पत्रा-लेखन एक कला है। यह मानव के विचारों के आदान-प्रदान का अत्यंत सरल और सशक्त माध्यम है। लेखन की जितनी भी कलाएँ हैं, उन में यह विधा अलग है क्योंकि पत्रकिसी-न-किसी व्यक्ति को संबोध्ति करते हुए लिखा जाता है। इस के अलावा पत्र के माध्यम से लिखनेवाले व्यक्ति की अभिव्यक्ति-क्षमता के साथ उस के व्यक्तित्व की एक झलक भी मिल जाती है।
पत्रलिखने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है, जो प्राचीन काल से चली आ रही है। इस के लेखन की शैली भिन्न-भिन्न होती है। पत्रा-लेखन के समय शब्दों का प्रयोग सोच-समझकर करना चाहिए। पत्रलिखते समय वुफछ सावधानियाँ तथा तथ्यों का ध्यान रखें तो प्रभावपूर्ण पत्रा-लेखन किया जा सकता है।
पत्रा-लेखन में ध्यान देने योग्य बातें:
अच्छे पत्रकी विशेषताएँ: एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:
पत्रों के प्रकार
पत्रों को मुख्यतया दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है –
1. औपचारिक-पत्र 2. अनौपचारिक-पत्र
1. औपचारिक-पत्र
जो पत्रसरकारी कार्यालयों के अलावा अधर््-सरकारी तथा .गैर-सरकारी कार्यालयों या संस्थाओं को भेजे जाते हैं, उन्हें औपचारिक-पत्रकहते हैं। ये पत्रउन लोगों, अध्किारियों, कर्मचारियों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजता का या रिश्ते का संबंध् नहीं होता। ये पत्रदैनिक जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं के संदर्भ में लिखे जाते हैं, जिन में श्यादातर अनुरोध् का भाव छिपा रहता है।
कुछ स्मरणीय तथ्य
(i) प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश, हस्ताक्षर आदि बाईं ओर से लिखें।
(ii) प्रश्नपत्र में यदि प्रेषक का नाम और पता दिया गया हो तो वही नाम और पता लिखें, अपना या अपनी तरफ से कुछ नहीं।
(iii) संबोध्न और हस्ताक्षर भी प्रश्नपत्र के अनुसार ही लिखें।
(iv) प्रश्नपत्र में नाम तथा पता न दिया होने पर अपना पता ‘परीक्षा भवन’ लिखें।
(v) प्रश्नपत्र में अपना नाम तथा अनुक्रमांक लिखने की चेष्टा न करें। वहाँ ‘अºबºसº’ या ‘कºखºगº’ लिखें।
औपचारिक-पत्रका प्रारूप एवं उदाहरण
(i) प्रार्थना-पत्रका प्रारूप
उदाहरण
1. अपने विद्यालय वेफ प्रधनाचार्य को अवकाश वेफ लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर - परीक्षा भवन
कºखºगº विद्यालय
नई दिल्ली
10 दिसंबर, 20××
प्रधानाचार्य महोदय
अºबºसº विद्यालय
नई दिल्ली
विषय—अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।
मान्यवर
निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की आठवीं कक्षा का छात्र हूँ। कल विद्यालय से आते ही मुझे ज्वर आ गया, जो रात तक बढ़ गया। डॉक्टर ने मुझे दवाइयाँ लेने के साथ-साथ आराम करने की सलाह दी है। इस कारण मैं विद्यालय उपस्थित होने में असमर्थ हूँ।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मुझे दो दिन (दिनांक १४ एवं १५ दिसंबर, २०××) को अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। मैं आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित
आपका आज्ञाकारी शिष्य
यºरºलº
कक्षा - आठवीं (अ)
अनुक्रमांक - ××
2. नि:शुल्क पुस्तकें प्राप्त करने के लिए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर - कºखºगº विद्यालय
नई दिल्ली
25 अप्रैल, 20××
प्रधानाचार्य महोदय
अºबºसº विद्यालय
नई दिल्ली
विषय—नि:शुल्क पुस्तकें प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
मान्यवर
विनम्र निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की आठवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी घर के निचले भाग में किराने की एक छोटी-सी दुकान चलाते हैं। दुकान से आमदनी कम होती है। घर में दादा-दादी सहित कुल सात सदस्य हैं। एक भाई तथा बड़ी बहन भी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इतनी कम आमदनी में घर का निर्वाह अत्यंत कठिनाई से होता है। मेरे पिता जी मेरे लिए नई पुस्तकें खरीद पाने में असमर्थ हैं।
अत: आपसे प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय से नि:शुल्क पुस्तकें प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। आपकी इस कृपा के लिए मैं आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित
आपका आज्ञाकारी शिष्य
यºरºलº
कक्षा - आठवीं (ब)
अनुक्रमांक - ××
3. बड़े भाई के विवाह में शामिल होने के लिए अवकाश हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर - कºखºगº विद्यालय
नई दिल्ली
12 फरवरी, 20××
प्रधानाचार्य महोदय
अºबºसº विद्यालय
नई दिल्ली
विषय—अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।
मान्यवर
विनम्र प्रार्थना यह है कि मैं इस विद्यालय की आठवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे बड़े भाई का शुभ विवाह दिनांक 15 फरवरी, २०×× को होना निश्चित हुआ है। बारात मेरे निवास-स्थान से मेरठ जाएगी। विवाह के इस शुभ अवसर पर घर में मेहमानों का आना शुरू हो गया है। इसके अलावा घर में बहुत-से कार्य बढ़ गए हैं। इन कार्यों में मुझे अपने माता-पिता का हाथ बँटाना है। घर में आए मेहमानों के सत्कार एवं उनकी सुविधाओं का ध्यान मुझे ही रखना है, इस कारण मैं विद्यालय उपस्थित होने में असमर्थ हूँ।
आपसे अनुरोध है कि मुझे 14 फरवरी से 17 फरवरी, २०×× तक चार दिन का अवकाश देने की कृपा करें। मैं आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित
आपका आज्ञाकारी शिष्य
यºरºलº
कक्षा - आठवीं (स)
अनुक्रमांक - ××
4. विद्यालय छोडऩे के प्रमाण-पत्र हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर - परीक्षा भवन
कºखºगº विद्यालय
नई दिल्ली
१८ फरवरी, २0××
प्रधानाचार्य महोदय
अºबºसº विद्यालय
नई दिल्ली
विषय—विद्यालय छोडऩे का प्रमाण - पत्र लेने के संबंध में।
मान्यवर
विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की आठवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मेरे पिता जी यहीं के एक सरकारी कार्यालय मेें काम करते थे। गत सप्ताह उनका स्थानांतरण दिल्ली से आगरा हो गया है। हमारा परिवार इसी सप्ताहांत आगरा चला जाएगा। आगरा में रहते हुए इस विद्यालय में पढ़ाई कर पाना संभव नहीं है। वहाँ के विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए मुझे विद्यालय छोडऩे के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है।
आपसे अनुरोध है कि मुझे विद्यालय छोडऩे का प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं वहाँ प्रवेश ले सकूँ। आपकी इस कृपा के लिए मैं आभारी रहूँगी।
धन्यवाद सहित
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
कºखºगº
कक्षा - आठवीं (द)
अनुक्रमांक - ××
5. जुर्माना माफ़ करने के लिए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना - पत्र लिखिए।
उत्तर - परीक्षा भवन
कºखºगº विद्यालय
नई दिल्ली
०८ मार्च, २0××
प्रधानाचार्य महोदय
अºबºसº विद्यालय
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
विषय—जुर्माना माफ़ करने के संबंध में।
मान्यवर
विनम्र प्रार्थना यह है कि मैं इस विद्यालय की आठवीं कक्षा का छात्र हूँ। कल विद्यालय के प्रांगण में मैं अपने अन्य साथियों के साथ क्रिकेट खेल रहा था। मध्यांतर का समय था। इस समय मैं बल्लेबाजी कर रहा था। एक तेज़ गेंद को मैंने किसी और दिशा में मारना चाहा, पर गेंद बल्ले से लगकर पुस्तकालय की खिड़की से जा टकराई। गेंद लगते ही खिड़की का काँच टूटकर गिर गया। मेरे इस कृत्य के लिए कक्षाध्यापक ने मुझ पर पाँच सौ रुपये का अर्थदंड लगा दिया है।
श्रीमान जी मुझसे यह घटना अनजाने में हुई है। मेरे पिता जी ,स्र साधारण दुकानदार हैं। यह अर्थदंड चुकाने में वे असमर्थ हैं।
आपसे प्रार्थना है कि अनजाने में हुई इस भूल के लिए मुझे क्षमा करे तथा मेरा अर्थदंड माफ़ करने की कृपा करें। मैं आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित
आपका आज्ञाकारी शिष्य
यº रº लº
कक्षा - आठवीं (1)
अनुक्रमांक - ××
6. खेलों की उचित व्यवस्था हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर - परीक्षा भवन
कºखºगº विद्यालय
नई दिल्ली
१० अप्रैल, २0××
प्रधानाचार्य महोदय
अºबºसº विद्यालय
नई दिल्ली
विषय—खेलों की उचित व्यवस्था के संबंध में।
मान्यवर
विनम्र निवेदन यह है कि हम सब आठवीं कक्षा के छात्र हैं। हम विद्यालय के आस-पास ही बनी पुनर्वास कॉलोनियों के रहनेवाले हैं। इन कॉलोनियों में पार्क के लिए कोई स्थान नही है तथा हमारे घर भी छोटे-छोटे हैं, इससे ह में खेलने का स्थान नहीं मिल पाता।
मान्यवर, विद्यालय में खेल का मैदान काफ़ी बड़ा तथा आकर्षक है, किंतु विद्यालय में खेलों के सामान की उचित व्यवस्था नहीं है। खेल का पीरियड होने पर भी हम छात्र खेलने से वंचित रह जाते हैं और कक्षाओं में बैठे रहने पर विवश रहते हैं। यहाँ काफ़ी समय से नया सामान नहीं खरीदा गया है, जिससे ह में टूटे-फूटे सामान ही मिल पाते हैं।
अत: आपसे निवेदन है कि खेल का नया सामान खरीदने की कृपा करे, जिससे हम छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी आगे बढ़ सकें तथा विद्यालय का नाम ऊँचा करें।
धन्यवाद सहित
आपका आज्ञाकारी शिष्य
यº रº लº
कक्षा – आठवीं (द)
अनुक्रमांक - ××
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1. पत्र - लेखन क्या है? |
2. पत्र - लेखन के कितने खंड होते हैं? |
3. पत्र - लेखन के लिए कौन-कौन से व्याकरण नियम अपनाए जाते हैं? |
4. पत्र - लेखन क्यों महत्वपूर्ण है? |
5. पत्र - लेखन के लिए कौन-कौन से खंड शामिल होते हैं? |
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