संकेत-बिंदु
- भूमिका
- खेलों के प्रति बदली धारणा
- खेल और स्वास्थ्य
- खेलों के प्रकार
- उपसंहार
भूमिका
‘खेल क्या हैं? इसका सबसे अच्छा जवाब किसी बच्चे से पाया जा सकता है। खेलों का नाम आते ही किस तरह उसका चेहरा खुशी से चमक उठता है। सचमुच खेल होते ही हैं इतने रोमांचक और मज़ेदार खेल अब तो जीवन की ज़रूरत बन गए हैं।
खेलों के प्रति बदली धारणा
पहले कहा जाता था कि ‘खेलोगे कूदोगे होगे खरांब, पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब।’ अर्थात् खेलकूद में ज्यादा ध्यान देना भविष्य खराब करने जैसा माना जाता था, जबकि पढ़ाई-लिखाई को हर प्रकार की उन्नति का साधन। समय में बदलाव के साथ ही इस धारणा में बदलाव आ गया है। अब खेल यश, धन, पद और प्रतिष्ठा पाने का माध्यम बन गया है। आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, एशियाई खेलों में या ओलंपिक स्तर पर पदक जीतने पर केंद्र एवं राज्य सरंकारें, नकद पुरस्कार देने के अलावा शानदार नौकरियों का प्रस्ताव भी देती हैं।
खेल और स्वास्थ्य
खेल और स्वास्थ्य का अत्यंत घनिष्ठ संबंध है। खेलों से खाया-पिया आसानी से पच जाता है। इसी पचे अंश से रक्त, मांस, मज्जा आदि बनता है जिससे शरीर पुष्ट बनता है। खेल हमारे शरीर में रक्त संचार बढ़ाते हैं जिससे शरीर स्वस्थ बनता है। इसके अलावा खेलों से शरीर लचीला, फुर्तीला, ऊर्जावान तथा बलवान बनता है। डॉक्टर भी स्वस्थ होने के लिए मरीजों को खुली हवा में घूमने-टहलने और उम्र तथा रुचि के अनुसार खेलने की सलाह देते हैं।
खेल और मानवीय मूल्य:
खेल सुख-दुख को समान भाव से अपनाने की प्रेरणा देते हैं। इससे खेल में पराजित व्यक्ति अपनी पराजय का दुख आसानी से भूलकर आगे की तैयारी में जुट जाता है। जीवन के दुख से उबरने के लिए यह गुण अत्यंत आवश्यक है। खेल मनुष्य में ईमानदारी, सहनशीलता, सद्भाव, सामंजस्य बिठाना तथा क्षमा करने जैसे गुणों का विकास करते हैं, जो मनुष्य को अच्छा इंसान बनाते हैं। इसके अलावा खेल नैतिकता एवं अनुशासन पाठ भी पढ़ाते हैं।
खेलों के प्रकार
खेलों को खेलने के स्थान के आधार पर मुख्यतया दो भागों में बाँटा जा सकता है-
घर के अंदर खेले जाने वाले खेल
घर के बाहर खेले जाने वाले खेल।।
घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों को ‘
इंडोर गेम’ भी कहते हैं। ऐसे खेल प्रायः दो-चार खिलाड़ियों के साथ खेले जाते हैं। शतरंज, लूडो, कैरम बोर्ड, ताश टेबलटेनिस आदि ऐसे ही खेल हैं।
घर के बाहर खुले मैदानों में खेले जाने वाले खेलों को ‘
आउटडोर गेम’ भी कहा जाता है। इस श्रेणी के खेल टीम या अधिक खिलाड़ियों के साथ खेले जाते हैं। हॉकी, क्रिकेट, फुटबाल, वालीबॉल, लान टेनिस, रस्सा कसी, खो-खो, कबड्डी आदि इसी श्रेणी के खेल हैं।
खेल-यश और धन प्राप्ति के साधन:खेलों से केवल स्वास्थ्य ही उत्तम नहीं बनता बल्कि चरित्र भी उत्तम बनता है। खेल, खिलाड़ियों को यश और धन दिलाने के साधन हैं। किसी खेल के खिलाड़ी को लाखों रुपये फ़ीस के रूप में मिलते हैं। विज्ञापन कंपनियाँ उससे करोड़ों का सालाना अनुबंध करती हैं। इसके अलावा उसे पुरस्कार स्वरूप भारी राशि मिलती है। अच्छे खिलाड़ी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय होते हैं। खेल के समय स्टेडियम का खचाखच भर जाना इसका प्रमाण है।
उपसंहार
जीवन में खेलों का बहुत महत्त्व है। खेल हमें स्वस्थ एवं प्रसन्न रखते हैं। खेल व्यक्ति का सम्मान तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ाते हैं। हमें अपनी रुचि के अनुसार खेलों में अवश्य भाग लेना चाहिए।