक  

 उडऩा  

 उड़ाना  

 उड़वाना

 खुलना  

 खोलना  

 खुलवाना

 हँसना  

 हँसाना  

 हँसवाना

 दौडऩा  

 दौड़ाना  

 दौड़वाना

 सोना  

 सुलाना  

 सुलवाना

 चलना  

 चलाना  

 चलवाना

 रोना  

 प्तलाना  

 प्तलवाना

 थकना  

 थकाना  

 थकवाना

 उठना  

 उठाना  

 उठवाना

 ठहरना  

 ठहराना  

 ठहरवाना


    

मूल क्रिया सकर्मक

 खाना  

 खिलाना  

 खिलवाना

 देना  

 दिलाना  

 दिलवाना

 पीना  

 पिलाना  

 पिलवाना

 देखना  

 दिखाना  

 दिखवाना

 काटना  

 कटाना  

 कटवाना

 पढऩा  

 पढ़ाना  

 पढ़वाना

 धोना  

 धुलाना  

 धुलवाना

 लिखना  

 लिखाना  

 लिखवाना

 करना  

 कराना  

 करवाना


    

५-    पूर्वकालिक क्रिया—जब मुख्य क्रिया होने या करने से पूर्व कोई क्रिया होती है तब उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं; जैसे—
        वह फ़िल्म देखकर सो गया। उसने नहाकर खाना खाया। वह कॉफ़ी पीकर ऑफ़िस चला गया।
        इस प्रकार की क्रिया में प्राय: ‘कर’ या ‘करके’ प्रत्यय का योग रहता है।
    

६-    तात्कालिक क्रिया—जब एक क्रिया के घटित होने के तुरंत बाद दूसरी क्रिया घटित होती है तो उसे तात्कालिक क्रिया कहते हैं; जैसे—
        दवा खाते ही मरीज सो गया। हाथ धोते ही मजदूर खाना खाने बैठ गया। पढऩा बंद करते ही वह खेलने लगा।
        यहाँ  ‘खाते ही सोना’, ‘हाथ धोते ही खाने बैठना’, ‘पढऩा बंद करते ही खेलना’ तात्कालिक क्रिया  के उदाहरण हैं। 

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FAQs on क्रिया - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. क्रिया क्या होती है?
Ans. क्रिया हिंदी व्याकरण में एक शब्द है जिसका अर्थ होता है 'करना'। क्रिया वाक्य में किसी कार्य या क्रिया को दर्शाती है। यह वाक्य का मूल घटक होती है और वाक्य को पूर्णता देती है।
2. क्रिया की कितनी प्रकारें होती हैं?
Ans. क्रिया की तीन प्रकारें होती हैं - कर्तरि क्रिया, भाववाचक क्रिया और सेतुकार क्रिया। कर्तरि क्रिया में कोई व्यक्ति कुछ करता है, भाववाचक क्रिया में किसी की स्थिति, भावना या अवस्था का वर्णन होता है और सेतुकार क्रिया में एक क्रिया का करने वाला और क्रिया का प्रयोग करने वाला व्यक्ति दो अलग-अलग होते हैं।
3. क्रिया के कितने भेद होते हैं?
Ans. क्रिया के चार भेद होते हैं - सकर्मक क्रिया, अकर्मक क्रिया, पूर्वकालिक क्रिया और संयुक्त क्रिया। सकर्मक क्रिया में कोई काम करने वाला व्यक्ति कोई कार्य करता है, अकर्मक क्रिया में कोई व्यक्ति कोई कार्य नहीं करता है, पूर्वकालिक क्रिया में कोई क्रिया पहले होती है और संयुक्त क्रिया में दो या दो से अधिक क्रियाएं साथ में होती हैं।
4. क्रिया के वाच्य कितने होते हैं?
Ans. क्रिया के तीन वाच्य होते हैं - प्रथम, मध्यम और उत्तम वाच्य। प्रथम वाच्य में क्रिया का कर्ता स्वतंत्र होता है, मध्यम वाच्य में क्रिया का कर्ता और कर्म संबंधित होता है और उत्तम वाच्य में क्रिया का कर्ता अनादिकालीन होता है।
5. क्रिया और क्रियापद में क्या अंतर होता है?
Ans. क्रिया और क्रियापद दो अलग-अलग शब्द हैं। क्रिया एक व्याकरणिक घटक है जो कार्य या क्रिया को दर्शाती है, वहीं क्रियापद एक ऐसा शब्द है जो किसी क्रिया का पूरा अर्थ बताने वाला होता है। क्रिया के साथ संबंधित क्रियापद होता है जो किसी व्यक्ति, स्थान, समय, वस्त्र आदि को बताता है।
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