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तत्सम और तद्भव | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) PDF Download

Table of contents
परिभाषा
शब्दों को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है? 
मुख्य (मौलिक) आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
बोलचाल के अर्थों के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
रूपांतर के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
तत्सम शब्द किसे कहते हैं 

परिभाषा

भाषा के सूक्ष्म्तम रूपों अर्थात वर्णों के सार्थक संयोग को शब्द (Word) कहा जाता है। शब्द अखंड ध्वनियों से निर्मित होते हैं। दो या दो से अधिक शब्द मिल कर वाक्यों की रचना करते हैं। किसी वाक्य के अंतर्गत शब्दों को ‘पद’ की संज्ञा दी जाती है। लेकिन शब्द सिर्फ वाक्यों पर ही निर्भर नहीं होते हैं। इनका अस्तित्व वाक्यों के बाहर एवं वाक्यों के बिना भी होता है।
उदाहरण

  • ईश्वर की अनंत ऊर्जा हमारे अंदर है।

यहाँ ईश्वर, अनंत, ऊर्जा सभी एक शब्द हैं। वाक्य के बिना भी इनका अस्तित्व और महत्व है।

शब्दों को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है? 

तत्सम और तद्भव शब्दों को अच्छे से समझने के लिए हमें शब्दों के वर्गीकरण के अन्य आधारों को भी देखना होगा। इसलिए आइये शब्दों के अन्य प्रकारों को भी जान लेते हैं।
शब्दों का वर्गीकरण विभिन्न 6 आधारों पर किया जाता है:

मुख्य (मौलिक) आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

शब्दों के मुख्यत 2 प्रकार होते हैं :

सार्थक शब्द किसे कहते हैं ?

  • जिन शब्दों का कोई भी सही अर्थ हो, उन्हें सार्थक शब्द कहा जाता है।

निरर्थक शब्द किसे कहते हैं ?

  • जिन शब्दों का प्रयोग हम दैनिक जीवन में अपने बोलचाल में तो करते हैं, लेकिन वास्तव में उनका कोई अर्थ नहीं होता है।

उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के 5 प्रकार होते हैं :

  • तत्सम शब्द – संस्कृत से हिन्दी में आए शब्दों को Tatsam Shabd Kahate Hain
  • तद्भव शब्द – संस्कृत के वे मूल शब्द जिनके रूप में हिन्दी में आकर बदल गए हैं, उन्हें Tatbhav Shabd Kahate Hain
  • देशज शब्द – जिन शब्दों की उत्पत्ति भारत के क्षेत्रीय भाषाओं से हुई है, उन्हें देशज या देशी शब्द कहते हैं।
  • विदेशज शब्द – अन्य देशों के भाषाओं से आए हुए शब्द, विदेशज कहलाते हैं।
  • संकर शब्द – दो भिन्न भाषाओं के शब्दों के योग से बने शब्द, संकर शब्द कहलाते हैं।

रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

बनावट या रचना के आधार पर शब्द को 3 रूपों में वर्गीकृत किया जाता है:

  • रूढ़ शब्द – ऐसे शब्द जिनकी रचना विभिन्न शब्दों से नहीं वरन अक्षरों से होती है, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।
  • यौगिक शब्द – दो या अनेक शब्दों के योग से बने शब्दों को यौगिक शब्द कहा जाता है।
  • यौगिक रूढ़ शब्द – ऐसे यौगिक शब्द जिनकी रचना दो या दो शब्दों के योग से होती है, लेकिन योग के बाद इन्हें किसी विशेष अर्थ में प्रयोग किया जाता है।

अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

शब्दों के अर्थ के आधार पर शब्दों के 4 प्रकार होते हैं:

  • एकार्थी शब्द – ऐसे शब्द जिनका एक ही मुख्य अर्थ होता है, उसे एकार्थी शब्द कहते हैं।
  • अनेकार्थी शब्द – ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक या अनेक अर्थ होते हैं।
  • पर्यायवाची शब्द – समान अर्थों वाले शब्दों को पर्यायवाची (या समानार्थी) शब्द कहा जाता है।
  • अविकारी शब्द – वाक्य में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिन पर काल, लिंग, वचन, कारक इत्यादि का प्रभाव नहीं पड़ता है और उनके रूप में कोई बदलाव नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द (अव्यय) कहते हैं।

बोलचाल के अर्थों के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

बोलचाल के अर्थों के  आधार पर शब्दों के 3 प्रकार होते हैं:

  • वाचक या अभिधा शब्द – जिन शब्दों का अर्थ आसानी से समझा जा सके, उन्हें वाचक या अभिधा शब्द कहते हैं।
  • लाक्षणिक शब्द – जिन शब्दों का अर्थ शाब्दिक न होकर सांकेतिक हो, उन्हें लाक्षणिक शब्द कहते हैं।
  • व्यंजना शब्द – जिन शब्दों का अर्थ न तो शाब्दिक होता और न ही लाक्षणिक, उन्हें व्यंजना शब्द कहते हैं। ऐसे शब्द किसी और भाव में कहे जाते हैं पर उनका अर्थ कुछ और ही होता है।

रूपांतर के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

शब्द के रूपों में आए अंतर के आधार पर शब्दों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है:

  • विकारी शब्द – ऐसे शब्द जो काल, वचन, लिंग, कारक आदि के प्रभाव से बदल जाते हैं, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।
  • अविकारी शब्द – अविकारी शब्दों में काल, वचन, लिंग आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः इनका रूप-परिवर्तन नहीं होता है।

तत्सम शब्द किसे कहते हैं 

  • तत्सम शब्द संस्कृत के 2 शब्दों से मिल कर बना है – तत् (उसके/संस्कृत के) + सम् (समान)। अर्थात जो शब्द संस्कृत के समान हों। जिन शब्दों के मूल रूप को संस्कृत से हिन्दी में वास्तविक रूप में ग्रहण कर लिया गया है और कालांतर में भी जिनके रूप में कोई परिवर्तन नहीं आया है
  • तत्सम शब्दों में आज तक न तो अक्षरों में कोई परिवर्तन हुआ है और न ही ध्वनियों में। उन्हें आज भी ‘ज्यों का त्यों’ ही प्रयोग किया जाता है।
  • संस्कृत विश्व के कई भाषाओं की जननी मानी जाती है। हिन्दी की ही तरह मलयालम, तेलुगू, तमिल, बंगला जैसे कई भाषाओं के अनेक शब्द तत्सम रूप में ही प्रयुक्त किए जाते हैं।
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FAQs on तत्सम और तद्भव - Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

1. शब्दों को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?
Ans. शब्दों को मुख्यतः निम्नलिखित आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है: 1. मुख्य (मौलिक) आधार पर 2. उत्पत्ति के आधार पर 3. रचना के आधार पर 4. अर्थ के आधार पर 5. बोलचाल के अर्थों के आधार पर 6. रूपांतर के आधार पर।
2. तत्सम और तद्भव शब्दों में क्या अंतर है?
Ans. तत्सम शब्द वे होते हैं जो संस्कृत से सीधे आए हैं और उनकी रूप-रचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, जैसे 'विद्या'। वहीं, तद्भव शब्द वे होते हैं जो संस्कृत से आए हैं लेकिन उनमें कुछ परिवर्तन हुआ है, जैसे 'विद्या' का 'बुद्धि' बन जाना।
3. अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
Ans. अर्थ के आधार पर शब्दों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: 1. समानार्थक शब्द (समान अर्थ वाले) 2. विलोम शब्द (विपरीत अर्थ वाले) 3. व्युत्पन्न शब्द (जो किसी अन्य शब्द से बने हैं) 4. विशेषण और संज्ञा के रूप में उपयोग।
4. बोलचाल के अर्थों के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण क्या है?
Ans. बोलचाल के अर्थों के आधार पर शब्दों को उनके सामान्य उपयोग के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है, जैसे कि कुछ शब्दों का औपचारिक अर्थ और अनौपचारिक अर्थ होता है। उदाहरण के लिए, 'बोलना' का अर्थ औपचारिक रूप में 'संवाद करना' होता है, जबकि अनौपचारिक रूप में यह 'बात करना' हो सकता है।
5. शब्दों की उत्पत्ति के आधार पर वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
Ans. शब्दों की उत्पत्ति के आधार पर उन्हें मुख्यतः निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: 1. भारतीय मूल के शब्द (जैसे हिंदी, संस्कृत) 2. विदेशी मूल के शब्द (जैसे अंग्रेजी, फारसी) 3. अनुकरणीय शब्द (जो किसी ध्वनि या क्रिया से उत्पन्न हुए हैं)।
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