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ग्रामीण विकास में महिला जनप्रतिनिधि | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) PDF Download

जब भी सब्र का बाण टूटे तो सब पर भारी नारी।
फूल जैसी कोमल नारी, काँटों जितनी कठोर नारी।।

भारतीय संस्कृति में नारी की महत्ता से कौन परिचित नहीं है। भारतीय संस्कृति में भगवान शिव का नाम अर्द्धनारीश्वर बताया गया है। यह पौराणिक प्रतिपादन समग्र समाज में महिलाओं की पुरुषों के साथ बराबरी की भागीदारी की मान्यता, भावना एवं सिद्धांत की पुष्टि करता है। श्रेष्ठ कार्य के समय महिला को पुरुष के दाहिनी ओर बैठाने की परंपरा के पीछे भी महिलाओं को श्रेष्ठ कार्यों में प्राथमिकता देने का विचार ही निहित है। समग्र विकास में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी की आवश्यकता पर ये तथ्य बल देते हैं। एक-दूसरे के पूरक होते हुए नर एवं नारी की समाज में महत्त्वपूर्ण भागीदारी है। इसी संकल्पना पर विचार करते हुए ग्रामीण विकास में भी महिला जनप्रतिनिधियों की भागीदारी की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।
भारत को गाँवों का देश माना जाता है। अत: भारत के विकास हेतु आवश्यक है कि गाँवों का भी विकास हो। ग्रामीण विकास की परिधि में ग्रामों में शिक्षा, संस्कृति, कला-कौशल, चिकित्सा, सामुदायिक विकास, कृषि, सामाजिक सुधार, पशु-पालन, उद्योग-धंधे, रोजगार का विस्तार, पेयजल, विद्युत की सुविधा संचार व्यवस्था का विस्तार आदि चीजे आती हैं।
महिला जनप्रतिनिधि का अर्थ है समस्त वर्गों एवं स्तरों से प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी गई या नामांकित महिला जो ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा आदि में पंच, सरपंच, पार्षद या जिला पंचायत प्रतिनिधि, विधायक, सांसद आदि की हैसियत से कार्य करने हेतु अधिकृत है।
महिला जनप्रतिनिधि द्वारा ही ग्रामीण विकास की बात करने के पीछे यह तर्क है कि भारत में महिलाओं की संख्या भी काफी है, अत: इतनी बड़ी जनशक्ति के लिये उन्हें जनप्रतिनिधि बनाना आवश्यक है। महिलाओं के जनप्रतिनिधि बनने से उनकी झिझक और घबराहट दूर होगी तथा उनमें आत्मनिर्भरता का विकास होगा, साथ ही आत्मबल में वृद्धि होगी। महिलाओं के जनप्रतिनिधि बनने से राजनीतिक एवं सामाजिक वातावरण सरल होगा एवं टकराव तथा अहम तुष्टि की भावना विकसित नहीं होगी। इससे विकास कार्यों में बाधा नहीं आएगी एवं ग्रामीण विकास तेजी से हो सकेगा।
यह सत्य है कि अभी भी महिलाएँ सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ी हुई है। अत: उनकी उन्नति हेतु उन्हें आगे लाकर उन पर जिम्मेदारी डालना आवश्यक है।
इस पहलू से विकास के तर्क पर प्रकाश डाले तो हम पाते हैं कि महिलाएँ स्वयं कई दृष्टियों से पिछड़ी एवं लज्जाशील होती हैं, अत: विकास संबंधी जागरूकता को लेकर लोग उन्हें संशय की दृष्टि से देखते हैं। ग्रामीण विकास के लिये विकास कार्यों की योजना बनाना, कार्यस्थल का दौरा करना, भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों से निपटना तथा विकास कार्यों की तकनीकी जानकारी रखना आदि महिलाओं हेतु उचित एवं योग्य कार्य नहीं माने जाते। राजनीति एवं विकास संबंधी कार्यों की जिम्मेदारी लेने से उनकी स्वयं की जिम्मेदारियाँ जैसे- बच्चे का पालन एवं पारिवारिक दायित्व संभालने आदि में बाधा आएगी।
देश में महिलाओं की बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद अगर उनकी भागीदारी देश के विकास में न ही तो इस जनसंख्या को उचित अवसर नहीं प्राप्त होगा। इस विशाल जनशक्ति की भागीदारी के बिना किसी भी प्रकार के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिये ग्रामीण विकास के लिये महिलाओं की भागीदारी महत्त्वपूर्ण मानी गई है।
महिला जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में मौलिक विकास के नए-नए आयाम खुल रहे हैं। चूंकि महिला जनप्रतिनिधि होने के नाते वे महिलाओं की कठिनाइयों को भली-भाँति समझेगी, अत: विकास करना आसान होगा। उदाहरणस्वरूप पेयजल स्रोतों का विकास, पनघट के मार्गों का विकास, प्रसूति सुविधाएँ, महिला शिक्षा, बाल विकास, मनोरंजन आदि कार्यों में विशेष रुचि लेते हुए इन क्षेत्रों का संपूर्ण विकास होगा। इन विकास कार्यों की आज ग्रामीण क्षेत्रों में नितांत आवश्यकता है।
महिलाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में चुने जाने से ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक वातावरण की भी उन्नति होती है। इसके अतिरिक्त महिलाओं के मनोबल में वृद्धि, महिला शिक्षा, महिला स्वास्थ्य, महिला प्रतिष्ठा आदि में भी वृद्धि होगी। महिलाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में चुने जाने से महिलाओं में व्याप्त पर्दा प्रथा, झिझक एवं घबराहट दूर होती है तथा सही निर्णय करने की क्षमता का विकास होता है।
पुरुष प्रतिनिधि अक्सर निजी शत्रुता, ईष्या एवं प्रतिष्ठा को प्रश्न बनाकर एक-दूसरे को नीचा दिखाते रहते हैं, इससे उनकी सकारात्मकता शून्य ही जाती है। किंतु महिलाओं के जनप्रतिनिधि होने पर वैसी राजनीतिक उठापटक नहीं होती।
महिलाएँ प्राय: भ्रष्टाचार से दूर रहती है, फलत: विकास कार्यों का पूरा पैसा विकास कार्यों में लगने से विकास में वृद्धि होती है।
हालाँकि महिला जनप्रतिनिधियों की यह कह कर भी आलोचना की जाती है कि महिला ----- के कारण पंच एवं सरपंच महिलाएँ अपने घर के पुरुष सदस्यों पर निर्भर हो जाती है और गाँव सामाजिक रूप से विकसित नहीं हो पाते। लेकिन वह भी सत्य है कि ग्रामीण विकास में महिला जनप्रतिनिधियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सारी आलोचनाओं के बावजूद महिला जनप्रतिनिधियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। महिलाओं के प्रतिनिधित्व से विकास कार्यों में बढ़ोतरी हो रही है। वस्तुत: महिला जनप्रतिनिधि सभी -----, सभी अधिकार और सभी विकास कार्यक्रम तभी लागू कर सकती है जब वह इन तत्त्वों से भली-भाँति परिचित होती है। किसी भी त्रुटि, कमी या आलोचना की परवाह किये बिना महिला जनप्रतिनिधित्व द्वारा विकास की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिये तभी सही अर्थों में ग्रामीण विकास सुनिश्चित हो पाएगा।

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FAQs on ग्रामीण विकास में महिला जनप्रतिनिधि - Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

1. महिला जनप्रतिनिधि कैसे ग्रामीण विकास में मदद कर सकती है?
उत्तर: महिला जनप्रतिनिधि ग्रामीण विकास में महिलाओं की समस्याओं और आवश्यकताओं को समझने और सरकारी योजनाओं और कानूनों को लागू करने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य कर सकती है। उनके माध्यम से, महिलाओं की आवाज़ को सुना जा सकता है और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए सही नीतियों को बनाया जा सकता है।
2. महिला जनप्रतिनिधि कैसे योग्यता का हिसाब रखती है?
उत्तर: महिला जनप्रतिनिधि को योग्यता के माध्यम से चुना जाता है। वे अपने क्षेत्र में महिलाओं की समस्याओं को समझने और समाधान करने के लिए योग्यता, ज्ञान, और अनुभव रखने चाहिए। उन्हें सरकारी योजनाओं, कानूनों, और नीतियों की जानकारी होनी चाहिए जो महिलाओं के लिए ग्रामीण विकास को समर्पित होती हैं।
3. महिला जनप्रतिनिधि कैसे समुदाय के विकास में मदद कर सकती है?
उत्तर: महिला जनप्रतिनिधि समुदाय के विकास में महिलाओं की भूमिका को मजबूत कर सकती है। वे समुदाय के लोगों के बीच संचार का माध्यम बन सकती हैं और समस्याओं का समाधान करने के लिए सही नीतियों को समर्थन कर सकती हैं। उनकी उपस्थिति और सक्रियता द्वारा, महिलाओं को ग्रामीण विकास के निर्माण में भाग लेने का अवसर मिलता है और समुदाय के सभी सदस्यों का विकास होता है।
4. महिला जनप्रतिनिधि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को समर्थन कर सकती है?
उत्तर: महिला जनप्रतिनिधि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को समर्थन करने के लिए नीतियों को बनाने और लागू करने में मदद कर सकती हैं। वे शिक्षा के महत्व को समझती हैं और बच्चों, खासकर लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कार्य कर सकती हैं। उन्हें समुदाय के सदस्यों की जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा के लिए संसाधनों को मुहैया कराने का मार्ग मिलता है।
5. महिला जनप्रतिनिधि कैसे स्वास्थ्य सेवाओं को सुधार सकती है?
उत्तर: महिला जनप्रतिनिधि स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए नीतियों के लिए अभियांत्रिकी के रूप में काम कर सकती हैं। वे महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकताओं को समझती हैं और उन्हें सुधार करने के लिए सही नीतियों को समर्थन कर सकती हैं। उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार और उनके स्वास्थ्य पर निर्धारित प्रभाव डालने का मार्ग मिलता है।
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